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class 5 Hindi Bihar board solution | class 5 hindi bihar board

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Class 5 hindi chapter 1 bihar board



 






 

 

 

  आपका पन्ना

1. आप अपने गाँव, शहर या राज्य को किस रूप में देखना चाहते हैं ? दिए गए स्थान पर चित्र बनाइए या लिखिए –

उत्तर – मैं अपने गाँव, शहर या राज्य को समृद्ध और सुखी देखना चाहता हूँ | मैं एक ऐसे गाँव, शहर या राज्य का सपना देखता हूँ जहां इतिहास और जीवंत सांस्कृतिक जीवन का मिश्रण हो , जहां अच्छा प्रशासन हो , साफ – सुथरा हो, आवागमन आसान हो और जहां विभिन्न धर्मो के लोग रंग , रूप , वेश , भाषा , खान-पान जैसे अनेक विभिन्नताओं के बावजूद मिलजुलकर रहते हों |

2. भारत के नक़्शे में इसके सभी राज्यों के नाम लिखिए | अपने राज्य के नक़्शे में अपना मनपसंद रंग भरिए –

 




 


 

        


 

 

3. अपने शिक्षक की सहायता से नीचे दिए गए राज्यों के बारे में ख़ास बातें लिखते हुए तालिका को भरिए –

 

 

क्र० स०

राज्य

प्रसिद्ध पकवान

वेश-भूषा

भाषा

एक प्रसिद्ध जगह

1.

बिहार

लिट्टी-चोखा, मालपुआ, ठेकुआ, खाजा , पेरुकिया

धोती-कुर्ता एवं गमछा, साड़ी

हिंदी

राजगीर

2.

तमिलनाडु

इडली, डोसा , सांभर , उत्तपम, बज्जी

लूंगी-शर्ट एवं गमछा, कांचीपुरम साड़ी

तमिल

ऊटी हिल स्टेशन

3.

पंजाब

छोले-भटूरे, दाल- मखनी, मलाई  कोफ्ता , रबड़ी , नवरत्न कोरमा

कुर्ता-पजामा एवं पगड़ी, शरारा साड़ी एवं सलवार कमीज

पंजाबी

स्वर्ण मंदिर

4.

असम

खार , डक मीट करी , मसूर टेंगा , आलू पिटिका, सिल्कवॉर्म

धोती-कुर्ता एवं गमछा, मेखला चादर

असमीया

कामाख्या मंदिर

5.

गुजरात

ढोकला, खांडवी, थेपला, खाखरा , पूरन पोली

केविया-चूड़ीदार , घाघरा-चोली

गुजराती

गिर राष्ट्रीय उद्यान

 

 


क्र० स०

राज्य

प्रसिद्ध पकवान

वेश-भूषा

भाषा

एक प्रसिद्ध जगह

1.

बिहार

लिट्टी-चोखा, मालपुआ, ठेकुआ, खाजा , पेरुकिया

धोती-कुर्ता एवं गमछा, साड़ी

हिंदी

राजगीर

2.

तमिलनाडु

इडली, डोसा , सांभर , उत्तपम, बज्जी

लूंगी-शर्ट एवं गमछा, कांचीपुरम साड़ी

तमिल

ऊटी हिल स्टेशन

3.

पंजाब

छोले-भटूरे, दाल- मखनी, मलाई  कोफ्ता , रबड़ी , नवरत्न कोरमा

कुर्ता-पजामा एवं पगड़ी, शरारा साड़ी एवं सलवार कमीज

पंजाबी

स्वर्ण मंदिर

4.

असम

खार , डक मीट करी , मसूर टेंगा , आलू पिटिका, सिल्कवॉर्म

धोती-कुर्ता एवं गमछा, मेखला चादर

असमीया

कामाख्या मंदिर

5.

गुजरात

ढोकला, खांडवी, थेपला, खाखरा , पूरन पोली

केविया-चूड़ीदार , घाघरा-चोली

गुजराती

गिर राष्ट्रीय उद्यान

 

4. निम्नलिखित नदियाँ किन-किन राज्यों से होकर गुजरती हैं ? आप अपने शिक्षक या परिवार के किसी सदस्य की सहायता से बताइए-

 

 

नदियाँ

राज्यों के नाम

 

गंगा

उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश , बिहार , झारखण्ड ,

 पश्चिम बंगाल

ब्रह्मपुत्र

अरुणाचल प्रदेश , असम

 

कावेरी

कर्नाटक , तमिलनाडु

 

 

 


 

5. देशभक्ति से जुड़े एक- दो गीत कक्षा में सुनाइए |

उत्तर  पहला देशभक्ति गीत

         है प्रीत जहाँ की रीत सदा

है प्रीत जहाँ की रीत सदा, मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ

काले-गोरे का भेद नहीं, हर दिल से हमारा नाता है
कुछ और न आता हो हमको, हमें प्यार निभाना आता है
जिसे मान चुकी सारी दुनिया, मैं बात वही दोहराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ

जीते हो किसीने देश तो क्या, हमने तो दिलों को जीता है
जहाँ राम अभी तक है नर में, नारी में अभी तक सीता है
इतने पावन हैं लोग जहाँ, मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ

 

 

  दूसरा देशभक्ति गीत

  अब तुम्हारे हवाले है वतन साथियों

कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों

सांस थमती गई, नब्ज जमती गई,
फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते मरते रहा बाँकपन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों

जिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनो को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
बाँध लो अपने सर पर कफ़न साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों

राह कुर्बानियों की ना वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नये काफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
जिन्दगी मौत से मिल रही है गले
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों

 

 

6. आपको अपने गाँव, शहर, राज्य या देश की कौन-सी एक बात बहुत अच्छी लगती है ? बताइए |

उत्तर – हमारा भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है | इसी कारण यहाँ सभी धर्मों के लोगों को बराबर सम्मान दिया जाता है | मुझे संविधान की यह धर्मनिरपेक्षता वाली व्यवस्था बहुत अच्छी लगती है जिसके कारण यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग मिलजुलकर आनंदपूर्वक रहते हैं |

 

 



                                 Class 5 hindi bihar board

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                              2. टिपटिपवा  

                    अभ्यास

बातचीत के लिए

1. आप भी कहानी सुनने के लिए मचलते होंगे | आपको कहानी कौन – कौन सुनाते हैं ?

उत्तर :- हाँ , मैं भी कहानी सुनने के लिए मचलता हूँ | मुझको कहानी दादी माँ तथा माँ सुनाती हैं | कभी – कभी चाची भी मुझे कहानियाँ सुनाती हैं |

 

 

 

 

 

2. ‘टिपटिपवा’ कौन है ? बाघ उसका नाम सुनकर क्यूँ डर गया था ?

उत्तर :- टिपटिपवा दादी की झोपड़ी में जगह – जगह टपकता हुआ बारिश का पानी है | जब दादी भुवन को बोली की न शेरवा के डर, न बघवा के डर | डर त डर टिपटिपवा के डर , तो यह सुनकर बाघ डर गया क्यूंकि उसे लगा की टिपटिपवा उससे भी बड़ा कोई जानवर है |

3. पंडित जी बारिश का जमा पानी कैसे उलीच रहे थे?

उत्तर:- पंडित जी बारिश का जमा पानी घर से बाहर फेंकने के लिए एक बर्तन में बार – बार भरकर उलीच रहे थे |

4. कहानी में भोला किस पोथी को बाँचने की बात करता है?

उत्तर :- कहानी में भोला पंडित जी के पत्रा को बाँचने की बात करता है |

 

 

 

 

 

 

5. दादी ने ऐसा क्यों कहा की टिपटिपवा का डर शेर-बाघ से भी बड़ा होता है ?

उत्तर :- मुसलाधार बारिश होने की वजह से दादी की झोपड़ी में पानी जगह-जगह बहुत तेजी से टपक रहा था | अगर ऐसा ही चलता रहता तो झोपड़ी में पूरा पानी भरने से सब कुछ तबाह हो जाता इसलिए दादी ने कहा की टिपटिपवा का डर शेर-बाघ से भी बड़ा होता है |

6. पंडित जी के घर जाते समय भोला ने मोटा लट्ठ साथ में क्यों लिया होगा ?

उत्तर :- भोला का गदहा गायब था | उसके जगह-जगह ढूंढने पर भी वह नही मिला तो भोला सोचा होगा की पंडित जी के पोथी बाँचकर बताने पर वह गदहे को ढूंढ़कर उसका कचूमर निकालेगा | इसलिए पंडित जी के घर जाते समय भोला ने मोटा लट्ठ साथ में लिया होगा |

 

 

 

 

 

 

 

कहानी में से

1. भोला पंडित जी के पास क्यों गया ?

उत्तर :-  भोला का गधा गायब था | उसके जगह-जगह ढूंढने पर भी वह नही मिला तो भोला पंडित जी के पास पोथी बंचवाकर अपने गदहे का पता लगवाने गया |

2. बाघ टिपटिपवा के डर से कहाँ छिप गया ?

उत्तर :- बाघ टिपटिपवा के डर से तालाब के किनारे ऊँची-ऊँची उगे घासों में छिप गया |

3. गाँववालों की आँखें खुली की खुली क्यों रह गईं ?

उत्तर :- सुबह जब गाँववालों ने भोला के घर के बाहर खूँटे से एक बाघ को बंधा देखा तो गाँववालों की आँखें खुली की खुली रह गईं |

बारिश ही बारिश

‘बारिश में दादी की झोंपड़ी में पानी जगह-जगह टपक रहा था |’

 

 

 

1. दादी ने बारिश से बचने के लिए क्या किया होगा ?

उत्तर:- दादी ने बारिश से बचने की लिए अपनी झोंपड़ी में जगह-जगह से टपक रहे पानी को जमा करने के लिए उसके नीचे बर्तनों को रखा होगा और फिर उन बर्तनों में जमे पानी को बाहर फेंकती रहती होंगी |

2. आप या आपके गाँव/मोहल्ले के लोग बारिश से बचने के लिए क्या-क्या करते हैं?

उत्तर:- मैं और मेरे गाँव के लोग बारिश से बचने के लिए पहले से ही तैयारी करके रखते हैं | हमसब अपनी-अपनी झोंपड़ियों के छप्पर को बारिश के मौसम से पहले ही मरम्मत कर देते हैं ताकि पानी न टपके और कई लोग बारिश होते ही मोटी-मोटी पॉलिथीन की चादरों को दरवाजे के पास लटका देते हैं ताकि बारिश की बूंदे अन्दर प्रवेश न करे |

 

 

 3. इस कहानी में बारिश से कई लोग परेशान हुए | बताइए कि निम्नलिखित लोगों को बारिश के कारण क्या परेशानी हुई –

व्यक्ति

 क्या परेशानी हुई

दादी

-------------------------------------------

 

पंडित जी

-------------------------------------------

 

बाघ

--------------------------------------------

 

भोला

------------------------------------------

 

उत्तर:-

व्यक्ति

 क्या परेशानी हुई

दादी

झोंपड़ी में जगह-जगह टपकते हुए बारिश के पानी से

 

पंडित जी

घर में जमा बारिश का पानी उलीचने से

 

बाघ

मुसलाधार बारिश और टिपटिपवा से

 

भोला

गायब गधे को बारिश में भींगकर ढूंढते रहने से


कहानी की दुनिया

1. कहानी में पहले क्या हुआ, फिर उसके बाद क्या हुआ ? घटनाओं के आधार पर क्रम में अंक दीजिए-


भोला ने बाघ को गदहा समझकर उसे खूँटे से बाँध दिया |

दादी ने कहा, “टिपटिपवा तो बाघ से भी बड़ा होता है |”

गाँववाले हैरानी से बाघ को देखने लगे |

दादी की झोंपड़ी में बारिश का पानी टपक रहा था |

भोला अपने गदहे का पता पूछने पंडित जी के पास गया |

बाघ टिपटिपवा के डर से तालाब के किनारे घास में छिप गया |

उत्तर :-

दादी की झोंपड़ी में बारिश का पानी टपक रहा था |

दादी ने कहा, “टिपटिपवा तो बाघ से भी बड़ा होता है |”

बाघ टिपटिपवा के डर से तालाब के किनारे घास में छिप

गया |

भोला अपने गदहे का पता पूछने पंडित जी के पास गया |

भोला ने बाघ को गदहा समझकर उसे खूँटे से बाँध दिया |

गाँववाले हैरानी से बाघ को देखने लगे |

 

                 

 

2. कहानी में शेर और बाघ की बात आई है | नीचे दिए गए चित्र में बताएँ कि कौन बाघ है और कौन शेर?

 

 

 


 

 


 

 





3. बाघ चुपचाप भोला के पीछे क्यों चलने लगा | सही उत्तर पर () निशान लगाइए –

(क) बाघ भोला से डर गया था |

(ख) बाघ ने सोचा कि भोला उसे टिपटिपवा से बचाएगा |

(ग)  बाघ ने मोटे लट्ठ को टिपटिपवा समझ लिया |

 

कहानी और आप

1. ‘सुबह से पानी उलीचते-उलीचते पंडित जी थक गए थे | भोला की बात सुनी तो झुंझला पड़े |’

बताइए, आप कब थक जाते हैं और कब झुंझला पड़ते हैं ? निम्नलिखित लोगों के बारे में भी पता कर लिखिए –

व्यक्ति

थक जाते हैं

झुंझला पड़ते हैं

आप

------------

------------

माँ

------------

------------

पिताजी

------------

------------

बहन

------------

------------

भाई

------------

------------

दोस्त

------------

------------

 

2. ‘पोता दादी की गोद में लेटा कहानी सुनने के लिए मचल रहा था |’

(क) यहाँ मचलने के क्या मतलब है ?

उत्तर :- यहाँ मचलने के मतलब है – आतुर होना / हठ करना

(ख) आप किन-किन चीजों/कामों के लिए मचलते हैं?

उत्तर :-  मैं बाजार जाकर अपनी मनपसंद चींजे खरीदवाने के लिए, अपनी मनपसंद चींजे खाने के लिए , टीवी पर अपनी पसंदीदा सीरियल और कार्टून देखने के लिए और स्मार्टफ़ोन पर गेम खेलने के लिए मचलता हूँ |

 

(ग) क्या कभी ऐसा हुआ है कि किसी चीज के लिए मचलने पर आपको डांट पड़ी हो ? बताइए |

उत्तर :- हाँ , ऐसा कई बार हुआ है जब किसी चीज के लिए मचलने पर मुझको  डांट पड़ी हो | एक बार जनवरी की कंपकंपाती ठण्ड में मैं आइसक्रीम खाने के लिए

मचल रहा था तो मेरी माँ से मुझे बहुत डांट पड़ी |

 

 

भाषा के रंग

1. ‘सुबह से पानी उलीचते-उलीचते पंडित जी थक गए थे |’

उलीचना      पटाना       फेंकना

डालना        फेरना        देना

  इसी तरह सही शब्द से वाक्य पुरे कीजिए –

 

                                     

 

·        सुनील खेतों को पानी से ________ रहा था |

·        अंकित ने जल्दी से पैरों पर पानी ________ और पैर साफ किया |

·        अरे, तुमने तो मेरे किए कराए पर पानी _______ दिया |

·        सभी नाव से पानी __________ लगे |

·        गिलास में मक्खी गिर गई थी इसलिए मामाजी को सारा पानी ______ पड़ा |

·        एक गिलास पानी _________ |

 

उत्तर :-

·        पटा

·        डाला

·        फेर

·        उलीचने

·        फेंकना

·        देना

2. नीचे दिए गए मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करते हुए अर्थ बताइए –

चूं – चपड़ न करना – ( एकदम शांत रहना ) – सोहन बिना चूं – चपड़ किए दादाजी की डांट सुनता रहा |

भींगी बिल्ली बनना – ( डर जाना ) – वर्ग में सभी बच्चे हल्ला कर रहे थे लेकिन प्रधानाचार्य के आते ही भींगी बिल्ली बन चुप हो गए |

आव देखा न ताव – ( बिना सोचे विचारे किसी काम को करना ) – पुलिस द्वारा अपशब्द सुन कर वह आव देखा न ताव , पुलिस को मारने लगा |

दुम दबाकर भागना – ( डर कर भागना ) – पुलिस को देखते ही चोर दुम दबाकर भागने लगें |

आँखे खुली की खुली रहना – ( हैरान होना ) – सरोज जब अपने परीक्षा परिणाम में गणित में 99 अंक देखा तो उसकी आँखे खुली की खुली रह गईं |

 

 

 

3. नीचे दिए गए कथनों को अपनी क्षेत्रीय भाषा ( मातृभाषा ) में बोलिए –

·        टिपटिपवा क्या शेर-बाघ से भी बड़ा होता है?

टिपटिप क्या शेर-बाघ से भी बड़ा होता है?

·        अरे, जाकर ढूंढ़ उसे किसी गढ़ई-पोखर में |

अरे, उसे किसी गड्ढे और तालाब में जाकर ढूढो |

·        लगता है, यही टिपटिपवा है |

शायद, यही टिपटिप है |

4. नीचे दिए गए कथनों को हिंदी में बोलिए –

अरे बचवा, का कहानी सुनाएँ? ई टिपटिपवा से जान बचे तब न |

अरे बच्चा, क्या कहानी सुनाएँ? ये टिपटिप से जान बचेगा तभी न |

 

हाँ बचवा, न शेरवा के डर, न बघवा के डर | डर त डर, टिपटिपवा के डर |

हाँ बच्चा, न शेर का डर और न ही बाघ का डर | डर तो बस टिपटिप का है |

 

5. इससे पहले कि बाहर आकर वह मुझ पर हमला करे, मुझे ही यहाँ से भाग जाना चाहिए |

आप भी ‘इससे पहले कि’ का प्रयोग करते हुए तीन वाक्य बनाइए –

इससे पहले कि -   -----------------------------------------------

इससे पहले कि -   -----------------------------------------------

इससे पहले कि -   -----------------------------------------------

उत्तर :-

इससे पहले कि -  इससे पहले कि मम्मी बाजार से घर आए, हमसब को मैगी बना कर खा लेना चाहिए |

इससे पहले कि - इससे पहले कि वह मुझे नए साल की शुभकामनाएँ दे, मुझे ही उसको फ़ोन करके शुभकामनाएं दे देनी चाहिए |

इससे पहले कि - इससे पहले कि टीवी पर शक्तिमान चालू हो, हमसभी को नहा-धोकर खा लेना चाहिए |

 

 

 

6. निम्नलिखित शब्द स्त्रीलिंग हैं या पुल्लिंग ? () निशान लगाइए –

बारिश   -  स्त्रीलिंग / पुल्लिंग

झोपड़ी  -  स्त्रीलिंग / पुल्लिंग

पानी   -  स्त्रीलिंग / पुल्लिंग

लट्ठ   -  स्त्रीलिंग / पुल्लिंग

पोथी  -  स्त्रीलिंग / पुल्लिंग

 

उत्तर :-

बारिश   -  स्त्रीलिंग

झोपड़ी  -   स्त्रीलिंग

पानी   -   पुल्लिंग

लट्ठ   -   पुल्लिंग

पोथी  -  स्त्रीलिंग

 

 

 

7. (क) नीचे दिए गए वाक्यों में संज्ञा शब्दों को रेखांकित कीजिए –

·        भोला वहाँ से चल दिया |

·        दादी पोते को कहानी सुना रही थीं |

·        और पंडित जी लगे फिर पानी उलीचने |

·        धोबी को लगा की बाघ ही उसका गदहा है |

 

 

उत्तर :-

v भोला

v दादी , पोते , कहानी

v पंडित जी , पानी

v धोबी , बाघ , गदहा

(ख)

 

पहले वाक्य में ‘भोला’ एक व्यक्ति शेष का नाम है, यह व्यचक संज्ञा है | किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, स्थान के ख़ास नाम को व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं |

 

 

नीचे दिए गए वाक्यों में व्यक्तिवाचक संज्ञा के नीचे रेखा खींचिए-

*    राधिका ने गीत गाया |

*    हम गोलघर देखने गए थे |

*    पटना सुंदर शहर है |

*    सुमित ने पौधा लगाया |

उत्तर :-

*    राधिका

*    गोलघर

*    पटना

*    सुमित

 

कुछ करने के लिए

आपने अब तक कई कहानियाँ पढ़ी होंगी | अपनी पसंद की कोई कहानी सुनाइए |

 

 स्वयं करें | 


विडियो देखने के लिए english ank चैनल पर जाएँ | 

धन्यवाद !!!!!!!!!


 

 

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                               3. हुआ यूँ कि...

     मैं चौथी कक्षा में पढ़ता था जब स्कूल में खेले गए एक नाटक में पहली अदाकारी की | नाटक का नाम श्रवण कुमार था और मैं ही श्रवण कुमार की भूमिका निभा रहा था | निर्देशक नौवीं कक्षा का एक छात्र था | मेरे लिए उसकी योग्यता का सबसे बड़ा प्रमाण यही था कि वह आँखों पर चश्मा लगाए हुए था | मंच-सज्जा के लिए उसके हुक्म पर हम सभी अदाकार अपने-अपने घर से माँ-बहनों की धोतियाँ-साड़ियाँ उठा लाए थे – मंच पर बहती नदी दिखाने के लिए, जहाँ गहरी रात गए श्रवण कुमार अपने अंधे माँ-बाप के लिए पानी लेने जाता है | एक ओर पानी की बाल्टी रख दी गई थी |

     दो लड़के श्रवण कुमार के अंधे माँ-बाप की भूमिका निभा रहे थे | उन्हें हिदायत दी गई थी कि सारा वक्त ऑंखें बंद किए रहें | निर्देशक महोदय ने उन्हें मंच के ऐन बीचोंबीच दर्शकों की ओर मुँह किए साथ-साथ बैठा दिया था | उनमें से एक बोधराज, माँ की भूमिका निभा रहा था | वह अपनी माँ की ही धोती पहने हुए था, जिसका पल्लू बार-बार सिर पर से खिसक जाता था |

     

 

 

      पर्दा उठा, मेरे अंधे माँ-बाप बोले, “ बेटा श्रवण कुमार, बहुत प्यास लगी है |” मैंने लोटा उठाया, चरण वंदना की और नदी की ओर चल पड़ा | उधर राजा दशरथ उछलता, पैतरें बदलता और अपनी मूँछों को ताव देता हुआ पर्दे के पीछे से मंच पर उतरा, पीठ पर बंधे तरकश में से तीर निकाला और यह कहते हुए कि कोई जानवर नदी के जल को गंदा कर रहा है, अपना तीर चला दिया |

 

 

 

  तीर को मैंने सीधा ऊपर की ओर जाते देखा, पर मैंने उसी क्षण लोटा फेंका और चारों खाने चित स्टेज पर लेट गया और सप्तम स्वर में गाने लगा –

“मैंने जालिम तेरा क्या बिगाड़ा,

तीर सीने में क्यों तूने मारा?

क्या खता थी बता, मेरी आखिर;

क्यों अभागे को जल भरते मारा?”

 

    मेरी आवाज सप्तम स्वर में चल रही थी जिस कारण हॉल में सन्नाटा छा गया | मैं बराबर गाए जा रहा था पर गीत इतना लंबा था की ख़त्म ही नहीं हो पा रहा था | उधर राजा दशरथ, एक पैर आगे एक पीछे रखे, पोज बनाए, बिना हिले-डुले, मूर्तिवत खड़ा था | इस इंतेजार में कि मैं गाना ख़त्म करूँ और उसे संबोधित करूँ |

उसका तीर-कमान मेरी दिशा में स्थिर हो गया था | अगर वह एक और तीर तरकश में से निकालकर मेरी ओर चला देता तो बात बन जाती पर उसे ‘डायरेक्टर’ ने एक ही तीर चलाने को कहा था और वह चल चुका था |

 

     मेरा गीत अभी आधा भी नहीं गाया गया था कि मेरी आवाज फटने लगी | किसी-किसी वक्त मुझे लगने लगा जैसे हॉल में बैठे दर्शक हँसने लगे हैं | उधर श्रवण कुमार के अंधे माँ-बाप आँखें बंद किए बैठ ही नहीं पा रहे थे, कभी एक तो कभी दूसरा, आँखें खोल देता जिसे देखकर दर्शक हँसने लगे थे | “वह देख, उसने फिर आँखें खोली हैं |”

 

      सहसा हॉल में ठहाका हुआ | बोधराज के सिर पर से, जो अंधी माँ की भूमिका में था, धोती का पल्लू खिसक आया था और नीचे से उसका घुटा हुआ सिर निकल आया था |

 

    फिर किसी ने ऊँची आवाज में कहा, “वह देख, फिर से देख रहा है | उसने फिर से आँखें खोल दी हैं |”

       हॉल में बार-बार ठहाके उठने लगे | फिर बार-बार तालियाँ बजने लगीं | फिर जब मैंने गीत समाप्त करके, तड़पकर मरने का अभिनय किया तो हॉल में सीटियाँ बज रही थीं | मेरी कक्षा के एक अध्यापक मेरे भाई बलराज से कह रहे थे, “यह तेरा भाई क्या कर रहा है?”

 

 

      मेरी मृत्यु के बाद अभी और संवाद बोले जाने थे- बूढ़े माँ-बाप के साथ राजा दशरथ के संवाद, अंधे माँ-बाप को अभी श्राप देना था पर नाटक का शेष भाग मैं भूल गया और झट से उठ बैठा | इससे हॉल में हँसी के फव्वारे फूट उठे | किसी ने आवाज कसी, “लेटा रह ! लेटा रह !”

       पर मैं इतना बेसुध हो गया था कि मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ | मुझे और तो कुछ नहीं सूझा, मैं फिर लेट गया जिस पर ऐसी तालियाँ बजने लगीं कि थमने में नहीं आ रही थीं | सीटियाँ, तालियाँ, ठहाके तरह-तरह की आवाजें देर तक चलती रहीं |

      यह मेरी पहली अदाकारी थी |

 

- भीष्म साहनी

 

 

 

 

 

 

                   अभ्यास

पहली अदाकारी

1. श्रवण कुमार की भूमिका किसने निभाई?

उत्तर :- श्रवण कुमार की भूमिका खुद लेखक, भीष्म साहनी ने   निभाई |

2. बोधराज को किसकी भूमिका निभाने में क्या परेशानी हो रही थी?

उत्तर :- बोधराज को श्रवण कुमार के माँ की भूमिका निभाने में परेशानी हो रही थी | वह अपनी माँ की ही साड़ी पहने हुए था, जिसका पल्लू बार-बार सिर पर से खिसक जाता था |

3. दशरथ मंच पर मूर्ति की तरह क्यों खड़ा था?

उत्तर :- दशरथ मंच पर मूर्ति की तरह इस इंतेजार में खड़ा था कि लेखक गाना ख़त्म करें और उसे संबोधित करें |

4. तीर लगने के बाद कौन-सा गीत गाया गया?

उत्तर :- तीर लगने के बाद सप्तम स्वर का गीत गाया गया |

 

 

5. श्रवण कुमार के माता-पिता बने लड़कों को क्या हिदायत दी गई थी?

उत्तर:- श्रवण कुमार के माता-पिता बने लड़कों को सारा वक्त आँखें बंद किए रहने की हिदायत ही गई थी |

6. दर्शक तालियाँ क्यों बजाने लगे?

उत्तर:- अंधी माँ की भूमिका निभा रहे बोधराज के सिर पर से धोती का पल्लू खिसक आने से उसका गंजा सिर दिखने लगा | उसके गंजा सिर और उसे बार-बार आँखें खोलते देखकर दर्शक ठहाके लगाने लगे और फिर तालियाँ बजाने लगे |

 

नाटक की दुनिया

1. नाटक में निर्देशक क्या काम करता है ?

उत्तर :- नाटक में निर्देशक अदाकारों को अभिनय के बारे में बतलाता और समझाता है कि कैसे भावनाओं के साथ अभिनय करें और अदाकारों के किए गए अभिनय में गलतियों को उजागर कर उन्हें बतलाता है |

 

 

 

2. बच्चे अपने घर से धोती-साड़ियाँ क्यों उठा लाए थे ?

उत्तर :- मंच-सज्जा के लिए निर्देशक के हुक्म पर बच्चे अपने घर से धोती-साड़ियाँ उठा लाए थे |

3. नाटक खेलते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना पड़ता है?

उत्तर :- नाटक खेलते समय कथानक यानी स्क्रिप्ट में दिए गए अपने-अपने संवाद याद रखना जरुरी है और नाटक की प्रस्तुति देने से पहले उसका कई बार अभ्यास जरुरी है ताकि वास्तविक नाटक की प्रस्तुति देते वक्त कोई गड़बड़ न हो |

 

4. मंच पर इन्हें दिखाने के लिए किन चीजों का प्रयोग किया जा सकता है ?

(क) पेड़ -  ........................................................

(ख) कुआँ - .......................................................

(ग) साँप - ...........................................................

 

 

उत्तर :-

(क) पेड़ – पेड़ से तोड़े गए टहनियों को आपस में जोड़कर छत से लटका देंगे |

(ख) कुआँ – थर्मोकॉल से गोल बनाकर ईंट का आभास देने के लिए रंग देंगे |

(ग) साँप – लंबा रस्सा

 

5. आपके अनुसार नाटक की सफलता में किसकी भूमिका सबसे ज्यादा होती है – अभिनेता की, निर्देशक की, नाटक लिखने वाले की या मंच-सज्जा करने वाले की ? अपने उत्तर का कारण भी बताएँ |

उत्तर :- मेरे अनुसार नाटक की सफलता में अभिनेता की भूमिका सबसे ज्यादा होती है क्योंकि एक नाटक को दर्शक के सामने अभिनेता ही प्रस्तुत करता है | जो लेखक कहना चाह रहा है और जो निर्देशक कहलवाना चाह रहा है वो अभिनेता ही माध्यम है | अगर निर्देशक न हो या लेखक न भी हो तो एक अभिनेता उस घटना को आत्मसात कर दर्शकों के बीच प्रस्तुत कर सकता है |

 

 

 

6. ‘श्रवण कुमार’ नाटक खेलने के लिए बच्चों को किस-किस सामान की जरुरत पड़ी होगी ? एक सूची बनाइए-

जरुरी सामान - ------------- ---------------- -----------------

-------------- ------------------ ----------------- ----------------

-------------- ----------------- ------------------- ----------------

 

उत्तर :-

जरुरी सामान –   मुकुट    जुतें      धोतियाँ

     साड़ियाँ    कपड़े    बाल्टी     जल

 दो टोकरियाँ    रस्सी   तीर-धनुष   लोटा

 

 

आपकी बात

1. क्या आपको किसी नाटक में अदाकारी का मौका मिला है? उसके बारे में बताइए |

 

 

उत्तर :- हाँ, मुझे कई बार नाटक में अदाकारी का मौका मिला है | मैं अपने पहले नाटक में एक पेड़ बना था | यह नाटक मेरे स्कूल में सरस्वती पूजा पर हुआ था | यह नाटक अंगुलीमाल और गौतम बुद्ध की कहानी पर था |

2. क्या आपके मोहल्ले, गाँव या शहर में नाटक होते हैं ? उनके बारे में बताइए |

उत्तर :- हाँ, मेरे गाँव में नाटक होते हैं | यह नाटक हर साल छठ के पावन अवसर पर रात्री में होता है और पूरी रात चलता है| इस नाटक में कुछ बाहरी कलाकार होते हैं और बाकी सभी गाँव के ही लोग होते हैं , खासकर युवा | नाटक देखने के लिए एक बड़ा पंडाल बनता है, लेकिन महिलाओं, पुरुषों एवं बच्चों की भारी भीड़ के सामने वह छोटा मालूम पड़ता है | बच्चे बड़ी ही उत्सुकता से नाटक देखने जाते हैं लेकिन अधिकतर बच्चे दो-तीन घंटे नाटक देखने के बाद ही एक-दुसरे पर सो जाते हैं और सुबह उठकर बहुत ही अफसोस करते हैं | यह घटना हर साल दोहराई जाती है |

 

 

 

 

3. मेरे लिए उसकी योग्यता का सबसे बड़ा प्रमाण यही था कि वह आँखों पर चश्मा लगाए हुए था |

(क) क्या चश्मा लगाने से व्यक्ति योग्य बन जाता है ?

उत्तर :- नहीं, चश्मा लगाने से व्यक्ति योग्य नहीं बन जाता है |

(ख) आपके अनुसार योग्य होने के लिए क्या जरुरी है ?

उत्तर :- मेरे अनुसार योग्य होने के लिए हमें उस क्षेत्र में अच्छा ज्ञान और अनुभव होना जरुरी है जिसमें योग्य बनना चाहते हैं |

(ग) आप अपनी कक्षा, परिवार और गाँव में किस-किस को बड़ाई के योग्य मानते हैं और क्यों ?

उत्तर :- मैं अपनी कक्षा में एक लड़के, श्याम को बड़ाई के योग्य मानता हूँ क्योंकि वह बहुत ही पढाई में तेज है | फिर भी उसे कोई घमंड नहीं है | मैं उसी से कठिन प्रश्नों को पूछता हूँ | मैं अपने परिवार में माता-पिता को बड़ाई के योग्य मानता हूँ क्योंकि वे घर को सँभालने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं और अपनी इच्छाओं की बलि देकर हम बच्चों की इच्छाओं की पूर्ति करते  हैं | मैं अपने गाँव में मुखिया जी को बड़ाई के योग्य मानता हूँ क्योंकि वे गाँव की तरक्की के लिए पक्की सड़कें, नाले, नहर, बिजली आदि की व्यवस्था करवा दिए हैं और वे गाँव की खुशहाली के लिए कई काम करते रहते हैं |

 

4. अगर आपको ‘श्रवण कुमार’ नाटक में अभिनय करने का अवसर मिले तो –

(क) आप किस पात्र की भूमिका निभाना चाहेंगे और क्यों ?

उत्तर :- मैं श्रवण कुमार की भूमिका निभाना चाहूँगा क्योंकि श्रवण कुमार नाटक का मुख्य पात्र है और पुरे नाटक में शुरू से अंत तक उसका किरदार रहेगा तो श्रवण कुमार का किरदार करना बहुत ही दिलचस्प होगा |

(ख) आपको किस पात्र की भूमिका निभाने में कठिनाई होगी और क्यों ?

उत्तर :- मुझे अँधे माता-पिता की भूमिका निभाने में कठिनाई होगी क्योंकि मंच के बीचों-बीच दर्शकों के तरफ मुँह करके बिना आँखें खोले पूरे नाटक में बैठे रहना, मेरे लिए बहुत ही मुश्किल है | लोगों की प्रतिक्रिया और मंच पर क्या हो रहा है, ये देखने के लिए मेरी आँखें न चाहते हुए भी बार-बार खुल ही जाएँगी |

 

 

 

अनुमान लगाइए

1. श्रवण कुमार के माता-पिता बने लड़के आँखें बंद करके क्यों नहीं बैठ पा रहे थे?

उत्तर :- श्रवण कुमार के माता-पिता बने लड़कों में बहुत ही उत्सुकता थी – ये जानने के लिए कि मंच पर क्या चल रहा है और नाटक के प्रति लोगों की क्या प्रतिक्रियाएँ हैं | इसलिए वे दोनों लड़के आँखें बंद करके नहीं बैठ पा रहे थे |

2. लेखक की आवाज क्यों फटने लगी थी?

उत्तर :- लेखक सप्तम स्वर में गीत गा रहे थे लेकिन गीत इतना लंबा था कि ख़त्म ही नहीं हो पा रहा था, इसलिए गीत आधा भी नही गाया गया था कि लेखक की आवाज फटने लगी थी |

3. अध्यापक ने ऐसा क्यों कहा कि यह तेरा भाई क्या कर रहा है?

उत्तर :- जब लेखक गीत समाप्त करके, तड़पकर मरने का अभिनय किए तो उनके अद्भुत अभिनय को देखकर अपनी ख़ुशी व्यक्त करने के लिए अध्यापक ने उनके भाई से कहा कि यह तेरा भाई क्या कर रहा है |

 

खोजबीन

पाठ में उन अंशों को खोजकर बताइए जिनसे दर्शकों को नाटक में मजा आ रहा था |

उत्तर :- “श्रवण कुमार के अँधे माँ-बाप आँखें बंद किए बैठ ही नही पा रहे थे, कभी एक तो कभी दूसरा, आँखें खोल देता जिसे देखकर दर्शक हँसने लगे थे|” “सहसा हॉल में ठहाका हुआ | बोधराज के सिर पर से धोती का पल्लू खिसक आया था और नीचे से उसका घुटा हुआ सिर निकल आया था|” “फिर जब मैंने गीत समाप्त करके तड़पकर मरने का अभिनय किया तो हॉल में सीटियाँ बज रही थीं|”

 

भाषा के रंग

1. क्या है ‘गहरा’ ?

‘जहां गहरी रात गए श्रवण कुमार अपने अंधे माँ-बाप के लिए पानी लेने जाता है |’ इस वाक्य में ‘गहरी रात’ का अर्थ ‘बहुत रात होना’ है | नीचे दिए वाक्यों में रेखांकित अंशों के अर्थ बताइए

 

 

(क) इसमें एक गहरा राज है | ------------------------------

(ख) यह नदी बहुत गहरी है | ------------------------------

(ग) रमा को गहरा हरा रंग पसंद है | ---------------------

(घ) मास्टर जी ने आज एक गहरी बात समझाई | ----------------

 

उत्तर :-

(क) इसमें एक गहरा राज है | बहुत छिपा हुआ रहस्य

(ख) यह नदी बहुत गहरी है | बहुत गहरा होना

(ग) रमा को गहरा हरा रंग पसंद है | बहुत हरा होना

(घ) मास्टर जी ने आज एक गहरी बात समझाई | सूक्ष्म बात

 

2. सही का चिन्ह () लगाइए –

i. सप्तम स्वर में गाने का मतलब है –

(क) धीमी आवाज में गाना (ख) ऊँचे स्वर में गाना

(ग) रो-रो कर गाना       (घ) सुर मिलाना

 

उत्तर :- (ख) ऊँचे स्वर में गाना

 

ii. हॉल में ‘सन्नाटा छा गया |’ मतलब है –

(क) हॉल में ख़ुशी छा गई  (ख) हॉल में तंबू छा गया

(ग) हॉल में ख़ामोशी छा गई (घ) हॉल में अँधेरा छा गया

 

उत्तर :- (ग) हॉल में ख़ामोशी छा गई

 

iii. ‘घुटा हुआ सिर’ का मतलब है –

(क) सिर पर एक भी बाल न होना (ख) छोटा सिर

(ग) छोटे बालों वाला सिर        (घ) कटा हुआ सिर

 

उत्तर :- (क) सिर पर एक भी बाल न होना

 

 

 

 

3. दिए गए शब्द-समूह में से सही शब्द पर घेरा    लगाइए –

1. साड़ीयाँ       साड़ियां        साड़ियाँ

2. मूंछ          मूँछ           मुंछ  

3. मूर्ति         मूर्ती           मुर्ति

4. दशर्क         दर्शक         र्दशक

 

उत्तर :-

1. साड़ियाँ

2. मूँछ

3. मूर्ति

4. दर्शक

 

4. ‘हॉल’ में बैठे दर्शक हँसने लगे | शब्द में ‘हा’ के ऊपर आधा चाँद बना है | इसका प्रयोग ज्यादातर अंग्रेजी से आए शब्दों में होता है | अब नीचे दिए गए शब्दों को बोल-बोलकर पढ़िए | क्या कोई अंतर नजर आया ?

हाल – हॉल       काफी – कॉफी

बाल – बॉल      डाली – डॉली

 

5. इन शब्दों को भी बोल-बोलकर पढ़िए –

डॉक्टर,  कॉलेज,  कॉपी,  फ्रॉक

 

6. नीचे दिए गए वाक्यों को सही शब्द से पूरा कीजिए –

(क) मुझे _______ कटवाने जाना है | ( बॉल / बाल )

(ख) रोहित ने ऐसा बल्ला घुमाया कि _______ दीवार के पार चली गई | ( बॉल / बाल )

(ग) आपका क्या ______ है? ( हॉल / हाल )

(घ) यह खाना बीस बच्चों के लिए _____ रहेगा | (कॉफ़ी/काफी)

(ड०) यह ________ बहुत गर्म है | (कॉफ़ी / काफी

 

उत्तर :-

(क)  बाल

(ख) बॉल

(ग)   हाल

(घ)   काफी

(ङ)    कॉफ़ी

 

 

शब्दों की दुनिया

Text Box:  पर, में , के , ने , को1. निम्नांकित शब्दों से वाक्य में दिए गए खाली स्थानों को भरिए -

 

 

(क)  दर्शक हॉल _____ बैठे थे |

(ख) बोधराज _____ कुछ समझ में नहीं आया |

(ग)   हम सभी मंच ___ खड़े थे |

(घ)   माता-पिता ____ अपनी आँखें खोल दीं |

(ङ)    श्रवण कुमार ___ माता-पिता उसे बहुत प्यार करते थे |

 

उत्तर :-

(क)     में

(ख)     को

(ग)      पर

(घ)      ने

(ङ)       के 

 

 

2. ‘मानसरोवर’ के अक्षरों से नए शब्द बनाइए –

जैसे – मानस _______ _______ _______

 

उत्तर :- सरोवर, सर , वर

 

3. नाटक की दुनिया से जुड़े शब्दों की सूची को आगे बढ़ाइए –

जैसे – अदाकारी ______  ______  ______ ______

             ______  ______  ______ ______

             ______ ______   ______ ______

 

 

 

 

उत्तर :- निर्देशक     कलाकार    मंच    अभिनय

       संगीतकार   मंच-सज्जा   दर्शक   संवाद

      सप्तम स्वर   भूमिका     हॉल     गीत

 

 

संवाद और अभिनय

1. ‘अगर वह एक और तीर तरकश में से निकालकर मेरी ओर चला देता तो मेरा काम बन जाता |’ अगर दशरथ तीर चला देता तो दशरथ और श्रवण कुमार के बीच क्या बातचीत होती ? उनके संवाद लिखिए और फिर अभिनय भी कीजिए -

श्रवण कुमार – हाय ! मार डाला |

दशरथ – अरे, यह क्या हो गया ? मैंने तो सोचा था कि कोई जानवर होगा |

श्रवण कुमार - ________________________________

दशरथ -  ____________________________________

 

 

 

उत्तर :-

श्रवण कुमार – मैंने किसी का क्या बिगाड़ा था?

दशरथ – हे भगवन् ! ये क्या हो गया?

श्रवण कुमार – आह ! आह ! ( दर्द से कराहते हुए )

दशरथ – तीर निकालने दो |

श्रवण कुमार – मत निकालो , कहीं मेरे प्राण न निकल जाए |

( दशरथ द्वारा तीर निकालने के बाद )

श्रवण कुमार – अरे, क्रूर पुरुष ! कौन हो तुम जिसने मुझ निरपराध प्राणी की हत्या की?

दशरथ – मुनि कुमार , मैं निर्दोष हूँ |

श्रवण कुमार – निर्दोष ? एक निरपराध प्राणी को मारकर निर्दोष बनते हो !

दशरथ – तपस्वी कुमार ! मैं तुम्हें किस प्रकार विश्वास दिलाऊं कि ये सब भूल से हुआ है | रघुवंशी तो सपने में भी किस निर्दोष  पर प्रहार नहीं करता |

श्रवण कुमार – रघुवंशी?

दशरथ – हाँ, दशरथ ! अयोध्या का युवराज |

श्रवण कुमार – युवराज दशरथ ! युवराज होकर तुमने ऐसा पाप किया |

दशरथ – मेरे पाप का क्या प्रायश्चित होगा? अपने प्राण देकर भी मैं तुम्हारे प्राणों की रक्षा करने को तैयार हूँ |

 

श्रवण कुमार – व्यर्थ ! व्यर्थ युवराज, व्यर्थ ! तुमने एक बाण मारकर तीन-तीन हत्याएँ कर दी है | मेरे माता-पिता दोनों अँधें हैं | मैं ही उनका एक सहारा हूँ | वो चल-फिर नही सकते | मेरी मृत्यु के बाद वो अवश्य मर जाएँगे | मैं तो उनके लिए जल लेने आया था | वो मेरी प्रतीक्षा में अधीर हो रहे होंगे | हे भगवन् ! मैं उनके सूखे कंठ में ये जल नहीं पहुँचा सकता |

          मेरी अंतिम सेवा उनतक पहुँच सकती है ... मेरी अंतिम सेवा उनतक पहुँच सकती है | (श्रवण कुमार फिर बिलखने लगते हैं )

दशरथ – क्षमा कर दो ... क्षमा कर दो |

 

 

 

 

श्रवण कुमार – अरे ! मेरे क्षमा करने से क्या होगा? तू अभी मेरे माता-पिता के पास चला जा और अपने मुँह से अपना अपराध स्वीकार कर ले | शायद वही तुम्हें क्षमा कर दें , नहीं तो उनकी क्रोधाग्नि में जलकर भस्म हो जाओगे |

           उन्हें ये शीतल जल अवश्य पिला देना और कहना मेरे भाग्य में बस इतनी ही सेवा लिखी थी | ( और अंतिम साँस लेते हुए ) युवराज ! युवराज !  मैं मर रहा हूँ | तुम्हे मेरी शपथ है – मेरा अंतिम संस्कार बाद में करना | मेरे माता-पिता को ये जल अवश्य पिला देना ... मेरे माता- पिता को ये जल अवश्य पिला देना ... अवश्य पिला देना |

 

2. श्रवण कुमार पर आधारित नाटक का मंचन कीजिए |

उत्तर :- स्वयं कीजिए |

 

 

 





 

  

     4. चाँद का कुर्ता

 

                                       

 




    हठ कर बैठा चाँद एक दिन, माता से यह बोला,

“सिलवा दो माँ, मुझे ऊन का, मोटा एक झिंगोला |

 

सन-सन चलती हवा रात भर, जाड़े से मरता हूँ,

ठिठुर-ठिठुर कर किसी तरह, यात्रा पूरी करता हूँ |

 

आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का,

न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का |”

 

बच्चे की सुन बात, कहा माता ने , “अरे सलोने !

कुशल करें भगवान, लगे मत तुझको जादू-टोने |

 

जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूँ |

एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूँ |

 

कभी एक अंगुल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा,

बड़ा किसी दिन हो जाता है और किसी दिन छोटा |

 

घटता-बढ़ता रोज किसी दिन ऐसा भी करता है,

नहीं किसी की भी आँखों को दिखलाई पड़ता है |

 

अब तू ही यह बता, नाप तेरी किस रोज लिवायें,

सी दें एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आये ?”

 

(अब चाँद का जवाब सुनिए)

हँसकर बोला चाँद, अरे माता, तू इतनी भोली ।
दुनिया वालों के समान क्या तेरी मति भी डोली ?
घटता-बढ़ता कभी नहीं मैं वैसा ही रहता हूँ ।
केवल भ्रमवश दुनिया को घटता-बढ़ता लगता हूँ ।

आधा हिस्सा सदा उजाला, आधा रहता काला ।
इस रहस्य को समझ न पाता भ्रमवश दुनिया वाला ।
अपना उजला भाग धरा को क्रमशः दिखलाता हूँ ।
एक्कम दूज तीज से बढ़ता पूनम तक जाता हूँ ।

फिर पूनम के बाद प्रकाशित हिस्सा घटता जाता ।
पन्द्रहवाँ दिन आते-आते पूर्ण लुप्त हो जाता ।
दिखलाई मैं भले पड़ूँ ना यात्रा हरदम जारी ।
पूनम हो या रात अमावस चलना ही लाचारी ।



चलता रहता आसमान में नहीं दूसरा घर है ।
फ़िक्र नहीं जादू-टोने की सर्दी का, बस, डर है ।
दे दे पूनम की ही साइज का कुर्ता सिलवा कर ।
आएगा हर रोज़ बदन में इसकी मत चिन्ता कर।

 

- रामधारी सिंह ‘दिनकर’

 

शब्दार्थ

झिंगोला – ढीला-ढाला वस्त्र

1 फुट – 12 इंच की लंबाई


 


    



               

 

चाँद की बात

1. चाँद ने ऊन का मोटा झिंगोला सिलवाने की बात क्यों की ?

उत्तर :- चाँद ने ऊन का मोटा झिंगोला सिलवाने की बात की क्योंकि रातभर जोर-जोर से ठंडी हवाएं बहने के कारण चाँद को ठंड लगती है | वह ठिठुरते हुए अपने आसमान का सफर किसी तरह पूरा करता है |

 

 

2. चाँद की माँ को उसका झिंगोला सिलवाने में क्या परेशानी है ?

उत्तर :- चाँद का आकार रोज घटता-बढ़ता रहता है | अमावस्या के दिन तो वह दिखाई भी नहीं पड़ता है और पूर्णिमा के दिन पूरा गोल हो जाता है | चाँद की माँ को उसका झिंगोला सिलवाने में यही परेशानी है कि उसका झिंगोला का नाप क्या रखे कि चाँद रोज उसको पहन सके |

3. चाँद में किस तरह के बदलाव आते हैं ?

उत्तर :- चाँद का आकार रोज घटता-बढ़ता रहता है | कभी एक अंगुल भर चौड़ा तो कभी एक फुट मोटा | कभी वह पूरा गोल दिखता है तो कभी दिखलाई ही नहीं पड़ता है |

4. चाँद ने कौन-सी यात्रा पूरी करने की बात की है ?

उत्तर :- चाँद ने अपनी आसमान की यात्रा पूरी करने की बात की है |

5. आप चाँद के लिए कैसा झिंगोला बनाएँगे ?

उत्तर :- मैं चाँद के लिए एक ऐसा झिंगोला बनाऊँगा ताकि वह हर दिन पहन सके | इसलिए उसका नाप मैं पूर्णिमा के दिन लूँगा जब वह पूरा गोल होगा क्योंकि चाँद वास्तव में हमेशा गोल ही होता है, सिर्फ हमें उसका प्रकाशमान भाग ही दिखता है तो हमें भ्रम होता है कि वह घट-बढ़ रहा है |

 

 

 

 

 

 

किराया-भाड़ा

‘न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का |’

कविता की इस पंक्ति में रेखांकित शब्द ‘भाड़े का का अर्थ है – किराए का |

 

1. क्या आपने कभी कोई चीज भाड़े पर ली है ? कौन-कौन सी, बताइए |

उत्तर :- मैंने कई चीजें भाड़े पर ली हैं – उनमें सबसे ज्यादा बार अपने दोस्तों से पढ़ने के लिए किताबें ली हैं और जब कभी स्कूल में मैं अपना कलम भूल जाता हूँ  तो कलम उधार लेता हूँ | कई बार वीडियो गेम्स , क्रिकेट बल्ला एवं गेंद आदि चीजें मैंने भाड़े पर ली हैं | 

2. किराए पर चीजें क्यों ली जाती हैं?

उत्तर :- किराए पर चीजें इसलिए ली जाती हैं ताकि उसका इस्तेमाल करने के बाद वापस लौटा दी जाए | उन्हीं चीजों को किराए पर ली जाती हैं जिनकी जरुरत हमें थोड़े समय के लिए होती हैं |

 

3. आप अपनी जरुरत की कौन-कौन सी चीजें किराए पर ले सकते हैं?

घेरा लगाइए |

 

 

पेंसिल    कॉपी    कुर्ता     किताब    कंबल

कंघा     मकान    बस्ता     रोटी     जूते

उत्तर :-

पेंसिल    किताब     कंबल     मकान    जुते

4. किन्हीं पाँच चीजों के नाम बताइए जो किराए पर नहीं ली जा सकतीं –

   -----------  -----------   -----------   -----------   -----------

 

उत्तर :-  हाथ-पैर   सेहत    आँखें     दिमाग    ज्ञान

5. चाँद ने भाड़े पर कुर्ता लाने की बात क्यों की ?

उत्तर :- चाँद की माँ को उसके लिए कुर्ता सिलवाने में समय लगता लेकिन जाड़े का मौसम होने की वजह से चाँद बहुत ठिठुरता था | इसलिए चाँद ने भाड़े पर कुर्ता लाने की बात की ताकि वह ठंड से बच सके जब तक कि उसकी माँ कुर्ता न सिलवा दे |

6. चाँद के लिए भाड़े पर कितने कुर्ते लाने की जरुरत पड़ेगी ?

उत्तर :- चाँद के लिए भाड़े पर सिर्फ एक ही कुर्ता लाने की जरुरत पड़ेगी क्योंकि वह आकार में हमेशा गोल ही होता है लेकिन सूर्य का प्रकाश उसके जिस-जिस भाग पर पड़ता है, हमें सिर्फ वही भाग दिखलाई पड़ता है |

 

 

चंदा मामा दूर के

1. ‘एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूँ |’ क्या चाँद की माँ की यह बात ठीक है ? कैसे ?

उत्तर :- हाँ, चाँद की माँ की यह बात ठीक है क्योंकि चाँद रोज घटता-बढ़ता रहता है | अमावस्या के दिन किसी की भी आँखों को दिखलाई नही पड़ता है और पूर्णिमा के दिन पूरा गोल दिखलाई पड़ता है | पूर्णिमा से अमावस्या की तरफ जाते हुए वो आकार में घटता जाता है और अमावस्या से पूर्णिमा की तरफ जाते हुए वो बढ़ता जाता है |

2. ‘घटता-बढ़ता रोज किसी दिन ऐसा भी करता है,

  नहीं किसी की भी आँखों को दिखलाई पड़ता है |’

 

चाँद के घटने-बढ़ने पर जो आकार बनता है उसे चाँद की कलाएँ कहते हैं | नीचे चाँद की कलाएँ दी गई हैं | इन्हें ध्यान से देखिये और चाँद के घटने-बढ़ने से पूर्णिमा, अमावस्या को समझिए |

 

 

 

 

 

 

 

बातचीत के लिए

1. चाँद की माँ उसे ‘सलोने’ कहकर बुलाती है | आपको लोग क्या कहकर बुलाते हैं-

व्यक्ति             बुलाने के नाम

माँ                -----------------

पिताजी            -----------------

भाई               -----------------

दोस्त              -----------------

 

2. बच्चे की सुन बात, कहा माता ने , “अरे सलोने !

  कुशल करें भगवान, लगे मत तुझको जादू-टोने |

 

          चाँद की माँ यह प्रार्थना करती है कि भगवान उसके बच्चे की रक्षा करें, उसे जादू-टोने से बचाए रखें | क्या आपकी माँ, दादी, नानी या कोई और भी आपके लिए ऐसी प्रार्थना करते हैं ? लिखिए –

कौन करते हैं       क्या कहते हैं ?

--------------        --------------

--------------        --------------

--------------        --------------

--------------        --------------

 

 

कौन करते हैं

   क्या कहते हैं ?

भिखारी

ईश्वर तुम्हारा भला करें |

 

दादाजी

जुग-जुग जिओ ! हमेशा खुश रहो !

 

दादीजी

खुश रहो ! तुम्हारी हर अच्छी इच्छाएँ भगवान पूरी करें |

 

माताजी

हमेशा खुश रहो ! लंबा जिओ और भगवान तुम्हें हिम्मत दें जिन्दगी में आनेवाली हर मुसीबत से लड़ने के लिए |

 

 

 

3. आपके अनुसार जादू-टोना क्या है ?

उत्तर :-  मेरे अनुसार जादू-टोना ऐसा तंत्र-मंत्र होता है जिससे नकारात्मक शक्तियों को जागृत किया जाता है | यह शरीर में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है | ये शक्तियाँ बाहरी व्यक्ति के द्वारा भेजी जाती हैं जो किसी व्यक्ति पर आतंरिक प्रभाव डालकर नुकसान पहुँचाने का काम करती है |

 

4. क्या आप ऐसी बातों पर विश्वास करते हैं ? क्यों ?

उत्तर :- हाँ, मैं ऐसी बातों पर विश्वास करता हूँ | मैं बचपन से ही अपने आस-पड़ोस के लोगों और अपने घर के सदस्यों को काले जादू का प्रभाव ख़त्म करने के लिए लाल मिर्च जलाकर आशंकित या पीड़ित व्यक्ति के सिर पर फेरते देखा हूँ |  लोग नया घर बनाते समय पुराना जूता, सूप और झाड़ू लटकाते हैं | अधिकतर दुकानों पर बुरी नजर से बचाने के लिए नींबू और हरी मिर्च टंगा हुआ दिखता है | इस तरह की बातें अपने समाज में हर जगह अपने बचपन से ही देखते रहने के कारण मुझे इनसब बातों पर विश्वास हो गया है |  

5. क्या आपके परिवार के सदस्य ऐसी बातों पर विश्वास करते हैं ? क्या आप उनसे सहमत हैं ?

उत्तर :- हाँ, मेरे परिवार के सदस्य ऐसी बातों पर विश्वास करते हैं | हाँ, मैं उनसे सहमत हूँ |

 

भाषा के रंग

1. ‘जाड़े-भाड़े’ शब्दों की लय समान है | आप इन शब्दों की समान लय वाले शब्द लिखिए |

(क) झिंगोला    -------------

(ख) बात       -------------

(ग) ऊन       -------------

(घ) हवा       -------------

 

 

उत्तर :- (क) झिंगोला – बोला

        (ख) बात – भात

        (ग) ऊन – सुन

        (घ) हवा – दवा

 

2. नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए –

·        ठिठुर कर यात्रा पूरी करता हूँ |

·        ठिठुर-ठिठुरकर यात्रा पूरी करता हूँ |

 

दोनों वाक्यों में ठंड लगने की बात की गई है |

यहाँ एक शब्द एक साथ दो बार प्रयोग करने से उसके अर्थ में तीव्रता आती है | यानी उस पर बल पड़ता है | वह ‘बहुत’ के अर्थ में आया है |

 

 

(क)      फिर कवि ने ‘ठिठुर’ और ‘ठिठुर-ठिठुरकर’ का अलग-अलग प्रयोग क्यों किया है ?

उत्तर :- एक ही शब्द एक साथ दो बार प्रयोग करने से उसके अर्थ पर बल पड़ता है इसलिए कवि ने ‘ठिठुर’ और ‘ठिठुर-ठिठुरकर’ का अलग-अलग प्रयोग  किया है |

(ख)     किस वाक्य में ज्यादा ठंड लगने की बात है?

  उत्तर :- ‘ठिठुर-ठिठुरकर यात्रा पूरी करता हूँ’ वाक्य में ज्यादा ठंड लगने की बात

          है |

 

 

 

(ग)       अब आप नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए और बताइए कि वाक्य का रेखांकित अंश क्या अर्थ दे रहा है –

 

(i)                पत्ते जोर से हिल रहे थे |

पत्ते जोर-जोर से हिल रहे थे |

 

उत्तर :-

       जोर से –  तेजी से

       जोर-जोर से – बहुत तेजी से

 

(ii)              अरे बच्चो ! जल्दी चलो |

       अरे बच्चो ! जल्दी-जल्दी चलो |

 उत्तर :-

     जल्दी - तेजी से

     जल्दी-जल्दी – बहुत तेजी से 

  

(iii)            देखो, बच्चा बाल्टी उठा रहा है |

देखो-देखो, बच्चा बाल्टी उठा रहा है |

 

 

 उत्तर :-

     देखो – देखो

     देखो-देखो – जल्दी देखो

 

 

Cloud Callout: बाहर, गर्म ,
जाना , रात, 
ज्यादा , नीचे3. ‘घटता-बढ़ता रोज किसी दिन ऐसा भी करता है’ पंक्ति में ‘घटता-बढ़ता’ शब्द – जोड़ा है जिसमें चाँद के घटने और बढ़ने की बात की गई है | दोनों शब्द एक-दुसरे का विपरीत अर्थ देते हैं | नीचे दिए गए शब्द जोड़ों को पूरा कीजिए –

(क)     ऊपर    -------------

(ख)     अंदर    -------------

(ग)      ठंडा     -------------

(घ)      कम     -------------

(ङ)       आना    -------------

(च)      दिन     -------------

 

उत्तर :-

 

ऊपर  - नीचे

अंदर – बाहर

ठंडा – गर्म

कम – ज्यादा

आना – जाना

दिन – रात

 

 

 

 

आपकी कलम और कल्पना

1. ‘चाँद का कुर्ता’ कविता को कहानी के रूप में लिखिए |

उत्तर :- एक दिन चाँद जिद करके अपनी माँ से कहता है कि हे माता ! मेरे लिए ऊन का एक ढीला कुर्ता सिलवा दो | रातभर जोर-जोर से ठंडी हवाएँ चलती हैं और मुझे सर्दी लगती है | मैं ठिठुरते हुए अपनी यात्रा पूरी करता हूँ | जाड़े के मौसम में आसमान का सफर बहुत कष्टदायक होता है | अगर कुछ न कर सको तो मुझे किराए का कुर्ता ही लाकर दे दो |

      माता ने बालक चन्द्रमा की बात सुनकर कहा कि मेरे प्यारे पुत्र ! भगवान करें, तुम कुशलपूर्वक रहो और तुम पर जादू-टोने  का प्रभाव न पड़े | तुम्हें सर्दी के कारण ठंड लगती है | यह बात तो बिल्कुल सही है परन्तु मुझे यह डर है कि मैं किस नाप का कुर्ता बनवाकर दूँ | तुम्हारा आकार तो प्रतिदिन घटता-बढ़ता रहता है |

 

   चन्द्रमा की माता ने कुर्ते के विषय में अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि पुत्र चन्द्र ! तुम कभी तो एक अंगुल चौड़े हो जाते हो और कभी एक फुट मोटे | तुम किसी दिन बड़े हो जाते हो तो किसी दिन छोटे तथा किसी दिन तो तुम किसी तो दिखलाई भी नही पड़ते | अब तुम स्वयं बताओ कि तुम्हारी किस दिन नाप लूँ | मैं सोचती हूँ एक ऐसा झिंगोला सिलवा दूँ जो तुम रोज पहन सको |

 

 

 

 

 

2. आप भी चाँद पर अपनी एक कविता बनाइए |

उत्तर :-

          रात्रि में चाँद तुम हो एक आशा

सूरज जब अँधेरा छोड़ है जाता,

तब यह घड़ी रात है कहलाता |

तुम आकर करते हो दूर, अंधेर नगरी की निराशा,

रात्रि में चाँद तुम हो एक आशा ||

 

अक्सर रातों में बस तुम्हें ही

करते हैं निहारा,

किसने तुम्हें दाग दे

तुम्हारे चमक हो है बिगाड़ा |

यही बात जानने की जगती है जिज्ञासा,

रात्रि में चाँद तुम हो एक आशा ||

 

बचपन में तुम्हें देखते बिताई

कितनी ही सुखमय घड़ियाँ,

आनंद आता था जब तुम सुनते थे मेरे संग

माँ की लोरियाँ |

लेकिन अमावस को तुम्हें देखने खातिर

रह जाता प्यासा,

रात्रि में चाँद तुम हो एक आशा ||

 

बहुत याद आती हैं वो राते,

जब हम-तुम थे खूब बतियाते |

तुम्हारी परछाई को पकड़ने की

रहती थी अभिलाषा,

रात्रि में चाँद तुम हो एक आशा ||

 

तुम पीछे-पीछे चलते जब

जब मैं बढ़ता आगे,

जैसे मानो हमदोनो को

बाँध रखे हों कई धागे |

बहुत पसंद आता घट-बढ़कर

जो तुम करते हो तमाशा,

रात्रि में चाँद तुम हो एक आशा ||

 

 

 

 

क्या कुटिया क्या राजमहल

सब पर तुम बरसाते हो प्रकाश,

धरती की सेवा में अमावस छोड़ कर

किसी दिन भी न लेते हो अवकाश |

दुखी मन तुमको देखकर

पाते हैं दिलाशा,

रात्रि में चाँद तुम हो एक आशा ||

 

 

 

  


 

                 5. म्यान का रंग

    दो राजा थे – खड़ग सिंह और कड़क सिंह | दोनों में पुश्तैनी दुश्मनी थी | बात-बात में उनकी तलवारें एक-दूसरे पर तन जाती थीं | लेकिन दोनों ही राजाओं को दुश्मनी का कारण नहीं पता था | बस, दुश्मनी थी ... इसलिए निभाना जरुरी था |

   दोनों राजाओं की सेना और उनके मंत्री इनके बिना वजह के इन झगड़ों से बहुत परेशान हो गए थे |

   एक दिन कड़क सिंह और खड़ग सिंह के महामंत्री आपस में मिले | उन्होंने दोनों राजाओं के झगड़े को ख़त्म करने के लिए एक उपाय सोचा | दोनों राज्यों की सीमा पर एक पीपल का पेड़ था | दोनों ने किसी तरह अपने-अपने राजा को आपस में वहीँ मिलने के लिए तैयार कर लिया |

  जिस दिन दोनों राजाओं को पीपल के पेड़ के नीचे मिलना था, उस दिन सुबह ही उस पेड़ की एक डाल पर दोनों राज्यों के मंत्रियों ने एक कीमती म्यान लटका दी थी |

   निश्चित समय पर कड़क सिंह और खड़ग सिंह पीपल के पेड़ के पास पहुँच गए | एक पेड़ के इस तरफ अपनी सीमा में था तो दूसरा पेड़ के उस तरफ अपनी सीमा में |

 दोनों पेड़ के करीब पहुँचे | दोनों ने एक-दूसरे का अभिवादन किया | फिर उनकी नजर पेड़ पर लटकी म्यान पर पड़ी |

  खड़ग सिंह ने म्यान को देखकर कहा, “वाह ! कितना बढ़िया म्यान है | लाल रंग के इस म्यान में जड़े रत्न इसकी खूबसूरती को और अधिक बढ़ा रहे हैं |

   कड़क सिंह ने कहा, “क्या कह रहे हो खड़ग सिंह ! म्यान बहुमूल्य जरुर है, पर यह तो सफेद रंग का है और इस पर मोती जड़े हैं |”

   खड़ग सिंह को गुस्सा आ गया | बोले, “तुम झूठ बोल रहे हो ! मुझे साफ दिखाई दे रहा है कि यह म्यान लाल रंग का है और इस पर रत्न जड़े हैं |”

   अब कड़क सिंह को भी गुस्सा आ गया | वे भी तेज स्वर में बोले, “लगता है तुम अंधे हो गए हो या फिर दुश्मनी छोड़ना ही नहीं चाहते | मैं कह रहा हूँ कि म्यान सफेद है और इस पर मोती जड़े हैं |”

  “मुझे तो लगता है कि तुमने लड़ने के लिए ही मुझे बुलाया है |” इतना कहकर खड़ग सिंह ने तलवार निकाल ली |

 

 

 

  कड़क सिंह कहाँ पीछे हटने वाले थे | उन्होंने भी अपनी तलवार खींच ली | दोनों ने अपनी तलवारें हवा में लहराईं और लड़ने के लिए तैयार हो गए | वे जैसे ही एक-दूसरे पर वार करने के लिए आगे बढ़े, वहाँ छिपे दोनों राज्यों के महामंत्री सामने आ गए |

  वे बोले, “राजन! रुकिए, लड़ने से पहले हर पहलू पर विचार कर लेने में ही समझदारी है |”

  “क्या मतलब ?” दोनों राजाओं ने चौंककर पूछा |

  “आप दोनों इस म्यान के कारण लड़ने पर उतारू हैं, लेकिन यदि आप दोनों इस म्यान को दोनों तरफ से देख लेते तो लड़ाई की नौबत ही नहीं आती | असल में आप दोनों सही बोल रहे हैं | यह म्यान एक तरफ से लाल है और दूसरी तरफ से सफेद |” महामंत्रियों ने अपने-अपने राजाओं को समझाते हुए कहा |

  “क्या...!” दोनों राजा आश्चर्यचकित रह गए |

 “जी हाँ |” मंत्रियों ने उत्तर दिया, “महाराज, लड़ाई अकसर गलतफहमी के कारण होती है | यदि आप दोनों इस म्यान की जाँच-परख कर लेते तो यह नौबत नहीं आती |

  अब दोनों राजाओं को अपनी-अपनी गलती का अह्सास हुआ | उन्हें अपने महामंत्रियों की बात समझ में आ गई | उस दिन के बाद उन्होंने प्रण कर लिया कि वे भविष्य में कभी नहीं लड़ेंगे |

  इस प्रकार मंत्रियों की सूझबूझ से दोनों राजाओं की पुश्तैनी दुश्मनी समाप्त हो गई |

Rounded Rectangle:             शब्दार्थ 
पुश्तैनी – कई पीढ़ियों से संबंधित 
अभिवादन करना – श्रद्धापूर्वक नमस्कार करना 
 नौबत – परिस्थिति

 


  

 

 

 

 

 

रंगों की दुनिया

‘म्यान का रंग’ कहानी की कौन-सी घटना आपको पसंद आई ?

उसका चित्र बनाइए और उसमें रंग भरिए |

 

 

 

 

 

राजा और .......

‘राजा’ से जुड़े कुछ शब्द वर्ग पहेली में छिपे हैं | जैसे-राज, न्याय |

उन्हें खोजकर लिखिए –

 

रा

न्या

सिं

से

मु

श्क

हा

ना

कु

प्र

सै

बा

जा

सु

नि

वा

सि

पा

ही

 

........... .......... ........... ............ ............

........... .......... ........... ............ ............

 

 

 

 

 

 

 

रा

न्या

सिं

से

मु

श्क

हा

ना

कु

प्र

सै

बा

जा

सु

नि

वा

सि

पा

ही

 

राज   दरबार  सिंहासन  सेना  प्रजा

मुकुट  सैनिक  न्याय  सिपाही महल 



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                              6. उपकार का बदला

पाठ में से

1. कहानी में जो-जो हुआ उनके सामने का निशान लगाइए –

(क)     सोमन ताड़ के पंखे बेचता था |

(ख)     सोमन ने बंदर के बच्चे को गुलगुला दिया |

(ग)      बंदर सोमन के दो पंखे लेकर चला गया |

(घ)      बंदर सोमन के लिए पपीता लाया था |

(ङ)       बंदर पैसे के बदले पपीता लाया था |

(च)      सोमन छह रूपए जोड़े पंखे बेचता था |

  उत्तर :-

(क)    

(ख)    

(ग)     

(घ)     

(ङ)       ×

(च)      ×

 

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2. सोमन गुजारे के लिए क्या करता था ?

उत्तर :- सोमन गुजारे के लिए कुछ-कुछ धंधे किया करता था | गर्मी के महीने में वह ताड़ के पंखों को बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था |

3. सोमन को बंदर पर दया क्यों आ गई ?

उत्तर :- बंदर सोमन की तरफ टुकुर-टुकुर इस तरह देख रहा था मानों वह भूखा हो | इसलिए सोमन को बंदर पर दया आ गई |

4. बंदर किसके बदले में पपीता लाया था ?

उत्तर :- बंदर ताड़ के बने दो पंखों के बदले में पपीता लाया था |

5. भद्रपुरुष ने सोमन को दो पंखों के बदले कितने पैसे दिए ?

उत्तर :- भद्रपुरुष ने सोमन को दो पंखों के बदले पाँच रुपए दिए |

बातचीत के लिए

1. सोमन अपने पंखे बेचने के लिए कैसे आवाज लगाता था ? आप पंखों को बेचने के लिए कैसे आवाज लगाएँगे ?

उत्तर :- सोमन अपने पंखे बेचने के लिए चिल्ला-चिल्लाकर आवाज लगाता था – ‘पंखा ले लो, पंखा !’

मैं पंखों को बेचने के लिए चिल्ला-चिल्लाकर आवाज लगाऊँगा –

‘पंखा ले लो, पंखा !

इसकी क्वालिटी पर न करो शंका |

पंखा ले लो, पंखा !

हर साल जब गर्मी आती है

मेरे पंखों को देखकर भाग जाती है |

हर जगह बस इसका ही बजता है डंका,

पंखा ले लो, पंखा !’

 

2. सामान बेचने वाले अपने सामान बेचने के लिए आवाज क्यों लगाते हैं ?

उत्तर :- सामान बेचने वाले अपने सामान बेचने के लिए आवाज लगाते हैं ताकि आवाज सुनकर घरों के अंदर लोगों को पता चल जाए कि गली में क्या बिकने आया है और बाहर आकर वो अपनी जरुरत का सामान खरीद सकें |

3. अगर आपको ये सामान बेचने पड़े तो आप कैसे आवाज लगाएँगे –

·        मखाना    मछली     सब्जी

·        आम      चाय       बरतन

·        चप्पल   आइसक्रीम   मूँगफली

 

मखाना

 मखाना ले लो, मखाना !

ऐसे मखाने नहीं मिलेंगे,

बाद में पड़ेगा पछताना |

मखाना ले लो, मखाना !

अब कमजोरी छोड़ देगी सताना |

मखाना ले लो, मखाना !

 

मछली

मछली ले लो, मछली !

ताज़ी-ताज़ी मछली |

मछली ले लो, मछली !

 

सब्जी

सब्जी ले लो, सब्जी !

ताज़ी-ताज़ी सब्जी |

 

आम

आम है, आम !

रसीले आम हैं, आम |

 

चाय

चाय लेमन टी, चाय !

चाय बोलिए, चाय |

ग्रीन टी , मिल्क टी

चाय लेमन टी, चाय !

चाय बोलिए, चाय |

 

बरतन

बर्तन ले लो, बरतन !

कड़ाही, थाली, चम्मच |

सब मिलेगा यहाँ

बर्तन ले लो, बरतन !

 

चप्पल

चप्पल ले लो, चप्पल !

महँगा माल अब सस्ता में

ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलेगा

चप्पल ले लो, चप्पल !

 

आइसक्रीम

आइसक्रीम ले लो, आइसक्रीम !

 

मूँगफली

मूँगफली बोलिए, मूँगफली !

 

 

 

 

4. बंदर ने सोमन की क्या सहायता की और कैसे ?

उत्तर :- बंदर ने सोमन की भूख मिटाने में सहायता की | जब सोमन आँख बंद कर पेड़ के नीचे लेटा, बंदर छलाँग मारकर पंखे की गठरी के पास पहुँचा और दो पंखों को खींचकर थोड़ी दूरी पर सड़क के किनारे एक डेरे की ओर जाकर एक अधपका पपीता लाया जिसे खाकर सोमन ने अपनी भूख मिटाई |

 

5. क्या सोमन ने बंदर को अपने साथ रखा था ?

उत्तर :- नही, सोमन ने बंदर को अपने साथ नही रखा था |

 

6. आज ताड़ के पंखे का दाम क्या है ?

उत्तर :- आज ताड़ के पंखे का दाम लगभग पच्चीस-तीस रुपए है |

क्या होता

1. अगर सोमन ने बंदर को खाने का सामान न दिया होता ?

उत्तर :- अगर सोमन ने बंदर को खाने का सामान न दिया होता तो वह बंदर सोमन का मित्र नहीं बन पाता और एक दिन जब सोमन भूखा था तो बंदर उसका मदद नही करता और वह भूखा ही पेड़ के नीचे सो जाता |

2. अगर भद्रपुरुष बंदर को पपीता न लेने देता?

उत्तर :- अगर भद्रपुरुष बंदर को पपीता न लेने देता तो बंदर दोनों पंखे ले गुस्से में उसको नुकसान पहुँचाकर वापस आ जाता और सोमन को दोपहर में भूखे ही पेड़ के नीचे सोना पड़ता |

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खोजबीन

कहानी में से उन अंशों को खोजिए जिनसे पता चलता है कि

1. सोमन और बंदर एक-दुसरे के मन की बात समझते हैं |

उत्तर :- सोमन को तो भूख लगी थी | लेकिन वह करता क्या ? आँख बंद कर मन मारकर लेट गया | अचानक बंदर उठा | वह बंदर पंखा लेकर जिधर गया था, उधर से ही आता दिख पड़ा | बंदर पपीते को सोमन की ओर लुढ़का दिया |

 

 

 

 

 

 

2. सोमन बहुत दयालु है |

उत्तर :- सोमन को उस पर दया आ गई और उसने दो गुलगुले उसकी तरफ फेंके | बंदर ने लपककर गुलगुलों को उठाया और खा लिया |

 

3. गर्मी के मौसम की बात है |

उत्तर :- गर्मी के महीने में वह ताड़ के पंखों को बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था |

4. भद्रपुरुष भला आदमी था |

उत्तर :- भद्रपुरुष सोमन से बोले – “ये पंखे एक बंदर फ़ेंक गया था | ले जाओ अपने पंखे |”

      सोमन सकुचाते हुए बोला – “सरकार, यह बिकता हो है चार रुपए जोड़ा | लेकिन आप जो भी देंगे, वह मेरे लिए बहुत होगा |”

    भद्रपुरुष ने जेब से पाँच रुपए का एक सिक्का निकाला और सोमन को दे दिया |

समझ की बात

1. दोपहर को सोमन के पंखे क्यों नहीं बिकते थे ?

उत्तर :- गर्मी के महीने में दोपहर को सारे लोग आराम करने लगते थे तो दोपहर को सोमन के पंखे नहीं बिकते थे |

 

2. मुरही, फुटहा, कचड़ी और गुलगुला कैसे बनते हैं ?

उत्तर :-

 मुरही – इसे फरही, नमक, सेब, मिर्च, मूँगफली, अंकुरित या भुना चना इत्यादि चीजों को मिलाकर बनाया जाता है |

फूटहा – इसे बालू में चने, मकई आदि को भुंजकर बनाया जाता है |

कचड़ी – इसे दाल, बेसन, प्याज, मिर्च, पानी, नमक, मसालों आदि के मिश्रण को तेज में छानकर बनाया जाता है |

गुलगुला – इसे गेहूँ का आटा, बेकिंग पाउडर, कुटा इलायची और गुड़ को पानी में मिलाकर तेल में थोड़ा-थोड़ा करके छानकर बनाते हैं |

3. बंदर सोमन पर क्यों गुर्राया था ?

उत्तर :- बंदर जब पपीता लेकर आया तो देखा कि सोमन सो रहा है | उसको नींद से जगाने के लिए बंदर सोमन पर गुर्राया था |

 

आपकी भाषा में

1. आप अपनी मातृभाषा में नीचे लिखे शब्दों एवं वाक्यों को कैसे कहेंगे ?

v गुलगुला, गठरी, पपीता, कारनामा, छह रुपए जोड़ा

उत्तर :- पुआ, गठ्ठर, पपीता , कार्य, छह रुपए जोड़ा

v ‘सरकार ! तब यह पंखा मैं नहीं लूँगा |’

उत्तर :- ‘मालिक ! तब मैं यह पंखा नही लूँगा |’

v ‘पंखा ले लो, पंखा !’

v उत्तर :- ‘पंखा ले लो, पंखा !’

 

v ‘ये कहाँ से ले आए तुम ?’

उत्तर :- ‘तुम ये कहाँ से ले आए ?’

 

2. इस कहानी को अपनी मातृभाषा में सुनाइए |

 

भाषा के रंग

 

 

1. ‘वह सोमन की तरफ टुकुर-टुकुर देखने लगा |’ इस वाक्य में टुकुर-टुकुर देखने का क्या मतलब है ?

उत्तर :- इस वाक्य में टुकुर-टुकुर देखने का मतलब है – लगातार देखे जाना |

देखने के इन तरीकों में क्या अंतर है ? इनका मतलब समझाने के लिए इन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –

घूरना      अपलक देखना       टेढ़ी नजर से देखना

निहारना    टकटकी लगाना     आँखें फाड़कर देखना

घुरना – क़ानून के मुताबिक़, महिलाओं को घुरना ही अपराध की श्रेणी में आता है |

अपलक देखना – जब वह अमेरिका से दस सालों बाद अपने गाँव पहुँचा तो वह अपलक अपनी जन्मभूमि को देखता रहा |

टेढ़ी नजर से देखना – सोहन ने अपने दोस्त से कहा, “जब तक हम जिन्दा हैं, भाई ! तुमको कोई टेढ़ी नजर से नहीं देख सकता |”

निहारना – राधा कृष्ण को बाँसुरी बजाते देख उनको निहारती रह गई |

टकटकी लगाना – भोला किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए था कि कब बारिश हो |

आँखें फाड़कर देखना – चुनाव रैली में हेमा मालिनी मेरे शहर में आईं थी तो सभी लोग उनको आँखें फाड़कर देखने लगे |

 

2. नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित शब्दों के बदले ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्यों को दुबारा लिखिए कि उनका मतलब न बदले –

(क) वह दोपहर को विश्राम करता था |

उत्तर :- वह दोपहर को आराम करता था |

(ख) वह ताड़ के पंखे बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था |

उत्तर :- वह ताड़ के पंखे बेचकर अपने परिवार का गुजारा करता था |

 

(ग) आज तुम भी संतोष करो |

उत्तर :- आज तुम भी धैर्य करो |

 

(घ) सोमन सकुचाते हुए बोला |

उत्तर :- सोमन हिचकिचाते हुए बोला |

 

3. नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए –

*    इस पर सोमन की आँखें खुल गईं |

*    सारी बात जानकार सोमन की आँखें खुल गईं |

  दोनों वाक्यों में ‘आँखें खुल गईं’ के अर्थ में अंतर है |

पहले वाक्य में ‘आँखें खुल गईं’ का मतलब जागने से है जबकि दुसरे वाक्य में ‘आँखें खुल गईं’ का मतलब सच्चाई का पता लगने से है | दुसरे वाक्य में ‘आँखें खुल गईं’ एक मुहावरा है |

 

नीचे दिए गए मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करते हुए उनके मतलब बताइए –

आँखें लगना, आँखों पर पर्दा पड़ना, आँखें फैलना, आँखें चुराना, आँखें दिखाना, आँखों की किरकिरी होना |

उत्तर :-

आँखें लगना – ( नींद आना ) – रामू के आँख लगते ही चोर उसका सामान चुराकर रेलगाड़ी से उतर गए |

 

आँखों पर पर्दा पड़ना – ( सच्चाई न दिखना ) – सोहन की माँ बच्चों की गलती पर उन्हें खूब डाँटती है लेकिन अपने बच्चे की गलती पर उनके आँखों पर पर्दा पड़ जाता है |

आँखें फैलना – ( दूर तक देखना ) – वह अपनी आँखें फैलाकर देखा लेकिन सोहन कहीं नही दिखलाई पड़ा |

आँखें चुराना – ( नजर बचाना ) – मैंने सुन्दर को कुछ रुपए उधार दिए थे इसी कारण जब भी वह मुझे देखता है, मुझसे आँखें चुराकर जाने लगता है |

आँखें दिखाना – ( गुस्सा प्रकट करना ) – जब मैंने पूजा को कहा कि तुम अच्छे से नही गाती तो वह मुझे आँखें दिखाने लगी |

आँखों की किरकिरी होना – ( अप्रिय होना ) – मोनिका हर वर्ष अपने वर्ग में प्रथम आती है जिसके कारण वह कई छात्रों की आँखों की किरकिरी है |

4. नीचे दिए गए वाक्यों में मोटे अक्षरों में लिखे सर्वनाम किसके लिए आए हैं, लिखिए-

          वाक्य                     किसके लिए

(क) लेकिन वह करता क्या?            .................

(ख) लेकिन उसने पपीते को छुआ नहीं |  .................

(ग) तब मैं तो मनुष्य हूँ |             .................

(घ) ये दोनों पंखे तुम्हारे हैं ?          .................

 

उत्तर :-

(क)     सोमन

(ख)     सोमन

(ग)      भद्रपुरुष

(घ)      ताड़ के पंखे

 

आपकी कल्पना

1. ‘उपकार का बदला’ शीर्षक कहानी की किसी एक घटना को संवाद के रूप में लिखिए |

उत्तर :-

भद्रपुरुष – “ये दोनों पंखे तुम्हारे हैं ?”

सोमन – “जी सरकार !”

भद्रपुरुष – “ये पंखे एक बंदर फ़ेंक गया था | ले जाओ अपने पंखे |”

सोमन – “सरकार ! क्या बंदर ने आपका पपीता भी तोड़ा है ?”

भद्रपुरुष – “हाँ ! हाँ ! पंखों को यहीं फ़ेंक वह एक पपीता तोड़ ले गया था |”

सोमन – “सरकार ! तब यह पंखा मैं नहीं लूँगा |”

भद्रपुरुष – “क्यों ?”

सोमन – “सरकार, वह बंदर पंखे के बदले में मुझे पपीता दे गया था | मुझे इसका दाम मिल गया है |”

( सोमन के पूरी घटना बताने के बाद )

भद्रपुरुष – “पंखेवाले, जब बंदर जैसे जंगली-जंतु में इतना विवेक है, तब मैं तो मनुष्य हूँ | तुम्हारा पंखा मैं कैसे लूँगा ? तुम पंखों को छोड़ दो | इनका कितना दाम होगा यह बताओ |”

सोमन – “ सरकार, यह बिकता है तो चार रुपए जोड़ा | लेकिन आप जो भी दे देंगे, वह मेरे लिए बहुत होगा |”

भद्रपुरुष – “ये लो पाँच रूपये |”

सोमन – “ठीक है, सरकार ! दे दीजिए |”

 

2. अपने दोस्त को सोमन और बंदर के बारे में बताते हुए एक पत्र लिखिए |

उत्तर :-

 

 

अशोक नगर रोड न०-10

लोहिया नगर,कंकडबाग

पटना–20

13 मई 2021

प्रिय मित्र कलुआ,

             मैं कुशलपूर्वक हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होगे | इस पत्र मे मैं एक बहुत ही रोचक कहानी का वर्णन करने जा रहा हूँ जिसका नाम है – “उपकार का बदला” |

             सोमन एक गरीब आदमी था जो ताड़ के पंखों को बेचकर गुजारा करता था | एक दिन दोपहर को सोमन पेड़ के नीचे बैठकर नाश्ते की पोटली को खोल ही रहा था कि उसे थोड़ी दूर पर बैठा एक भूखा बंदर दिखाई पड़ा | वह उसको दो गुलगुले खाने के लिए दिया | उस दिन से वह रोज उसको गुलगुले दिलाता लेकिन एक दिन पंखे नहीं बिके तो वह पानी पीकर पेड़ के नीचे सो गया | तभी बंदर दो पंखों को खींचकर भागा और एक डेरा में दोनों को फेंककर वहाँ के पेड़ से एक पपीता तोड़ लाया जिसे खाकर सोमन भूख मिटाया | इस प्रकार बंदर उपकार का बदला चुकाया |

           इस पत्र में बस इतना ही | अपने माता-पिता को प्रणाम कहना |

शुभकामनाओं के साथ,

तुम्हारा प्रिय मित्र

टिंकू

पता –

कलुआ

S/O – मानक राव

यमुना विहार

मित्तनचक, परसा बाज़ार

पटना – ८०४४५३ 

 

 

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                                        7. चतुर चित्रकार

                         अभ्यास

कविता में से

1. कविता में शेर को यम राजा का मित्र क्यों कहा गया है ?

उत्तर :- यम मृत्यु के देवता है | शेर चित्रकार को मारकर खा जाता तो इस प्रकार शेर भी यम की तरह मृत्यु का प्रतीक है | इसलिए कविता में शेर को यम राजा का मित्र कहा गया है |

2. शेर ने चित्रकार को नाव रोकने के लिए क्यों कहा ?

उत्तर :- शेर ने चित्रकार को नाव रोकने के लिए इसलिए कहा कि चित्रकार जब अपना कलम और कागज़ लेने वापस आएगा तो शेर उसे मारकर खा सके |

3. शेर चित्रकार की ओर ध्यान से क्यों देखने लगा था ?

उत्तर :- शेर चित्रकार की ओर ध्यान से इसलिए देखने लगा था ताकि चित्रकार उसका एक सुंदर चित्र बना सके |

4. चित्रकार ने शेर को क्या कहकर बुलाया ?

उत्तर :- ‘सुंदर चित्र बना दूँ , बैठ जाइए आप’ यह कह्कर चित्रकार ने शेर को बुलाया |

5. शेर को देखकर चित्रकार की क्या दशा हुई ?

उत्तर :- शेर को देखकर चित्रकार के तुरंत होश उड़ गए और नदी, पहाड़, पेड़ और पत्तों का उसे कुछ भी जोश नही रह गया |

 

कल्पना और अनुमान

1. अगर चित्रकार की जगह आप होते तो शेर से कैसे बचते ?

उत्तर :- अगर चित्रकार की जगह मैं होता तो शेर से बचने के लिए बिलकुल वैसा ही करता जैसा चतुर चित्रकार ने किया |

2. यदि झील के किनारे नाव नहीं होती तो चित्रकार अपनी जान कैसे बचाता ?

उत्तर :- यदि झील के किनारे नाव नहीं होती तो चित्रकार अपनी जान तैरकर बचाता |

3. अगर शेर चित्रकार का कहा मानकर दूसरी तरफ मुँह नहीं करता तो क्या होता ?

उत्तर :- अगर शेर चित्रकार का कहा मानकर दूसरी तरफ मुँह नहीं करता तो चित्रकार भागने में सफल नही हो पाता और चित्र बनने के बाद शेर चित्रकार को मारकर खा जाता |

 

4. चित्रकार ने शेर का कैसा चित्र बनाया था ? चित्र बनाकर दिखाइए –

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उड़ गए होश

1. “उसे देखकर चित्रकार के तुरंत उड़ गए होश |

   नदी, पहाड़, पेड़, पत्तों का, रह न गया कुछ जोश |”

(क) किसे देखकर चित्रकार के होश उड़ गए ?

उत्तर :- शेर को देखकर चित्रकार के होश उड़ गए |

 

 

 

(ख) जंगल में क्या-क्या था ?

उत्तर :- जंगल में नदी, पहाड़ और पेड़ थे |

(ग)   ‘होश उड़ने’ का अर्थ है –

नींद उड़ना    बहुत घबरा जाना      हैरान होना

उत्तर :- बहुत घबरा जाना

(घ)  आपके होश कब उड़ते हैं ?

·        मेरे होश उड़ जाते हैं जब ....................................

·        मेरे होश उड़ जाते हैं जब ....................................

 

उत्तर :-

·        मेरे होश उड़ जाते हैं जब सर या मैडम स्कूल या कोचिंग में सरप्राइज टेस्ट लेते हैं |

·        मेरे होश उड़ जाते हैं जब मैं बहुत ऊँचे झूले पर बैठता हूँ |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(ङ)   होश उड़ना’ एक मुहावरा है जिसका अर्थ है – ‘घबरा जाना’ इसी ‘घबरा जाना’ को बताने के लिए कई और मुहावरे हैं, जैसे –

Oval: पैरों तले जमीन खिसकनाOval: घबरा जानाOval: सिट्टी-पिट्टी गुम हो जानाOval: हाथों के तोते उड़नाOval: पसीने छूटनाOval: बेहोशी छाना 

 

 

 

 

 

 

 

                                       

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2. आप इन मुहावरों का प्रयोग करते हुए एक-एक वाक्य बनाइए|

उत्तर :-

सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाना – अचानक जब गली के चार कुत्ते मुझ पर भौंकने लगे, मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई |

पसीने छूटना – वार्षिक परीक्षा में गणित के कठिन प्रश्नों को हल करते-करते मेरे पसीने छूट गए |

बेहोशी छाना – वह मंच पर भाषण देने गया लेकिन अपने सामने ढ़ेर सारे दर्शकों को देखकर उस पर बेहोशी छा गई |

हाथों के तोते उड़ना – मेरा प्रिय मित्र जब कोर्ट में मेरे खिलाफ ही गवाही देने गया तो उसे देखकर मेरे हाथों के तोते उड़ गए |

पैरों तले जमीन खिसकना – नए स्कूल में पहले ही दिन सोहन का साईकिल चोरी हो गया तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई |

 

 

चुपके से

‘चित्रकार चुपके से खिसका, जैसे कोई चोर |’

(क)  चुपके से खिसकने का क्या मतलब है ?

उत्तर :- चुपके से खिसकने का मतलब है – धीरे से दूसरों की 

       नजर बचाकर निकलना |

(ख) चित्रकार चुपके से क्यों खिसकने लगा ?

उत्तर :- चित्रकार चुपके से इसलिए खिसकने लगा ताकि वह अपनी जान बचाने के लिए शेर की नजरों से बच कर वहाँ से भाग सके |

(ग)   चोर चुपके से क्यों खिसकते होंगे ?

उत्तर :- चोर चुपके से इसलिए खिसकते होंगे ताकि वह पकड़े न जाएँ |

 

(घ)   किसी ऐसी घटना के बारे में बताइए जब आपको भी चुपके से खिसकना पड़ा हो ?

उत्तर :- एक दिन पिताजी बड़े भाई को पढ़ाई ठीक से नही करने और गर्मी की दोपहर को क्रिकेट खेलने जाने के लिए डाँट रहे थे तो मैं वहाँ चुपके से खिसक गया था ताकि मुझे भी डाँट न पड़े |

(ङ)   बताइए, ये कब-कब चुपके से खिसकते होंगे –

आपकी कक्षा के बच्चे  पिताजी  माँ

आपका दोस्त        बहन    भाई

 

(च)   आप कुछ ऐसे काम भी करते होंगे जिन्हें चुपचाप न किया जाए तो डाँट पड़ती है | किसी एक घटना के बारे में बताइए |

उत्तर :- मेरे वर्ग के मेरे प्रिय मित्र का जन्मदिन था | सभी बच्चे शाम को उसके घर जानेवाले थे | सभी आपस में गिफ्ट देने के बारे में चर्चा कर रहें थे | मुझे लगा कि मुझे भी कोई अच्छा-सा उपहार देना चाहिए लेकिन कम पैसे में कोई अच्छा गिफ्ट नहीं आ पा रहा था इसलिए मैं अपने बैंक में जमा कुछ पैसे निकालकर एक विडियो गेम ख़रीदा और उसे उपहारस्वरूप दे दिया लेकिन घर में किसी को नही बताया ; नहीं तो मुझे डाँट पड़ती |

भाषा के रंग

1. ‘चित्रकार सुनसान जगह में बना रहा था चित्र |’ कविता की इस पंक्ति को गद्द में इस तरह से लिखा जाता है –

‘चित्रकार सुनसान जगह में चित्र बना रहा था |’

 

आप नीचे दी गई पंक्तियों को गद्द में लिखिए –

(क)  इतने ही में वहाँ आ गया, यम राजा का मित्र |

उत्तर :- इतने में ही यम राजा का मित्र वहाँ आ गया | 

(ख) झील किनारे नाव लगी थी, एक रखा था बाँस |

उत्तर :- नाव झील किनारे लगी थी, एक बाँस रखा था |

(ग)   जल्दी-जल्दी नाव चलाकर निकल गया वह दूर |

उत्तर :- वह जल्दी-जल्दी नाव चलाकर दूर निकल गया |

(घ)   उकरु-मुकरु बैठ गया वह, सारे अंग बटोर |

बड़े ध्यान से लगा देखने, चित्रकार की ओर ||

  उत्तर :- वह उकरु-मुकरु सारे अंग बटोर बैठ गया |

          बड़े ध्यान से चित्रकार की ओर देखने लगा |

 2. तुरंत उड़ गए होश          बना रहा था चित्र

   रह न गया कुछ जोश       यम राजा का मित्र 

 

(क)     ऊपर की पंक्तियों में अगर ‘जोश’ , ‘होश’ , ‘मित्र’ और ‘चित्र’ की जगह कोई दूसरा शब्द रखा जाए तो कविता पढ़ने में क्या अंतर आएगा ?

उत्तर :- ऊपर की पंक्तियों में अगर ‘जोश’ , ‘होश’ , ‘मित्र’ और ‘चित्र’ की जगह कोई दूसरा शब्द रखा जाए तो पंक्तियों के बीच तुक नही मिलने से पढ़ने में लय बिगड़ जाएगा और कविता भद्दा लगने लगेगा |

(ख)     नीचे दी गई पंक्तियों में आप भी कुछ ऐसे ही समान लय वाले शब्दों का प्रयोग कीजिए –

 

देख आँधी, तूफान और धूल |

जाना कहाँ था, मैं गया ........|

 

आया चोर, आया चोर |

कहते-कहते हो गई ..........|

 

मुन्नी लगी सुनाने बात |

सुनते-सुनते हो गई .......|

 

गुड़ की सगाई थी, चींटी रानी आई थी;

साथ ले उपहार में , मोटा चिंटा .......... थी |

 

उत्तर :- भूल , भोर , रात , लाई

 

 

 

शब्दों की दुनिया

1. उधर शेर था धोखा खाकर झुँझलाहट में चूर ||

(क) यहाँ ‘चूर’ शब्द का क्या मतलब है ?

उत्तर :- यहाँ ‘चूर’ शब्द का मतलब है – ओतप्रोत / पूरा

       भरा होना |

(ख) ‘चूर-चूर होना’ , ‘थककर चूर होना’ और ‘चकनाचूर होना’ इन मुहावरों का प्रयोग वाक्यों में कीजिए जिससे इनके अर्थ स्पष्ट हो जाएँ |

 

उत्तर :-

चूर-चूर होना – ( नष्ट होना / टूट जाना ) – श्याम के घर में आग लगने पर उसका कोई भी पड़ोसी मदद को नही आया तो श्याम का पैसों का घमंड चूर-चूर हो गया |

 

थककर चूर होना – ( बहुत थक जाना ) – दिवाली के लिए घर की सफाई करते-करते पूजा थककर चूर हो गई |

 

चकनाचूर होना – ( किसी वस्तु के ऐसे टुकड़े-टुकड़े हो जाना कि वह पहचान में न आए ) – लालटेन जब प्यारी के हाथों से गिरा तो उसका सीसा चकनाचूर हो गया |

 

 

2. नीचे दिए गए शब्दों को बोल-बोलकर पढ़िए –

    कहा – कहाँ     आधी – आँधी

(क)      दोनों को बोलने में क्या अंतर है ? इनके अर्थ में क्या अंतर है ? इस अंतर का कारण बताएँ ?

उत्तर :- कहा और आधी बोलने में नाक से न का उच्चारण नही होता है जबकि कहाँ और आँधी बोलने में होता है | इस अंतर का कारण सिर्फ चंद्रबिंदु है |

(ख)     वाक्यों में आए मोटे शब्दों में चंद्रबिंदु का सही प्रयोग कीजिए –

·        आप कहा जा रहे हैं ?

·        मैंने बास की टोकरी बनाई |

·        मेरी आख में कुछ पड़ गया है |

·        लगता है आधी आने वाली है |

·        सारा गाव खुश था |

·        मैंने जल्दी से सामान बाधा |

       उत्तर :-

·        आप कहाँ जा रहे हैं ?

·        मैंने बाँस की टोकरी बनाई |

·        मेरी आँख में कुछ पड़ गया है |

·        लगता है आँधी आने वाली है |

·        सारा गाँव खुश था |

·        मैंने जल्दी से सामान बाँधा |

 

3. ‘चित्र’ में ‘कार’ जोड़ने से ‘चित्रकार’ शब्द बना है |

 आप भी ‘दार’ लगाकर शब्द बनाइए –

दुकान + दार -- ..............

हवा  + ...... -- ..............

समझ + ...... -- ..............

जान + ...... -- ..............

शान + ...... -- ..............

उत्तर :-

दुकान + दार –- दुकानदार

हवा + दार – हवादार

समझ + दार –- समझदार

जान + दार –- जानदार

शान + दार –- शानदार

 

 

4. चित्र बनाने वाले को ‘चित्रकार’ कहते हैं | इसी प्रकार नीचे के स्तम्भ ‘क’ में स्तम्भ ‘ख’ से सही शब्द मिलाइए –

स्तम्भ ‘क’                 स्तम्भ ‘ख’

संगीत बनाने                मूर्तिकार

गीत लिखने वाला            कलाकार

कला दिखने वाला           संगीतकार

कहानी लिखने वाला         कहानीकार

मूर्ति बनाने वाला            गीतकार

 

उत्तर :-

स्तम्भ ‘क’                 स्तम्भ ‘ख’

संगीत बनाने                संगीतकार

गीत लिखने वाला            गीतकार

कला दिखने वाला            कलाकार       

कहानी लिखने वाला         कहानीकार   

मूर्ति बनाने वाला            मूर्तिकार     

 

 

 

 

 

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5. ‘बोला – सुंदर चित्र बना दूँ , बैठ जाइए आप |’

इस पंक्ति में चित्र की क्या विशेषता बताई गई है ? रिक्त स्थान में भरिए –

चित्र ................ है |

उत्तर :- चित्र सुंदर है |

संज्ञा की विशेषता बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं |

स्तंभ ‘क’ में संज्ञा शब्द और स्तंभ ‘ख’ विशेषण शब्द दिए गए हैं | इनका सही मिलान कीजिए –

स्तंभ ‘क’             स्तंभ ‘ख’

पहाड़                  चतुर

पानी                  घना

पेड़                   ऊँचा

शेर                  डरावना

चित्रकार               हरा

जंगल                सच्चा

मित्र                  ठंडा

 

उत्तर :-

स्तंभ ‘क’       स्तंभ ‘ख’

पहाड़            ऊँचा

पानी            ठंडा

पेड़              हरा               

शेर            डरावना              

चित्रकार         चतुर            

जंगल          घना             

मित्र           सच्चा               

 

 

आपकी चतुराई

किसी ऐसी घटना के बारे में बताइए जब आपने भी चतुराई से काम किया हो |

उत्तर :- स्वयं करिए |

आपकी कलम से

‘चतुर चित्रकार’ शीर्षक कविता को कहानी के रूप में लिखिए और सुनाइए |

 

उत्तर :-   

      एक चित्रकार सुनसान जगह में चित्र बना रहा था तभी एक शेर वहाँ आ पहुँचा | उसे देखकर चित्रकार बहुत घबरा गया लेकिन फिर उसने हिम्मत बाँधकर शेर से बोला कि आप बैठ जाइए, सुंदर चित्र बना देते हैं | शेर चित्रकार की ओर मुँह करके बैठ गया | वह शेर के आगे भाग का चित्र बना दिया तब वह बोला कि आप पीठ पीछे करके बैठ जाइए ताकि मैं पीछे वाले हिस्से का चित्र बना सकूं |

      जब शेर मुँह फेर कर बैठा तो वह चुपके से झील किनारे लगे नाव में बैठकर एक बाँस से नाव खेने लगा और भाग गया | शेर धोखा खाकर बहुत झुँझलाया और चित्रकार से बोला कि कलम और कागज तो ले जाओ लेकिन चित्रकार समझदार था | वह बोला कि कागज़ – कलम अपने पास रखकर जंगल में चित्रकला का अभ्यास कीजिए | इस प्रकार चित्रकार अपनी चतुराई से अपनी जान बचाने में सफल हुआ |


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                                                       8. ननकू

                                             अभ्यास

किसने कहा, किससे कहा ?

1. बताइए, ये कथन किसने कहा, किससे कहा –

      कथन                 किसने कहा   किससे कहा

(क) का रे ननकूआ,            ..............   .................

आज इसकूल न जबहीं रे sss ?

(ख) ननकू रे sss अरे ननकू !   ..............   .................

(ग) सीधे घर जइहें रे,          ..............   .................

 लगहई जोर से पानी पड़तई |

(घ) बाबा घरबा के भीतर चलs,  ..............   .................

 जोर से पानी पड़तई |

(ङ) अरे, हम तो केतना         ..............   .................

देरी से बइठल हली |

(च) हमर मान तो, ई सब       ..............   .................

गोबर मट्टी में गाड़ देहीं |

 खाद बन जइतउ |

 

      कथन                 किसने कहा   किससे कहा

(क) का रे ननकूआ,            अम्मा ने      ननकू से

आज इसकूल न जबहीं रे sss ?

(ख) ननकू रे sss अरे ननकू !   दिदिया ने     ननकू से

(ग) सीधे घर जइहें रे,          दिदिया ने     ननकू से

 लगहई जोर से पानी पड़तई |

(घ) बाबा घरबा के भीतर चलs,   ननकू ने      बाबा से

 जोर से पानी पड़तई |

(ङ) अरे, हम तो केतना         बाबा ने       ननकू से

देरी से बइठल हली |

(च) हमर मान तो, ई सब       ननकू ने      दिदिया से

गोबर मट्टी में गाड़ देहीं |

 खाद बन जइतउ |

 

 

बातचीत के लिए

1. ननकू गुल्ली-डंडा खेलता था | आप कौन-कौन से खेल खेलते हैं ?

उत्तर :- मैं क्रिकेट, पिट्टो, लुडो, कैरमबोर्ड, लुका-छुपी, अन्ताक्षरी, शतरंज, स्मार्टफोन पर पबजी और फ्री फायर इत्यादी खेल खेलता हूँ |

2. गुल्ली-डंडा कैसे खेलते हैं ? इसमें कितने खिलाड़ी होते हैं ?

उत्तर :- गुल्ली-डंडा खेलने के नियम इस प्रकार हैं :-

पहले जमीन पर एक 2 इंच गहरा और 4 इंच लंबा गढ्ढा खोदा जाता है | एक खिलाड़ी उस गढ्ढे पर गिल्ली को रखकर डंडे से जोर से दूर फेंकता है | दूसरा खिलाड़ी उसे लपकने के लिए तैयार रहता है | यदि वो खिलाड़ी गिल्ली को कैच कर लेता है तो सामने वाला खिलाड़ी आउट हो जाता है |

यदि गिल्ली जमीन पर गिर जाए तो खिलाड़ी उस गिल्ली को उठाकर डंडे से जोर से मारता है | गिल्ली बहुत दूर तक उछाल दी जाती है | फिर डंडे को उस गढ्ढे पर रख दिया जाता है | अब दूसरी टीम को डंडे को निशाना बनाकर मारा जाता है, यदि गिल्ली को गढ्ढे पर रखे डंडे पर निशाना साध दिया तो भी खिलाड़ी को आउट घोषित कर दिया जाता है |

यदि नहीं लगे तो वो खिलाड़ी अपना डंडा लेकर गिल्ली के एक सिरे को डंडे से मारकर हवा में उछालता है फिर डंडे से शॉट लगा देता है | गिल्ली को किनारे से मारने का प्रत्येक खिलाड़ी को तीन बार मौका मिलता है |

गिल्ली जितनी दूर जाती है, वही खेल में जीत जाता है | बाद में उस गिल्ली की दूरी को गढ्ढे की दूरी तक डंडे की सहायता से नापा जाता है |

कम अंक हासिल करने वाली टीम को शर्तों के मुताबिक़ धौल जमाए जाते हैं | इस खेल को खेलने के लिए 2, 4, 10 या इससे भी अधिक खिलाड़ी शामिल हो सकते हैं | इसमें सामान्यतः दो खिलाड़ी होते हैं |

संक्षिप्त में उत्तर :-

लकड़ी की एक छोटी-सी गिल्ली होती है जिसे डंडा से मारकर उड़ाया जाता है | इसमें सामान्यतः दो खिलाड़ी होते हैं |

 

3. गुल्ली-डंडा खेलते समय क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए ?

उत्तर :- गुल्ली-डंडा खेलते समय ये सावधानी बरतनी चाहिए कि डंडे से गिल्ली फेंकते या मारते वक्त नजदीक में कोई व्यक्ति खड़ा न हो ताकि डंडे या गिल्ली से चोट न लगे और डंडा हाथ से न छूटे | गतिमान गिल्ली को कैच करते वक्त आँख और हाथ में चोट लगने की संभावना रहती है तो इसका भी ध्यान रखना जरुरी है |

 

4. ललमुनियाँ कौन थी ? ननकू ने उसके परिवार की क्या सहायता की ?

उत्तर :- ललमुनियाँ ननकू के गाँव की एक लड़की थी | ननकू ने बाढ़ के पानी से बचाने के लिए सामानों को उठाकर टोकरी में रखने के लिए उसके परिवार की सहायता की |

 

5. ननकू को कब लगा कि अब उसे घर की तरफ जाना चाहिए और क्यों ?

उत्तर :- जब ननकू सामान से भरी टोकरी सिर पर रखकर घुटने तक पानी में ललमुनियाँ की झोपड़ी से बाहर निकला तो पाया चारों ओर पानी फैल गया है और बड़ी तेजी से उसके घर की तरफ भी बढ़ रहा है , तब ननकू को लगा कि अब उसे घर की तरफ जाना चाहिए |

पाठ में से

1. ननकू की दीदी ने उसे किस काम के लिए आवाज दी ?

उत्तर :- ननकू की दीदी ने उसे जल्दी से गोइठा थापने के लिए आवाज दी |

2. ननकू ने गोबर को मिट्टी में गाड़ने की बात क्यों की ?

उत्तर :- गोबर को मिट्टी में गाड़कर कुछ दिनों तक उसी तरह गड़ा छोड़ देने पर वह खाद में बदल जाता है | इसलिए ननकू ने गोबर को मिट्टी में गाड़ने की बात की क्योंकि पानी बरसने के कारण गोइठा सुख नहीं सकता था, परन्तु मिट्टी में खाद बन जाता |

3. ननकू ने अपनी और दादाजी की जान कैसे बचाई ?

उत्तर :- ननकू और उसके दादाजी छप्पर पर बहते हुए गाँव से शहर आ पहुँचे थे | ननकू छप्पर पर पड़ी हुई रस्सी का एक सिरा छप्पर के बाँस में बाँधा और दूसरा सिरा दादाजी को पकड़ने के लिए बोला | जैसे ही वे पुल के नजदीक पहुँचे, ननकू ने रस्सी के दुसरे सिरे को घुमाकर बड़े वेग से ऊपर पुल पर फेंका | पुल पर खड़े लोगों ने उसे थाम लिया और जैसे-तैसे वे दोनों को बाहर निकाले |

 

 

4. ननकू की माँ उसे देख क्यों रोने लगी ?

उत्तर :- ननकू और उसके दादाजी छप्पर पर बाढ़ के पानी में बहते हुए शहर पहुँच गए थे तो उनकी कोई खोज-खबर न पाकर ननकू की माँ को लगा कि बाढ़ ने उनके जीवन की कहानी को समाप्त कर दिया है | लेकिन जब ननकू की माँ ननकू को जीवित देखी तो अत्यंत ख़ुशी से रोने लगी |

5. ननकू के पिताजी कहाँ चले गए थे ?

उत्तर :- ननकू के पिताजी बाढ़ की खबर सुनकर अपने गाँव चले गए थे |

बाढ़ का कहर

1. बाढ़ के कारण ननकू के गाँव में बहुत नुकसान हुआ | बाढ़ के कारण आपके गाँव/शहर में क्या नुकसान होता है ?

उत्तर :- बाढ़ के कारण मेरे शहर में अनेक प्रकार के नुकसान होते हैं | गलियों और सड़कों में भरा पानी घर में घुस जाता है | आसपास पूरा कचड़ा फैलने से बीमारियाँ फैलाने वाले मच्छर और कीड़े-मकोड़े उत्पन्न हो जाते हैं, आवागमन ठप पड़ जाता है, प्रतिदिन के जरुरत के सामान मिलने बहुत मुश्किल हो जाती है | लोग कमाने के लिए घरों से बाहर नहीं निकल पाते जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है |

( गाँव में रहने वाले के लिए )

बाढ़ के कारण मेरे गाँव में बहुत नुकसान होता है | बाढ़ खेतों में खड़ी फसलों को तबाह कर किसानों की मेहनत पर पानी फेर देता है | बाढ़ के पानी की तेज लहरें कच्चे घर और कमजोर पक्की घरों को ढाह कर उनका आश्रय छीन लेता है | बाढ़ का गंदा पानी घरों में घुसकर रखे सामानों को तबाही के मंजर में धकेल देता है | बाढ़ की तेज लहरें व्यक्तियों, खासकर मवेशियों और पेड़-पौधों को बहाकर ले चला जाता है और कईयों के जीवित रहने का अधिकार छीन लेता है | आवागमन ठप पड़ने से न कोई गाँव से बाहर निकल पाता है और जो हाथ मदद के लिए आना चाहते हैं, उनको भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है |

2. बाढ़ से बचाव या बाढ़ को रोकने के क्या उपाय हो सकते हैं ?

उत्तर :- बाढ़ प्रशिक्षण संस्थान स्थापित कर लोगों को बाढ़ के समय किए जानेवाले उपायों के बारे में प्रशिक्षित करना, इससे बचाव के लिए जरुरी है | संरचनात्मक उपाय जैसे कि तटबंध, जल निकास तंत्र का उस ख़ास क्षेत्र के लिए निर्माण करना आवश्यक है ; जैसे एक नदी को दूसरी नदी से जोड़ना | इसके साथ ही नदी की गहराई को बढ़ाने के लिए उसके तली पर बैठे गाद और गन्दगी को निकालना बाढ़ को रोकने के लिए जरुरी है |

 

अनुमान और कल्पना

1. क्या होता अगर –

·        घर का छप्पर भी पानी में पहले ही बह गया होता ?

उत्तर :- यदि घर का छप्पर भी पानी में पहले ही बह गया होता तो ननकू और उसके दादाजी बाढ़ के पानी से बचने के लिए घर से सटे दालान के छप्पर पर किसी तरह चढ़ते और नहीं चढ़ पाते या पानी वहाँ तक भी पहुँच जाता तो वे दोनों पानी में बह जाते |

·        छप्पर के बाँस से बंधी रस्सी टूट जाती ?

उत्तर :- यदि छप्पर के बाँस से बंधी रस्सी टूट जाती तो ननकू पुल पर खड़े लोगों को रस्सी पकड़ने के लिए नहीं फेंकता और लोग उनदोनों को पानी से बाहर नहीं निकाल पाते | वे पानी में बहते रह जाते और कहाँ किनारे लगते कहना कठिन है |

2. ननकू ने कैसे अनुमान लगाया कि वह शहर के पास से बह रहा है ?

उत्तर :- ननकू जब नदी की धार में बह रहा था तो अँधेरा कुछ छटने के पश्चात थोड़ी देर के बाद उसे ऊँचे-ऊँचे घर दिखने लगे तो इससे वह अनुमान लगाया की वह शहर के पास से बह रहा है |

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आपकी दुनिया

     ‘बरसात का महिना ननकू को बहुत प्रिय है | आम-जामुन के पेड़ पर चढ़ना और गुल्ली-डंडा खेलना अच्छा लगता है |’

1. आपको क्या-क्या पसंद है और क्यों ? तालिका में लिखिए –

 

पसंद

कारण

महीना

 

 

खेल

 

 

भोजन

 

 

जगह

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

पसंद

कारण

महीना

गर्मी

मुझे आम खाना बहुत अच्छा लगता है और गर्मी में गरीब लोगों को ऊनी कपड़ों तथा कंबलों की जरुरत नहीं पड़ती है | गर्मी में वे कम कपड़े पहनकर ही काम चला सकते हैं |

खेल

क्रिकेट

यह हमें टीम वर्क के साथ काम करने की सीख देता है और इसमें कई खिलाड़ी खेल सकते हैं | इसको गली, मैदान, पार्क कहीं भी खेल सकते है |

भोजन

चाउमीन

यह बहुत स्वादिष्ट होता है और बीस-पच्चीस रूपये में हाफ प्लेट हो जाता है जो मेरे लिए काफी है |

जगह

बोधगया

बोधगया के मठों की असीम शांति मेरे मन को लुभाती है और शहर के शोरगुल से छुटकारा पाकर बहुत राहत महसूस होता है |

 

2. क्या आपके भाई-बहन, माँ-पिताजी से आपकी शिकायतें करते हैं ? ऐसी ही किसी एक घटना के बारे में बताइए |

उत्तर :- हाँ, जब मैं पढ़ाई न करके खेलने के लिए चला जाता हूँ तो मेरे भाई-बहन माँ-पिताजी से मेरी शिकायत कर देते हैं | एक बार मैं शिक्षक का टास्क न बनाकर खेलने चला गया | शिक्षक महोदय ने स्कूल में मेरे भाई से बोला कि तुम्हारा भाई पढ़ने में ध्यान नहीं देता है | स्कूल का होमवर्क भी नहीं बनाता है | तब क्या था ! मेरे भैया स्कूल से आते ही मेरी मम्मी से शिकायतें करने लगे | उनमें से कई तो पुराने थे | फिर पिताजी से दोनों मिलकर मेरी शिकायत किए और मुझे उनसे मार खानी पड़ी |

 

भाषा के रंग

1. नीचे दिए कथनों को हिंदी भाषा में बोलिए और लिखिए –

(क) न मइया, इसकूल तक नदी के पानी चढ़ अएलइ हे |

उत्तर :- नहीं माँ, स्कूल तक नदी का पानी चढ़ आया है |

(ख) ननकुआ, हालि से गोइठबा थपवा देहीं तो, बड़ी जोर से पानी आवइत हई |

उत्तर :- ननकू, जल्दी से गोइठा थाप दो, बहुत जोर से पानी पड़ने जा रहा है |

(ग) बाबा नीमिया तर बइठल होथीं |

उत्तर :- बाबा नीम के पेड़ के नीचे बैठे हुए थे |

(घ) ई बार कवन नछत्तर में पानी पड़े लगलई कि छुटते न हई |

उत्तर :- इस बार किस नक्षत्र में पानी पड़ने लगा है कि छुट ही नहीं रहा है |

 

(ङ) कहाँ चल गेलहीं हल रे ? चल दू कौर माड़-भात खा ले, अउर सामान उठाहीं |

उत्तर :- कहाँ चल गया था रे ? चलो दो कौर माड़-भात खा लो और सामान उठाओ |

2. हुलसकर बाबा ने ननकू को पकड़ लिया |

  हुलसकर बाबा ने उसे को पकड़ लिया |

(क) दुसरे वाक्य में ‘उसे’ शब्द किसकी जगह आया है ?

उत्तर :- दुसरे वाक्य में ‘उसे’ शब्द ननकू की जगह आया है |

(ख) ‘ननकू’ शब्द क्या है ? संज्ञा / विशेषण ? सही का निशान () लगाइए |

उत्तर :- संज्ञा

(ग) संज्ञा की जगह आने वाले शब्द को सर्वनाम कहते हैं | दुसरे वाक्य में सर्वनाम शब्द कौन-सा है ?

उत्तर :- उसे

(घ) नीचे दिए गए वाक्यों में से सर्वनाम शब्द को छाँटकर लिखिए | यह भी बताइए कि उनका प्रयोग किसके लिए हुआ है ?

 

वाक्य

सर्वनाम शब्द

किसके लिए

उसके कई संगी-साथी उधर ही रहते थे |

..................

..................

हम तो केतना देरी से बइठल हली |

..................

..................

देखा, उसकी दादी और अम्मा सामान उठाने में लगी हैं |

..................

..................

 

 

जल्दी से उनको खटिया ने नीचे उतारा |

..................

..................

 

 

वाक्य

सर्वनाम शब्द

किसके लिए

उसके कई संगी-साथी उधर ही रहते थे |

  उसके

ननकू

हम तो केतना देरी से बइठल हली |

   हम

ननकू के दादाजी

देखा, उसकी दादी और अम्मा सामान उठाने में लगी हैं |

  उसकी

ललमुनियाँ

जल्दी से उनको खटिया ने नीचे उतारा |

  उनको

ननकू के दादाजी

 

 

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6. नीचे दिए गए मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –

(क) आव देखा न ताव  -  ...............................

(ख) टकटकी लगाना –   ...............................

(ग) दहाड़ मारकर रोना – ...............................

(घ) ख़ुशी से झूम उठना – ...............................

(ङ) अँधेरे का दीपक होना – ...............................

(च) बुढ़ापे की लाठी होना – ...............................

उत्तर :-

(क) आव देखा न ताव – ( बिना सोच विचार किए कोई काम करना ) – जब मोनिका राहुल को बैडमिंटन खेलने के लिए नही दी तो वह आव देखा न ताव, मोनिका को ढकेलकर भाग गया |

(ख) टकटकी लगाना – ( लालसापूर्वक लगातार देखते रहना ) – मोहन किसान बारिश होने के इंतेजार में आसमान की ओर टकटकी लगाए बादलों को देखे जा रहा था |

(ग) दहाड़ मारकर रोना – ( जोर-जोर से चिल्लाते हुए रोना ) – श्यामा मेले में खोये हुए बेटे को पुनः देखकर दहाड़ मारकर रोने लगी |

(घ) ख़ुशी से झूम उठना – ( बहुत खुश होना ) – मैट्रिक की परीक्षा में जब टिट्टू को मालूम हुआ कि वह 85% अंक लाया है तो वह ख़ुशी से झूम उठा |

(ङ) अँधेरे का दीपक होना – ( ऐसा व्यक्ति जिससे बहुत आशा हो ) – मोहन अपने गरीब माता-पिता का अँधेरे का दीपक है |

(च) बुढ़ापे की लाठी होना – ( एकमात्र सहारा ) – आनंद जी का इकलौता बेटा उनके बुढ़ापे की लाठी था, वह भी नौकरी करने विदेश चला गया |

कुछ तो ख़ास है

7. ‘ननकू’ कहानी में कई जगह ख़ास तरह की भाषा / शब्दों का प्रयोग हुआ है | इनके अर्थ बताइए –

v घुप्प अँधेरा –   ...............................

v झिड़की खाना – ...............................

v धौल खाना – ...............................

v हुलसना –  ...............................

v परसिडेंट – ...............................

उत्तर :-

घुप्प अँधेरा –  अत्यधिक अँधेरा 

झिड़की खाना – डाँट पड़ना

धौल खाना – मार खाना

हुलसना –  प्रसन्न होना

परसिडेंट – राष्ट्रपति

 

आपकी बात

1. ननकू ने अपने साहस भरे कारनामों से अपनी और दादाजी की जान बचाई | आप भी किसी ऐसी घटना के बारे में बताएँ जब आपने किसी की जान बचाई हो या किसी ने आपनी जान बचाई हो |

2.  ननकू के साहस भरे कारनामों के बारे में बताते हुए अपने नानाजी या दोस्त को पत्र लिखिए –

पटना

15 जून 2021

पूज्य नानाजी,

      सादर प्रणाम !

      मैं सकुशल हूँ | आशा है कि आप लोग भी सकुशल होंगे | नानाजी इस पत्र में, मैं एक ऐसे साहसी बालक के बारे में लिख रहा हूँ जिसने अपने साहस एवं बुद्धिमानी से अपनी तथा अपने दादाजी की जान बचाई |

     बाढ़ में उसका घर गिर गया | उसके घर का छप्पर जिस पर वह अपने दादाजी के साथ बैठा था, पानी की तेज धारा में बह चला | जब वह शहर में पुल के पास आया तो उसने रस्सी का एक छोर छप्पर के बाँस में बाँध दिया तथा दूसरा छोर पुल पर खड़े लोगों की तरफ फ़ेंक दिया | पुल पर खड़े लोगों ने उस रस्सी को थाम लिया | छप्पर पुल के पाये से टकराने के कारण रुक गया | फिर लोग उन दोनों को बाहर निकालें | इस साहसपूर्ण कार्य के लिए उसे राष्ट्रपति ने पुरस्कृत किया |

    नानाजी, इससे सिद्ध होता है कि मुश्किल घड़ी में जो साहस और विवेक से काम लेता है, उसकी जीत होती ही है | इस पत्र में बस इतना ही |

   नानीजी को मेरा प्रणाम कहियेगा |

आपका प्रिय नाती

कर्माकर

 

 

 

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               9. ममता की मूर्ति

आपकी कलम से

1. मदर टेरेसा के बारे में बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए |

उत्तर :-                               अशोक नगर

                                   कंकड़बाग, पटना-20

                                      19 जून 2021

प्रिय मित्र मीकू,

         मैं कुशलपूर्वक हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होगे | इस पत्र में मैं एक बहुत बड़ी समाजसेविका के बारे में बताने जा रहा हूँ जिनका नाम है – ‘मदर टेरेसा’ |

         मदर टेरेसा का जन्म 27 अगस्त 1910 ई० को युगोस्लाविया के स्पोजे नगर में हुआ था | उनके बचपन का नाम एग्नेस गोजा बोजोक्यू था | बाद में वे ‘नन’ बनकर गरीबों, असहायों एवं रोगियों की सेवा निःस्वार्थ भाव से करने लगीं | फिर वे मदर टेरेसा के नाम से प्रसिद्ध हो गयीं | वे असहाय, लावारिस और बीमार लोगों के लिए ‘निर्मल ह्रदय’ नामक घर की स्थापना कीं | यही वे प्यार से उनसब की सेवा करतीं | उनके कार्यों से प्रभावित होकर उनको भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार दिया गया |

       इस पत्र में बस इतना ही | अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना और छोटे भाई-बहन को प्यार |

      शुभकामनाओं के साथ,

                                   तुम्हारा प्रिय मित्र

                                     सोना दास

 


2. अनेक ऐसी महिलाएँ हैं जिन्होंने अपने कार्यों से काफी प्रसिद्धि पाई हैं | आप ऐसी किसी एक महिला के बारे में कक्षा में बताएँ | यह महिला आपकी माँ, दादी, नानी, मौसी भी हो सकती हैं |

उत्तर :- दीपिका पादुकोण एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने अपने कार्यों से काफी प्रसिद्धि पाई हैं | उनका जन्म 5 जनवरी 1986 को कोपनहेगन, डेनमार्क में हुआ लेकिन वे मूल रूप से भारतीय ही थी और हैं भी | कॉलेज में अध्ययन के दौरान वे मॉडलिंग करने लगीं | फिर उन्होंने हिमेश रेशमियां के एल्बम का गीत ‘नाम है तेरा ‘ से अभिनय शुरू किया | वे कन्नड़ फ़िल्म ‘ऐश्वर्या’ से फ़िल्म जगत में अपने कदम रखीं | फिर वे ‘ओम शांति ओम’ से सफलतापूर्वक बॉलीवुड में कदम रखीं | यह फ़िल्म भारत और विदेश दोनों जगह वर्ष की सबसे बड़ी हिट रही | वे रामलीला, चेन्नई एक्सप्रेस, बाजीराव मस्तानी, पद्मावत जैसे फिल्मों में किए गए अभिनय से दर्शकों और आलोचकों का दिल जीत लीं |

3. मदर टेरेसा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक घटनाओं के बारे में पता कीजिए और लिखिए |

उत्तर :- मदर टेरेसा को पढ़ाई के साथ-साथ गाना बेहद पसंद था | यह और इनकी बहन पास के गिरजाघर में मुख्य गायिकाएँ थीं | ऐसा माना जाता है कि जब यह मात्र बारह साल की थीं तभी इन्हें ये अनुभव हो गया था कि वो अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगायेंगी | जब वे अपने वार्षिक अवकाश पर दार्जिलिंग जा रही थीं, उसी समय उनकी अंतरात्मा से आवाज उठी थी कि उन्हें सब कुछ त्याग कर देना चाहिए और अपना जीवन सेवा में लगाना चाहिए | उन्होंने एक बार आवेश में अपना नाम बदलकर टेरेसा रख लिया और आजीवन सेवा का संकल्प अपना लिया |

 

सही या गलत

पाठ के आधार पर () या (×) निशान लगाइए –

मदर टेरेसा का बचपन का नाम मरिया था |

वे सेवा-भाव के कारण नन बनना चाहती थीं |

उन्होंने नर्स की ट्रेनिंग ली थी |

उनका कार्यक्षेत्र कोलकाता था |

वे कहती थीं – दुखी, रोगी आदि आपकी दया के हकदार हैं |

‘शिशु-सदन’ और ‘प्रेमघर’ उनकी संस्थाएँ थीं |

 

उत्तर :-

        i.            ( × )

      ii.            ( )

    iii.            ( )

   iv.            ( )

     v.            ( )

   vi.            ( )

 

2. सही शब्दों से वाक्यों को पूरा कीजिए –

(क) मेरी _______ बहुत अच्छा पढ़ाती हैं | (शिक्षक/शिक्षिका)

(ख) _______ पौधे लगा रहा था | (माली / मालिन)

(ग) मदर को एक _______ महिला मिली | (बुढ़ा / बूढ़ी)

(घ) मदर टेरेसा ने खूब प्रसिद्धि  _______ | (पाया / पाई)

(ङ) सभा में अनेक _______ बैठी थीं | (विद्वान/विदुषियाँ)

 

उत्तर :-

(क) शिक्षिका

(ख) माली

(ग) बूढ़ी

(घ) पाई

(ङ) विदुषियाँ

पाठ से बताइए

(क) मदर टेरेसा का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?

उत्तर :- मदर टेरेसा का जन्म 27 अगस्त 1910 ई० को युगोस्लाविया के स्पोजे नगर में हुआ था |

(ख) मदर टेरेसा के अनुसार जीवन का मूल मंत्र क्या है ?

उत्तर :- मदर टेरेसा के अनुसार जीवन का मूल मंत्र दुखी, रोगी, बेसहारा, असहाय तथा गरीब लोगों की मदद करना है |

(ग) किस दृश्य ने मदर टेरेसा का मन मोड़ दिया ?

उत्तर :- एक बार मदर टेरेसा एक ऐसी बुढ़िया को अस्पताल ले गईं जिसका शरीर चूहों तथा चींटों ने कुतर डाला था | उस बुढ़िया ने उन्हीं की बाहों में दम तोड़ दिया | इसी दृश्य ने उनका मन असहायों की मदद की ओर मोड़ दिया |

(घ) पीड़ितों के लिए मदर टेरेसा ने किन-किन संस्थाओं की स्थापना कीं ?

उत्तर :- पीड़ितों के लिए मदर टेरेसा ने निर्मल-ह्रदय, शिशु सदन, प्रेम घर और शांति नगर नामक संस्थाओं की स्थापना कीं |

आपकी समझ से

(क) यदि आपको कहीं घायल व्यक्ति मिले तो आप क्या करेंगे ?

उत्तर :- यदि मुझे कोई घायल व्यक्ति मिले तो मैं उसका प्राथमिक उपचार करवाने के बाद उसे किसी अस्पताल में ले जाऊँगा | जब तक उसका कोई रिश्तेदार नहीं आ जाता, उसकी सेवा करूँगा | 

(ख) किसी भूखे व्यक्ति को खाना खिलाकर आपको किस प्रकार की अनुभूति होगी ?

उत्तर :- किसी भूखे व्यक्ति को खाना खिलाकर मुझे अत्यंत हर्ष की अनुभूति होगी | मुझे बहुत अच्छा लगेगा कि मैं किसी के काम आ सका और मैं ईश्वर का कृतज्ञ मानूँगा कि उन्होंने मुझे मदद करने वालों में बनाया, मदद माँगनेवालों में नहीं |

भाषा की बात

1. “वहाँ अपार जन-समूह एकत्रित था |” इस वाक्य को वर्तमान काल में इस रूप में लिखा जा सकता है –

“वहाँ अपार जन-समूह एकत्रित है |” निम्नलिखित वाक्यों को वर्तमान काल में लिखें |

(क) उनके शरीर पर कोई आभूषण नहीं था |

--------------------------------------------------------

(ख) वह महिला कौन थी ?

--------------------------------------------------------

(ग) एक स्त्री सड़क पर लेटी हुई थी |

--------------------------------------------------------

(घ) वह दर्द से कराह रही थी |

--------------------------------------------------------

उत्तर :-

(क) उनके शरीर पर कोई आभूषण नहीं था |

    उनके शरीर पर कोई आभूषण नहीं है |

(ख) वह महिला कौन थी ?

    वह महिला कौन है ?

(ग) एक स्त्री सड़क पर लेटी हुई थी |

    एक स्त्री सड़क पर लेटी हुई है |

(घ) वह दर्द से कराह रही थी |

   वह दर्द से कराह रही है |

2. निम्नलिखित वाक्यों में ‘का’ , ‘के’ , ‘की’ भरिए –

(क) यह मेरे जीवन भर _______ कमाई है |

(ख) बचपन से ही उनके मन में सेवा _______ भाव था |

(ग) प्रशिक्षण _______ बाद उन्हें कोलकाता भेजा गया |

(घ) उन्होंने वृद्ध व्यक्तियों _______ ध्यान रखा |

(ङ) उन्होंने एक नई संस्था _______ स्थापना की |

 

उत्तर :-

(क) की

(ख) का

(ग) के

(घ) का

(ङ) की

3. ‘उनका वास्तविक नाम एग्नेस गोजा बोजाक्यू था |’ यहाँ ‘वास्तविक’ शब्द ‘वास्तव’ में ‘इक’ लगाकर बनाया गया है | इस प्रकार ‘इक’ लगे हुए कुछ शब्द लिखिए –

देह + इक = -----------

देव + इक = -----------

शरीर + इक = ----------

नगर + इक = ------------

 

उत्तर :-

देह + इक = दैहिक

देव + इक = दैविक

शरीर + इक = शारीरिक

नगर + इक = नागरिक

 

 

कुछ करने को

1. एक दिन उन्होंने ऐसा भयानक दृश्य देखा जिसने उनके जीवन की दिशा को नया मोड़ दे दिया | क्या आपको कभी ऐसा दृश्य देखने को मिला है जिसने आपको सोचने के लिए विवश किया हो ? बताइए |

उत्तर :- एक बार मैं अपने एक मित्र के साथ मोटरबाइक देर रात के बारात से लौट रहा था | तभी मेरी नजर मेन रोड के किनारे और डिवाइडर पर सोये हुए व्यक्तियों पर पड़ी | दिसम्बर के महीने में चाँद भी काँपता मालूम पड़ रहा था | यह दृश्य मुझे सोचने के लिए विवश कर दिया कि आज सब लोग चाँद-मंगल पर बसने की बात सोच रहे हैं और यहाँ कई लोगों को भयानक ठंड में सड़क पर सोना पड़ रहा है |

2. ‘मदर टेरेसा’ के अतिरिक्त किसी अन्य समाज सेवक / सेविका के बारे में अपने अध्यापक / अध्यापिका से जानिए |

उत्तर :- राजा राममोहन राय उस समय के समाजसेवक थे जब भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था | वे ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी छोड़कर अपने आपको राष्ट्रसेवा में झोंक दिए | उन्होंने अंधविश्वास, कुरीतियों, बाल-विवाह, सती प्रथा, जातिवाद, कर्मकांड, पर्दा प्रथा आदि का पुरजोर विरोध किया | उन्होंने गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैंटिक की मदद से सती प्रथा का अंत किया |

3. ‘मानव-सेवा सबसे बड़ा धर्म है |’ इस विषय पर अपने विचार बताइए |

उत्तर :- ‘मानव-सेवा सबसे बड़ा धर्म है |’ हम हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी होने से पहले एक मानव हैं | जब भी हम दूसरों की सेवा के लिए अपने कदम बढ़ाते हैं, प्रकृति की खुशियाँ दुगुनी तेजी से अपने कदम हमारी ओर बढ़ाती है | कुछ चंद भर स्वार्थी लोग धर्म के तावे पर अपनी रोटी सेंकने में लगे रहते हैं | हमें ये चाहिए कि हमसभी उनसे प्रभावित न हो और दूसरों की मदद करते रहें |

कुछ करने के लिए

नीचे दिए गए अक्षर जाल में से विशेषण शब्द चुनकर लिखिए –

मी

ठा

चा

ला

सी

वी

ठं

डा

ला

रं

गी

मा

र्म

नु

ला

की

फे

दा

ना

ला

सुं

 

 

 

 

मी

ठा

चा

ला

सी

वी

ठं

डा

ला

रं

गी

मा

र्म

नु

ला

की

फे

दा

ना

ला

सुं

 

 

 उत्तर :-

रसीला, नुकीला, गीला,

ईमानदार, मीठा, चालाक,

वीर, ठंडा, लाल, रंगीन,

गर्म, नमकीन, घना, सुंदर


 



                           10. आया बादल

                 अभ्यास

1. बादलों के बरसने के बाद आपके आस-पास क्या बदलाव नजर आता है ? उस दृश्य का एक चित्र बनाकर रंग भरिए –

उत्तर :- बादलों के बरसने के बाद पेड़-पौधे हरे-भरे दिखाई देते हैं | खेतों में बरसात के महीने में धान की फसल उगाई जाती है | नदी-नाले और सरोवर सभी में जल भर जाता है और मेंढक टर्र-टर्र करके शोर मचाने लगते हैं | घास के मैदानों में एक अजीब-सी ताजगी छा जाती है |

 

 

 

 

2. आपने भी बादलों को गौर से देखा होगा | आपको उनमें किसकी आकृति नजर आती है ? चित्र बनाइए |

उत्तर :- मैं जब बादलों को गौर से देखता हूँ तो मुझे विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु जैसे घोड़ा, हाथी, खरगोश इत्यादी दिखलाई पड़ते हैं |

 

 

 

3. बारिश आने वाली है | इस बात का अनुमान आप कैसे लगाते हैं ?

उत्तर :- बारिश आने वाली है | इस बात का अनुमान हम आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादलों, चमकती बिजली और गरजते बादलों से लगाते हैं | 

 


4. ‘बादल’ के साथ आप किन-किन चीजों को जोड़ना चाहेंगे ? उनके नाम लिखिए –


 

 


  


6. ‘बादल’ से जुड़ी नीचे लिखी कविताओं को पढ़िए | इनमें ‘बादल’ के लिए अलग-अलग शब्दों का प्रयोग किया गया है | उन्हें छाँटकर लिखिए |





 

 

 


उत्तर :-

मेघ, घन और बदरा

क्या आप जानते हैं कि –

·        सभी बादलों से बारिश नहीं होती |

·        बादलों के आधार पर उनके अलग-अलग नाम होते हैं |

·        इनमें से तीन प्रकार के बादल सबसे ख़ास होते हैं –

 

 

रेशेदार बादल घने रेशे जैसे दिखाई पड़ते हैं |

 ये खुद तो बारिश नहीं करते लेकिन बताते हैं कि कहीं तेज आँधी-तूफान चल रहा है |

कपासी बादल कपास के ढ़ेरों की तरह दिखते हैं |

 इनकी तली गहरे रंग की और सपाट होती है | जबकि ऊपरी हिस्सा गोल सुंदर आकार का और चमकदार, सफेद होता है | कभी-कभी ये हवा के कारण बहकर एक-दूसरे से मिल जाते हैं और फिर घने होकर बारिश लाने वाले गरजने-चमकने वाले बादलों का रूप ले लेते हैं |

फैले हुए बादल तब बनते हैं जब ढेर सारे कपासी बादल मिलकर एक निरंतर परत बना लेते हैं | ये ज्यादा घने और काले होते हैं और अक्सर बूंदाबाँदी लाते हैं |

  

   


 

                               11. एक पत्र की आत्मकथा



 

बातचीत के लिए

(क) डाकिया चिट्ठी के अलावा और क्या-क्या बाँटता है ?

उत्तर :- डाकिया चिट्ठी के अलावा पार्सल, मनीआर्डर, भेजा गया उपहार, निबंधित पत्र आदि बाँटता है |

(ख) यदि आपको पत्र लिखने का मौका मिले तो, आप किसे पत्र लिखना चाहेंगे और क्यों ?

उत्तर :- यदि मुझे पत्र लिखने का मौका मिले तो, मैं अपने नाना-नानी को पत्र लिखना चाहूँगा क्योंकि उनकी श्रवण-क्षमता क्षीण होने की वजह से वे ठीक से नही सुन पाते हैं जिसके कारण मेरी उनसे बात मोबाइल से नहीं हो पाती है |

(ग) आप उस पत्र में क्या-क्या लिखेंगे ?

उत्तर :- मैं उस पत्र में उनका और घर के बाकी सदस्यों का हाल-चाल पूछूँगा और अपने घर का हाल-चाल बताऊँगा | साथ ही साथ मैं उनको अपने जन्मदिन पर आने के लिए आग्रह करूँगा |

(घ) जिसको पत्र लिखा जा रहा है, उस तक पत्र पहुँच जाए इसके लिए पत्र पर क्या लिखना होगा ?

उत्तर :- जिसको पत्र लिखा जा रहा है, उस तक पत्र पहुँच जाए इसके लिए पत्र पर पत्र पानेवाले का नाम एवं पता पिन कोड सहित साफ-सुथरे अक्षरों में लिखना होगा |

 

पाठ से

(क) एक पत्र की आत्मकथा कौन कह रहा है और किसके बारे में कह रहा है ?

उत्तर :- एक पत्र की आत्मकथा एक पत्र स्वयं कह रहा है | वह अपने यात्रा के बारे में कह रहा है |

(ख) हवाई जहाज से भेजे जाने वाले पत्र को आप कैसे पहचानेंगे ?

उत्तर :- हवाई जहाज से भेजे जाने वाले पत्र का लिफाफा सफेद रंग का होता है जिस पर लाल व नीली तीन धारियाँ बनी होती हैं |

(ग) आर. एम. एस. का क्या अर्थ होता है ?

उत्तर :- आर. एम. एस. का अर्थ रेलवे मेल सर्विसहोता है |

(घ) आर. एम. एस. कार्यालय में पत्रों के साथ क्या-क्या होता है ?

उत्तर :- आर. एम. एस. कार्यालय में पत्रों को दिशावार छाँटा जाता है |

(ङ) डाक से भेजे जाने वाले पत्र पर डाक टिकट क्यों लगाते हैं ?

उत्तर :- डाक टिकट चिपकने वाले कागज़ से बना एक साक्ष्य है जो यह दर्शाता है कि डाक सेवाओं के शुल्क का भुगतान हो चुका है | यह राजस्व का प्रतीक है | इसलिए डाक से भेजे जाने वाले पत्र पर डाक टिकट लगाते हैं |

(च) पत्र पर लगे डाक टिकट पर सील क्यों लगाया जाता है ?

उत्तर :- पत्र पर लगे डाक टिकट पर सील इसलिए लगाया जाता है ताकि पुरानी डाक टिकट को पुनः उपयोग में नही लिया जा सके एवं पत्र किस स्थान से चला है, इसका भी पता चलता है |

 

 

(छ) भेजे जाने के दौरान विभिन्न स्थानों पर पत्रों की छँटाई की जाती है, क्यों ?

उत्तर :- भेजे जाने के दौरान विभिन्न स्थानों पर पत्रों की छँटाई की जाती है ताकि सभी पत्रों को दिशावार और क्षेत्रवार छाँटकर उन पत्रों को गंतव्य स्थान तक पहुँचाया जा सके |

भाषा के नियम

(1) नीचे दिए गए शब्द-जोड़ों से वाक्य बनाइए

भीड़-भाड़ - ................................

चहल-पहल - ..............................

आस-पास - ...................................

अलग-थलग - ..................................

उत्तर :-

भीड़-भाड़ दशहरा में हर साल सड़कों पर भीड़-भाड़ रहती है |

चहल-पहल दीपावली आते ही बाजार में खरीददारों की चहल-पहल होने लगी |

आस-पास चीकू के घर के आस-पास हरियाली ही हरियाली थी |

अलग-थलग दसवीं पास करते ही मीना के सभी दोस्त अलग-थलग हो गए |

 

 

 

 

(2) नीचे दिए गए वाक्यों में एक शब्द किसी दूसरे की विशेषता बता रहा है | विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषणकहते हैं | वाक्यों में विशेषण शब्दों पर घेरा लगाइए

(क) शांति ने सुंदर-सी राखी बनाई |

(ख) मैं एक काली-सी गुफा में जाकर गिर पड़ा |

(ग) मैं तो एक पीले लिफाफे में बंद था |

(घ) डाकिया खाकी वर्दी पहने हुए था |

(ङ) पहले समुन्द्र में चलने वाले बड़े-बड़े जहाज़ों से पत्र भेजे जाते थे |

(च) तुम डरो नहीं, हम तुम्हें सही ठिकाने पर पहुँचा देंगे |

उत्तर :-

(क) सुंदर-सी

(ख) काली-सी

(ग) पीले

(घ) खाकी

(ङ) बड़े-बड़े

(च) सही

 

 

 

 

 

 

3. बताइए, रेखांकित सर्वनाम शब्द किसके लिए आए हैं

(क) वे  सब अलग-अलग जगह जा रहे थे | ...............

(ख) मैं  तो एक पीले लिफाफे में बंद था |  ................

(ग) उसने  पेटी में ताला डाला |  ................

(घ) उन्होंने  हमें बाँटना शुरू किया | ................

(ङ) उसने  रमेश को एक पत्र लिखा | ................

 

उत्तर :-

(क) वे सब अलग-अलग जगह जा रहे थे | बिशनपुर पत्र-पेटी में पड़े पत्र

(ख) मैं तो एक पीले लिफाफे में बंद था |   पत्र

(ग) उसने पेटी में ताला डाला |    डाकिया

(घ) उन्होंने हमें बाँटना शुरू किया |   डाकिया

(ङ) उसने रमेश को एक पत्र लिखा |    शांति

 

 

 

 

 

 

 

 

अनुमान लगाइए

(i) शांति ने 03 अगस्त 2011 को पत्र लिखा | रमेश तक वह पत्र कब पहुँचा होगा ?

उत्तर :- रमेश तक वह पत्र 08 अगस्त 2011 तक पहुँचा होगा |

(ii) शांति का पत्र कहाँ-कहाँ से गुजरते हुए रमेश तक पहुँचा ?

  माँ >> थैली>>(     )>>(     )>>(     )>>(     )>> रमेश 

उत्तर:- माँ  »»  थैली  »» बिशनपुर डाकघर »»  गया स्टेशन  »»  दिल्ली स्टेशन  »»  दिल्ली बड़ा डाकघर  »»  रमेश

पता कीजिए

हमलोग पत्र लिखने अथवा भेजने के लिए डाकघरों से क्या-क्या खरीदते हैं ? आजकल इनके क्या मूल्य हैं ?

   नाम

   मूल्य

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

नाम

मूल्य

लिफाफा

5 रूपये

डाक टिकट

10 रूपये

पोस्टकार्ड

1 रुपया

 

पत्र लिखिए

अपनी पाठ्यपुस्तक में से सबसे मजेदार कहानी के बारे में अपनी मामीजी को पत्र लिखिए |

  

 

उत्तर :-                                                          अशोक नगर

                                                               कंकड़बाग़, पटना-20    

                                                                  16 मार्च 2022

पूजनीया मामीजी,

  सादर प्रणाम !

      मैं और मेरा परिवार यहाँ ठीक हैं और आशा करता हूँ आपसब भी वहाँ सकुशल होंगे | इस पत्र में मैं एक बहुत ही मजेदार कहानी लिखने जा रहा हूँ जिसका नाम है – ‘टिपटिपवा’ |

     भुवन रोज रात को सोने से पहले दादी से कहानी सुनता | एक दिन मूसलाधार बारिश हुई | दादी की झोपड़ी की छत से टपकते हुए पानी को देखकर दादी बोली – “न शेरवा एक डर, न बघवा के डर | डर त डर टिपटिपवा के डर |” यह सुनकर झोपड़ी के पीछे छिपे बाघ को लगा कि टिपटिपवा उससे भी ज्यादा खतरनाक कोई प्राणी है | वह डर के मारे तालाब के किनारे घास में छिप गया | भोला को अँधेरे में लगा कि बाघ ही उसका गुम हुआ गदहा है | वह उसको खूब पिटा |

      इस पत्र में बस इतना ही | मामाजी को मेरा प्रणाम कहियेगा |

                                                              आपका प्यारा भाँजा

                                                                     मोहन  

 

 

            

 

 

 

संवाद

1. पत्र जब पेटी में बाकी पत्रों से मिला तो उनके बीच क्या बातचीत हुई होगी ? कल्पना कीजिए और उनके संवाद बोलिए |

उत्तर :- पत्र जब पेटी में बाकी पत्रों से मिला तो उनके बीच यही बातचीत हुई होगी कि तुम कहाँ जोओगे और कैसे जाओगे |

2. भारी ठप्पे से पत्रों पर सील लगाने पर उन्हें कैसा लगा होगा ? उन्होंने डाकिए से क्या कहा होगा ? कल्पना कीजिए और संवाद बोलिए |

उत्तर :- भारी ठप्पे से पत्रों पर सील लगाने पर उन्हें बहुत चोट का एहसास हुआ होगा और दर्द से कराहे होंगे | उन्होंने डाकिए से कहा होगा कि इतनी जोर से ठप्पा मत लगाओ |

कुछ इस तरह

इस पाठ में पत्र ने अपनी आत्मकथा बताई है |

1. आप भी अपने बारे में बताते हुए अपनी आत्मकथा लिखिए |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

बूझो तो जानें :-

दो रूपए का एक लिफाफा,

मिलता था अगर पहले,

आज डाकघर के लिफाफे

दो मिलते ले दहले ||

बारह रुपए दे मुनिया ने,

माँगे पाँच लिफाफे,

कितने शेष और फिर देकर,

मुनिया गहे लिफाफे |

उत्तर :-

चूँकि  2 लिफाफा 10 रूपये में मिलता है |

  1 लिफाफा 5 रूपये में मिलेगा |

  5 लिफाफा मिलेगा 5 × 5 = 25 रूपये में

मुनिया बारह रुपया दी तो उसे (25 12) रूपये यानी 13 रूपये और देने होंगे |

अतः तेरह रूपये और देकर मुनिया लिफाफे ली होगी |

 

 

  

 


                                          12. कविता का कमाल

 

अभ्यास

बातचीत के लिए

1. राजमहल क्या है ? इसमें कौन-कौन लोग रहते होंगे ?

उत्तर :- राजमहल राजा के रहने के लिए एक बहुत बड़ा आलीशान महल होता है | इसमें राजा के साथ रानी, उनका परिवार, मंत्रीगण, उनकी देखरेख करने के लिए नौकर-चाकर, सिपाही और रक्षकदल आदि रहते हैं |

2. सुखी रहने के लिए मदन एवं उसकी माँ ने सोने-चाँदी से क्या-क्या ख़रीदा होगा ?

उत्तर :- सुखी रहने के लिए मदन एवं उसकी माँ ने सोने-चाँदी से जरुरी सामान जैसे कपड़े, जूते, बर्तन आदि और दैनिक जरुरत के खाने-पीने के सामान जैसे अनाज आदि जीवनोपयोगी वस्तुएँ ख़रीदे होंगे

3. राजा का खजाना लुटने से बच गया, कैसे ?

उत्तर :- राजा का खजाना मदन की कविता के कारण लुटने से बच गया | राजा उसकी कविता का अर्थ समझने के लिए रात में छत पर बार-बार दोहरा रहे थे लेकिन धन्नूशाह को लगा कि राजा वास्तव में उनसब को देख रहे हैं |

 

 

 

 

 

4. किन-किन अवसरों पर डुगडुगी पीटी जाती होगी, इनकी सूची बनाइए |

उत्तर :- कई अवसरों पर डुगडुगी पीटी जाती है :-

(i) शादी-ब्याह पर लोगों को कुछ सूचना देने के लिए जैसे भोज शुरू होने की सूचना

(ii) गाँव में मुखिया का कोई आदेश सभी जन तक पहुँचाने के लिए

(iii) चुनाव के समय नेताजी के घोषणापत्र बतलाने के लिए

(iv) सर्कस दिखाने वाले के द्वारा लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए

(v) कुछ भिखारियों के द्वारा डुगडुगी बजाकर भीख माँगने के लिए

 

5. आप किन-किन कामों के लिए डुगडुगी पीटेंगे ? इनकी भी सूची बनाइए |

उत्तर :- मैं कई कामों के लिए डुगडुगी पीटूँगा :-

(i) शादी का भोज शुरू होने की सूचना देने के लिए

(ii) मुखिया के कहने पर सरकारी योजनाओं से आम जनता को अवगत कराने के लिए

(iii) चुनाव के वक्त ईमानदार और पढ़े-लिखे उम्मीदवार को जीताने के लिए प्रचार करते वक्त

(iv) गाँव में आए किसी खतरे की सूचना देने के लिए

 

 

 

 

 

6. किसी बात को लोगों तक पहुँचाने के और कौन-से तरीके हो सकते हैं ?

उत्तर :- किसी बात को लोगों तक पहुँचाने के अन्य साधन रेडियो, टेलीविज़न, लाउडस्पीकर और समाचार पत्र हैं | इसके अलावा पर्ची पर संदेश को लिखकर बाँटना, दीवालों पर पोस्टर चिपकाना और संदेश को चित्र या लिखित रूप में प्रस्तुत करना, विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे- फेसबुक, व्हाट्सएप आदि और कई वेबसाइट हैं |

पाठ से

1. माँ ने तंग आकर मदन से क्या कहा ?

उत्तर :- माँ ने तंग आकर मदन से कहा, अब मैं तुझे बैठाकर नहीं खिला सकती | जा, कुछ पैसे कमाकर ला |

2. मदन को कविता रचने की प्रेरणा किन-किन चीजों से मिली ?

उत्तर :- मदन को कविता रचने की प्रेरणा कुत्ता, भैंस, चिड़िया, साँप और धन्नूशाह से मिली |

3. धन्नूशाह को महल का रास्ता इतनी अच्छी तरह क्यों मालूम था ?

उत्तर :- धन्नूशाह राजा का कर्मचारी था इसीलिए उसे महल का रास्ता अच्छी तरह मालूम था |

4. मदन को कविता रचने की आवश्यकता क्यों पड़ी ?

उत्तर :- राजदरबार में होनेवाले कवि सम्मेलन में भाग लेने के लिए मदन को कविता रचने की आवश्यकता पड़ी |

 

 

 

 

5. राजा ने मदन को शाबासी व इनाम क्यों दिया ?

उत्तर :- मदन की कविता का ही कमाल था जिसके कारण राजा का खजाना लुटते-लुटते बचा था | इसी कारण राजा ने मदन को शाबासी व इनाम दिया |

6. किसने, किससे कहा ?

(क) अब मैं तुझे बैठाकर नहीं खिला सकती | जा, कुछ पैसे कमाकर ला |

--------------------------------------------------------------

(ख) राजदरबार में कवि सम्मेलन हो रहा है | सबसे अच्छी कविता सुनाने वाले को सौ अशर्फियाँ इनाम में मिलेगी |

--------------------------------------------------------------

(ग) भैया, आपको राजमहल का रास्ता मालूम है ?

---------------------------------------------------------

(घ) क्षमा कर दीजिए, महाराज !

------------------------------------------------------

(ङ) यह सब तुम्हारी कविता का कमाल है |”

-----------------------------------------------------

 

 

 

 

 

(क) अब मैं तुझे बैठाकर नहीं खिला सकती | जा, कुछ पैसे कमाकर ला |

उत्तर :- माँ ने पुत्र मदन से कहा |

(ख) राजदरबार में कवि सम्मेलन हो रहा है | सबसे अच्छी कविता सुनाने वाले को सौ अशर्फियाँ इनाम में मिलेगी |

उत्तर :- डुगडुगी पीटने वाले ने लोगों से कहा |

(ग) भैया, आपको राजमहल का रास्ता मालूम है ?

उत्तर :- मदन ने धन्नूशाह से कहा |

(घ) क्षमा कर दीजिए, महाराज !

उत्तर :- धन्नूशाह ने राजा से कहा |

(ङ) यह सब तुम्हारी कविता का कमाल है |”

उत्तर :- राजा ने मदन से कहा |

(7) पाठ के आधार पर सही () और गलत (×) का निशान लगाइए |

(क) मदन अपनी विधवा माँ के साथ गाँव में रहता था | ()

(ख) राजमहल में एक संगीत प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा था | (×)

(ग) मदन चलते-चलते एक नदी के पास पहुँचा | (×)

(घ) मदन को राजा ने सोने-चाँदी से मालामाल कर दिया | ()

 

 

 

 

आपकी समझ से

1.

(क) ज्यादा टी०वी० देखने के कारण तंग आ कर आपकी माँ या पिताजी आपको क्या कहते हैं ?

उत्तर :- ज्यादा टी०वी० देखने के कारण तंग आ कर मेरी माँ मुझसे कहती है पढ़ लो, नहीं तो घास कवाड़ोगे और पिताजी कहते हैं थोड़ा पढ़ लो, नहीं तो तुमको कोई कुत्ता भी नहीं पूछेगा |

(ख) मदन की कविता को सभी लोग विचित्र क्यों मान रहे थे ?

उत्तर :- मदन की कविता को सभी लोग विचित्र इसलिए मान रहे थे क्योंकि किसी को भी उसकी कविता का मतलब समझ में नहीं आ रहा था |

2.

अशर्फियाँ क्या होती हैं ? अगर कोई आपको सौ अशर्फियाँ दे तो आप उनका क्या करेंगे ?

उत्तर :- अशर्फियाँ सोने-चाँदी के सिक्के होते हैं | यदि मुझे कोई सौ अशर्फियाँ दे तो मैं उनको बेचकर जमीन खरीदकर घर बनाऊँगा और कोई अच्छा-सा व्यवसाय करूँगा |

 

 

 

 

 

 

 

 

भाषा के नियम

1. रटते-रटतेउसे अपने आप एक पंक्ति सूझ गई | इस वाक्य में रटतेशब्द का दो बार प्रयोग हुआ है | इस तरह के अन्य शब्द पाठ से ढूँढकर लिखिए

------------  ---------- ------------  ------------   ------------

उत्तर :- सरक-सरक, सुरूर-सुरूर, खुदुर-खुदुर, चलते-चलते, लुटते-लुटते

2. इन मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करते हुए अर्थ बताइए

(क) काटो तो खून नहीं

(ख) हक्का-बक्का रह जाना

(ग) दया की भीख माँगना

(घ) मालामाल कर देना

(ङ) मन में लड्डू फूटना

(च) काम तमाम कर देना

(क) काटो तो खून नहीं – ( स्तब्ध रह जाना ) परीक्षा में नकल करते पकड़े जाने पर गिला कुमारी को काटो तो खून नहीं जैसी स्थिति हो गई थी |

(ख) हक्का-बक्का रह जाना – ( हैरान रह जाना ) मिलांगनी चोरनियों के गिरोह से मिली हुई है, यह जानकर मैं हक्का-बक्का रह गया |

 

 

(ग) दया की भीख माँगना – ( माफी के लिए गिड़गिड़ाना ) मोंटी सिगरेट पीते पकड़े जाने पर अपने पिताजी से दया की भीख  

माँगने लगा |

(घ) मालामाल कर देना – ( खूब धन देना ) सेनीटाइजर की अत्यधिक डिमांड ने इसे बनाने वाली कंपनियों को मालामाल कर दिया |

(ङ) मन में लड्डू फूटना – ( मन ही मन बहुत खुश होना ) बिना अच्छे से पढ़े परीक्षा में फर्स्ट डिवीज़न लाने पर मीणा के मन में लड्डू फूटने लगा |

(च) काम तमाम कर देना – ( किसी को मार डालना ) सुपारी नहीं देने पर लुटेरों ने पान व्यापारी का काम तमाम कर दिया |

 

3. पाठ में से वर्तमानकाल, भूतकाल और भविष्यतकाल वाले तीन-तीन वाक्य छाँटकर लिखिए

वर्तमानकाल

(i) --------------------------------------------------

(ii) --------------------------------------------------

(iii) --------------------------------------------------

भूतकाल

 (i) --------------------------------------------------

(ii) --------------------------------------------------

(iii) --------------------------------------------------

 

 

 

 

भविष्यतकाल

(i) --------------------------------------------------

(ii) --------------------------------------------------

(iii) --------------------------------------------------

 

उत्तर :-

वर्तमानकाल

i) राजदरबार में कवि सम्मेलन हो रहा है |

ii) आपका खजाना सही सलामत है |

iii) यह सब तुम्हारी कविता का कमाल है |

भूतकाल

i) माँ-बेटा बहुत गरीब थे |

ii) एक भैंस पानी पी रही थी |

iii) एक साँप रेंगता जा रहा था |

भविष्यतकाल

i) सबसे अच्छी कविता सुनानेवाले को सौ अशर्फियाँ इनाम में मिलेंगी |

ii) यह राजमहल का ही कोई कर्मचारी होगा |

iii) अब भूलकर भी ऐसा काम नहीं करूँगा |

 

 

 

 

 

4. पाठ में कविता को विचित्रकहा गया है | आप कविता के लिए किन विशेषण शब्दों का प्रयोग करेंगे ?

---------------     ---------------    ----------------

उत्तर :- शानदार, अनोखा, बढ़िया

5. इनके लिए भी दो-दो विशेषण शब्द सुझाइए

(i) माँ -     --------------    --------------

(ii) महल -   --------------    --------------

(iii) मदन -   ---------------   ------------

(i)  माँ -     प्यारी,  दयालु

(ii)  महल -   विशाल,  भव्य

(iii)  मदन -  मस्त,  खेलप्रिय

 

विराम-चिह्न

नीचे दिए गए वाक्यों में सही विराम-चिह्न लगाइए

(क) मदन ने कहा महाराज मैंने बहुत अच्छी कविता बनाई है

उत्तर :- मदन ने कहा, “महाराज ! मैंने बहुत अच्छी कविता बनाई है |”

(ख) चोरों ने सारा धन चुरा लिया

उत्तर :- चोरों ने सारा धन चुरा लिया |

 

 

 

(ग) कहाँ चल दिए

उत्तर :- कहाँ चल दिए ?

(घ) बाप रे इतना पैसा कहाँ से आया

उत्तर :- बाप रे ! इतना पैसा कहाँ से आया ?

(ङ) क्या सुरूर सुरूर बोल रहे हो

उत्तर :- क्या सुरूर-सुरूर बोल रहे हो ?

 

संवाद और अभिनय

1. कविता का कमालकहानी का कक्षा या विद्यालय में मंचन कीजिए |

उत्तर :- स्वयं कीजिए |

2. आप इस नाटक में किस पात्र की भूमिका निभाना चाहेंगे और क्यों ?

उत्तर :- मैं इस नाटक में मदन की भूमिका निभाना चाहूँगा क्योंकि मदन कहानी की मुख्य पात्र है और अंत में राजा से शाबाशी और ढेर सारे धन पाता है |

3. मंचन के लिए आपको किन-किन पात्रों और सामानों की जरुरत पड़ेगी ? एक सूची बनाइए |

उत्तर :- मंचन के लिए मदन की माँ, डुगडुगी पीटने वाला, धन्नूशाह, राजा, कविगण, कुछ चोर, कुछ सिपाही आदि तथा सामानों में सभी पात्रों के लिए विशेष पोशाक, पर्दा, लाइट, ढ़ोल, मुकुट, सिंहासन आदि की जरुरत पड़ेगी |

 

 

 

 

 

आपकी कल्पना और कलम

1. अगर मदन यह कहानी सुनाता तो कैसे सुनाता ? मदन की जगह स्वयं को रखते हुए कविता का कमालकहानी सुनाइए और लिखिए |

उत्तर :- अगर मदन यह कहानी सुनाता तो मैं-मैं करके सभी घटनाओं का वर्णन करता | मदन की जगह मैं तो इस प्रकार कविता का कमालकहानी सुनाता

        बहुत पुरानी बात है | मैं अपनी माँ के साथ गाँव में रहता था | पिताजी के अंतिम साँसे लेने के बाद हमदोनों के पास कमाई का कोई साधन नही था जिसके कारण हमसभी बहुत गरीब थे | उस वक्त मुझमें परिवार की जिम्मेदारियों की कोई समझ नहीं थी | मैं दिनभर खेल-कूद में अपना समय बिता देता था | मेरी इसी बेवकूफी से तंग आकर एक दिन मेरी माँ मुझे पैसे कमाने के लिए बोली | मैं घर से निकल पड़ा और सोच ही रहा था कि पैसे कैसे कमाएँ कि मुझे डुगडुगी पीटने की आवाज सुनाई दी | “सुनो, सुनो, सुनो ! राजदरबार में कवि सम्मेलन हो रहा है | सबसे अच्छी कविता सुनाने वाले को सौ अशर्फियाँ इनाम में मिलेंगी |” मैं राजमहल की ओर चल पड़ा लेकिन मैं सोच रहा था कैसे कविता रचूँ ? कभी कविता रचा न था | मेरे मस्त स्वभाव ने इसका हल निकाल ही लिया |

       रास्ते में एक कुत्ते को जमीन खोदते देख मेरे दिमाग में एक वाक्य आया – “खुदुर-खुदुर का खोदत है ?” इसी तरह तालाब में एक भैंस को पानी पीते देख – “सुरुर-सुरूर का पीबत है ?”, पेड़ की डाल पर एक चिड़िया को इधर-उधर झाँकते देख – “टाक-झाँक का खोजत है ?” मेरे दिमाग में सुझा | फिर मैं एक और वाक्य आगे जोड़ दिया – “हम जानत का ढूँढत है !फिर एक साँप को देखकर एक वाक्य सुझा – “सरक-सरक कहाँ भागत है ? जानत हो, हम देखत है ? हमसे न बच सकत है !

       राजधानी पहुँचकर एक आदमी से राजमहल का रास्ता पूँछा | उसने अपना नाम धन्नूशाह, भाई भन्नूशाह बताया | फिर मैं सोचा क्यूँ न इसी को कविता की अंतिम पंक्ति बना लूँ |

       राजमहल पहुँचा तो देखा कवि-सम्मेलन में एक-एक करके कवि अपनी कविता सुना रहे हैं | मैंने अपनी कविता सुनाई तो सभी को विचित्र मालूम पड़ा | फिर अगले दिन मुझे राजा का बुलावा आया | राजा ने मुझे शाबाशी देकर कहा, “यह सब तुम्हारी कविता का कमाल है |”

      मैं कुछ समझ नहीं पाया | फिर राजा साहब मुझे सारी बात समझाएँ | बीती रात राजा साहब कविता की पहेली को बूझने के लिए छज्जे पर खड़े होकर कविता को दोहरा रहे थे | संयोग से उसी वक्त धन्नूशाह के साथ कुछ चोर राजा के खजाने में सेंध लगा रहे थे | जब राजा बोले – “खुदुर-खुदुर का खोदत है ?” तो चोर चौंक गए | वे अपने साथ जमीन को मुलायम करने के लिए पानी लाए थे | डर के मारे धन्नूशाह ने अपने सूखे गले को पानी की एक-आध घूँट चखाई | जब राजा सुरूर-सुरुर का पिबत है?” बोले तो चोर सहमकर इधर-उधर झाँकने लगे |

     फिर चोर दबे पाँव बाहर जाने लगे | जब वे सुने –“ताक-झाँक का खोजत है ? हम जानत, का ढूँढत है !धन्नूशाह की तो साँस रुक गई जब उसके कानों में यह वाक्य गुंजी – “सरक-सरक कहाँ भागत है ? जानत हो, हम देखत है ? हमसे न बच सकत है ! धन्नूशाह, भाई भन्नूशाह !

      वह राजा साहब के पैर पकड़ लिया और माफी माँगने लगा | इस प्रकार मेरी कविता के कारण उनका खजाना चोरी होने से बच गया |

      इसलिए उन्होंने मुझे सोने-चाँदी से मालामाल कर दिया | मैं अपने गाँव  लौटकर अपनी माँ के साथ खुशीपूर्वक रहने लगा |

  

 

 

 

2. कहानी का यह शीर्षक किस आधार पर रखा गया होगा ?

उत्तर :- कहानी में मदन के द्वारा रचित कविता के पाठ ने  राजा साहब के खजाने को चोरों द्वारा चोरी होने से बचाकर कमाल कर दिया | इसी घटना के आधार पर कहानी का शीर्षक कविता का कमालरखा गया होगा |

3. आप कहानी के लिए कोई दो मजेदार शीर्षक सुझाइए | साथ में यह भी बताइए कि आपने ये शीर्षक क्यों रखे ?

उत्तर :- कविता के दो मजेदार शीर्षक – “अनोखी कविताऔर कविता कमाल, मदन मालामाल” | “अनोखी कविताइसलिए कि मदन की कविता का अर्थ असहज था | “कविता कमाल, मदन मालामालइसलिए कि मदन को उसके द्वारा रचित कविता के लिए राजा द्वारा उसे सोने-चाँदी से मालामाल कर दिया गया |  

4. पाठ में से कोई तीन सवाल बनाइए

(क) जिनके उत्तर हाँ / नहीं में होगा |

उत्तर :- क्या राजा चोरों को देख लिए थें ?

(ख) जिनमें क्यों का जवाब देना होगा |

उत्तर :- मदन के सामने राजमहल का रास्ता ढूँढने में क्यों समस्या खड़ी हुई ?

(ग) जिनमें क्या का जवाब देना होगा |

उत्तर :- माँ-बेटा क्या थे ?

 

 

 

 

 

बूझो तो जाने

दीदी की शादी में आए,

सजधज सोलह बाराती,

बाराती जन जो भी आए,

उनको गुझिया ही भाती ||

चार-चार तो बड़ों-बड़ों को

मुनिया को दो दी जातीं |

आठ बड़े तब शेष लड़कियाँ,

कुल कितनी गुझिया खातीं |

 

उत्तर :-

 चूँकि एक बड़े को 4 गुझिया मिलती है |

 8 बड़ों को गुझिया मिलेगी = 8 × 4 = 32

 चूँकि एक मुनिया को 2 गुझिया मिलती है |

 8 लड़कियों को गुझिया मिलेगी  = 8 × 2 = 16

अतः कुल गुझिया = 32 + 16 = 48  

 

 


  

                            13. कदम्ब का पेड़ 

                                                     अभ्यास

कविता में से

1. बालक कन्हैया क्यों बनना चाहता है ?

उत्तर :- बालक कन्हैया इसलिए बनना चाहता है क्योंकि कन्हैया यमुना किनारे कदम्ब के पेड़ की डाली पर बैठ वंशी बजाते थे और विभिन्न प्रकार की लीलाएँ करते थे तो उनकी तरह बालक भी करना चाहता है |

2. माँ का ह्रदय व्याकुल क्यों हो जाता है ?

उत्तर :- माँ के बहुत मनाने और प्रलोभन देने के बावजूद बालक कदम्ब के पेड़ से नीचे नहीं उतरता है तो उसके गिरने के भय से माँ का ह्रदय व्याकुल हो जाता है |

3. माँ ईश्वर से क्यों विनती करती है ?

उत्तर :- माँ ईश्वर से अपने बेटे की सलामती के लिए विनती करती है कि उसका बेटा सकुशल पेड़ से नीचे आ जाए  |

4. बच्चे को नीचे उतारने के लिए किन-किन प्रलोभनों की बात की गई है ?

उत्तर :- बच्चे को नीचे उतारने के लिए माँ द्वारा मिठाई, नया खिलौना, मक्खन, मिश्री, दूध और मलाई के प्रलोभनों की बात की गई है |

5. बालक किसके साथ और कौन-सा खेल खेलना चाहता है ?

उत्तर :- बालक अपनी माँ के साथ पेड़ के पत्तों के बीच लुका-छिपी का खेल खेलना चाहता है |

 

 

 

आपके अनुभव

1. इस कविता की कौन-कौन सी पंक्तियाँ आपको सबसे अच्छी लगी और क्यों ?

उत्तर :- पर जब मैं न उतरता हँसकर कहतीं मुन्ना राजा | नीचे उतरो मेरे भैया, तुम्हें मिठाई दूँगी | नए खिलौने माखन मिश्री, दूध मलाई दूँगी |” ये पंक्तियाँ मुझे सबसे अच्छी लगी क्योंकि इसमें खाने की अच्छी-अच्छी चीजों की चर्चा की गई है |

 

2. अपनी माँ को खुश करने के लिए आप कौन-कौन से काम करते हैं ?

उत्तर :- अपनी माँ को खुश करने के लिए मैं सुबह-सुबह उठकर पढ़ाई करता हूँ | मेरी माँ को लगता है कि मैं पढ़-लिखकर अपने घर की गरीबी दूर करूँगा | इसके साथ ही मैं उन्हें खुश करने के लिए उनकी सारी बातें मानता हूँ |

3. पेड़ पर चढ़ने का अपना कोई किस्सा या अनुभव सुनाइए |

उत्तर :- एक बार मैं अमरुद के पेड़ पर पके हुए अमरुद तोड़ने के लिए चढ़ा | मैं चार-पाँच अमरुद ही थोड़ा था कि अमरुद की कमजोर डाली जिस पर मैं पैर रखा हुआ था, टूट गयी और मैं धड़ाम से नीचे गिरा | मुझे काफी चोट लगी |

 

 

 

 

 

 

4. नीचे लिखे वाक्यों को अपने अनुभव के आधार पर पूरा कीजिए

● मेरी माँ मुझे इसलिए डाँटती हैं, क्योंकि ---------------

-----------------------------------------------------------------

● मेरी माँ चाहती हैं कि ------------------------------------

-----------------------------------------------------------------

● मैं चाहता हूँ कि मेरी माँ ---------------------------------

------------------------------------------------------------------

उत्तर :-

● मेरी माँ मुझे इसलिए डाँटती हैं, क्योंकि मैं पढ़ाई ठीक से नहीं करता हूँ और सिर्फ पबजी खेलने में समय बिताता हूँ |

● मेरी माँ चाहती हैं कि मैं पढ़-लिखकर एक IAS ऑफिसर बनूँ और गरीब दिन-दुखियों की समस्याओं को दूर करूँ |

● मैं चाहता हूँ कि मेरी माँ हमेशा खुश रहे और जिन-जिन सुखों की चाहत रखतीं हों, वो सब पुरे हों |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

कैसे पता चला ?

कविता में से उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए जिनसे पता चलता है कि

1. उसका बच्चा पेड़ पर बैठा है |

उत्तर :-

मुझे देख ऊपर डाली पर कितना घबरा जातीं |

वहीँ बैठकर फिर बड़े मजे से, मैं बाँसुरी बजाता |

नीचे उतरो मेरे भैया, तुम्हें मिठाई दूँगी |

    

2. किसी कठिनाई में हम ईश्वर को याद करते हैं |

उत्तर :-

तुम आँचल पसार कर अम्माँ, वहीँ पेड़ के नीचे |

ईश्वर ने कुछ विनती करतीं, बैठी आँखें मीचे |

 

शब्दों की दुनिया

1. कलशब्द में विजोड़ने से शब्द बनता है – ‘विकल’ |

कलका अर्थ होता है चैन, आज के पहले का दिन, आज के बाद आने वाला दिन, मशीन | ‘विलगने से अर्थ बदल जाता है | ‘विकलका अर्थ है – ‘बेचैन’ |

 

 

 

 

 

आप भी नीचे दिए गए शब्दों में विलगाकर नए शब्द बनाइए

chapter 13 pic.png

---------------   -----------------   --------------------

---------------   -----------------   --------------------

उत्तर :-

विमल, विनम्र, विदेश, विचित्र, विशेष, विनाश |

2. सही शब्दों से पत्र को पूरा कीजिए

( पक्षी, झाड़ियाँ, गेट, फूल, फव्वारा, नीला, पेड़, बगीचे )

प्रिय मित्र अली,

    इस पत्र में मैं तुम्हें अपने _______ के बारे में लिख रहा हूँ      | मेरे बगीचे में रंग-बिरंगे _____ खिले हैं | वहाँ आम के बड़े-बड़े पाँच _______ हैं | पानी का एक ______ भी है | वहाँ सुंदर ________ उगी है | ऊपर _______ आसमान दिखाई देता है | आसमान में _______ उड़ते रहते हैं | बगीचे के अंदर जाने के लिए एक बड़ा  ______ है | अगली बार आओगे तो तुम्हें बगीचा दिखाऊँगा |

तुम्हारा मित्र

ननकू

 

 

 

उत्तर :-

 बगीचे, फूल, पेड़, फव्वारा, झाड़ियाँ, नीला, पक्षी, गेट 

3. वचन के सही रूप से खाली स्थान को भरें

● वह _______ में छिप गया | (पत्ता)

● पेड़ की _____ नीचे आ गई थीं | (डाली)

● कन्हैया के पास एक _______ है | (बाँसुरी)

● चिड़िया ने ______ पर घोंसला बनाया | (पेड़)

● हमारे बगीचे में आम के _______ की कतारें हैं | (पेड़)

● मामाजी नया _______ लाए | (खिलौना)

● उसने मेरे _______  सँभालकर रखे थे | (खिलौना)

● माँ की _______ भर आईं | (आँख)

 

उत्तर:- पत्तों, डालियाँ, बाँसुरी, पेड़, पेड़ों, खिलौना, खिलौने, आँखें

 

 

 

 

 

 

 

 

4. इस कविता में अनेक क्रिया शब्द आए हैं, जैसे बुलाना, देखना, चढ़ना, बजाना आदि |

कविता में से कोई पाँच पंक्तियाँ छाँटकर लिखिए जिनमें क्रिया शब्द आए हैं | उन पंक्तियों में क्रिया शब्दों पर घेरा लगाइए |

● ---------------------------------------------------

● ---------------------------------------------------

● ---------------------------------------------------

● ---------------------------------------------------

● ---------------------------------------------------

उत्तर :-

ले देती यदि मुझे बाँसुरी, तुम दो पैसे वाली |

जब अपने मुन्ना राजा को गोदी में ही पातीं |

मैं न उतर कर आता |

और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाता |

इसी तरह कुछ खेला करते हम तुम धीरे-धीरे |

 

क्रिया शब्द ले देती, पातीं, उतर कर आता, छिप जाता, खेला करते |  

 

 

 

 

 

5. कविता में माँ बालक को कई नामों से पुकारती है मुन्ना, राजा, भैया | आपकी माँ आपको क्या-क्या कहकर पुकारती हैं ?

---------------    ----------------     -----------------

उत्तर :- बाबू, बऊआ, छोटू

6. नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए

● एक बार माँ कह पत्तों मेंधीरे से छिप जाता |

● इसी तरह कुछ खेला करते, हम तुम धीरे-धीरे |

 

दोनों वाक्यों में धीरेशब्द का प्रयोग हुआ है |

1. दोनों वाक्यों में धीरेशब्द के अर्थ में क्या अंतर है ?

  पहले वाक्य में धीरे सेशब्द का अर्थ है

  ● चुपचाप

  ● बिना आहट के

  ● किसी को पता न चले

जबकि दूसरे वाक्य में धीरे-धीरेका अर्थ है

  ● आराम से

  ● तसल्ली से

 

 

 

 

 

 

वाक्यों में रेखांकित अंशों क अर्थ समझाइए

● टप् ! पेड़ से आम टपका |

● टप् टप् टप् ! पेड़ से आम टपकने लगे |

उत्तर :-

टप्शब्द का अर्थ है एक |

टप्- टप्- टप्शब्द का अर्थ है अनेक |

2. नीचे दी गई वर्ग पहेली में खाने की आठ चीजों के नाम दिए गए हैं | खोजकर लिखिए

चा

चा

ले

वा

बी

दा

खी

पू

री

नी

खी

ड़ी

 

-------------   ------------    -------------

-------------   -------------   -------------

-------------   -------------

उत्तर :-

चाट, जलेबी, चावल, हलवा, चटनी, खीर, पूरी, खिचड़ी |

 

 

 

 

कुछ करने के लिए

1. आपके आस-पास कौन-कौन से पेड़ हैं ? उनके नाम लिखिए |

उत्तर :- मेरे आस-पास आम, अमरुद, जामुन, पीपल, बरगद, शीशम आदि के पेड़ हैं |

2. पेड़ों से होने वाले फायदों के बारे में बताइए |

उत्तर :- हरे पेड़-पौधे हमें ऑक्सीजन देते हैं और हवा से कार्बनडाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं | पेड़ मिट्टी कटाव को रोकते हैं | पेड़ गर्मी में हमें शीतलता देते हैं | पेड़ों की लकडियों का इस्तेमाल खिड़की, दरवाजा आदि बनाने और जलावन के रूप में होता है | ये जानवरों और पक्षियों का आश्रय स्थल होते हैं |

3. अपने बुजुर्गों से बात करके पता कीजिए कि उनके समय में गाँव में पेड़ों की संख्या अधिक थी या आज अधिक है | यदि पेड़ों की संख्या कम हुई है तो उसके क्या कारण हैं ? पेड़ों की संख्या बढ़ाने के उपाय खोजिए |

उत्तर :- पेड़ों की संख्या पूर्व में अधिक थी, आज कम है | पेड़ों की संख्या कम होने के कई कारण हैं पक्की सड़कों का विस्तार करने के लिए कई पेड़ों को काटा गया, जनसँख्या में बेतहाशा वृद्धि के कारण जंगलों को काटकर खेती योग्य भूमि, फैक्टरियाँ, भवन आदि बनाए गएँ | रेलमार्ग निर्माण, खनन, बाँध निर्माण आदि के लिए भारी मात्रा में पेड़ काटे गएँ |

       पेड़ों की संख्या बढ़ाने के लिए आमलोगों को वन के महत्व से अवगत कराना और खाली पड़ी जमीन पर योजनाबद्ध तरीके से वृक्षारोपण करना जरुरी है | जनसँख्या में बेतहाशा वृद्धि को रोकने के लिए सरकार को एक ठोस जनसँख्या नीति लाने के जरुरत है | अपने खेत में वृक्षारोपण कराने पर सरकार द्वारा जिस योजना के तहत धनराशी मुहैया कराई जाती है, उसका आमलोगों के बीच प्रचार करना जरुरी है |     

4. इस कविता को कहानी के रूप में सुनाइए और लिखिए |

उत्तर :- एक बालक यमुना के किनारे स्थित कदम्ब के पेड़ पर बैठ धीरे-धीरे कन्हैया बनता है | जब उसकी माँ उसे दो पैसे वाली एक बाँसुरी ले दी तो वह चुपके-चुपके नीची डाली से ऊँचे पर चढ़ गया | फिर वह वहीँ बैठ बड़े मजे से बाँसुरी बजाने लगा | वह वंशी के स्वर में अम्मा-अम्मा कह अपनी माँ को बुलाने लगा | वंशी के धुन को सुनकर उसकी माँ बहुत खुश हो गयी और अपने बेटे को वंशी बजाता देखने के लिए अपने सभी काम छोड़कर बाहर आई |

     बालक उन्हें देख चुप हो गया और एक बार माँ कहकर पत्तों में धीरे से छिप गया | उसकी माँ चकित होकर इधर-उधर उसको ढूँढी लेकिन वह नहीं मिला | उसकी माँ बहुत व्याकुल हो कदम्ब के पेड़ के नीचे तक आ गयीं | जब वे पत्तों का मर-मर स्वर सुन जैसे ही ऊपर आँख उठायीं तो अपने बेटे को ऊपर डाली पर देखकर बहुत घबरा गईं और गुस्से में कहने लगीं – “नीचे आ जा |”

    लेकिन बालक नहीं उतरा तो उसकी माँ हँस कर कहने लगीं – “नीचे उतरो, मेरे भैया ! तुम्हें मिठाई, नए खिलौने, माखन, मिश्री, दूध और मलाई दूँगी |”

    इतने प्रलोभन देने के बावजूद बालक नहीं उतरा और हँसकर सबसे ऊपर की टहनी पर चढ़ गया | वह वहाँ पत्तों में छिपकर धीरे से बाँसुरी बजाने लगा | उसकी माँ उसे बुलाती रहीं फिर भी वह नीचे नहीं उतरा | तब उसकी माँ बहुत बेचैन हो आँचल पसार कर ईश्वर से अपने बेटे की सलामती के लिए दुआ करने लगीं |

   बालक अपनी माँ को ध्यान में लगा देखकर धीरे-धीरे पेड़ से नीचे उतरा और अपनी माँ के फैले आँचल के नीचे छिप गया | अचानक हुई हलचल से माँ गहरा गईं और अपनी आँखें खोलीं | लेकिन जब अपने मुन्ना राजा को गोद में ही पाई तो बहुत प्रसन्न हो गईं |  

5. श्री कृष्ण बचपन में क्या-क्या शरारतें करते थे ? पता कीजिए, पढ़िए और कक्षा में सुनाइए |

उत्तर :- श्री कृष्ण बचपन में बहुत शरारती थे | कभी गोपियों की मटकी फोड़ दिया करते थे तो कभी बछड़ों को गायों का पूरा दूध पिला देते थे | उनको मक्खन बहुत ही पसंद था | माता यशोदा कृष्ण को जो मक्खन देती थीं, उससे उनका मन नहीं भरता था | इसलिए, मैया जहाँ भी मक्खन रखतीं, कृष्ण चुपके से गाँव के बच्चों के साथ आकर सारा मक्खन खा जाते थे | वे गोपियों की मटकी पर कंकड़ मारकर तोड़ देते थे और गोपियों के कपड़े गीले हो जाते थे | जब गोपियाँ नदी में स्नान कर रही होती थीं तो बाल कृष्ण उनके कपड़े चुरा लेते थे | बाद में उनसभी के विनती करने पर उनके कपड़े वे लौटा देते थे |

 

 

Extra   knowledge :-

 

श्री कृष्ण की माता देवकी और पिता वासुदेव

  पालक माता यशोदा और पालक पिता नंद

        भाई बलराम और बहन सुभद्रा

  


                                              14. दोहे

का बरपा जब कृषि सुखाने |

समय चूकि पूनि का पछिताने ||

जिस प्रकार खेत के सूख जाने के बाद बारिश होने का कोई लाभ नही होता, उसी प्रकार अगर जरुरत के समय कोई मदद करने नही आया तब समय बीत जाने के बाद कोई मदद का प्रस्ताव करता है तो उस मदद का हमारे लिए कोई उपयोगिता नही होती है |

 

तुलसी इह संसार में भाँति- भाँति के लोग |

सबसों हिल-मिल चलिए, नदी-नाव संजोग ||

तुलसीदास कहते हैं कि इस संसार में तरह-तरह के व्यवहार वाले लोग रहते हैं | हमें सभी से हँसकर बोलना चाहिए और मिलजुलकर रहना चाहिए | जैसे नाव नदी से सहयोग करके पार लगती है, उसी प्रकार हम सभी एक सहयोग से संसार के भवसागर को पार कर सकते हैं |

 

परहित सरिस धरम नहीं भाई |

पर पीड़ा सम नहीं अधमाई ||

परोपकार सबसे अच्छा कार्य है और किसी को दुःख पहुँचाने से बड़ा कोई पाप नहीं है |

 

रहिमन विपदा हूँ भली, जो थोड़े दिन होय |

हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय ||

रहीम कहते हैं कि विपत्ति कुछ समय की हो तो वह भी ठीक है क्योंकि विपत्ति के समय ही सबके विषय में जाना जा सकता है कि संसार में कौन हमारा हित चाहता है और कौन अहित |

 

बड़े बडाई न करे, बड़े न बोले बोल |

रहिमन हीरा कब कहे, लाख टका का मोल ||

जो सचमुच में बड़े होते हैं, वो अपनी बड़ाई खुद नहीं करते हैं, जिस प्रकार हीरा कभी भी अपना मोल खुद नहीं बताता है कि वह लाख टके का है |

 

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाई |

रहिमन सींचे मूल को, फूलई फलई अघाइ ||

रहीम कहते हैं कि पहले एक काम को लेकर पूरा करने की ओर ध्यान देना चाहिए | बहुत से काम एक साथ शुरू करने से कोई भी काम ठीक ढंग से पूरा नही हो पाता | जैसे एक पेड़ की जड़ को अच्छी तरह सींचा जाए तो उसका तना, शाखाएँ, पत्ते, फल-फूल सब हरे-भरे रहते हैं |

 

अति का भला न बरसना, अति कि भली न धूप |

अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप ||

न तो अधिक बोलना अच्छा होता है और न ही जरुरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक होता है | जैसे बहुत अधिक बारिश अच्छी नहीं होती है और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं होती है |

 

करत करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान |

रसरी आवत जात तै, सिल पर परत निसान ||

जिस प्रकार रस्सी के बार-बार आने-जाने से कठोर पत्थर पर भी निशान पड़ जाता है, उसी प्रकार बार-बार अभ्यास करने से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान बन सकता है |

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर |

पंथी को छाया नहीं, फल लाते अति दूर ||

जिस प्रकार खजूर का पेड़ बड़ा होकर भी राजगीरों को छाया नहीं प्रदान करता है और उसके फल आसानी से तोड़े नहीं जा सकते हैं, उसी प्रकार आपके बड़प्पन में यदि परोपकार की भाव नहीं हो तो ऐसा बड़प्पन और ऐसी महानता किसी काम की नहीं है |

- तुलसी, रहीम, कबीर

 

 

शब्दार्थ

सरिस समान, बराबर

सम - समान, बराबर

अधमाई पाप

विपदा संकट, मुसीबत

अघाना पेट भर खाना

साधना अभ्यास करना, प्रयास करना

जड़मति मूर्ख

सुजान चतुर

सिल पत्थर

संजोग मेल

 

बातचीत के लिए

1. आप संकट में सहायता के लिए किनके-किनके पास जाते हैं ?

उत्तर :- मैं संकट में सहायता के लिए अपने भले रिश्तेदारों और अच्छे मित्रों के पास जाता हूँ

2. कोई काम आपको अच्छी तरह आ जाए इसके लिए आप क्या करते हैं ?

उत्तर :- कोई काम मुझे अच्छी तरह आ जाए इसके लिए मैं उस काम का बार-बार अभ्यास करता हूँ और उस काम को करने में महारत हासिल करनेवाले लोगों से सलाह लेता हूँ कि कैसे उस काम को अच्छी तरह से किया जाए

3. एक साथ कई काम करने पर काम सही ढंग से नहीं हो पाता है | काम सही हो इसके लिए क्या करना चाहिए ?

उत्तर :- काम सही हो इसके लिए हमें एक समय में एक ही काम पूरी एकाग्रता के साथ करना चाहिए |

4. हमारा सच्चा मित्र या शुभचिंतक कौन है, इसका पता कब चलता है ?

उत्तर :- हमारा सच्चा मित्र या शुभचिंतक कौन है, इसका पता तब चलता है जब हम किसी मुसीबत में होते हैं | जो सच्चा मित्र या शुभचिंतक होता है, वह हमें मुसीबत या दर्द से बाहर निकालने में अपने पूरी क्षमता लगा देता है और जो सच्चे नहीं होते वो बहाना बना मुसीबत में दिखते भी नहीं हैं |

5. किसी ऐसी घटना के बारे में बताइए जब आपने समय पर काम नहीं किया और आपको नुकसान हुआ हो |

उत्तर :- एक बार की बात है, जब मैं चौथी कक्षा में था तो मेरे क्लास में हिंदी का टेस्ट होने वाला था | टेस्ट छः दिन बाद था | मेरे दोस्त कभी मुझे खेलने के लिए बुलाने मेरे घर आ जाते तो कभी कॉल करके इधर-उधर की बातें करते जिसके कारण मैं ठीक से पढ़ नहीं पाया और टेस्ट में फेल हो गया |

पाठ में से

1. वर्षा के बहुत ज्यादा या कम होने से क्या-क्या नुकसान होता है ?

उत्तर :- वर्षा बहुत ज्यादा होने पर बाढ़ आ जाती है जो खेतों में खड़े फसलों को बर्बाद कर देता है | वर्षा कम होने पर पानी के अभाव में फसल सूख जाती है और पोखर-तालाब में पानी पर्याप्त नहीं रहने से जीव-जन्तुओं को पीने के पानी की किल्लत हो जाती है |

2. किसे सबसे अच्छा कार्य कहा गया है ?

उत्तर :- परोपकार अर्थात् दूसरों की मदद करने को सबसे अच्छा कार्य कहा गया है |

3. विपत्ति से हमें क्या पता चलता है ?

उत्तर :- विपत्ति से हमें पता चलता है कि कौन अपना है और कौन पराया | सच्चे मित्र और रिश्तेदार हमारी विपत्ति में मदद करते हैं और स्वार्थी संगी-साथी हमारा हाथ छोड़ देते हैं |

आपक समझ से

1. आप अपने इन मित्रों से कौन-सा दोहा सुनाकर समझाएँगे

(क) जो झगड़ते रहते हैं |

(ख) जो अपनी बड़ाई खुद करते हैं |

(ग) जो घमंड करते हैं |

 

(क) जो झगड़ते रहते हैं |

उत्तर :-

तुलसी इह संसार में भाँति- भाँति के लोग |

सबसों हिल-मिल चलिए, नदी-नाव संजोग ||

 

(ख) जो अपनी बड़ाई खुद करते हैं |

उत्तर :-

बड़े बडाई न करे, बड़े न बोले बोल |

रहिमन हीरा कब कहे, लाख टका का मोल ||

 

(ग) जो घमंड करते हैं |

उत्तर :-

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर |

पंथी को छाया नहीं, फल लाते अति दूर ||

 

 

 

2. पाठ के अनुसार सूची बनाइए

(क) जो काम हमें करने चाहिए |

उत्तर :- (i) इस संसार में हमें सभी व्यक्तियों से हँस-बोलकर अच्छा व्यवहार करते हुए जीना चाहिए |

(ii) हमें परोपकार करना चाहिए |

(iii) हमें एक बार में एक ही काम पर ध्यान देकर काम करना चाहिए |

(iv) हमें किसी काम में दक्षता प्राप्त करने के लिए उसका बार-बार अभ्यास करना चाहिए |

(ख) जो काम हमें नहीं करने चाहिए |

उत्तर :- (i) हमें दूसरों को पीड़ा नहीं पहुँचाना चाहिए |

(ii) हमें अपनी बड़ाई खुद नहीं करनी चाहिए |

(iii) हमें न ही ज्यादा बोलनी चाहिए और न ही बहुत कम |

(iv) हमें अपने बड़प्पन का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए |

3. दोहावलीपाठ में तुलसी, रहीम और कबीर के तीन-तीन दोहे दिए गए हैं | इनमें से रहीम के दोहे पहचानकर लिखिए | यह भी बताइए कि आपने इन्हें कैसे पहचाना |

उत्तर :-

रहिमन विपदा हूँ भली, जो थोड़े दिन होय |

हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय ||

 

बड़े बडाई न करे, बड़े न बोले बोल |

रहिमन हीरा कब कहे, लाख टका का मोल ||

 

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाई |

रहिमन सींचे मूल को, फूलई फलई अघाइ ||

प्रत्येक दोहे में कवि रहीम जी का नाम लिखा हुआ है | इसी से पता चलता है कि ये रहीम के दोहे हैं |

 

 

भाषा के नियम

1. दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्द के विपरीत अर्थ वाले शब्द से वाक्य को पूरा कीजिए

(क) हमें न तो बहुत अधिक बोलना चाहिए न ही बहुत ____ |

(ख) हम सबको दोस्त बनाएँ न कि ______ |

(ग) विपत्ति में अपने और ______ की पहचान हो जाती है |

(घ) हमें एक समय में एक ही काम पर ध्यान देना चाहिए न कि ______ कामों पर |

(ङ) बार बार अभ्यास करने से मूर्ख भी ______ बन सकता है |

(च) दूसरों को कष्ट पहुँचाना पाप है जबकि दूसरों की सहायता करना ______ |

 

उत्तर :-

(क) कम          (ख) दुश्मन          (ग) पराये      

 (घ) अनेक     (ङ) पंडित              (च) पुण्य

2. दिए गए शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए

● संसार

● पछताना

● विपदा

● अभ्यास

उत्तर :-

● संसार संसार में विभिन्न प्रकृति के लोग रहते हैं |

● पछताना समय का मोल नही समझने वालों को अंत में पछताना पड़ता है |

● विपदा जीवन में आई विपदा हमें मजबूत बनना सिखाती है |

● अभ्यास रामू गायकी का अभ्यास करते-करते बहुत अच्छा गायक बन गया |

 

3. नीचे दिए गए शब्दों के समान अर्थ वाले शब्द लिखिए

● बरषा – _______      ● जड़मति – _______

● सरिस -  _______    ● रसरी – _______

● अधमाई -  _______  ● पंछी - _______

 

उत्तर :-

● बरषा –  वर्षा       ● जड़मति मूर्ख

● सरिस - समान     ● रसरी रस्सी

● अधमाई पाप    ● पंछी चिड़िया 

 

शब्दों की दुनिया

1. नीचे कृषि और वर्षा से जुड़े शब्दों को लिखें



उत्तर :-

कुदाल, जुताई, खेत, बैल, खाद

बाढ़, सुखाड़, सिंचाई, ओला, बिजली

 

यह भी बताइए कि क्या कृषि और वर्षा में कोई जुड़ाव हो सकता है ? कैसे ?

उत्तर :- कृषि और वर्षा में जुड़ाव है | वर्षाऋतु में बारिश होने पर धान जैसे फसलों को पर्याप्त पानी मिलता है जिससे फसल अच्छी होती है | लेकिन वर्षा नहीं होने या बहुत कम होने पर फसल सुख जाते हैं

2. नीचे दिए गए शब्दों से दो दो नए शब्द बनाइए

·        हित -  ..................    ......................

·        बड़ा -  ..................    ......................

·        सम -  ..................    ......................

उत्तर :-

·        हित -  हितैशी, हितकर

·        बड़ा -  बड़ाई, बड़प्पन

·        सम -  समकालीन, समकोण

 

कुछ करने के लिए

1. पाठ में दिए गए दोहों के अलावा कुछ दोहे ढूँढिए और अपनी कक्षा में सुनाइए |

उत्तर :-

कबीर के दोहे :-

गुरु गोविंद दोऊ खड़े , काके लागूं पाय |
बलिहारी गुरु आपने , गोविन्द दियो बताय ||

अर्थ :-

कबीर दास ने इस दोहे में गुरु की महिमा का वर्णन किया है | वे कहते हैं कि जीवन में कभी ऐसी परिस्थिति आ जाए कि जब गुरु और गोविन्द (ईश्वर) एक साथ खड़े मिले तब पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए क्योंकि गुरु ने ही गोविन्द से हमारा परिचय कराया है इसलिए गुरु का स्थान गोविन्द से भी ऊँचा है |

 

ऐसी वाणी बोलिये , मन का आप खोये |
औरन को शीतल करेआपहु शीतल होये ||

अर्थ :-

इंसान को ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जो सुनने वाले के मन को बहुत अच्छी लगे | ऐसी भाषा दूसरे लोगों को तो सुख पहुँचाती ही है, इसके साथ खुद को भी बड़े आनंद का अनुभव कराती है |

रहीम के दोहे :-

तरुवर फल नहिं खात हैसरवर पियहि न पान ।
कहि रहीम पर काज हितसंपति सँचहि सुजान ||

अर्थ :- वृक्ष अपना फल स्वयं नहीं खाता है और सरोवर भी अपना जल स्वयं नहीं पीता है | रहीम कहते हैं कि उसी प्रकार अच्छे और सज्जन व्यक्ति वो हैं जो दूसरों के हित हेतु संपत्ति को संचित करते हैं | इसी में उनका बड़प्पन होता है |

जो रहीम उत्तम प्रकृतिका करि सकत कुसंग ।

चंदन विष व्यापत नहींलपटे रहत भुजंग ॥

अर्थ :- रहीम कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं, उनको बुरी संगति भी नहीं बिगाड़ पाती है | जिस प्रकार जहरीले साँप सुगन्धित चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते हैं |

तुलसी के दोहे :

देत लेत मन संक न धरई। बल अनुमान सदा हित करई |
बिपति काल कर सतगुन नेहा। श्रुति कह संत मित्र गुन एहा॥

अर्थ :- तुलसीदास कहते हैं कि सच्चा मित्र वह है जो कुछ लेने-देने में अपने मन में किसी प्रकार की शंका न रखता हो तथा संकट की घड़ी में भी अपनी सहज बुद्धि और बल से सदैव अपने मित्र का हित करता हो | श्रुतियों के अनुसार विपत्ति के समय में भी अपने मित्र पर स्नेह रखनेवाला ही सही मायनों में मित्र कहलाने योग्य है

तुलसी तृण जलकूल कौ निर्बल निपट निकाज |
कै राखै के संग चलै बाँह गहे की लाज ||

अर्थ :- तुलसीदास कहते हैं कि नदी के किनारे पर उगनेवाली घास बहुत निर्बल और बिलकुल ही काम में न आने योग्य होती है, परन्तु यदि कोई डूबता हुआ व्यक्ति संकटग्रस्त प्राणी उसे पकड़ने का प्रयत्न करता है तो वह निर्बल घास भी उसे बचाने के यथासंभव प्रयत्न करती है | अंत में उसकी रक्षा कर लेती है या टूट कर उसके साथ ही चल देती है | सच्ची मित्रता भी ऐसी ही संकट के समय में साथ देने वाली होनी चाहिए |

आपकी कल्पना



1. चित्र में आदमी ने क्या कहा होगा ?

उत्तर :- चित्र में आदमी ने साइकिल में हवा डालने को कहा होगा | फिर आदमी ने हवा देने वाले को कहा होगा कि हवा बहुत हो गई है, अब छोड़ दीजिए | साइकिल के टायर के आवाज करने पर आदमी ने कहा होगा कि मैंने पहले ही कहा था कि हवा हवा टायर में बहुत हो गई है, रुक जाइए लेकिन आपने मेरी बात नहीं मानी |

 

 


  

                                      15. चिट्ठी आई है

                      अभ्यास

बातें यहाँ-वहाँ की

1. सलोनी ने बेबी को चिट्ठी लिखकर छठ पर्व के बारे में बताया | किसी दूर बैठे व्यक्ति तक अपनी बात पहुँचाने के और कौन-कौन से साधन हो सकते हैं ?

उत्तर :- किसी दूर बैठे व्यक्ति तक अपनी बात पहुँचाने के लिए टेलीफोन, मोबाइल, टी.वी., रेडियो, समाचार पत्र, सोशल मीडिया साइट्स जैसे – फेसबुक, व्हाट्सएप्प, ट्विटर, टेलीग्राम आदि साधन हो सकते हैं |

2. टेलीफ़ोन/मोबाइल और चिट्ठी के द्वारा अपनी बात बताने में क्या अंतर होगा ?

उत्तर :- टेलीफोन और मोबाइल से मौखिक बातें होती है जबकि पत्र द्वारा हम अपनी बात लिखकर प्रकट करते हैं | 

3. आप छठ पर्व कैसे मनाते हैं ?

उत्तर :- हम छठ पर्व पूरे धूमधाम तथा हर्षोल्लास से मनाते हैं |

4. करवा SSS जे फरे SSS ला घवद से SS ............ | ( छठ पर गाए जाने वाले इस गीत को आप सभी ने सुना होगा | छठ पर्व पर गाए जाने वाले अन्य गीत सुनाइए | )

 

 

 

 

 

 

उत्तर :-

पहिले पहिल हम कईनी
पहिले पहिल हम कईनी
छठी मईया व्रत तोहार ।

करिहा क्षमा छठी मईया,
भूल-चूक गलती हमार ।

सब के बलकवा के दिहा,
छठी मईया ममता-दुलार ।

पिया के सनईहा बनईहा,
मईया दिहा सुख-सार ।

नारियल-केरवा घोउदवा,
साजल नदिया किनार ।

सुनिहा अरज छठी मईया,
बढ़े कुल-परिवार ।

घाट सजेवली मनोहर,
मईया तोरा भगती अपार ।

लिहिएं अरग हे मईया,
दिहीं आशीष हजार ।

पहिले पहिल हम कईनी,
छठी मईया व्रत तोहर ।

करिहा क्षमा छठी मईया,
भूल-चूक गलती हमार ।

ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से

ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से
ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय ॥
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय ॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय ॥
शरीफवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय ॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय ॥
सभे फलवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय ॥

 

5. क्या आपने कभी अपने मित्र को पत्र लिखा है ? उसमें क्या-क्या लिखा था ?

उत्तर :- हाँ, हमने अपने मित्र को एक बार पत्र लिखा था | उस पत्र में हमने छठ पर्व के विषय में लिखा था कि हम बिहारवासी छठ पर्व किस प्रकार मनाते हैं और इस पर्व के अवसर पर हमें क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी पड़ती हैं |

बात चिट्ठी की

1. छठ कब और क्यों मनाया जाता है ?

उत्तर :- छठ पर्व कार्तिक महिने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है | लोग कई तरह की मन्नतें छठी मइया से माँगते हैं तथा पूरी होने पर व्रत रखते हैं |

 

 

 

 

2. छठ पर्व कितने दिनों का होता है ? उन दिनों क्या-क्या किया जाता है ?

उत्तर :- छठ पर्व चार दिनों का होता है | चौठ तिथि को नहाय-खाय, पंचमी तिथि को खरना, षष्ठी तिथि को संध्याकालीन अर्घ्य तथा सप्तमी तिथि को उदयकालीन अर्घ्य, प्रसाद-वितरण तथा पारण होता है |

3. घाट पर जाने से पहले क्या-क्या तैयारियाँ की जाती हैं ?

उत्तर :- घाट पर जाने से पहले सूप में फल-पकवान रखा जाता है | व्रती अपना वस्त्र, लोटा तथा पूजन सामग्री के साथ घाट पर जाते हैं |

4. छठ पर्व पर प्रसाद में कौन-कौन सी चीजें होती हैं ? उनकी एक सूची बनाइए |

उत्तर :- छठ पर्व पर प्रसाद में ठेकुआ, टिकरी, पिरुकिया, ईख, विभिन्न प्रकार के फल आदि होते हैं |

आपकी बातें

1. आपको कौन-सा त्योहार अच्छा लगता है और क्यों ?

उत्तर :- हमें छठ का त्योहार अच्छा लगता है क्योंकि इस त्योहार में जात-पात का भेदभाव बिल्कुल नहीं रह जाता है और सभी जगह मन को भाने वाला साफ़-सफाई देखने को मिलती है |

2. छठ पर्व की कौन-सी बात आपको सबसे अच्छी लगती है और क्यों ?

उत्तर :- छठ पर्व के अवसर पर लोग घरों, गलियों, घाटों एवं घाट तक जाने वाले रास्ते की साफ़-सफाई करते हैं | यह स्वच्छ माहौल हमको सबसे अच्छी लगती है क्योंकि यह हमारे मन को भाता है |  

 

 

 

3. भारत के अन्य किन्हीं तीन राज्यों के प्रसिद्ध त्योहारों की सूची बनाइए और बताइए कि इस अवसर पर क्या-क्या होता है और कौन-कौन से पकवान बनाए जाते हैं ?

राज्यों के नाम

प्रसिद्ध त्योहार

क्या करते हैं?

मुख्य पकवान/व्यंजन

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उत्तर :-

राज्यों के नाम

प्रसिद्ध त्योहार

क्या करते हैं?

मुख्य पकवान/व्यंजन

केरल

ओणम

धूप में खीर पकाना

खीर

पंजाब

लोहरी

लोहरी गीत

तिल के बने पकवान

पश्चिम बंगाल

दुर्गापूजा

देवी दुर्गा की पूजा

रसगुल्ला

 

 

 

चिट्ठी-पत्री

1. पता कीजिए कि संदेश भेजने के लिए पहले किन-किन साधनों का प्रयोग किया जाता था ?

उत्तर :- संदेश भेजने के लिए पहले हरकारा, आदमी, पक्षी आदि का प्रयोग किया जाता था |

 

 

 

 

 

2. हरकारों ( पत्र ले जानेवाले ) को किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा ?

उत्तर :- हरकारों को चोर-डकैत और लुटेरों का बहुत खतरा रहता था और दूर की यात्रा करने के दौरान उन्हें रात में अनजान जगहों पर रुकने पर जंगली जानवरों का भय भी रहता था |

3. चिट्ठी के लिफाफे या पोस्टकार्ड पर क्या-क्या लिखा जाता है और क्यों ?

उत्तर :- चिट्ठी के लिफाफे या पोस्टकार्ड पर पत्र भेजनेवाले तथा पत्र पानेवाले का नाम, पता, पिन कोड लिखा जाता है ताकि पत्र निश्चित व्यक्ति को प्राप्त हो सके | 

4. आप भी नीचे दिए गए लिफाफे के आगे-पीछे पाने वाले और भेजने वाले से जुड़ी जानकारी लिखिए

मान लीजिए कि चिट्ठी भेजने वाले आप हैं और चिठ्ठी पाने वाला आपका मित्र |

उत्तर :-

भेजनेवाला                          

अशोक नगर रोड न. 12,         

पो. – लोहिया नगर, थाना – कंकड़बाग,

जिला- पटना 800020

 

 

 

 

 

पानेवाला

राधे चौधरी

पोस्टल पार्क बुद्ध नगर रोड न. – 1

पो. – जी. पी. ओ., थाना – कंकड़बाग,

जिला – पटना 800001

 

5. आप अपने घर में कोई पुरानी चिट्ठी ढूँढिए | उसे देखिए और नीचे दिए गए सवालों के जवाब लिखिए

(क) पत्र किसने लिखा ?

(ख) किसे लिखा ?

(ग) किस तारीख को लिखा ?

(घ) यह पत्र किस डाकखाने में और किस तारीख को पहुँचा ?

(ङ) यह उत्तर आपको कैसे पता चला ?

उत्तर :-

(क) चाचा ने  (ख) पुत्र को  (ग) 15.03.2019  (घ) लोहिया नगर, पटना

(ङ) पत्र पढ़कर

 

 

 

 

 

6. चिट्ठी भेजने के लिए आमतौर पर पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र या लिफाफा इस्तेमाल किया जाता है | इनका मूल्य पता करके लिखिए

● पोस्टकार्ड

● अंतर्देशीय पत्र

● लिफाफा

उत्तर :-

● पोस्टकार्ड एक रुपया

● अंतर्देशीय पत्र तीन रूपये

● लिफाफा पाँच रूपये

 

बात पते की

1. पिन’ (PIN) भारत में शब्द ‘पोस्टल इंडेक्स नंबर’ का छोटा रूप है | किसी भी जगह का पिनकोड 6 अंकों का होता है | हर अंक का एक ख़ास मतलब होता है , जैसे

● पहला अंक बताता है कि यह पिनकोड किस राज्य का है बिहार, दिल्ली, उड़ीसा या फिर किसी और राज्य का |

● दूसरे दो अंक यह बताते हैं कि राज्य के किस उपक्षेत्र का कोड है |

● अगले तीन अंक बताते हैं कि यह ऐसे डाकघर का कोड है जहाँ से डाक बाँटी जाती है |

2. आप जहाँ रहते हैं वहाँ का पिन कोड क्या है ?

उत्तर :- 800020

3. आपके स्कूल का पिन कोड क्या है ?

उत्तर :- 800001

4. अपने किसी रिश्तेदार का पता पिन कोड के साथ लिखिए

उत्तर :-

यश चौधरी

पोस्टल पार्क बुद्ध नगर रोड न. – 1

पो. – जी. पी. ओ., थाना – कंकड़बाग,

जिला – पटना 800001

भाषा के नियम

1. सही कारक-चिह्नों से वाक्य पूरे कीजिए

  (का, में, ने, को, के लिए, से, पर)

(क) हमारे बिहार ......... छठ पर्व ..........बड़ा महत्व है |

(ख) मौसी जी .......... प्रसाद ले आओ |

(ग) मुन्ना ने सूप .......... चावल फटका |

(घ) सलोनी .......... बेबी .......... चिट्ठी लिखी |

(ङ) सभी बच्चे छत .......... बैठ गए |

 

 

 

 

 

उत्तर :-

(क) में, का

(ख) के लिए

(ग) से

(घ) ने, को

(ङ) पर

2. नीचे दिए गए वाक्यों में क्रिया शब्दों पर घेरा लगाइए

(क) लगभग हर घर में पूजा की जाती है |

(ख) लगभग सभी परदेसी गाँव आ जाते हैं |

(ग) इसमें प्रसाद भी वितरित करते हैं |

(घ) चिट्ठी का जवाब जरुर लिखना |

उत्तर:-

(क) की जाती है

(ख) आ जाते हैं

(ग) वितरित करते हैं

(घ) लिखना

 

 

 

 

 

3. हर्ष + उल्लास से हर्षोल्लास शब्द बना है | आप भी नए शब्द बनाइए |

(क) महा + उत्सव :   ........................

(ख) आनंद + उत्सव : ........................

(ग) सूर्य + उदय :    ........................

(घ) चंद्र + उदय :    ........................

उत्तर :-

(क) महा + उत्सव :   महोत्सव

(ख) आनंद + उत्सव : आनंदोत्सव

(ग) सूर्य + उदय :  सूर्योदय

(घ) चंद्र + उदय :   चंद्रोदय

4. इनके मतलब समझाइए

● शुक्ल पक्ष –   .....................................

● षष्ठी तिथि –   .....................................

● अर्घ देना –   .....................................

● व्रती –    .....................................

● कार्तिक महिना –  .....................................

● परदेसी –  .....................................

● मन्नत -  .....................................

उत्तर :-

● शुक्ल पक्ष –  उजाला पक्ष (जिसमें पूर्ण चाँद दिखाई देता है) |

● षष्ठी तिथि –   उजाले पक्ष की छठी तिथि |

● अर्घ देना –   पूजन के लिए दूध और जल अर्पित करना |

● व्रती –    व्रत करने वाला या वाली |

● कार्तिक महिना –  शरद् ऋतु का दूसरा महिना जिसमें दीपावली, छठ आदि पर्व मनाये जाते हैं |

● परदेसी – घर से दूर किसी अन्य जगह जीविकोपार्जन करने वाला |

● मन्नत - प्रेमपूर्वक अपनी अभिलाषा की पूर्ति की कामना |

 

 

5. सही उत्तर पर () लगाइए |

(क) प्रसन्नताका अर्थ है -  मजा, ख़ुशी, दुःख

(ख) तैयारीका बहुवचन रूप है तैयारीं, तैयारे, तैयारियाँ

(ग) पुरुषका बहुवचन रूप है पुरुषें, पुरुष, पुरुषों

(घ) घर में, का बहुवचन रूप है घर में, घर, घरों में

(ङ) रात्रीका विलोम शब्द है रात, दिवस, उजाला

 

 

 

 

उत्तर :-

(क) प्रसन्नताका अर्थ है -  ख़ुशी

(ख) तैयारीका बहुवचन रूप है तैयारियाँ

(ग) पुरुषका बहुवचन रूप है पुरुषों

(घ) घर में, का बहुवचन रूप है घरों में

(ङ) रात्रीका विलोम शब्द है –  दिवस

 

 

कुछ करने के लिए

1. छठ पर्व पर गाए जाने वाले कुछ गीतों को इकट्ठा करके लिखिए और अपने साथियों के साथ गाइए |

उत्तर :-

पहिले पहिल हम कईनी
पहिले पहिल हम कईनी
छठी मईया व्रत तोहार ।

करिहा क्षमा छठी मईया,
भूल-चूक गलती हमार ।

सब के बलकवा के दिहा,
छठी मईया ममता-दुलार ।

पिया के सनईहा बनईहा,
मईया दिहा सुख-सार ।

नारियल-केरवा घोउदवा,
साजल नदिया किनार ।

सुनिहा अरज छठी मईया,
बढ़े कुल-परिवार ।

घाट सजेवली मनोहर,
मईया तोरा भगती अपार ।

लिहिएं अरग हे मईया,
दिहीं आशीष हजार ।

पहिले पहिल हम कईनी,
छठी मईया व्रत तोहर ।

करिहा क्षमा छठी मईया,
भूल-चूक गलती हमार ।

ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से

ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से
ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय ॥
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय ॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय ॥
शरीफवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय ॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय ॥
सभे फलवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय ॥

 

 

 

 

2. माँ जब बच्चे को सुलाती है या जब धान की फसल कटती है तो अक्सर कौन-से गीत गाए जाते हैं ? पता करके लिखिए और गाइए |

उत्तर :-

सो जा रे सो जा

सो जा रे सो जा
सो जा रे सो जा मेरी अंखियों के तारे
मेरे राज-दुलारे, राज-दुलारे
ओ तोहे सपनों की नगरी से निंदिया पुकारे
सो जा रे सो जा

परियों के बालक तारों के भेस में
तुझको बुलाने आए चंदा के देस में
चंदा के देस में सपनों का राज है
मेरे मुन्ने के लिए फूलों का ताज है
राज-दुलारे
ओ तोहे सपनों की नगरी से निंदिया पुकारे
सो जा रे सो जा

रेशम की डोरी होवे चांदी का पलना
प्यार हिंडोले सदा झूले मोरे ललना
जीवन के फूल खिले, ठंडी हवाओं में
फूले-फले मेरी आंचल की छांव में
राज-दुलारे
ओ तोहे सपनों की नगरी से निंदिया पुकारे
सो जा रे सो जा

 

 चंदा है तू

चंदा है तू, मेरा सूरज है तू
ओ मेरी आंखों का तारा है तू-3
जीती हूं मैं बस तुझे देखकर
इस टूटे दिल का सहारा है तू
चंदा है तू, मेरा सूरज है तू

तू खेले खेल कई, मेरा खिलौना है तू-2
जिससे बंधी हर आशा मेरी
मेरा वो सपना सलोना है तू
नन्हा-सा है कितना सुंदर है तू
छोटा-सा है कितना प्यारा है तू
चंदा है तू, मेरा सूरज है तू

पूर्वाई वन में उड़े, पंछी चमन में उड़े-2
राम करे कभी होके बड़ा
तू बनके बादल गगन में उड़े
जो भी तुझे देखे वो ये कहे
किस मां का ऐसा दुलारा है तू
चंदा है तू, मेरा सूरज है तू

 



 

 

                                   


                             16. मरता क्या न करता

       केरल के एक गाँव में विष्णु पोटि्ट रहते थे | विष्णु पोटि्ट थे तो बहुत गरीब लेकिन उन्हें दानी कहलाने का शौक था | वे रोज दो-एक लोगों को अपने घर खाना खिलाने ले आते | चाहे घर में खाने को पर्याप्त हो या नहीं ; दूसरों को खाना खिलाना वे अपना धर्म समझते थे | उनकी पत्नी लक्ष्मी को उनकी यह आदत पसंद नहीं थी | पर किसी न किसी तरह घर चलाया करती थी | पड़ोसियों से कभी चावल उधार लाती तो कभी सब्जी | एक दिन उसने सोचा कि इस तरह कब तक काम चलेगा ? पड़ोसी भी उससे नाराज होते | उन्हें विश्वास ही नहीं होता था कि वह सचमुच इतना गरीब है, क्योंकि वे रोज मेहमानों को आते और खाते देखते थे | बेचारी की मदद करनेवाला कोई नहीं था | कितनी ही बार तो वह कई-कई दिनों तक भूखी रह जाती | जब उससे और नहीं सहा गया तो उसने पति से बात करने का फैसला किया |

 

      उसने विष्णु से कहा, “आप हर रोज किसी न किसी को ले आते हैं | अपने भोजन में से दूसरों को खिलाना अच्छी बात है | पर आपने कभी यह भी पूछा कि खाना पूरा भी पड़ेगा या नहीं ? हम ठहरे गरीब ! जो रुखा-सूखा जुटता भी है, वह हम दोनों के पेट भरने को काफी नहीं होता | फिर दूसरों के लिए रोज-रोज कहाँ से आएगा ? मैं अपना हिस्सा उनको खिला देती हूँ, और खुद भूखी रह जाती हूँ | मुझसे अब और नहीं सहा जाता | अब लोगों को घर बुलाना बंद कर दें |”

     लेकिन विष्णु पर कोई असर नहीं हुआ | अगले दिन रोज की तरह वे दोपहर को दो अजनबियों के साथ भोजन के लिए घर पहुँचे | लक्ष्मी ने उन्हें दूर से आते देखा तो घबरा गई | उसने सोचा कि आज फिर वह भूखी रह जाएगी | लेकिन अचानक उसे एक उपाय सूझा |

      विष्णु ने मेहमानों से हाथ जोड़कर कहा, “आप बैठिए, मैं अभी मुँह-हाथ धोकर आता हूँ |”

   उनके जाने के बाद लक्ष्मी धान कूटने का मूसल उठा लाई और उसे दीवार के सहारे टिका दिया | उसके बाद उसने दीप जलाकर मूसल के आगे रख दिया | मूसल के चारों ओर दो-चार फूल भी डाल दिए और उसके सामने हाथ जोड़कर बैठ गई | वह ऐसी जगह बैठी जहाँ से अतिथि उसे देख सकें | अतिथियों ने उसे देखा तो हैरान रह गए | मूसल की पूजा करते उन्होंने आज तक किसी को नहीं देखा था |

    दोनों आकर लक्ष्मी के पास खड़े हो गए | वह ध्यानमग्न बैठी थी | उसने अपनी आँखें खोलीं और सिर घुमाया तो उन दोनों को खड़ा पाया | एक ने पूछा, “आप मूसल की पूजा क्यों कर रही हैं?”

    लक्ष्मी ने आँखों ने आँसू भरकर कहा, “मैं आपको कैसे बताऊँ ? लेकिन आपको तो बताना ही पड़ेगा, क्योंकि इसका संबंध भी आप ही से है |”

    अब तो वे दोनों भेद जानने के लिए लक्ष्मी के पीछे पड़ गए |

लक्ष्मी ने कहा, “पहले आप वादा कीजिए कि मेरे पति को कुछ नहीं बताएँगे |” उन दोनों नें वायदा किया |

     लक्ष्मी ने कहा, “मेरे पति दानी आदमी हैं | वे मेहमानों को घर बुलाकर खाना खिलाते हैं और खिलाने के बाद उन्हें इसी मूसल से खूब पीटते हैं, यही उनका धर्म है | मैं खाना तो बनाती हूँ | लेकिन मारने-पीटने से मेरा कोई संबंध नहीं | मैं मूसल की पूजा इसलिए कर रही हूँ कि मुझे पाप न लगे |”

      अब तो अतिथि बहुत चकराए | उन्होंने एक-दूसरे की ओर देखा और इशारों ही इशारों में कहा कि यहाँ से चुपचाप खिसक जाने में ही भलाई है | दोनों पीछे के दरवाजे से निकल भागे | तभी विष्णु पोटि्ट अंदर आया | उसने लक्ष्मी से पुछा कि मेहमान कहाँ चले गए ? लक्ष्मी ने दुःख से कहा, “वे मुझसे यह मूसल माँग रहे थे | मैंने कहा, “मेरे घर में एक ही मूसल है, मैं नहीं दूँगी | बस, वे नाराज होकर चले गए |”

    पोटि्ट गुस्से से चिल्लाया, “तुमने मेरे मेहमानों का अपमान कर दिया | लाओ मूसल, मैं उन्हें दे आता हूँ |”

     पत्नी के हाथ से मूसल छीनकर वह अतिथियों के पीछे दौड़े | दोनों काफी आगे निकल गए थे | उन्होंने विष्णु पोटि्ट को गुस्से में मूसल उठाए पीछे आते देखा तो बोले, “देखो, वह आ रहा है हमें मारने |” दोनों अपनी जान बचाकर भागे | विष्णु पोटि्ट उन्हें पकड़ नहीं सका तो लौट गया |

    गाँववालों ने उसे मेहमानों के पीछे मूसल उठाए भागते देखा तो चारों ओर यह बात फैला दी कि विष्णु पोटि्ट अपने मेहमानों को घर ले जाकर उन्हें मूसल से मारता है | उसके बाद कोई भी खाने के लिए उसके घर जाने को तैयार न होता |

    विष्णु पोटि्ट को पता नहीं चला कि यह लक्ष्मी की चाल थी |

    लक्ष्मी को भी फिर कभी भूखा नहीं रहना पड़ा |

- के॰ शिव कुमार

 

 


                               16. मरता क्या न करता        

अभ्यास

मरता क्या न करताशीर्षक कहानी केरल की लोक कथा है | लोक कथाएँ सामान्य जीवन में कही गई या प्रचलित कहानियाँ होती हैं |

आप बिहार की लोककथाएँ टिपटिपवाऔर उपकार का बदलापढ़ चुके हैं |

1. तीनों लोककथाओं में से आपको कौन-सी लोककथा सबसे ज्यादा पसंद आई और क्यों ?

उत्तर :- तीनों लोककथाओं में से मुझे ‘टिपटिपवा’ लोककथा सबसे ज्यादा पसंद आई क्योंकि टिपटिपवा का नाम सुनकर बाघ डर जाता है और अंत में भोला उसे पीटता है और घर लाकर खूँटे से बाँध देता है |

2. तीनों लोक कथाओं में से एक-एक घटना के बारे में लिखिए जो आपको बहुत मजेदार लगी हो |

मजेदार घटना

टिपटिपवा

उपकार का बदला

मरता क्या न करता

बाघ का खूँटे से बाँधना

बन्दर का पपीता तोड़कर लाना

मूसल की पूजा करना

    

कथा में से

1. लक्ष्मी को विष्णु पोटि्ट की कौन-सी आदत पसंद नहीं थी ?

उत्तर :- लक्ष्मी को विष्णु पोटि्ट द्वारा मेहमानों को खाना खिलाने के लिए घर आने की आदत पसंद नहीं थी |

2. लक्ष्मी के पड़ोसी उससे क्यों नाराज रहते थे ?

उत्तर :- लक्ष्मी के पड़ोसी उससे इसलिए नाराज रहते थे क्योंकि उनसे बार-बार चावल, सब्जी उधार माँगती थी |

3. लक्ष्मी ने विष्णु पोटि्ट को क्या समझाया ?

उत्तर :- लक्ष्मी ने विष्णु पोटि्ट को समझाया कि मुझे मेहमानों को अपना हिस्सा खिलाना पड़ता है जिसके कारण मुझे भूखा रहना पड़ता है इसलिए लोगों को घर बुलाना बंद कर दें |

4. दोपहर को दो अजनबियों को देख लक्ष्मी ने क्या किया ?

उत्तर :- दोपहर को दो अजनबियों को देख लक्ष्मी मूसल की पूजा करने लगी |

5. लक्ष्मी ने अतिथियों से ऐसा क्या कहा कि वे भाग खड़े हुए ?

उत्तर :- लक्ष्मी ने अतिथियों से कहा कि मेहमानों को खाना खिलाने के बाद उसके पति उन्हें इसी मूसल से खूब पीटते हैं | इसी मार के भय से मेहमान भाग खड़े हुए |

सोच समझकर

1. सवालों को पढ़िए और सोच समझकर सही जवाब पर () लगाइए |

(क) लक्ष्मी दो अजनबियों को देख घबरा गईं , क्योंकि

● वह उन्हें नहीं जानती थी |

● वे खतरनाक थे |

● उसने सोचा कि आज फिर उन्हें खाना खिलाना पड़ेगा |

● उसके घर अनाज का एक दाना न था |

(ख) विष्णु पोटि्ट ने ऐसा क्यों कहा कि उसके मेहमानों का अपमान हुआ है |

● लक्ष्मी ने उन्हें मूसल नहीं दिया |

● मेहमान बिना खाए चले गए |

● लक्ष्मी मेहमानों पर नाराज हो गई थीं |

● मेहमान की खातिरदारी अच्छी तरह नहीं हुई थी |

(ग) लक्ष्मी को फिर कभी भूखा नहीं रहना पड़ा, क्योंकि

● गाँव वाले जान गए थे कि लक्ष्मी गरीब है |

● यह खबर फैल गई थी कि विष्णु पोटि्ट मेहमानों को मूसल से मारता है |

● लक्ष्मी के घर अब अनाज की कमी नहीं थी |

● लक्ष्मी ने अतिथियों को भागना शुरू कर दिया था |

(घ) घर चलाने का मतलब है

● घर बनाना

● घर की सफाई करना

● रोटी, कपड़ा और मकान का उचित प्रबंध करना

● घर को सजाना

 

 

उत्तर :-

(क) – (iii)   

(ख) – (i)

(ग) – (ii)

(घ) – (iii)

 

 

2. अगर आप लक्ष्मी की जगह होते तो क्या उपाय करते ?

उत्तर :- अगर मैं लक्ष्मी की जगह होता तो मैं भी लक्ष्मी की तरह ही कुछ उपाय सोचता ताकि मुझे भूखा न रहना पड़े और कुछ दिन के लिए अपने मायके चला जाता ताकि विष्णु पोटि्ट को एहसास हो सके कि भूखे रहना क्या होता है |

3. आप अपने अतिथियों के स्वागत में अपने माता-पिता की मदद कैसे करते हैं ?

उत्तर :- मैं अपने अतिथियों के स्वागत में दुकान से चाय बनाने के लिए दूध और बाकी सामान ले आता हूँ और बाजार से मुर्गा-मछली या जो कुछ मम्मी लाने के लिए बोलती है, ले आता हूँ और उनको घूमाने भी ले जाता हूँ |

4. दानी बनने के लिए विष्णु पोटि्ट क्या करता था ? क्या उसका यह तरीका ठीक था ? कारण बताइए |

उत्तर :- दानी बनने के लिए विष्णु पोटि्ट नित्य मेहमानों को खाना खिलाने के लिए अपने घर लाता था | उसका यह तरीका ठीक नहीं था क्योंकि वे दोनों गरीब थे और मेहमानों को उसकी पत्नी अपना हिस्सा खिलाती थी जिसके कारण उसे भूखा रहना पड़ता था |

 

दाल-भात में मूसल

अरे जाओ, अपना काम करो | क्यों दाल-भात में मूसल बन रहे हो ?’ इस वाक्य में दाल-भात में मूसल बनना एक मुहावरा है जिसका अर्थ है बिना मतलब दूसरों के कामों या बातों में दखल देना |

मूसल की तरह रसोईघर से जुड़ी ऐसी कई चीजें हैं जिनसे मुहावरे / लोकोक्तियाँ बनी हैं |

जैसे

◊ थाली का बैंगन

◊ बिन पेंदे का लोटा

◊ जले पर नमक छिड़कना

◊ पाँचों अँगुलियाँ घी में होना

◊ आटे दाल का भाव मालूम होना

◊ जब ओखली में सिर दिया तो मूसल से क्या डरना

इन मुहावरों एवं लोकोक्तियों का प्रयोग वाक्यों में करते हुए अर्थ समझाइए |

उत्तर :-

 ◊ थाली का बैंगन – (उपेक्षित) - मोहन अपने सिगरेट पीने की आदत के कारण परिवार में थाली का बैंगन बना हुआ है |

◊ बिन पेंदे का लोटा – (अव्यवस्थित) – सोहन पर ज्यादा भरोसा मत करो, वह बिन पेंदे का लोटा है |

◊ जले पर नमक छिड़कना – (कड़वी बात) – एक तो रामू का बैल मर गया है, उस पर उससे कुछ माँगना जले पर नमक छिड़कना ही तो है |

 ◊ पाँचों अँगुलियाँ घी में होना – (खुशहाल जीवन) – व्यवसायी पिता की कमाई पर मीणा की पाँचों अँगुलियाँ घी में है |

◊ आटे दाल का भाव मालूम होना – (जिम्मेदारी का एहसास होना) – शादी होते ही मिंकू को आटे दाल का भाव मालूम होने लगा |

◊ जब ओखली में सिर दिया तो मूसल से क्या डरना – (यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए) – मोहन ने एक नया कारोबार करने का निर्णय ले लिया है और उसमें बहुत सारा जोखिम भी है तो मोहन कहता है कि  जब ओखली में सिर दे दिया तो मूसल से क्या डरना |

 

2. मूसल का प्रयोग धान कूटने के लिए किया जाता है | बताइए, इन कामों के लिए किस चीज का प्रयोग किया जाता है

◊ चारा काटने के लिए ..............................

◊ खेत में बीज बोने के बाद जमीन समतल करने के लिए ..............................

◊ घास काटने के लिए ..............................

◊ सुपारी काटने के लिए ..............................

◊ पानी उलीचने के लिए  ..............................

उत्तर :-

◊ चारा काटने के लिए – चाराकल

◊ खेत में बीज बोने के बाद जमीन समतल करने के लिए – हेंगा

◊ घास काटने के लिए – हँसिया

◊ सुपारी काटने के लिए – सरौता

◊ पानी उलीचने के लिए – बहुगुना (बेसिन)

 

आदतों की दुनिया

1. विष्णु पोटि्ट की यह आदत थी कि वह रोज दो एक लोगों को अपने घर खाना खिलाने ले आते थे |

किन्हीं तीन व्यक्तियों के नाम, आदत लिखकर बताएँ कि वह आदत आपको पसंद है या नहीं

व्यक्ति का नाम

आदत

पसंद है / नहीं है

शुभम

झूठ बोलना

नहीं

आलोक

हर महीने आवश्यकता से अधिक कपड़े खरीदना

नहीं

 

पंकज

किताबें और प्रतिदिन सुबह अखबार पढ़ना

हाँ

  

2. आपकी भी कुछ आदतें होंगी | अपनी आदतों पर ( ) लगाइए -

● हाथ धोकर खाना खाना         (     )

● नहाते समय गाना गाना        (     )

● बस में दौड़ते हुए चढ़ना         (     )

● देर रात तक जागना            (     )

● सुबह उठने में आना कानी करना   (     )

● नाक में अँगुली डालना           (     )

● अँगूठा चूसना                   (     )

● खेलने से पहले पढ़ाई करना         (     )

● रास्ते में पड़ी हुई चीज पर ठोकर मारना  (     )

● धूल उड़ाना                       (     )

● फलों को धोकर खाना              (     )

● पेड़ों की पत्तियाँ और फूल तोड़ना     (     )

 

उत्तर :-

● हाथ धोकर खाना खाना         ( )

● नहाते समय गाना गाना        (     )

● बस में दौड़ते हुए चढ़ना         (     )

● देर रात तक जागना            (     )

● सुबह उठने में आना कानी करना   (     )

● नाक में अँगुली डालना           (     )

● अँगूठा चूसना                   (     )

● खेलने से पहले पढ़ाई करना         ( )

● रास्ते में पड़ी हुई चीज पर ठोकर मारना  (     )

● धूल उड़ाना                       (    )

● फलों को धोकर खाना              ( )

● पेड़ों की पत्तियाँ और फूल तोड़ना     (     )

 

 

3. आप ऊपर की किन आदतों को अच्छा और किन आदतों को खराब मानते हैं ? क्यों ?

उत्तर :- हाथ धोकर खाना खाना, खेलने से पहले पढ़ाई करना और फलों को धोकर खाना अच्छी आदतें हैं | शेष सारी आदतें खराब हैं |

भाषा के रंग

1. नीचे दिए गए शब्दों को बोल-बोलकर पढ़िए और सही शब्द से वाक्य पूरे कीजिए

[ विष्णु पोटि्ट,  छुट्टी,  लिट्टी,  इकट्ठा, चिट्ठी,  लट्ठ,  गड्ढा,  गट्ठर ]

● भोला ने अपना ................. उठाया |

● स्कूल की ............... हो गई |

● आगे एक गहरा ............... है |

● ............... को दानी कहलाने का शौक था |

● लक्ष्मी ने ............... चोखा बनाना सीखा |

● डाकिया ............... लाया था |

● उसने घास का ............... उठाया |

● सभी लोग गाँधी मैदान में ............... हो गए |

 

 

उत्तर :-

(1) लट्ठ    (2) छुट्टी    (3) गड्ढा    (4) विष्णु पोटि्ट

(5) लिट्टी   (6) चिट्ठी    (7) गट्ठर    (8) इकट्ठा 

 

2. वाक्य में मोटे शब्दों की जगह ऐसे शब्द की प्रयोग करके वाक्य को दुबारा लिखिए जिससे अर्थ न बदले |

(i) दोपहर को दो अजनबी आए |

(ii) बस वे नाराज होकर चले गए |

(iii) वह ऐसी जगह बैठ गई जहाँ से अतिथि उसे देख सकें |

(iv) अब तो अतिथि बहुत चकराए |

(v) इसका संबंध भी आप ही से है |

 

 

(i) दोपहर को दो अजनबी आए |

उत्तर :- दोपहर को दो अपरिचित आए |

(ii) बस वे नाराज होकर चले गए |

उत्तर :- बस वे दुखी होकर चले गए |

(iii) वह ऐसी जगह बैठ गई जहाँ से अतिथि उसे देख सकें |

उत्तर :- वह ऐसी जगह बैठ गई जहाँ से मेहमान उसे देख सकें |

(iv) अब तो अतिथि बहुत चकराए |

उत्तर :- अब तो अतिथि बहुत हैरान हुए |

(v) इसका संबंध भी आप ही से है |

उत्तर :- इसका नाता भी आप ही से है |

3. नीचे दिए गए शब्दों को पढ़िए :-

[ दोपहर, तिराहा, चारपाई, चौगुना, चौराहा ]

 

क्या आपको इन शब्दों में कोई ख़ास बात नजर आती है ? इन सभी शब्दों का पहला अक्षर संख्या की ओर संकेत करता है | यानी शब्द संख्यावाची है | आप भी ऐसे कोई दो नए शब्द लिखिए और इन शब्दों में छिपी संख्या बताइए

●  दोपहर,     दोबारा ,     दोपहिया

● तिराहा,     .......... ,      ...........

● चौराहा,     .......... ,      ............

● चारपाई,    ............ ,    ...........

● चौगुना,    ............ ,      ............

● छमाही,    ............ ,      ............

 

 

उत्तर :-

●  दोपहर, दोबारा , दुपहिया ( दो, दु )

● तिराहा, तीसरा ,तिमाही ( ती, ति )

● चौराहा, चौक, चतुर्भुज ( चौ, चतुर् )

● चारपाई, चौकी, चौपाया ( चौ, चौ )

● चौगुना, चतुष्कोण, चौमुख ( चतुष्, चौ )

● छमाही,  षट्कोण, षडानन ( षट्, षड )

 

  आपके सवाल

नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़िए और कोई पाँच सवाल बनाइए

विष्णु पोटि्ट गुस्से से चिल्लाया, “तुमने मेरे मेहमानों का अपमान कर दिया |  लाओ मूसल, मैं उन्हें दे आता हूँ”, पत्नी के हाथ से मूसल छिनकर वह अतिथियों के पीछे दौड़े | दोनों काफी आगे निकल गए थे | उन्होंने विष्णु पोटि्ट को गुस्से में मूसल उठाए पीछे आते देखा तो बोले, “देखो, वह आ रहा है हमें मारने !दोनों अपनी जान बचाकर भागे |

सवाल

1. ............................................................

2. ............................................................

3. ............................................................

4. ............................................................

5. ............................................................

 

उत्तर :-

1. कौन गुस्से से चिल्लाया ?

2. विष्णु पोटि्ट ने गुस्से में क्या किया ?

3. मूसल छिनकर विष्णु पोटि्ट किसके पीछे दौड़े ?

4. कौन जान बचाकर भागे ?

5. विष्णु पोटि्ट को मूसल लेकर आते देख मेहमानों ने क्या किया ?

 

कुछ करने के लिए

1. मरता क्या न करताशीर्षक कहानी की जो घटना आपको सबसे मजेदार लगी हो, उसका एक चित्र बनाइए |

 उत्तर :- छात्र स्वयं चित्र बनाएँ |

 

2. इस कहानी का मंचन कीजिए |

उत्तर :- विद्यालय में छात्र स्वयं मंचन करें |

3. लक्ष्मी की चतुराई के बारे में बताते हुए अपनी मौसी जी को पत्र लिखिए |

                                                                               अशोक नगर रोड न०-10

                                                                                कंकड़बाग, पटना20

                                                                                       16 मई 2022

प्रिय मौसी जी,

         सादर चरण स्पर्श।   मैं कुशलपूर्वक हूँ और आशा करता हूँ कि आप भी सपरिवार सकुशल होंगे | इस पत्र में मैं एक बहुत ही रोचक कहानी का वर्णन करने जा रहा हूँ जिसका नाम है – “मरता क्या न करता ” |

     विष्णु पोटि्ट बहुत गरीब थे लेकिन वे रोज लोगों को अपने घर खाना खिलाने ले आते थे | मेहमानों को खिलाने के लिए उनकी पत्नी लक्ष्मी पड़ोसियों से चावल, सब्जी आदि उधार लाती थी | वह कई-कई दिनों तक भूखी रह जाती | एक दिन जब विष्णु पोटि्ट दो अजनबियों को लेकर आए तो लक्ष्मी एक मूसल की पूजा करने लगी | उन दोनों के पूछने पर लक्ष्मी बोली कि मेहमानों को खाना खिलाने के बाद उसके पति इसी मूसल से पीटते हैं और पूजा इसलिए कर रही है ताकि पाप न लगे | यह सुनकर दोनों भाग खड़े हुए और इसके बाद फिर कोई मेहमान नहीं आया |  

           इस पत्र में बस इतना ही | मौसा जी को प्रणाम कहियेगा और छोटी को प्यार |

                                                                                       आपका प्यारा पुत्र

                                                                                                 टिंकू

 

 

4. आप जानते हैं कि मरता क्या न करताकेरल की लोककथा है | केरल राज्य भारत के दक्षिण में है | नीचे दिए गए मानचित्र में केरलराज्य को मनपसंद रंग से भरिए और अपने शिक्षक या किसी अन्य व्यक्ति की सहायता से केरल के बारे में जानकारी प्राप्त करते हुए तालिका में लिखिए

 

 

केरल के बारे में

राजधानी

तिरुवनन्तपुरम

भाषा

मलयालम

ख़ास व्यंजन

मछली-भात

ख़ास फसल

चावल

ख़ास पेड़-पौधे

नारियल के पेड़

ख़ास दर्शनीय स्थल

पेरियार राष्ट्रीय उद्यान

 

 

 


                            


                                      17. बिना जड़ का पेड़

राजा के दरबार में एक व्यापारी संदूक के साथ पहुँचा | उसने गर्व से कहा, “महाराज, मैं व्यापारी हूँ और बिना बीज एवं पानी के पेड़ उगाता हूँ | आपके लिए मैं एक अदभुत उपहार लाया हूँ | आपके दरबार में एक-से-एक ज्ञानी-ध्यानी हैं | इसलिए पहले मुझे कोई यह बताए कि इस संदूक में क्या है | अगर बता देगा तो आपके यहाँ चाकरी करने को तैयार हूँ |”

सभासद पंडितों, पुरोहितों और ज्योतिषियों की ओर देखने लगे, लेकिन उन लोगों ने सिर झुका लिए |

सभा में गोनू झा भी उपस्थित थे | उन्हें उसकी चुनौती स्वीकार करना आवश्यक लगा अन्यथा दरबार की जग-हँसाई होती | गोनू झा ने विश्वासपूर्वक कहा, “मैं बता सकता हूँ कि संदूक में क्या है, लेकिन इसके लिए मुझे रात भर का समय चाहिए और व्यापारी को संदूक एक साथ मेरे यहाँ ठहरना होगा | संदूक बदला न जाए, इसकी निगरानी के लिए हम रातभर जगे रहेंगे और व्यापारी चाहे तो पहरेदार भी रखवा सकते हैं |” सभी मान गए और व्यापारी गोनू झा के यहाँ चला गया |

रातभर दोनों संदूक की रखवाली करते रहे | रात काटती थी, इसलिए किस्सा-कहानी भी चलती रही | बातचीत के क्रम में गोनू झा ने कहा, “भाई, कुछ दिन पूर्व मुझे एक व्यापारी मिला था, उसने भी यही कहा था कि बिना बीज-पानी के पेड़ उगाता हूँ | पेड़ों में भाँती-भाँती के फूल खिलते हैं, वह भी रात में | क्या आप भी रात में पेड़ उगाकर भाँती-भाँती के फूल खिला सकते हैं?”

उसने अहंकार से कहा, “क्यों नहीं ! मेरे पेड़ रात में ही अच्छे लगते हैं और उनके रंग-बिरंगे फूल देखते ही बनते हैं |” यह सुनते ही गोनू झा की आँखों में चमक आ गई और वे निश्चिंत हो गए |

दूसरे दिन दोनों दरबार में उपस्थित हुए | गोनू झा ने जेब से कुछ आतिशबाजी निकालकर छोड़ी |

सभासद झुँझला गए | महाराज की भी आँखें लाल-पीली हो गईं और कहा, “गोनू झा, यह क्या बेवक्त की शहनाई बजा दी | सभा का सामान्य शिष्टाचार भी भूल गए ?”

गोनू झा ने वातावरण को सहज करते हुए कहा, “महाराज, सर्वप्रथम धृष्टता के लिए क्षमा चाहता हूँ, लेकिन यह मेरी मजबूरी थी | इसी में व्यापारी भाई के रहस्यमय प्रश्न का उत्तर है | इसमें ही बिना जड़ के भाँती-भाँती के रंगों में फूल खिलते हैं |”

व्यापारी अवाक् रह गया | उसने सहमते हुए कहा, “महाराज, इन्होने मेरे गूढ़ प्रश्न का उत्तर दे दिया |”

फिर उसने विस्मयपूर्वक गोनू झा से पूछा, “आपने कैसे जाना कि इसमें आतिशबाजी ही है?”

गोनू झा ने सहजता से कहा, “व्यापारी, जब आपने यह कहा कि बिना बीज-पानी के पेड़ उगते हैं और उनमें भाँती-भाँती के फूल खिलते हैं, तब तक तो मुझे संदेह रहा, परंतु मेरे पूछने पर यह कहा कि रात ही में आपकी यह फसल अच्छी लगती है, तब ज़रा भी संशय नहीं रहा कि इसमें आतिशबाजी छोड़ अन्य सामान होगा |”

व्यापारी मायूस हो गया | राजा ने कहा, “व्यापारी, आपको दुखी होने की जरुरत नहीं है | आप यहाँ रहने के लिए स्वतंत्र हैं, पर अपना कमाल रात में दिखाकर लोगों का मनोरंजन कीजिएगा | अगर प्रदर्शन प्रशंसनीय रहा तो पुरस्कार भी पाइएगा, पर अभी पुरस्कार के हकदार गोनू झा ही हैं |”

-    [ वीरेन्द्र झा ]

 

 

 


 

आपकी कल्पना

गोनू झा ने आतिशबाजी को पेड़ कहा है | आप इनको क्या कह सकते हैं :

उदाहरण –

तारों को फूल                          ...............................

काले बादलों को           ...............................

सूरज को                          ...............................

तेज चलने वाले आदमी को  ...............................

धीमे चलने वाले आदमी को ...............................

किस्से कहानियाँ

1. गोनू झा की चतुराई भरी कहानी आपने पढ़ी | आप बीरबल, तेनालीराम के चतुराई भरे किस्से पढ़िए और अपने वर्ग में सुनाइए |

उत्तर :-

 

                               बीरबल के मजेदार किस्से

              संसार की सबसे बड़ी चीज

एक समय की बात है. कि बादशाह अकबर के दरबार में एक दिन बीरबल उपस्थित नहीं थे |

बीरबल को उपस्थित नहीं देख राज दरबार के सभी दरबारी बादशाह अकबर से बीरबल की बुराई कर रहे थे. सभी बादशाह अकबर को बीरबल के खिलाफ बोल रहे थे. बादशाह अकबर से सभी दरबारियों ने कहा आप हमें भी मौके दे. आपने बीरबल को कुछ ज़्यादा ही सम्मान दे दिया है :

 “जहाँपनाह! आप हम सभी दरबारियों से ज़्यादा बीरबल को क्यों पसंद करते हैं?

बादशाह अकबर सभी दरबारियों की बातों को ध्यान से सुन रहे थे.

बादशाह अकबर ने कहा मैं आपको भी एक मौका देता हूँ |

बादशाह अकबर ने सभी दरबारियों में से चार दरबारी को चुना. ये वह दरबारी थे जो सबसे ज़्यादा बीरबल की बुराई करते थे |

बादशाह अकबर ने कहा मैं आपको एक सवाल दूँगा, जिसका जबाव सही-सही ही देना होगा. यदि कोई भी जबाव ग़लत दिया तो उसकी सजा फाँसी होगी |

बादशाह अकबर की बातों को सुनकर चारों दरबारी डर गये. फिर भी चारो दरबारी ने कहा मुझे मंजूर हैं. जहांपनाह! आप सवाल बताइए |

बादशाह अकबर ने कहा ऐसी कौन सी चीज है, जो संसार में सबसे बड़ी हैं|

चारो दरबारी कुछ देर सोचने लगे. फिर उन्होंने कुछ समय मांगा |

बादशाह अकबर ने एक बार फिर कहा जितना समय चाहिए ले लो लेकिन जबाव सही-सही ही होने चाहिए |

चारों दरबारी दरबार से बाहर निकल कर सोचने लगे. आख़िर इस संसार में सबसे बड़ी चीज क्या हो सकती है |

कुछ समय बीतने के बाद भी चारो दरबारी के पास कोई जवाब नहीं मिला. लेकिन वह बादशाह अकबर के सजा से भी बहुत डरे हुए थे |

एक दिन चारो दरबारी एक जगह पर मिलते हैं. आपस में मिलकर सवाल का उत्तर खोजने लगते हैं |

एक दरबारी ने कहा इस संसार में सबसे बड़ा तो केवल अल्लाह होता है |

दूसरे दरबारी ने कहा अल्लाह कोई चीज नहीं होता है. हमें संसार की सबसे बड़ी चीज क्या है? यह सोचना है |

तीसरे दरबारी ने कहा सबसे बड़ी चीज है भूख. भूख व्यक्ति से कुछ भी करवा सकती हैं |

चौथे दरबारी ने कहा नहींभूख भी समय आने पर बर्दाश्त की जा सकती हैं |

चारों दरबारी सवाल का जवाब खोजने में सफल नहीं हो पाते हैं. चारों दरबारी हार कर अंत में बीरबल के पास जाते हैं. बीरबल को सारी जानकारी देते हैं |

बीरबल से चारों दरबारियों ने हाथ जोड़ कर माफी भी मांगी, साथ ही अपने जीवन की रक्षा करने के लिए कहते हैं. बीरबल ने मंद-मंद मुस्कराकर कहा मेरे पास तुम्हारे सवाल का जवाब है, लेकिन तुमलोगों को मेरी एक शर्त माननी होगी |

चारों दरबारी कहा हाँ में सर हिलाया |

बीरबल ने कहा दो लोगों को अपने कंधों पर मेरी चारपाई रखकर राजदरबार तक ले कर जाना पड़ेगा. एक को मेरा हुक्का लेकर, एक को मेरा जुता लेकर राज दरबार तक ले जाना पड़ेगा |

चारों दरबारी बीरबल की शर्त को सुनकर आश्चर्य हुए. लेकिन बात उनके जान पर बन आई थी. इसलिये सभी दरबारी ने बीरबल के शर्त के अनुसार ही काम किया |

राज्य दरबार में जब चारों दरबारी इस तरह आये तो सभी दरबारी के साथ-साथ बादशाह अकबर भी आश्चर्यचकित हुए |

बादशाह अकबर ने चारों दरबारी से सवाल का उत्तर माँगा तो चारों दरबारी की नज़र झुक गई |

तभी बीरबल ने कहा जहांपनाह! इस संसार में सबसे बड़ी चीज है जरुरत”. चारों दरबारी अपने जरुरतके कारण ही मेरी चारपाई, जूता और हुक्का को लेकर आये हैं |

एक बार फिर से राज दरबार में बीरबल की चतुराई की तारीफ हुई |

 

 

 

                    बुद्धि की खेती

एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लेनी चाही. उन्होंने बीरबल से पूछा बीरबल, क्या बुद्धि की खेती की जा सकती है ?बीरबल कुछ सोचते हुए बोला जी हुजूर, जरूर की जा सकती है |यह सुनकर अकबर बोले -तो ठीक है, तुम बुद्धि की खेती करो और उसका फल हमें उपहार में दो |

बीरबल बोले -जैसा जहाँपनाह का हुक्म! मैं जल्दी ही बुद्धि की खेती करके उसका पहला फल आपको भेंट करूंगा.सभी दरबारी अकबर और बीरबल की बातें सुन रहे थे. वे हैरान थे कि बीरबल बुद्धि की खेती कैसे करेंगे और कैसे बुद्धि का फल बादशाह को भेंट करेंगे ?

दरबार के समाप्त होने पर बीरबल सीधे राजमाली के पास जा पहुंचे और बोले -माली, राज उद्यान में कदू की बेलों पर क्या कदू आ रहे हैं ?”

माली बोला –“हुजूर ! आ तो रहे हैं, पर अभी वे आलू टमाटर जितने ही छोटे हैं |

यह सुनकर बीरबल बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने माली के कान में कुछ कहा, फिर वे अकबर के पास गए और बोले -जहाँपनाह ! मैंने बुद्धि की खेती शुरू कर दी है. मैं कुछ दिनों में आपको बुद्धि का पहला फल भेंट कर दूंगा.कुछ दिनों के बाद बीरबल राज उद्यान में फिर गए. वहां माली ने छोटे-छोटे कदुओं को घड़े के अंदर डाल रखा था. यह देखकर बीरबल वापस लौट आए |

उधर कद्रू मटकों में ही बड़े होने लगे. कुछ दिनों बाद कद्दू इतने बड़े हो गए कि पूरे मटकों में समा गए. अब उन्हें मटकों को तोड़े बिना नहीं निकाला जा सकता था |

यह देखकर बीरबल ने सारे कदू मटकों सहित कटवा लिए और अकबर के पास संदेश भिजवाया कि कल सुबह मैं बुद्धि का पहला फल लेकर दरबार में आ रहा हूँ |

अगले दिन दरबार में सब बेसब्री से बीरबल का इंतजार करने लगे | तभी बीरबल दो मटके लिए दरबार में उपस्थित हुए और अकबर से बोले जहाँपनाह! मैं बुद्धि के फल ले आया हूँ, किन्तु ये फल बड़े नाजुक हैं |

याद रहे, इन मटकों में से फल निकालते समय न तो बुद्धि का फल कटे और न ही मटके फूटें.यह सुनकर बादशाह हैरान रह गए. उन्होंने मटके में झाँककर देखा, तो वे बहुत हंसे. वे बीरबल की बुद्धिमानी से बहुत प्रसन्न हुए |सभी दरबारी भी बीरबल की प्रशंसा करने लगे |

 

               तेनालीराम की कहानी

                  अपराधी बकरी

एक समय की बात है, विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय हमेशा की तरह अपने महल में बैठे हुए थे। वहाँ पर अनेक कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ दिखाकर राजा को खुश कर रहे थे। तभी वहां एक चरवाहा अपनी फरियाद लेकर महाराजा के पास पहुंचा। महाराजा ने चरवाहा के महल तक आने का कारण पूछा।

चरवाहा अपनी समस्या बताते हुए राजा से कहता है कि हे महाराज ! मैं बहुत गरीब आदमी हूँ | मैं बकरियाँ चरा कर अपने परिवार का पालन-पोषण करता हूँ | मेरे साथ बहुत गलत हुआ। मेरे एक पड़ोसी के घर की दीवार मेरे बाड़े के अंदर ढह गई। दीवार के नीचे दबने से मेरी दो बकरियों की मौत हो गई। जब मैंने अपने पड़ोसी से मरी हुई बकरियों का हर्जाना मांगा तो उसने साफ-साफ इंकार कर दिया।

चरवाहे की इन्हीं बातों को लेकर तेनाली रामा खड़ा होकर महाराज से बोलते है कि दीवार के ढहने पर उस अकेले व्यक्ति को दोषी मानना ठीक नहीं है। तभी महाराज ने तेनालीरामा से कहा कि दीवार ढ़हने का अपराधी कौन है?

तेनाली राम कहते हैं कि यह तो मुझे नहीं पता लेकिन आप मुझे थोड़े दिनों का समय दीजिए ताकि मैं अपराधी को ढूंढ सकूं। महाराज ने अपराधी को ढूँढने के लिए उचित समय दे दिया। अगले दिन तेनाली राम चरवाहे के पड़ोसी के घर पहुँच गया।

उससे पूछा कि तुमने इसकी बकरी मरने का हर्जाना क्यों नहीं दिया। तभी वह व्यक्ति बोलता है कि मालिक दीवार ढहने का दोषी मैं कैसे हो सकता हूं दोषी तो वह हुआ, जिसने यह दीवार बनाई है। तेनाली रामा पूछता है कि दीवार किसने बनाई। व्यक्ति बोलता है कि दीवार मिस्त्री ने बनाई।

तभी तेनाली राम मिस्त्री के पास पहुंच जाता है और उस चरवाहे का हरजाना मांगते है। मिस्त्री ने साफ-साफ मना कर दिया कि भगवान मैं इसका दोषी नहीं हूं। दोषी तो वह है, जिसने मुझे सीमेंट का मसाला बनाकर दिया। उसने उस मसाले में ज्यादा पानी डाल दिया, इसीलिए दीवार कमजोर बनी जबकि मेरा काम सिर्फ उस दीवार में मसाला भरना था। तो आप उन मजदूरों के पास जाइए, जिसने मुझे मसाला बना कर दिया।

तेनाली राम उन मजदूरों के पास पहुंच जाते है और वही बात करते है कि चरवाहे का हरजाना दीजिए। सारे मजदूरों ने हर्जाना देने से मना कर दिया और सभी मजदूर एक आवाज में बोले कि हमें बेकार में ही दोषी करार दिया जा रहा है असली दोषी तो वहां है, जिसने उस सीमेंट में पानी डाला था।

तेनाली राम ने कुछ सैनिकों को भेज कर पानी डालने वाले व्यक्तियों को लाने को कहा। थोड़ी देर में वे व्यक्ति भी उपस्थित हो जाते हैं। फिर से तेनालीरामा हरजाने की बात करते हैं। लेकिन उन्होंने भी मना कर दिया। वे बोले की हम इसके दोषी नहीं हैं। असली दोस्त तो वह है, जिसने मुझे मसाला मिलाने के लिए बर्तन दिया।

वह बर्तन इतना बड़ा था कि उसमें पानी का अंदाजा ना लगाया जा सका। तेनाली राम उन व्यक्तियों से पूछता है कि आप लोगों को बर्तन किसने दिया। सभी लोगों ने जवाब दिया कि इस चरवाहे ने हमें बर्तन दिया। उन व्यक्तियों के इसी बात पर तेनाली रामा को अपना जवाब भी मिल गया और अपराधी भी।

तेनाली राम उस चरवाहे से कहते हैं कि असल दोषी तुम ही हो। तुमने ही उन लोगों को बड़ा बर्तन दिया, जिससे वह पानी का अंदाजा ना लगा सके और मसाले में अधिक पानी डालने के कारण दीवार मजबूत ना बन सकी। इसके फलस्वरूप दीवार गिर गई।

जब बात घूम फिर कर चरवाहे पर ही आ गई तब चरवाहा बोलने लायक ना रहा। वह सिर नीचे करके दरबार से रवाना हो गया। वही दरबार में बैठे सभी दरबारी एवं मंत्री तेनाली रामा की वाहवाही करने लगे और तेनाली राम की बुद्धि की तारीफ‌ की। महाराज ने भी तेनाली राम की बुद्धिमता के लिए उन्हें सो सोने की मुद्रा उपहार में दी।

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे साथ हुई अनहोनी के लिए किसी अन्य व्यक्ति को दोषी ठहराना उचित नहीं। सच्चाई किसी से नहीं छुपती एक ना एक दिन सामने जरूर ही आ जाती है।

 

 

                   अँगूठी चोर

बहुत समय पहले की बात है, जब विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय एक बहुत महंगी हीरे जड़ित अँगूठी पहनते थे, जिसकी कीमत आज के समय में बहुत ज्यादा होगी। वह उनकी सबसे प्रिय आभूषण में से एक थी। वह उसे अपने दरबारियों, मंत्रियों और सभी मिलने जुलने वालों को दिखाते थे और उस अँगूठी की प्रशंसा करते थे।

एक दिन राजा कुछ उदास बैठे थे तो सभी दरबारी सोचने लगे कि आज ऐसा क्या हुआ की राजा उदास बैठे हैं, तभी उन दरबारियों में से राजा के प्रिय दरबारी तेनाली रामा ने उन्हें पूछा कि राजा जी आप इतने आज उदास क्यों हैं, ऐसा क्या हुआ कि आप इतने उदास हैं। तब राजा ने बताया कि उनकी वह प्रिय अंगूठी खो गई है। मुझे लगता है कि किसी ने मेरी प्रिय अँगूठी चुरा ली है और मुझे मेरे इन अंगरक्षकों पर शक है, तब तेनाली रामा ने कहा की वह उनकी अँगूठी ढूँढ के लाएगा।

तब तेनाली राम ने उन सब अंग रक्षकों को बुलाया और उनसे पूछा कि आप में से राजा की मूल्यवान अँगूठी किसने ली। तब सभी अंग रक्षकों ने मना कर दिया और कहा कि हमने नहीं ली। तब तेनाली राम ने कहा कि मैं पता कर लूंगा कि किसने अँगूठी ली है।

तब तेनाली राम ने कहा कि सभी अंगरक्षक मेरे साथ चलिए और मैं सुबह तक बता दूंगा कि किसने अंगूठी ली है। तब वह उन सबको एक हनुमान जी के मंदिर लेकर गए और खुद पहले अंदर जाकर पुजारी जी से कुछ बात करके बाहर आए और बोला कि अब आप एक-एक करके अंदर जाएं और हनुमान जी के आगे नतमस्तक होकर प्रणाम करके आएं और सुबह हनुमान जी खुद बता देंगे कि चोर कौन है।

तो एक-एक करके सब दरबारी अंदर जाने लगे और नतमस्तक होकर प्रणाम कर कर बाहर आने लगे। जब तक सारे अंगरक्षक अंदर जाकर बाहर आने लगे तब तक सारे दरबारी और गांव वाले मंदिर के सामने इकट्ठे हो गए। तब तेनाली रामा ने कहा कि जो चोर हैं, उसका पता मुझे लग गया है। तब सभी ने पूछा कि आपको चोर का पता कैसे लगा। तब तब तेनालीरामा ने बताया कि जब मैंने इन सब को बोला कि आप अंदर जाएं और नतमस्तक होकर प्रणाम करके बाहर आए।

तब जो व्यक्ति अथवा जो दरबारी चोर है, वो मंदिर के अंदर जाकर नतमस्तक होकर प्रणाम किया ही नहीं और सीधे ही बाहर आ गया और पुजारी जी ने उसे देख लिया। तब वह अंगरक्षक वहां से भागने लगा तो वहां खड़े गांव वालों ने उसे पकड़ लिया और उसे कारागृह में डाल दिया।

कहानी की सीख

हिंदी में कहावत है की जो जैसा कर्म करेगा उसे वैसा फल मिलेगा। उसी प्रकार उस अंगरक्षक ने चोरी की तो उसे कारागृह की सजा मिली।

 

2. ‘बिना जड़ का पेड़’ कहानी को अपने शब्दों में सुनाइए |

उत्तर :- एक बार दरबार में एक व्यापारी संदूक के साथ पहुँचता है और गर्व से कहता है कि वह बिना बीज एवं पानी के पेड़ उगाता है | आगे वह पूछता है कि संदूक में क्या है | बता देने पर राजा के यहाँ चाकरी करने का प्रस्ताव रखता है |

सभा में गोनू झा को छोड़कर सभी चुनौती स्वीकार नहीं करते हैं | गोनू झा रात भर का समय माँगते हैं और कहते हैं कि व्यापारी को संदूक के साथ मेरे यहाँ ठहरना होगा |

रात काटने के लिए दोनों किस्सा-कहानी करते हैं | गोनू झा बोलते हैं, “भाई, कुछ दिन पूर्व मुझे एक व्यापारी मिला था, उसने भी यही कहा था कि बिना बीज-पानी के पेड़ उगाता हूँ | पेड़ों में भाँती-भाँती के फूल खिलते हैं, वह भी रात में | क्या आप भी रात में पेड़ उगाकर भाँती-भाँती के फूल खिला सकते हैं?”

वह अहंकार से कहता है, “क्यों नहीं ! मेरे पेड़ रात में ही अच्छे लगते हैं और उनके रंग-बिरंगे फूल देखते ही बनते हैं |” यह सुनते ही गोनू झा की आँखों में चमक आ जाती है |

दूसरे दिन दोनों दरबार में उपस्थित होते हैं | गोनू झा जेब से कुछ आतिशबाजी निकालकर छोड़ने लगते हैं | महाराज के पूछने पर गोनू झा कहते हैं कि इसी में व्यापारी के प्रश्न का उत्तर है | इसमें ही बिना जड़ के भाँती-भाँती के रंगों में फूल खिलते हैं |

व्यापारी आश्चर्यचकित हो जाता है और कहता है, “महाराज, इन्होंने मेरे गुढ़ प्रश्न का उत्तर दे दिया | मेरे प्रश्न का उत्तर आतिशबाजी ही है |”

तब राजा गोनू झा को पुरस्कार देते हैं |

 

 

  


                              18. आजादी में जीवन

मैना-सुग्गा पिंजरे में

हो बंद, दुखी हो जाते,          

सुख-सुविधा, मनचाहा भोजन

फिर भी चहक न पाते |

चिड़ियाघर में कैद शेर

हरदम दहाड़ गुर्राता,

वहाँ गुलामी का वह जीवन

उसको रास न आता |

मछली जल में मचला करती

जल प्राणों से प्यारा,

जल से बाहर रहकर जीना

उसको नहीं गवारा |

मुसकाती कलियों को है

फूलों की डाली प्यारी,

अगर तोड़ लेता कोई

तो मुरझाती बेचारी |

सबको अपना घर प्यारा है

आजादी है प्यारी,

आजादी में जीवन है

जीवन की खुशियाँ सारी |

-    [ भगवती प्रसाद द्विवेदी ]

 

 

शब्दार्थ

हरदम – हमेशा

मनचाहा – मन जैसा चाहे

रास न आना – अच्छा नहीं लगना

गवारा – स्वीकार

 

 


अभ्यास

बातचीत के लिए

1. चिड़ियाघर में कौन-कौन से पशु-पक्षियों को रखा जाता है ?

उत्तर :- चिड़ियाघर में विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी जैसे शेर, बाघ, हिरन, गैंडा, जिराफ, भालू, घड़ियाल, मगरमच्छ, मोर, तोता, साँप आदि को रखा जाता है |

2. चिड़ियाघर में पशु-पक्षियों के रहने एवं खाने-पीने की व्यवस्था कैसे की जाती है ?

उत्तर :- चिड़ियाघर में पशु-पक्षियों के रहने के लिए घर बनाए जाते हैं | उनके खाने-पीने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है | हर पशु-पक्षी का घर एवं भोजन उनके स्वभाव के अनुकूल दिया जाता है |

3. पालतू पशुओं को जंगल में एवं जंगली पशुओं को घर में रखा जाए तो क्या होगा ?

उत्तर :- पालतू पशुओं को जंगल में एवं जंगली पशुओं को घर में रखा जाए तो दोनों का जीवन कष्टों से भर जाएगा और जंगली पशु हम पर आक्रमण कर हमें घायल कर देंगे |

4. जलीय जंतुओं को यदि स्थल पर रखा जाए तो उन्हें क्या-क्या कठिनाइयाँ आ सकती हैं ?

उत्तर :- जलीय जंतुओं को यदि स्थल पर रखा जाए तो वे बिना जल के मर जायेंगे |

5. हम किन-किन पक्षियों को पालते हैं और क्यों ?

उत्तर :- हम तोता, मोर, मुर्गी, मुर्गा, कबूतर, बत्तख आदि पक्षियों को पालते हैं | तोता मनुष्य की तरह बोलकर और मोर नाचकर सबका मन बहलाता है तथा मुर्गी, मुर्गा, कबूतर एवं बत्तख को माँस एवं अंडा के लिए पालते हैं |

आपकी समझ से

1. प्रत्येक पशु-पक्षी आजाद रहना चाहता है लेकिन इंसान कई पशु-पक्षियों को कैद करके रखते हैं ? आपके अनुसार क्या यह उचित है ?

उत्तर :- मेरे अनुसार यह उचित नहीं है |

2. आपको अपना घर क्यों प्यारा लगता है ?

उत्तर :- हमें अपना घर प्यारा लगता है क्योंकि यहाँ सुरक्षा का एहसास होता है और स्वतंत्रतापूर्वक ख़ुशी से रह सकते हैं |

3. मनचाहा भोजन, कपड़े, खिलौने आदि न मिलने पर आप क्या करते हैं ?

उत्तर :- मनचाहा भोजन, कपड़े, खिलौने आदि न मिलने पर हम उदास हो जाते हैं, खाना नहीं खाते हैं ताकि परिवार वाले मनपसन्द चीज लाकर दें |

4. पशु-पक्षी स्वतंत्रतापूर्वक रह सकें इसके लिए हमें क्या करना चाहिए ?

उत्तर :- पशु-पक्षी स्वतंत्रतापूर्वक रह सकें इसके लिए हमें उन्हें कैद करके नहीं रखना चाहिए और उनके आवास, भोजन आदि के लिए पेड़-पौधे लगाना चाहिए |

 

आजादी की बातें

1. आपके लिए आजादी के क्या-क्या मतलब हैं ? ( ) लगाइए –

अपनी बात जी भरकर करना     (    )

किसी को कुछ भी कहना        (    )

छुट्टी का दिन                 (    )

लड्डू खाने का दिन            (    )

मनपसंद कहानी पढ़ना         (    )

 

उत्तर :-

अपनी बात जी भरकर करना, छुट्टी का दिन |

 

2. बताइए, आजादी का क्या मतलब होगा ?

चिड़िया के लिए .......................................................

शेर के लिए .......................................................

मछली के लिए .......................................................

आपकी बहन के लिए .......................................................

आपके भाई के लिए .......................................................

उत्तर :-

चिड़िया के लिए – स्वतंत्रतापूर्वक इधर-उधर उड़ना, चहकना |

शेर के लिए – जंगल में आजादी के साथ विचरण करना और रहना |

मछली के लिए – पानी में बिना किसी डर के इधर–उधर घूमना और रहना |

आपकी बहन के लिए – लड़कों को जितना स्वतंत्रता उपलब्ध है, उतना प्राप्त होना |

आपके भाई के लिए – मनचाहा विषय पढ़ना, बिना-रोक के दोस्तों संग  घूमना, मनचाहा जॉब करना |

 

3. आपने अपने आस-पास ऐसा जरुर देखा होगा –

रंग-बिरंगी चिड़ियों को पिंजरे में कैद करके उन्हें बेचना |

घरों में तोते एवं मछलियों को पालना |

(क) क्या आपको यह सही लगता है ? क्यों ?

उत्तर :- मुझे यह सही नहीं लगता है क्योंकि सभी जीवों को आजादी से जीने का हक़ है |

(ख) पशु-पक्षी कैद में रहते हुए कैसा महसूस करते होंगे ?

उत्तर :- पशु-पक्षी कैद में रहते हुए बहुत बेचैन महसूस करते होंगे और उनका पूरा जीवन कुंठित हो जाता होगा |

(ग) अगर आपको कोई कैद करके रखे तो आपको कैसा लगेगा ?

उत्तर :- अगर मुझे कोई कैद करके रखे तो मैं डिप्रेशन का शिकार हो जाऊँगा और मेरे जीवन में कष्टों के सिवा कुछ न होगा |

कविता में से

1. कलियाँ कब मुस्काती और कब मुरझा जाती हैं ?

उत्तर :- कलियाँ जब फूलों की डाली से जुड़ी होती हैं, तब मुस्काती हैं और तोड़ने पर मुरझा जाती हैं |

2. तोता-मैना पिंजरे में मनचाहा भोजन मिलने के बाद भी खुश क्यों नहीं रह पाते ?

उत्तर :- तोता-मैना पिंजरे में मनचाहा भोजन मिलने के बाद भी खुश नहीं रह पाते क्योंकि उन्हें खुले आसमान में आजादी के साथ उड़ने और मनचाहा तरीके से रहने और कुछ भी करने की इजाजत नहीं होती |

3. शेर चिड़ियाघर में क्यों नहीं रहना चाहता ?

उत्तर :- शेर जंगल में निर्भय और आजादी से रहना चाहता है | अतः चिड़ियाघर की गुलामी का जीवन उसे पसंद नहीं आता | इसी कारण शेर चिड़ियाघर में नहीं रहना चाहता |

4. कविता के दिए गए अंश के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प के आगे सही चिन्ह (  ) लगाइए –

मैना-सुग्गा पिंजरे में

हो बंद, दुखी हो जाते,

सुख-सुविधा, मनचाहा भोजन

फिर भी चहक न पाते |

चिड़ियाघर में कैद शेर

हरदम दहाड़ गुर्राता,

वहाँ गुलामी का वह जीवन

उसको रास न आता |

(क) चिड़ियाघर को गुलामी का जीवन कहा गया है, क्योंकि

वहाँ काम करना पड़ता है | (     )

वहाँ खाने को नहीं मिलता | (     )

वहाँ अपनी मर्जी से घूम-फिर नहीं सकते | (     )

 

उत्तर :-

वहाँ अपनी मर्जी से घूम-फिर नहीं सकते |

 

(ख) चिड़ियाघर में कैद शेर क्या करता है ?

पिंजरे को तोड़ता है | (     )

दहाड़ते-गुर्राते हुए कैद से आजाद होना चाहता है | (     )

सारा दिन परेशान करता है | (     )

 

उत्तर :-

दहाड़ते-गुर्राते हुए कैद से आजाद होना चाहता है |

 

 

(ग) मैना-तोता पिंजरे में दुखी हो जाते हैं, क्योंकि –

वे आकाश में उड़ना चाहते हैं |  (     )

उन्हें पिंजरे में अच्छा भोजन नहीं मिलता | (     )

वे पिंजरे में चहक नहीं सकते | (     )

 

 

उत्त्तर :- वे आकाश में उड़ना चाहते हैं | 

 

 

(घ) प्राणियों को सबसे ज्यादा क्या अच्छा लगता है ?

मनचाहा भोजन  (     )

आजादी (     )

सुख-सुविधाएँ (     )

 

उत्तर :- आजादी

 

 

(ङ) कवि कहना चाहते हैं कि –

चिड़ियाघर खराब जगह है | (     )

पशु-पक्षियों को सुख से रखना चाहिए | (     )

आज़ादी में ख़ुशी होती है | (     )

 

उत्तर :- आज़ादी में ख़ुशी होती है |

 

 

5. दी गई पंक्तियों को पढ़े एवं बताएँ कि वे पंक्तियाँ किनके लिए कही गई हैं –

(क) सुख-सुविधा मनचाहा भोजन, फिर भी चहक न पाते |

(ख) वहाँ गुलामी का वह जीवन, उसको रास न आता |

(ग) जल से बाहर रहकर जीना, उसको नहीं गवारा |

(घ) फूलों की डाली प्यारी |

 

(क) सुख-सुविधा मनचाहा भोजन, फिर भी चहक न पाते |

उत्तर :- पिंजरे में बंद पक्षी

(ख) वहाँ गुलामी का वह जीवन, उसको रास न आता |

उत्तर :- पिंजरे में बंद शेर

(ग) जल से बाहर रहकर जीना, उसको नहीं गवारा |

उत्तर :- मछली

(घ) फूलों की डाली प्यारी |

उत्तर :- कलियाँ

 

 

 

 

 

 

 

 

6. नीचे कुछ चित्र दिए गए हैं इनके लिए कविता में से उपयुक्त पंक्तियाँ छाँटकर लिखिए –

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-------------------------

parrot.jpg-------------------------

-------------------------

 

-------------------------

-------------------------

flower.jpg-------------------------

-------------------------

 

-------------------------

lion.jpg-------------------------

-------------------------

-------------------------

 

उत्तर :-

मैना-सुग्गा पिंजरे में

हो बंद, दुखी हो जाते,          

सुख-सुविधा, मनचाहा भोजन

फिर भी चहक न पाते |

 

मुसकाती कलियों को है

फूलों की डाली प्यारी,

अगर तोड़ लेता कोई

तो मुरझाती बेचारी |

 

चिड़ियाघर में कैद शेर

हरदम दहाड़ गुर्राता,

वहाँ गुलामी का वह जीवन

उसको रास न आता |

 

 

शीर्षक की बात

1. कविता के दो अन्य शीर्षक बताइए |

(क)  ------------------  (ख) --------------------

उत्तर :- (क) आजादी का महत्व (ख) स्वतंत्रताप्रिय

2. यह भी बताइए कि आप ये शीर्षक क्यों चुने ?

उत्तर :- ये शीर्षक इसलिए चुने हैं क्योंकि पाठ में आजादी की विशेषता बताई गई है | हर जीव स्वतंत्रतापूर्वक जीवन जीने के अभिलाषी होते हैं |

भाषा के नियम

1. इनका मतलब समझाइए –

(क) रास न आना

(ख) गवारा न होना

(ग) चहक न पाना

 

उत्तर :-

(क) रास न आना – पसंद न आना

(ख) गवारा न होना – स्वीकार न करना

(ग) चहक न पाना –  कलरव न करना

 

 

2. नीचे दिए गए वाक्यों के वचन बदलकर उन्हें दुबारा लिखिए –

(क) तोता पिंजरे में कैद था |

----------------------------------------------

(ख) मछली जल में मचलती है |

----------------------------------------------

(ग) शेर हरदम गुर्राता-दहाड़ता है |

----------------------------------------------

(घ) फूल को मत तोड़ो |

----------------------------------------------

 

उत्तर :-

(क) तोता पिंजरे में कैद था |

उत्तर :- तोते पिंजरे में कैद थे |

(ख) मछली जल में मचलती है |

उत्तर :- मछलियाँ जल में मचलती हैं |

(ग) शेर हरदम गुर्राता-दहाड़ता है |

उत्तर :- शेर हरदम गुर्राते-दहाड़ते हैं |

(घ) फूल को मत तोड़ो |

उत्तर :- फूलों को मत तोड़ो |

3. जीवन शब्द से कई नए शब्द बन सकते हैं, जैसे –

जीवनी, जैव, जैविक, जीवनदान इत्यादी |

आप नीचे दिए गए शब्दों से नए शब्द बनाइए –

(क) दिन -  ----------------------------------------------

(ख) धन - ----------------------------------------------

 

उत्तर :-

(क) दिन -  दैनिक, दिनेश, दिनकर |

(ख) धन – धनी, धनिक, धनवान |

 

रंगों की दुनिया

कविता में जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा हो उसका एक चित्र बनाइए और उसमें रंग भरिए | आप चाहें तो अपनी एक छोटी-सी कविता भी लिख सकते हैं –

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


उत्तर :- छात्र स्वयं चित्र बनाएँ |

 

 

 

 

 


  

                                      19. अँधेर नगरी

पात्र

महंत, शिष्य गोवर्धनदास, शिष्य नारायणदास, राजा, कुंजड़िन, हलवाई, फरियादी, कल्लू बनिया, कारीगर, चूने वाला, भिश्ती, कसाई, गड़ेरिया, कोतवाल, कुछ सिपाही

स्थान-शहर से बाहर सड़क

( महंतजी और दो चेले बातें कर रहे हैं )

महंत : बच्चा नारायणदास ! यह नगर तो दूर से बड़ा सुंदर दिखलाई पड़ता है | देख कुछ भिक्षा मिले तो बहुत अच्छा है |

नारायणदास : गुरूजी महाराज ! नगर तो सचमुच बहुत ही सुंदर है | बहुत अच्छा है |

महंत : बच्चा गोवर्धनदास ! तू पश्चिम की ओर जा और नारायणदास पूर्व की ओर जाएगा |

 ( गोवर्धनदास जाता है )

गोवर्धनदास : (कुंजड़िन से) क्यों, भाजी क्या भाव ?

कुंजड़िन : बाबाजी ! टके सेर |

गोवर्धनदास : सब भाजी टके सेर ! वाह ! वाह ! बड़ा आनंद है | यहाँ सभी चींजे टके सेर | ( हलवाई के पास जाकर ) क्यों भाई हलवाई ! मिठाई क्या भाव ?

हलवाई : सब टके सेर |

गोवर्धनदास : वाह ! वाह ! बड़ा आनंद है | सब टके सेर | क्यों बच्चा ! इस नगरी का नाम क्या है ?

हलवाई : अँधेर नगरी |

गोवर्धनदास : और राजा का नाम क्या है ?

हलवाई : चौपट राजा |

गोवर्धनदास : वाह ! वाह !

अँधेर नगरी चौपट राजा,

टके सेर भाजी टके सेर खाजा |

हलवाई : तो बाबाजी ! कुछ लेना हो तो बोलो ?

गोवर्धनदास : बच्चा, भिक्षा मांगकर सात पैसे लाया हूँ, साढ़े तीन सेर मिठाई दे दे |

( महंतजी और नारायणदास एक ओर से आते हैं और दूसरी ओर से गोवर्धनदास आता है )

महंत : बच्चा गोवर्धनदास ! कह, क्या भिक्षा लाया? गठरी तो भारी मालूम पड़ती है |

गोवर्धनदास : गुरूजी महाराज ! सात पैसे भिक्षा में मिले थे | उसी से साढ़े तीन सेर मिठाई मोल ली है |

महंत : बच्चा ! नारायणदास ने मुझसे कहा था कि यहाँ सभी चींजे टके सेर मिलती हैं, तो मैंने इसकी बात का विश्वास नहीं किया | बच्चा यह कौन-सी नगरी है और इसका कौन-सा राजा है, जहाँ टके सेर भाजी और टके सेर खाजा मिलता है ?

गोवर्धनदास : अँधेर नगरी चौपट राजा,

           टके सेर भाजी टके सेर खाजा |

महंत : तो बच्चा ! ऐसी नगरी में रहना उचित नहीं है, जहाँ टके सेर भाजी और टके सेर खाजा बिकता है | मैं तो नगर में अब पल भर भी नहीं रहूँगा | देख, मेरी बात मान, नहीं तो पीछे पछताएगा | मैं तो जाता हूँ, पर इतना कहे जाता हूँ कि कभी संकट पड़े तो याद करना |

( राजा और मंत्री यथास्थान बैठे हैं | पर्दे के पीछे ‘दुहाई है’ की आवाज आती है | )

राजा : कौन चिल्लाता है? उसे बुलाओ तो |

( दो सिपाही एक फरियादी को लाते हैं )

फरियादी : दुहाई महाराज, दुहाई !

राजा : बोलो, क्या हुआ ?

फरियादी : महाराज ! कल्लू बनिए की दीवार गिर पड़ी, सो मेरी बकरी उसके नीचे दब गई | न्याय हो |

राजा : अच्छा, कल्लू बनिए को पकड़ लाओ |

( सिपाही दौड़कर बाहर से बनिए को पकड़ लाते हैं )

राजा : क्यों रे बनिए | इसकी बकरी क्यों दबकर मर गई ?

कल्लू : महाराज ! मेरा कुछ दोष नहीं | कारीगर ने ऐसी दीवार बनाई कि गिर पड़ी |

राजा : अच्छा, कल्लू को छोड़ दो, कारीगर को पकड़ लाओ |

( कल्लू जाता है | लोग कारीगर को पकड़कर लाते हैं )

राजा : क्यों रे कारीगर ! इसकी बकरी कैसे मर गई ?

कारीगर : महाराज ! चूने वाले ने चूना ऐसा खराब बनाया कि दीवार गिर पड़ी |

राजा : अच्छा, उस चूने वाले को बुलाओ |

( कारीगर निकाला जाता है | चूने वाला पकड़कर लाया जाता है )

राजा : क्यों रे चूने वाले ! इसकी बकरी कैसे मर गई ?

चूनेवाला : महाराज ! भिश्ती ने चूने में पानी ज्यादा डाल दिया, इसी से चूना कमजोर हो गया |

राजा : तो भिश्ती को पकड़ो |

( भिश्ती लाया जाता है )

राजा : क्यों रे भिश्ती ! इतना पानी क्यों डाल दिया कि दीवार गिर पड़ी और बकरी दब गई ?

भिश्ती : महाराज ! गुलाम का कोई कसूर नहीं, कसाई ने मसक इतनी बड़ी बना दी थी कि उसमें पानी ज्यादा आ गया |

राजा : अच्छा ! कसाई को लाओ, भिश्ती को निकालो |

( लोग भिश्ती को निकालते हैं | कसाई को लाते हैं )

राजा : क्यों रे कसाई ! तूने ऐसी मसक क्यों बनाई ?

कसाई : महाराज ! गड़ेरिये ने टके की ऐसी बड़ी भेड़ मेरे हाथ बेची कि मसक बड़ी बन गई |

राजा : अच्छा ! कसाई को निकालो, गड़ेरिये को लाओ |

( कसाई निकाला जाता है | गड़ेरिया लाया जाता है )

राजा : क्यों रे गड़ेरिये ! ऐसी बड़ी भेड़ क्यों बेची ?

गड़ेरिया : महाराज ! उधर से कोतवाल की सवारी आई, उसकी भीड़-भाड़ के कारण मैंने छोटी-बड़ी भेड़ का ख्याल ही नहीं किया, मेरा कुछ कसूर नहीं |

राजा : इसको निकालो, कोतवाल को पकड़कर लाओ |

( कोतवाल को पकड़कर लाया जाता है )

राजा : क्यों रे कोतवाल ! तूने सवारी इतनी धूम से क्यों निकाली कि गड़ेरिये ने घबराकर बड़ी भेड़ बेच दी ?

कोतवाल : महाराज ! मैंने कोई कसूर नहीं किया |

राजा : कुछ नहीं | ले जाओ, कोतवाल को अभी फाँसी दे दो |

( सभी कोतवाल को पकड़कर ले जाते हैं )

स्थान-जंगी

( गोवर्धनदास बैठा मिठाई खा रहा है )

गोवर्धनदास : गुरूजी ने हमको नाहक यहाँ रहने को मना किया था | माना कि देश बहुत बुरा है, पर अपना क्या ?

( चार सिपाही चारों ओर से आकर उसको पकड़ लेते हैं )

पहला सिपाही : चल बे चल ! मिठाई खाकर खूब मोटा हो गया है | आज मजा मिलेगा |

गोवर्धनदास : ( घबड़ाकर ) हैं | यह आफत कहाँ से आई ? अरे भाई, मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है जो मुझे पकड़ते हो ?

दूसरा सिपाही : आप बड़े मोटे हैं, इसलिए फाँसी लगेगी |

गोवर्धनदास : मोटा होने से फाँसी ! यह कहाँ का न्याय है ? अरे, फकीरों से मजाक नहीं किया जाता |

पहला सिपाही : जब सूली पर चढ़ जाओगे तब मालूम पड़ेगा कि फाँसी या मजाक | सीधी तरह चलते हो या घसीटकर ले चलें ?

गोवर्धनदास : तब भी बात क्या है, कि एक फ़क़ीर आदमी को नाहक फाँसी देते हो ?

पहला सिपाही : बात यह है कल कोतवाल को फाँसी का हुक्म हुआ था | जब फाँसी देने को उसे ले गए तो फाँसी का फंदा बड़ा निकला क्योंकि कोतवाल साहब दुबले हैं | हमलोगों ने महाराज से विनती की | इस पर हुक्म हुआ किसी मोटे आदमी को फाँसी दे दो, क्योंकि बकरी मरने के अपराध में किसी न किसी को सजा होना जरुरी है, नहीं तो न्याय नहीं होगा |

गोवर्धनदास : दुहाई परमेश्वर की ! मैं नाहक मारा जाता हूँ | यह बड़ा ही अँधेर है | गुरूजी महाराज का कहा मैंने न माना, उसका फल मुझे भोगना पड़ा | गुरूजी, तुम कहाँ हो ? आओ, मेरे प्राण बचाओ ! मैं बे-अपराध मारा जाता हूँ | गुरूजी !

( गोवर्धनदास चिल्लाता है, सिपाही उसे पकड़कर ले जाते हैं )

गोवर्धनदास : हाय बाप रे ! मुझे बेक़सूर ही फाँसी देते हैं | अरे भाईयों, कुछ तो धर्म का ख्याल करो | अरे ! मुझे छोड़ दो | हाय ! हाय !

पहला सिपाही : अबे, चुप रह ! राजा का हुक्म भला कहीं टल सकता है ? यह तेरा आखिरी दम है, राम का नाम ले, बेकार क्यों शोर करता है ?

गोवर्धनदास : हाय, मैंने गुरूजी का कहना न माना, उसी का यह फल है | गुरूजी कहाँ हो ? बचाओ, गुरूजी ! गुरूजी !

महंत : अरे बच्चा गोवर्धनदास ! तेरी यह क्या दशा है ?

गोवर्धनदास : ( गुरूजी को हाथ जोड़कर ) गुरूजी, दीवार के नीचे बकरी दब गई, जिसके लिए मुझे फाँसी दी जा रही है | गुरूजी, बचाओ ?

महंत : कोई चिंता नहीं गोवर्धनदास ! सब समर्थ है | ( भौंह चढ़ाकर सिपाहियों से ) सुनो, मुझे शिष्य को अंतिम उपदेश देने दो ? तुम लोग ज़रा किनारे हो जाओ | देखो मेरा कहना न मानोगे तो तुम्हारा भला न होगा |

सिपाही : नहीं महाराज ! हमलोग हट जाते हैं | आप बेशक उपदेश दीजिए |

( सिपाही हट जाते हैं | गुरूजी चेले के कान में कुछ समझाते हैं, उसके बाद गुरु और चेला दोनों फाँसी पर चढ़ने के लिए झगड़ने लगते हैं | )

गोवर्धनदास : तब तो गुरूजी, हम अभी फाँसी चढ़ेंगे |

महंत : नहीं बच्चा, हम बूढ़े हुए, हमको चढ़ने दे |

गोवर्धनदास : स्वर्ग जाने में बूढा-जवान क्या ? आप सिद्ध हैं | आपको गति-अगति से क्या? मैं फाँसी चढूँगा |

( इसी प्रकार दोनों हुज्जत करते हैं | सिपाही हैरान होते हैं | राजा, मंत्री और कोतवाल आते हैं )

राजा : यह क्या गोल-माल है ?

सिपाही : महाराज, चेला कहता है मैं फाँसी चढूँगा, गुरु कहता है मैं चढूँगा | कुछ मालूम नहीं पड़ता कि क्या बात है |

राजा : ( गुरूजी से ) बाबाजी बोलो | आप फाँसी क्यों चढ़ना चाहते हैं ?

महंत : राजा, इस समय ऐसी शुभ घड़ी है कि जो मरेगा, सीधा स्वर्ग जाएगा |

मंत्री : तब तो हम ही फाँसी चढ़ेंगे |

गोवर्धनदास : नहीं, हम | हमको हुक्म है |

कोतवाल : हम लटकेंगे, हमारे सबब से तो दीवार गिरी |

राजा : चुप रहो सब लोग | राजा के जीते जी और कौन स्वर्ग जा सकता है ? हमको फाँसी चढ़ाओ, जल्दी-जल्दी |

( राजा को लोग फाँसी पर लटका देते हैं )

- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

 

शब्दार्थ

टका – ताँबे/चाँदी का पुराना सिक्का जो दो पैसे के बराबर होता था |

कसूर – दोष, गलती

नाहक – बिना कारण

विनती – निवेदन, प्रार्थना

हुज्जत – बहस, झगड़ा

सबब – कारण

मसक – चमड़े का बना एक थैला-सा जिसे कमर पर लादकर भिश्ती घरों में पानी पहुँचाता है |

भिश्ती – मसक द्वारा पानी ढ़ोने वाला व्यक्ति

फरियादी – शिकायत करने वाला

 


अभ्यास

बातचीत के लिए

1. आपके पड़ोस में लगने वाले बाजार में क्या-क्या बिकता है ?

उत्तर :- हमारे पड़ोस में लगने वाले बाजार में चावल, दाल, सब्जी, फ़ास्ट फ़ूड, कपड़े आदि बिकते हैं |

 

2. आप कभी बाजार में खरीदारी करने गए हैं ? यदि हाँ, तो क्या-क्या ख़रीदा और कितने रूपये में ?

उत्तर :- हाँ, मैंने बाजार में अपने लिए एक शर्ट 450 रूपये में और एक जींस 500 रूपये में ख़रीदा |

3. घर पर आप अपनी कौन-कौन-सी शिकायत माँ से और कौन-कौन-सी शिकायत पिताजी से करते हैं ?

उत्तर :- घर पर मैं अपने भाई-बहन की शिकायत माँ से और स्कूल से संबंधित कोई शिकायत पिताजी से करता हूँ |

पाठ में से

1. एकांकी में जो घटनाएँ घटी उन पर (  ) लगाइए और जो नहीं घटी उन पर ( × ) लगाइए |

महंत जी ने अँधेर नगरी छोड़ने के लिए कहा |  (    )

कल्लू किसान की दीवार गिर पड़ी थी | (    )

कारीगर ने भिश्ती पर आरोप लगाया | (    )

नगर में सारी चींजे टके सेर मिलती थीं | (    )

सिपाहियों ने फाँसी लगाने के लिए महंत को पकड़ लिया | (    )

महंत ने गोवर्धनदास को फाँसी से बचाया | (    )

लोग राजा को फाँसी पर लटका देते हैं | (    )

 

उत्तर :-

महंत जी ने अँधेर नगरी छोड़ने के लिए कहा |  (    )

कल्लू किसान की दीवार गिर पड़ी थी | ( × )

कारीगर ने भिश्ती पर आरोप लगाया | ( × )

नगर में सारी चींजे टके सेर मिलती थीं | (    )

सिपाहियों ने फाँसी लगाने के लिए महंत को पकड़ लिया | ( ×  )

महंत ने गोवर्धनदास को फाँसी से बचाया | (    )

लोग राजा को फाँसी पर लटका देते हैं | (    )

 

2. महंत ने नगरी को छोड़ने की बात की | क्योंकि –

(क) नगरी सुंदर नहीं थी |

(ख) नगरी में खाजा टके सेर मिलता था |

(ग) नगरी में सभी चींजे एक ही दाम पर मिलती थीं जो बताता है कि वहाँ कोई नियम नहीं था |

(घ) उन्हें मालूम था कि यहाँ सिपाही गलत आरोप में फँसा सकते हैं |

 

उत्तर :- (ग) नगरी में सभी चींजे एक ही दाम पर मिलती थीं जो बताता है कि वहाँ कोई नियम नहीं था |

 

3. कल्लू ने किसकी और क्या गलती बताई ?

उत्तर :- कल्लू ने कारीगर का दोष बताया कि कारीगर ने दीवार ठीक से नहीं बनाई, इसी कारण दीवार गिर गई |

4. फरियादी ने राजा से क्या फ़रियाद की ?

उत्तर :- फरियादी ने राजा से फ़रियाद की कि कल्लू बनिए की दीवार गिर पड़ी, सो मेरी बकरी उसके नीचे दबकर मर गई |

5. राजा ने कोतवाल को फाँसी की सजा क्यों सुनाई ?

उत्तर :- कोतवाल की सवारी आने से हुई भीड़-भाड़ के कारण गड़ेरिया छोटी-बड़ी भेड़ का ख्याल ही नहीं कर पाया | इसलिए दोषी मानकर राजा ने कोतवाल को फाँसी की सजा सुनाई |

6. राजा ने स्वयं फाँसी पर चढ़ने के लिए क्यों कहा ?

उत्तर :- गुरूजी ने कहा था कि इस समय जो मरेगा, वह स्वर्ग जाएगा | राजा ने स्वर्ग जाने की लालसा से स्वयं फाँसी पर चढ़ने के लिए कहा |

समझ की बात

1. अँधेर नगरी में सभी ने नुकसान का कारण दूसरे को ही क्यों बताया ?

उत्तर :- राजा मूर्ख था | उसमें सही निर्णय लेने की क्षमता नहीं थी | लोग उसकी इस कमजोरी को अच्छी तरह जानते थे, इसलिए अँधेर नगरी में सभी ने नुकसान का कारण दूसरे को ही बताया |

2. नगर को अँधेर नगरी क्यों कहा गया है ?

उत्तर :- नगर को अँधेर नगरी कहा गया है क्योंकि नगर में सभी चींजे एक ही दाम पर मिलती थीं जो बताता है कि वहाँ कोई नियम नहीं था |

अनुमान और कल्पना

1. राजा के फाँसी चढ़ने के बाद उस नगर में क्या हुआ होगा ?

उत्तर :- राजा के फाँसी चढ़ने के बाद उस नगर की व्यवस्था बदल गई होगी | लोगों ने ऐसे व्यक्ति को राजा बनाया होगा, जो सूझ-बूझ से निर्णय लेने की क्षमता रखता हो |

2. अगर आप अँधेर नगरी के राजा होते तो किस प्रकार न्याय करते ?

उत्तर :- अगर हम अँधेर नगरी के राजा होते तो पूरी तरह छानबीन के बाद जो दोषी साबित होता, उसे उसके दोष के अनुसार दंड देते |

टके सेर

1. आपके बाजार में ये चींजे किस दाम में मिलती है ? पता करके लिखिए –

एक किलो आटा -

एक किलो आलू -

दो दर्जन केले -

एक दर्जन पेंसिल -

एक लीटर दूध –

 

हाट-बाजार

1. आपके घर के आस-पास लगने वाले बाजार में क्या-क्या बिकता है ? तालिका में लिखिए –

सामान          बिकने वाली चींजे

खाने-पीने का -  मोमो,चाउमीन, बर्गर, माँस, मछली, घरेलू सामान

पहनने का -   साड़ी, फ्रॉक, पैंट-शर्ट, गंजी, कोट, गमछी, लूंगी

ओढ़ने का  -  कम्बल, चादर, रजाई

नहाने-धोने का -  साबुन, डिटर्जेंट, इजी

पढ़ने का -  उपन्यास, कहानी, कविता की पुस्तकें, पत्रिका, अखबार

लिखने का -  कलम, पेंसिल

2. बाजार में आपने कई चीजों के विज्ञापन वाले पोस्टर देखे होंगे | विज्ञापन वाले पोस्टरों में क्या-क्या होता है ?

उत्तर :- विज्ञापन वाले पोस्टरों में आकर्षक ऑफर के बारे में प्रचार होता है | उसमें उस क्षेत्र से संबंधित चित्र, व्यक्ति आदि होते हैं और उसमें पूछताछ के लिए मोबाइल नंबर भी दिया होता है |

आप ‘लिट्टी-चोखा’ के लिए एक विज्ञापन बनाइए |

उत्तर :- लिट्टी-चोखा – मात्र 20 रूपये प्लेट | एक बार खायेंगे तो बार-बार खायेंगे |

भाषा के नियम

1. नीचे दिए गए शब्द के समान अर्थ वाले शब्द लिखिए –

हुक्म -              दुबला -

सजा -              परमेश्वर -

जरुरी -

 

उत्तर :-

हुक्म – आदेश         दुबला – कमजोर

सजा – दंड           परमेश्वर – भगवान

जरुरी – आवश्यक

 

2. ‘कसूर’ के आगे ‘बे’ जोड़कर ‘बेक़सूर’ शब्द बना है | ‘बे’ उपसर्ग है जो शब्द के पहले जुड़ता है | ‘बे’ उपसर्ग नए शब्द बनाइए –

(क) बे + ईमान - ------------ (ग)  ------------ + ताज - ------------

(ख)  -------- + सहारा - -------- (घ) ---------- + परवाह - ----------

 

उत्तर :-

(क) बे + ईमान – बेईमान

(ख) बे + सहारा – बेसहारा

(ग) बे + ताज – बेताज

(घ) बे + परवाह – बेपरवाह

 

3. नीचे दिए गए शब्दों को पढ़िए और बोलने के अंतर को समझिए –

दीवार – दी + वा + र

स्वर्ग – स् + व + र् + ग

ट्रक – ट् + र + क

प्रकांड – प् + र + कां + ड

अब नीचे दिए गए शब्दों को बोलकर पढ़िए –

गोवर्धन     बकरी    कारीगर    ड्रामा      वर्षा     कर्म

ट्रेन      प्रकाश      राजा      विनम्र     राष्ट्र     क्रम

4. नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए –

यह उसका फल है |

आज यही फल मिले |

क्या दोनों वाक्यों में ‘फल’ का मतलब एक ही है ? पहले वाक्य में ‘फल’ का मतलब है – नतीजा, परिणाम | दूसरे वाक्य में ‘फल’ का अर्थ खाने वाले फलों से है जैसे – केला, अमरुद आदि |

अब आप नीचे दिए वाक्यों को पढ़िए और मोटे शब्दों के मतलब लिखिए –

(क)

कजरी बोली, “अब मुझे सोना है |”  --------------------

तुषार ने तिजोरी में सारा सोना रख दिया | --------------------

(ख)

नदिया के तीर सैर को चलो | --------------------

तीर निशाने पर लगा | ----------------

(ग)

महंत ने उत्तर दिया | --------------------

उत्तर की तरफ देखो | -------------------

 

उत्तर :-

(क) सोना = विश्राम करना; सोना = कीमती धातु

(ख) तीर = किनारा, तट; तीर = बाण

(ग) उत्तर = जवाब; उत्तर = उत्तर दिशा में

5. भेड़-बकरी आदि पशुओं को चराने वाले को गड़ेरिया कहते हैं |

मशक से पानी डालने वाले को भिश्ती कहते हैं | बताइए इन्हें क्या कहते हैं

दूर की दृष्टि रखने वाला – ------------------

जो पढ़ाता है – ------------------

जो गहने बनाता है – ------------------

अभिनय करने वाला – ------------------

अभिनय करने वाली -  ------------------

 

उत्तर :-

दूरद्रष्टा, अध्यापक, सुनार, अभिनेता, अभिनेत्री

 

पढ़ने का मजा

नीचे एकांकी का एक अंश दिया गया है | साथ ही उसी घटना से मिलती-जुलती एक कविता की कुछ पंक्तियाँ भी दी गई है | दोनों को पढ़कर बताइए कि आपको किसे पढ़ने में ज्यादा मजा आया और क्यों ?

एकांकी का अंश

( सिपाही हट जाता है | गुरूजी चेले के कान में कुछ समझाते हैं | उसके बाद गुरु और चेला दोनों फाँसी पर चढ़ने के लिए झगड़ने लगते हैं | )

गोवर्धनदास : तब तो गुरूजी ! हम अभी फाँसी पर चढ़ेंगे |

महंत : नहीं बच्चा ! हम बूढ़े हुए | हमको चढ़ने दे |

 

कविता की पंक्तियाँ

गुरूजी ने चेले को आकर बुलाया,

तुरंत कान में मंत्र कुछ गुनगुनाया |

झगड़ने लगे फिर गुरु और चेला,

भया उनमें धक्का बड़ा रेल-पेला |

गुरु ने कहा- फाँसी पर मैं चढूँगा ,

कहा चेले ने – फाँसी पर मैं मरूँगा |

उत्तर :- मुझे कविता की पंक्तियाँ पढ़कर ज्यादा मजा आया क्योंकि कविता लयात्मक होती है |

 

आपकी कलम से

‘अँधेर नगरी’ एकांकी में आपको जो घटना सबसे अच्छी लगी हो उसे कहानी के रूप में लिखिए |

उत्तर :- एक समय की बात है | गोवर्धनदास नामक एक व्यक्ति अँधेर नगरी में भिक्षा माँगने जाता है | अचानक चार सिपाही चारो ओर से आकर उसको पकड़ लेते हैं | पहला सिपाही कहता है, “मिठाई खाकर खूब मोटा हो गया है | आज मजा मिलेगा |” गोवर्धनदास घबड़ाकर पकड़ने का कारण पूछता है तो पहला सिपाही बताता है कि कल कोतवाल को फाँसी का हुक्म हुआ था | जब फाँसी देने को उसे ले गए तो फाँसी का फंदा बड़ा निकला क्योंकि कोतवाल साहब दुबले हैं इसलिए महाराज किसी मोटे व्यक्ति को फाँसी पर चढ़ाने का आदेश दिए हैं |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

  


                             20. क्यों

पूछूँ तुमसे एक सवाल

झट-पट उत्तर दो गोपाल

मुन्ना के क्यों गोरे गाल ?

पहलवान क्यों ठोके ताल ?

भालू के क्यों इतने बाल ?

चले साँप क्यों तिरछी चाल ?

नारंगी क्यों होती लाल ?

घोड़े के क्यों-लगती नाल ?

झरना क्यों बहता दिन-रात ?

जाड़े में क्यों काँपे गात ?

हफ्ते में क्यों दिन हैं सात ?

बुड्ढों के क्यों टूटे दाँत ?

ढम ढम ढम क्यों बोले ढोल ?

पैसा क्यों होता है गोल ?

मीठा क्यों होता है गन्ना ?

क्यों चम चम चमकीला पन्ना ?

बालक क्यों डरते सुन हौआ ?

काँव-काँव क्यों करते कौआ ?

नानी को क्यों कहते नानी ?

पानी को क्यों कहते पानी ?

हाथी क्यों होता है काला ?

दादी फेर रही क्यों माला ?

पक कर फल क्यों होता पीला ?

आसमान क्यों नीला – नीला ?

आँख मूँद क्यों सोते हो तुम ?

पीटने पर क्यों रोते हो तुम ?

- श्री नाथ सिंह

 


बूझो तो जानें

1. पककर फल क्यों होता पीला ?

आम, केला आदि पकने के बाद पीले हो जाते हैं |

किसी ऐसे फल का नाम बताइए जो –

(क) पकने के बाद लाल हो जाता है - ---------------

(ख) पकने के बाद भी अपने रंग नहीं बदलता -  ----------------

(ग) पकने के बाद जामुनी हो जाता है -  ------------------

उत्तर :-

क) पकने के बाद लाल हो जाता है – अनार

(ख) पकने के बाद भी अपने रंग नहीं बदलता – नारंगी

(ग) पकने के बाद जामुनी हो जाता है – जामुन

 

2. नानी को क्यों कहते नानी ?

बताइए, इन्हें क्या कहते हैं –

(क) माँ की माँ के बेटे को  --------------

(ख) पिता के भाई के पिता को -------------

(ग) मौसी की बहन की माँ को ---------------

उत्तर :-

(क) माँ की माँ के बेटे को  - मामा

(ख) पिता के भाई के पिता को – दादा

(ग) मौसी की बहन की माँ को – नानी

 

3. मीठा क्यों होता है गन्ना ?

बताइए, इनका स्वाद कैसा होता है –

(क) नींबू     -----------------

(ख) केला    --------------------

(ग) करेला    --------------------

उत्तर :-

(क) नींबू     - खट्टा

(ख) केला    - मीठा

(ग) करेला   -  कड़वा

4. बताइए, इस आकृति में कितने त्रिभुज हैं –

triangle.png

उत्तर :- 13

 

आपके सवाल

आपके मन में भी कई सवाल उठते होंगे कि ऐसा क्यों होता है | आप भी क्यों वाले कोई पाँच सवाल लिखिए –

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-------------------------------------------------------------------

-------------------------------------------------------------------

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उत्तर :-  छात्र स्वयं बनाएँ |



 

                              


 

                                 21.  ईद

रमजान का महिना शुरू हो गया था | लोग रोज़े रखने लगे थे | दस साल का नन्हा असलम भी रोज़ा रखने की जिद करने लगा | उसकी अम्मी ने उसे बहुत समझाया, “बेटा, अभी तुम बहुत छोटे हो | रोज़े में दिन भर कुछ भी नहीं खाया जाता | अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है ? जब तुम बड़े हो जाओगे, तब रोज़े रख लेना |

    इतना समझाने पर भी असलम नहीं माना | उसने तय कर लिया कि वह रोज़े जरुर रखेगा | उसने तो अपने लिए नए कपड़े पसंद भी कर लिए थे | रहीम चाचा की दुकान पर टँगा कुर्ता – पायजामा उसे बहुत पसंद था और उसके ऊपर टँगी जरी की कढ़ाई वाली सदरी तो उसे अपने तरफ खींचने लगती थी |

    असलम अपनी अम्मी के साथ रहता था | उसके अब्बा का इंतकाल हो चुका था | उसके और कोई भाई – बहन नहीं थे | असलम की अम्मी दिन भर चिकन कपड़ों पर कढ़ाई करती थीं | उससे जो थोड़े-बहुत पैसे मिलते, उससे किसी तरह रुखी-सूखी रोटी और असलम की पढ़ाई चल रही थी |

    असलम की अम्मी हमेशा सोचती कि असलम जब पढ़-लिख जाएगा और बड़ा होकर कमाने लगेगा, तो उनकी सारी परेशानियाँ दूर हो जाएँगी | इसलिए वे घर की हालत ठीक न होने के बावजूद मेहनत करके असलम को पढ़ा रही थीं | असलम ने रोज़े रखने शुरू कर दिए थे | वह सुबह चार बजे अपनी अम्मी के साथ उठ जाता | जो कुछ थोड़ा बहुत अम्मी बना देतीं चुपचाप खा लेता | फिर दिन भर वह कुछ भी नहीं खाता, पानी तक नहीं पीता | इसी बीच वह स्कूल भी जाता | यह देखकर उसकी अम्मी को चिंता होने लगती | वे असलम को समझातीं कि बच्चों के लिए पानी पीने और थोड़ा-बहुत खाने की छूट होती है, पर वह नहीं मानता और शाम को अपनी अम्मी के साथ ही रोज़ा खोलता |

   असलम ने अपनी अम्मी को बता दिया था कि वह इस बार ईद पर नए कपड़े ज़रूर लेगा | उसकी अम्मी भी चाहती थी कि उनका बेटा ईद पर नए कपड़े पहने | पर, कहाँ से आए नए कपड़े ? कैसे खरीदेंगे ? उनकी हालत ऐसी नहीं थी |

  एक दिन अपनी अम्मी के साथ बाजार जाते समय असलम ने रहीम चाचा की दुकान पर टँगे कपड़े अम्मी को दिखाए और ईद पर यही कपड़े लेने की जिद की | फिर वह अपनी अम्मी को खींचकर रहीम चाचा की दुकान पर ले गया | उसकी अम्मी ने डरते-डरते रहीम चाचा से कपड़ों के दाम पूछे | दो सौ रूपए सुनकर उनका कलेजा धक् से रह गया | वे चुपचाप असलम को लेकर घर वापस लौट आईं | रास्ते भर असलम उन कपड़ों की तारीफ़ करता रहा |

   असलम की इच्छा और उन कपड़ों के प्रति उसका मोह देखकर असलम की अम्मी सोच में पड़ गईं | वे अपने बेटे का दिल तोड़ना नहीं चाहती थी, पर दो सौ रुपए के कपड़े खरीदना उनके वश में नहीं था | आखिर उन्होंने बहुत सोच-विचारकर तय किया कि दो सौ रुपए नहीं तो कम से कम एक सौ रुपए का जुगाड़ करके वे असलम को ईद में नए कपड़े ज़रूर लेकर पहना देंगी |

   अब असलम की अम्मी ने और अधिक काम करना शुरू कर दिया | वे सुबह जल्दी उठकर कढ़ाई का काम शुरू कर देतीं | दिन भर और फिर रात देर तक कढ़ाई करती रहतीं | एक तो रोज़ा, ऊपर से दुगुनी मेहनत, इसका असर उनकी सेहत पर पड़ने लगा | पर उन्हें तो ईद से पहले नए कपड़े खरीदने के लिए रुपए इकट्ठे करने की धुन सवार थी |

  आज असलम बहुत खुश था | ईद में केवल एक दिन बाकी था और उसके हाथ में पूरे दो सौ रूपए थे | उसकी अम्मी ने दिन-रात एक करके पूरे दो सौ रुपए इकट्ठे कर लिए थे | उसकी अम्मी की तबियत कुछ ठीक नहीं थी, इसलिए उन्होंने रुपए देकर असलम को रहीम चाचा की दुकान से वही कपड़े लेने भेज दिया |

   रूपए लेकर असलम रहीम चाचा की दुकान की तरफ तेजी से बढ़ा चला जा रहा था | उसके मन में ख़ुशी के लड्डू फूट रहे थे | वह तरह-तरह की कल्पनाओं में खोया हुआ था | वह सोचता जा रहा था कि कल सुबह वह नए कपड़े पहनकर ईदगाह जाएगा | अपने दोस्तों से ईद मिलेगा | उसके इतने अच्छे कपड़े देखकर सभी दोस्त दंग रह जाएँगे | इतने अच्छे कपड़े तो और किसी दोस्त के नहीं होंगे | वह सभी दोस्तों को बताएगा कि ये कपड़े उसे उसकी अम्मी ने दिलवाए हैं | इन्हीं ख्यालों में डूबा असलम रुपए लेकर तेज क़दमों से चला जा रहा था |

   अचानक असलम की चाल धीमी हो गई | वह कुछ उदास-सा हो गया | वह सोच में डूब गया | उसके सामने कल स्कूल में घटी घटना घूम गई | कल स्कूल में मोहन कितना रो रहा था | मोहन असलम की ही कक्षा में पढ़ता था | वह पढ़ने में बहुत तेज था | मोहन असलम का पक्का दोस्त था | दोनों कक्षा में एक ही साथ बैठते | मोहन बहुत गरीब घर का लड़का था | उसके पिता मजदूरी करके किसी तरह घर का खर्च चलाते थे | मोहन की माँ नहीं थी और न ही कोई भाई-बहन | पिछले दो महीने से मोहन के पिता बहुत बीमार चल रहे थे, जिससे वे काम पर नहीं जा पाते थे | घर में दवा के लिए पैसे भी नहीं थे | और अब तो खाने के लिए भी घर में कुछ नहीं बचा था | अब उन बेचारों का क्या होगा ?

   असलम सोचने लगा कि कितनी मेहनत से रात-दिन एक करके उसकी अम्मी ने रुपए इकट्ठे किए हैं और वह इन्हें नए कपड़े खरीदकर एक दिन की ख़ुशी के लिए खर्च कर देगा | अगर वह ये रुपए मोहन को दे दे तो उसके पिता की जान बच सकती है | वह अनाथ होने से बच जाएगा | वह पढ़ाई भी कर पाएगा | एक अच्छा दोस्त बिछुड़ने से बच जाएगा और अम्मी की मेहनत भी सफल हो जाएगी | ईद में अगर नए कपड़े नहीं पहने तो इससे क्या फर्क पड़ेगा | यह सब सोचकर असलम तेजी से मोहन के घर की तरफ चल दिया | मोहन रुआँसा-सा चारपाई के पास बैठा था | उसके पिता चारपाई पर लेटे हुए थे | असलम को देखकर मोहन की आँखें फिर भर आईं |

    असलम ने मोहन को ढाँढस बँधाया और उसे रूपए देते हुए बोला, “दोस्त, इन रुपयों से अपने पिता का इलाज करवाओ | असलम के पास इतने रुपए देखकर मोहन अवाक् रह गया | असलम ने उसे समझाते हुए कहा, “मोहन, ये रुपए बहुत ही मेहनत के हैं | मेरी अम्मी ने मुझे नए कपड़े खरीदने के लिए दिए थे | लेकिन इन रुपयों का इससे अच्छा दूसरा कोई उपयोग नहीं हो सकता |”

    मोहन ने बहुत इनकार किया पर असलम नहीं माना | उसने जबरदस्ती रुपए मोहन की जेब में रख दिए | मोहन अपने आपको रोक नहीं सका | वह असलम से लिपटकर रोने लगा | उसे ऐसा लग रहा था, जैसे असलम के रूप में भगवान स्वयं उसकी मदद के लिए आए हों |

  असलम जब वापस अपने घर पहुँचा तो उसकी अम्मी उसे खाली हाथ आया देखकर हैरान रह गईं | असलम ने जब पूरी बात अपनी अम्मी को बताई तो उनकी आँखें छलछला आईं | उन्होंने असलम को अपने सीने से लगा लिया | उनकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा | उन्हें अपने इस नन्हें, लेकिन विचारों से बहुत बड़े, बेटे पर नाज होने लगा | वे बार-बार असलम का मुँह चूमने लगीं | असलम को भी अपनी ऐसी अम्मी पर नाज था |

    उस रात असलम ने एक सपना देखा | अल्लाह उससे कह रहे हैं, “असलम, तुम एक नेक इंसान हो, तुम मेरे बेटे हो, मैं तुमसे प्यार करता हूँ | सच्ची ईद तुम्हीं ने मनाई |”

- श्री मुरलीधर

 


                                                शब्दार्थ

इंतकाल – मृत्यु                      उत्साह – जोश

उपयोग – व्यवहार, काम में लाना

सदरी – बिना बाँह का कुर्ता

तंगहाली – रूपये-पैसे की कमी

अवाक् – स्तब्ध, हैरानी से चुप

नाज – अभिमान, गर्व

 

अभ्यास

बातचीत के लिए

1. ईद क्यों मनाई जाती है? उस दिन क्या-क्या होता है?

उत्तर :- पैगंबर हजरत मोहम्मद के बद्र के युद्ध में विजयी होने की ख़ुशी में ईद मनाई जाती है | उस दिन मुसलमान ईदगाह जाकर नमाज अदा करते हैं और एक-दूसरे से गले मिलकर ईद मुबारक कहते हैं |

2. क्या आपने असलम की तरह कभी अपने दोस्त की मदद की है या दोस्त से मदद ली है ? बताएँ |

उत्तर :- हाँ, असलम की तरह मैंने भी अपने दोस्त की मदद की है | मैंने एक गरीब दोस्त को किताब देकर मदद की क्योंकि पैसों के अभाव के कारण उसने किताब नहीं खरीदी थी और उसे शिक्षक से डाँट सुननी पड़ती थी |

3. लोग कितने दिनों तक रोजे रखते हैं एवं रोजे में क्या करते हैं ?

उत्तर :- लोग तीस दिनों तक रोज़े रखते हैं | सुबह सूरज निकलने से पहले रोजेदार खाना खाते हैं | इसके बाद पूरा दिन कुछ खाते-पीते नहीं हैं और शाम में रोजा खोलते हैं |

4. आप त्योहार पर अपने माता-पिता से क्या खरीदने के लिए कहते हैं ?

उत्तर :- मैं त्योहार पर अपने माता-पिता से कपड़े, खिलौने आदि खरीदने के लिए कहता हूँ |

5. रोज़े के दौरान असलम और उसकी अम्मी की दिनचर्या बताएँ |

उत्तर :- रोज़े के दौरान असलम सुबह चार बजे अम्मी के साथ उठ जाता था | अम्मी जो कुछ बनाती थी, वह खाकर दिन भर पानी नहीं पीता था | वह स्कूल जाता था और शाम में अम्मी के साथ रोज़ा खोलता था |

पाठ से

1. असलम रोजा क्यों रखना चाहता था ? रोजा न रखने के वास्ते उसकी अम्मी ने क्या दलीलें दीं ?

उत्तर :- रमजान के पवित्र महीने में सभी मुसलमान रोज़े रख रहे थे इसलिए असलम भी रोजा रखना चाहता था | रोजा न रखने के वास्ते उसकी अम्मी ने समझाया कि असलम अभी बहुत छोटा है | रोज़े में दिन भर कुछ खाया-पीया नहीं जाता है |

2. असलम ने ईद पर पहनने के लिए कौन-से कपड़े कहाँ पसंद किए ?

उत्तर :- असलम ने ईद पर पहनने के लिए रहीम चाचा की दुकान पर टँगा कुर्ता-पायजामा जरी की कढ़ाई वाली सदरी पसंद किया |

3. अम्मी के द्वारा दिए गए रुपयों का असलम ने क्या किया ?

उत्तर :- अम्मी के द्वारा दिए गए रुपयों को असलम ने अपने दोस्त मोहन के पिता का ईलाज करवाने तथा स्कूल की फीस जमा करने के लिए दे दिया |

4. असलम ने मोहन की मदद क्यों की ?

उत्तर :- मोहन असलम की ही कक्षा में पढ़ता था | दो महीने से उसके पिता बीमार थे जिसके कारण वह स्कूल की फीस जमा नहीं कर पाया था | इसलिए एक सच्चा मित्र होने के नाते असलम ने मोहन की मदद की |

किसने, किससे कहा ?

1. “बच्चों के लिए पानी पीने और थोड़ा-बहुत खाने की छूट होती है |”

............................ ने  ............................ से कहा |

2. “इन रुपयों से अपने पिता का इलाज करवाओ |”

............................ ने  ............................ से कहा |

3. “असलम तुम एक नेक इंसान हो, तुम मेरे बेटे हो, मैं तुमसे प्यार करता हूँ | सच्ची ईद तुम्हीं ने मनाई है |”

............................ ने  ............................ से कहा |

 

 

1. “बच्चों के लिए पानी पीने और थोड़ा-बहुत खाने की छूट होती है |”

उत्तर :- अम्मी ने असलम से कहा |

2. “इन रुपयों से अपने पिता का इलाज करवाओ |”

उत्तर :- असलम ने मोहन से कहा |

3. “असलम तुम एक नेक इंसान हो, तुम मेरे बेटे हो, मैं तुमसे प्यार करता हूँ | सच्ची ईद तुम्हीं ने मनाई है |”

उत्तर :- अल्लाह ने असलम से कहा |

 

पाठ से आगे

(1) असलम के स्थान पर आप होते हो अम्मी के दिए रुपयों का क्या करते ? लिखिए |

उत्तर :- असलम के स्थान पर मैं होता तो वही करता जो असलम ने किया | मैं भी अपने गरीब मित्र की मदद करता |

(2) मुसलमानों का धार्मिक ग्रंथ कौन-सा है और मुसलमान हज करने के लिए कहाँ जाते हैं ? पता कीजिए |

उत्तर :- मुसलमानों का धार्मिक ग्रंथ कुरान है और मुसलमान हज करने के लिए मक्का जाते हैं |

आपकी अम्मी

असलम की अम्मी ने उसे ईद पर नए कपड़े दिलवाने के लिए दिन-रात मेहनत की |

1. क्या आपकी माँ आप की बात पूरी करने के लिए बहुत मेहनत करती हैं? बताइए |

उत्तर :- हाँ, मेरी माँ मेरी बात पूरी करने के लिए मेहनत करती है | वह सिलाई का काम करती है ताकि मेरी पढ़ाई-लिखाई अच्छे से हो सके |

2. आपकी माँ दिन – भर क्या-क्या काम करती है ? उनके कामों की एक सूची बनाइए |

उत्तर :- मेरी माँ सुबह पाँच बजे उठती है | फिर ब्रेकफास्ट तैयार करने में लग जाती है | उसके बाद घर के बाकी काम करके फिर लंच तैयार करती है | फिर सिलाई का कामों में लग जाती है और शाम में सब्जी, फल और बाकी जरूरतों के सामान बाजार से लाकर रात्रि का भोजन बनाती है |

भाषा के नियम

1. रेखांकित शब्द का विलोम (उल्टा) शब्द रिक्त स्थान में भरें –

(क) असलम सबसे ज्यादा प्रसन्न था, न कि ..................... |

(ख) उसका दोस्त गरीब था, न कि ........................... |

(ग) चलते-चलते बाजार निकल आ गया और गाँव ............. हो गया |

(घ) कभी आसमान पर जाते मालूम होते हो तो कभी ............ पर गिरते हुए |

 

(क) असलम सबसे ज्यादा प्रसन्न था, न कि अप्रसन्न  |

(ख) उसका दोस्त गरीब था, न कि अमीर |

(ग) चलते-चलते बाजार निकल आ गया और गाँव दूर हो गया |

(घ) कभी आसमान पर जाते मालूम होते हो तो कभी धरती पर गिरते हुए |

 

 

2. कभी-कभी शब्दों का प्रयोग जोड़े के रूप में किया जाता है, जैसे – देवी-देवता, टूटी-फूटी, धीरे-धीरे आदि | यहाँ पर दोनों शब्दों के अर्थ हैं, परंतु कुछ निरर्थक शब्दों के साथ भी जोड़े बनते हैं, जैसे – चाय-वाय |

इस प्रकार के तीन जोड़े बनाइए –

........................... ............................... ..............................

उत्तर :- दवा-दारु,  रोटी-बोटी,  अनाप-सनाप

 

3. नाज-नाज़

गोदाम में नाज भरा हुआ था |

अम्मी को असलम पर नाज़ था |

पहले वाक्य में ‘नाज’ शब्द का मतलब है – अनाज | दूसरे वाक्य में ‘नाज़’ का मतलब है – गर्व होना | दोनों शब्दों में केवल नुक्ता ( . ) का अंतर है | इससे शब्द का मतलब बदल जाता है |

(क) नीचे दिए गए शब्दों को बोल-बोलकर पढ़िए और इनके बीच के अंतर को समझिए –

तेज – तेज़          राज – राज़

जरा – ज़रा         जंग – ज़ंग

जमाना – ज़माना    सजा – सज़ा

गज – गज़

 

उत्तर :-

तेज - आभा           तेज़तीव्र, फुर्तीला

राज – शासन            राज़ – रहस्य 

जरा - बुढ़ापा            ज़रा – थोड़ा

जंग – लड़ाई            ज़ंग – लोहे में जंग

जमाना – जमाने की क्रिया, उगाना      ज़माना – समय

सजा – सजाया हुआ       सज़ा – दंड

गज – हाथी             गज़ – लंबाई का एक माप

 

 

(ख) सही शब्द से वाक्य पूरा कीजिए –

(i) असलम ने अम्मी को ................. की बात बताई | (राज/राज़)

(ii) अम्मी कढ़ाई के ............... में माहिर थीं | (फन/फ़न)

(iii) ईद पर पूरा बाजार ............. हुआ था | (सजा/सज़ा)

(iv) पुराने ................ में हरकारा चिट्ठी पहुँचाता था | (जमाने/ज़माने)

(v) दोनों राजाओं में  ................. छिड़ गई | (जंग/ज़ंग)

(vi) घोड़ा बहुत .................. दौड़ने लगा | (तेज/तेज़)

 

उत्तर :-

(i) राज़        (ii) फ़न      (iii) सजा

(iv) ज़माने     (v) जंग      (vi) तेज़

 

करके देखें

1. विभिन्न पर्व त्योहारों से संबंधित चित्र/लेख ढूंढें एवं कक्षा में प्रदर्शित करें|

उत्तर :- छात्र स्वयं करें |

2. प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी ‘ईदगाह’ पढ़िए | बताइए कि दोनों में क्या समानता और अंतर है ?

उत्तर :-



रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभाव है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है, यानी संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गाँव में कितनी हलचल है। ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। किसी के कुरते में बटन नहीं है, पड़ोस के घर में सुई-धागा लेने दौड़ा जा रहा है। किसी के जूते कड़े हो गए हैं, उनमें तेल डालने के लिए तेली के घर पर भागा जाता है। जल्दी-जल्दी बैलों को सानी-पानी दे दें। ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जायगी। तीन कोस का पैदल रास्ता, फिर सैकड़ों आदमियों से मिलना-भेंटना, दोपहर के पहले लौटना असम्भव है।

 

लड़के सबसे ज्यादा प्रसन्न हैं। किसी ने एक रोजा रखा है, वह भी दोपहर तक, किसी ने वह भी नहीं, लेकिन ईदगाह जाने की खुशी उनके हिस्से की चीज है। रोजे बड़े-बूढ़ों के लिए होंगे। इनके लिए तो ईद है। रोज ईद का नाम रटते थे, आज वह आ गयी। अब जल्दी पड़ी है कि लोग ईदगाह क्यों नहीं चलते। इन्हें गृहस्थी की चिंताओं से क्या प्रयोजन! सेवैयों के लिए दूध ओर शक्कर घर में है या नहीं, इनकी बला से, ये तो सेवेयाँ खायेंगे। वह क्या जानें कि अब्बाजान क्यों बदहवास चौधरी कायमअली के घर दौड़े जा रहे हैं। उन्हें क्या खबर कि चौधरी आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाय। उनकी अपनी जेबों में तो कुबेर का धन भरा हुआ है। बार-बार जेब से अपना खजाना निकालकर गिनते हैं और खुश होकर फिर रख लेते हैं। महमूद गिनता है, एक-दो, दस,-बारह, उसके पास बारह पैसे हैं। मोहसिन के पास एक, दो, तीन, आठ, नौ, पंद्रह पैसे हैं। इन्हीं अनगिनती पैसों में अनगिनती चीजें लायेंगें-

खिलौने, मिठाइयाँ, बिगुल, गेंद और जाने क्या-क्या। और सबसे ज्यादा प्रसन्न है हामिद। वह चार-पाँच साल का गरीब- सूरत, दुबला-पतला लड़का, जिसका बाप गत वर्ष हैजे की भेंट हो गया और माँ न जाने क्यों पीली होती-होती एक दिन मर गयी। किसी को पता क्या बीमारी है। कहती तो कौन सुनने वाला था? दिल पर जो कुछ बीतती थी, वह दिल में ही सहती थी ओर जब न सहा गया तो संसार से विदा हो गयी। अब हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना की गोद में सोता है और उतना ही प्रसन्न है। उसके अब्बाजान रूपये कमाने गए हैं। बहुत-सी थैलियाँ लेकर आयेंगे। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बड़ी अच्छी-अच्छी चीजें लाने गयी हैं, इसलिए हामिद प्रसन्न है। आशा तो बड़ी चीज है, और फिर बच्चों की आशा! उनकी कल्पना तो राई का पर्वत बना लेती है। हामिद के पाँव में जूते नहीं हैं, सिर पर एक पुरानी-धुरानी टोपी है, जिसका गोटा काला पड़ गया है, फिर भी वह प्रसन्न है। जब उसके अब्बाजान थैलियाँ और अम्मीजान नियामतें लेकर आयेंगी, तो वह दिल से अरमान निकाल लेगा। तब देखेगा, मोहसिन, नूरे और सम्मी कहाँ से उतने पैसे निकालेंगे। अभागिन अमीना अपनी कोठरी में बैठी रो रही है। आज ईद का दिन, उसके घर में दाना नहीं! आज आबिद होता, तो क्या इसी तरह ईद आती ओर चली जाती! इस अंधकार और निराशा में वह डूबी जा रही है। किसने बुलाया था इस निगोड़ी ईद को? इस घर में उसका काम नहीं, लेकिन हामिद! उसे किसी के मरने-जीने से क्या मतलब? उसके अन्दर प्रकाश है, बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दल-बल लेकर आये, हामिद की आनंद-भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी।

हामिद भीतर जाकर दादी से कहता है- तुम डरना नहीं अम्माँ, मैं सबसे पहले आऊँगा। बिल्कुल न डरना।

 

अमीना का दिल कचोट रहा है। गाँव के बच्चे अपने-अपने बाप के साथ जा रहे हैं। हामिद का बाप अमीना के सिवा और कौन है! उसे कैसे अकेले मेले जाने दे? उस भीड़-भाड़ से बच्चा कहीं खो जाय तो क्या हो? नहीं, अमीना उसे यों न जाने देगी। नन्ही-सी जान! तीन कोस चलेगा कैसे? पैर में छाले पड़ जायेंगे। जूते भी तो नहीं हैं। वह थोड़ी-थोड़ी दूर पर उसे गोद में ले लेती, लेकिन यहाँ सेवैयाँ कौन पकायेगा? पैसे होते तो लौटते-लौटते सब सामग्री जमा करके चटपट बना लेती। यहाँ तो घंटों चीजें जमा करते लगेंगे। माँगे का ही तो भरोसा ठहरा। उस दिन फहीमन के कपड़े सिले थे। आठ आने पैसे मिले थे। उस अठन्नी को ईमान की तरह बचाती चली आती थी इसी ईद के लिए लेकिन कल ग्वालन सिर पर सवार हो गयी तो क्या करती? हामिद के लिए कुछ नहीं है, तो दो पैसे का दूध तो चाहिए ही। अब तो कुल दो आने पैसे बच रहे हैं। तीन पैसे हामिद की जेब में, पाँच अमीना के बटवे में। यही तो बिसात है और ईद का त्यौहार, अल्लाह ही बेड़ा पार लगावे। धोबन और नाइन ओर मेहतरानी और चुड़िहारिन सभी तो आयेंगी। सभी को सेवैयाँ चाहिए और थोड़ा किसी को आँखों नहीं लगता। किस-किस सें मुँह चुरायेगी? और मुँह क्यों चुराये? साल भर का त्यौहार है। ज़िंदगी ख़ैरियत से रहे, उनकी तकदीर भी तो उसी के साथ है। बच्चे को खुदा सलामत रखे, यें दिन भी कट जायँगे।

गाँव से मेला चला। और बच्चों के साथ हामिद भी जा रहा था। कभी सबके सब दौड़कर आगे निकल जाते। फिर किसी पेड़ के नीचे खड़े होकर साथ वालों का इंतज़ार करते। यह लोग क्यों इतना धीरे-धीरे चल रहे हैं? हामिद के पैरो में तो जैसे पर लग गए हैं। वह कभी थक सकता है? शहर का दामन आ गया। सड़क के दोनों ओर अमीरों के बगीचे हैं। पक्की चारदीवारी बनी हुई है। पेड़ो में आम और लीचियाँ लगी हुई हैं। कभी-कभी कोई लड़का कंकड़ी उठाकर आम पर निशान लगाता है। माली अंदर से गाली देता हुआ निकलता है। लड़के वहाँ से एक फर्लांग पर हैं। खूब हँस रहे हैं। माली को कैसा उल्लू बनाया है।

 

बड़ी-बड़ी इमारतें आने लगीं। यह अदालत है, यह कालेज है, यह क्लब- घर है। इतने बड़े कालेज में कितने लड़के पढ़ते होंगे? सब लड़के नहीं हैं जी! बड़े-बड़े आदमी हैं, सच! उनकी बड़ी-बड़ी मूँछे हैं। इतने बड़े हो गए, अभी तक पढ़ने जाते हैं। न जाने कब तक पढ़ेंगे और क्या करेंगे इतना पढ़कर! हामिद के मदरसे में दो-तीन बड़े-बड़े लड़के हैं, बिल्कुल तीन कौड़ी के। रोज मार खाते हैं, काम से जी चुराने वाले। इस जगह भी उसी तरह के लोग होंगे ओर क्या। क्लब-घर में जादू होता है। सुना है, यहाँ मुर्दो की खोपड़ियाँ दौड़ती हैं। और बड़े-बड़े तमाशे होते हैं, पर किसी को अंदर नहीं जाने देते। और वहाँ शाम को साहब लोग खेलते हैं। बड़े-बड़े आदमी खेलते हैं, मूँछो दाढ़ी वाले। और मेमें भी खेलती हैं, सच! हमारी अम्माँ को यह दे दो, क्या नाम है, बैट, तो उसे पकड़ ही न सकें। घुमाते ही लुढ़क जायँ।

महमूद ने कहा- हमारी अम्मीजान का तो हाथ काँपने लगे, अल्ला कसम।

 

मोहसिन बोला- चलो, मनों आटा पीस डालती हैं। ज़रा-सा बैट पकड़ लेंगी, तो हाथ काँपने लगेंगे! सैकड़ों घड़े पानी रोज निकालती हैं। पाँच घड़े तो तेरी भैंस पी जाती है। किसी मेम को एक घड़ा पानी भरना पड़े, तो आँखों तले अँधेरा आ जाय।

महमूद- लेकिन दौड़ती तो नहीं, उछल-कूद तो नहीं सकतीं।

 

मोहसिन- हाँ, उछल-कूद तो नहीं सकतीं; लेकिन उस दिन मेरी गाय खुल गयी थी और चौधरी के खेत में जा पड़ी थी, अम्माँ इतना तेज दौड़ीं कि मैं उन्हें न पा सका, सच।

आगे चले। हलवाइयों की दुकानें शुरू हुईं। आज खूब सजी हुई थीं। इतनी मिठाइयाँ कौन खाता है? देखो न, एक-एक दूकान पर मनों होंगी। सुना है, रात को जिन्नात आकर खरीद ले जाते हैं। अब्बा कहते थे कि आधी रात को एक आदमी हर दुकान पर जाता है और जितना माल बचा होता है, वह तुलवा लेता है और सचमुच के रूपये देता है, बिल्कुल ऐसे ही रूपये।

 

हामिद को यकीन न आया- ऐसे रूपये जिन्नात को कहाँ से मिल जायेंगे?

 

मोहसिन ने कहा- जिन्नात को रूपये की क्या कमी? जिस खजाने में चाहैं चले जायँ। लोहे के दरवाजे तक उन्हें नहीं रोक सकते जनाब, आप हैं किस फेर में! हीरे-जवाहरात तक उनके पास रहते हैं। जिससे खुश हो गये, उसे टोकरों जवाहरात दे दिये। अभी यहीं बैठे हैं, पाँच मिनट में कलकत्ता पहुँच जायँ।

हामिद ने फिर पूछा- जिन्नात बहुत बड़े-बड़े होते हैं?

 

मोहसिन- एक-एक सिर आसमान के बराबर होता है जी! जमीन पर खड़ा हो जाय तो उसका सिर आसमान से जा लगे, मगर चाहे तो एक लोटे में घुस जाय।

 

हामिद- लोग उन्हें कैसे खुश करते होंगे? कोई मुझे यह मंतर बता दे तो एक जिन्न को खुश कर लूँ।

 

मोहसिन- अब यह तो मै नहीं जानता, लेकिन चौधरी साहब के काबू में बहुत-से जिन्नात हैं। कोई चीज चोरी जाय चौधरी साहब उसका पता लगा देंगे ओर चोर का नाम बता देंगे। जुमराती का बछवा उस दिन खो गया था। तीन दिन हैरान हुए, कहीं न मिला तब झख मारकर चौधरी के पास गये। चौधरी ने तुरन्त बता दिया, मवेशीखाने में है और वहीं मिला। जिन्नात आकर उन्हें सारे जहान की खबर दे जाते हैं।

 

अब उसकी समझ में आ गया कि चौधरी के पास क्यों इतना धन है और क्यों उनका इतना सम्मान है।

 

आगे चले। यह पुलिस लाइन है। यहीं सब कानिसटिबिल कवायद करते हैं। रैटन! फाय फो! रात को बेचारे घूम-घूमकर पहरा देते हैं, नहीं चोरियाँ हो जायँ। मोहसिन ने प्रतिवाद किया- यह कानिसटिबिल पहरा देते हैं? तभी तुम बहुत जानते हो अजी हजरत, यह चोरी करते हैं। शहर के जितने चोर-डाकू हैं, सब इनसे मिले रहते हैं।रात को ये लोग चोरों से तो कहते हैं, चोरी करो और आप दूसरे मुहल्ले में जाकर जागते रहो! जागते रहो!पुकारते हैं। तभी इन लोगों के पास इतने रूपये आते हैं। मेरे मामू एक थाने में कानिसटिबिल हैं। बीस रूपया महीना पाते हैं, लेकिन पचास रूपये घर भेजते हैं। अल्ला कसम! मैंने एक बार पूछा था कि मामू, आप इतने रूपये कहाँ से पाते हैं? हँसकर कहने लगे- बेटा, अल्लाह देता है। फिर आप ही बोले-हम लोग चाहें तो एक दिन में लाखों मार लायें। हम तो इतना ही लेते हैं, जिसमें अपनी बदनामी न हो और नौकरी न चली जाय।

 

हामिद ने पूछा- यह लोग चोरी करवाते हैं, तो कोई इन्हें पकड़ता नहीं?

 

मोहसिन उसकी नादानी पर दया दिखाकर बोला- अरे, पागल! इन्हें कौन पकड़ेगा! पकड़ने वाले तो यह लोग खुद हैं, लेकिन अल्लाह, इन्हें सजा भी खूब देता है। हराम का माल हराम में जाता है। थोड़े ही दिन हुए, मामू के घर में आग लग गयी। सारी लेई-पूँजी जल गयी। एक बरतन तक न बचा। कई दिन पेड़ के नीचे सोये, अल्ला कसम, पेड़ के नीचे! फिर न जाने कहाँ से एक सौ कर्ज लाये तो बरतन-भांडे आये।

 हामिद-एक सौ तो पचास से ज्यादा होते हैं?

कहाँ पचास, कहाँ एक सौ। पचास एक थैली-भर होता है। सौ तो दो थैलियों में भी न आऍं?

 

अब बस्ती घनी होने लगी। ईदगाह जानेवालों की टोलियाँ नजर आने लगी। एक से एक भड़कीले वस्त्र पहने हुए। कोई इक्के-ताँगे पर सवार, कोई मोटर पर, सभी इत्र में बसे, सभी के दिलों में उमंग। ग्रामीणों का यह छोटा-सा दल अपनी विपन्नता से बेखबर, सन्तोष ओर धैर्य में मगन चला जा रहा था। बच्चों के लिए नगर की सभी चीजें अनोखी थीं। जिस चीज की ओर ताकते, ताकते ही रह जाते और पीछे से बार-बार हार्न की आवाज होने पर भी न चेतते। हामिद तो मोटर के नीचे जाते-जाते बचा।

 

सहसा ईदगाह नजर आयी। ऊपर इमली के घने वृक्षों की छाया है। नीचे पक्का फर्श है, जिस पर जाजम बिछा हुआ है। और रोजेदारों की पंक्तियाँ एक के पीछे एक न जाने कहाँ तक चली गयी हैं, पक्की जगत के नीचे तक, जहाँ जाजम भी नहीं है। नये आने वाले आकर पीछे की कतार में खड़े हो जाते हैं। आगे जगह नहीं है। यहाँ कोई धन और पद नहीं देखता। इस्लाम की निगाह में सब बराबर हैं। इन ग्रामीणों ने भी वजू किया ओर पिछली पंक्ति में खड़े हो गये। कितना सुन्दर संचालन है, कितनी सुन्दर व्यवस्था! लाखों सिर एक साथ सिजदे में झुक जाते हैं, फिर सबके सब एक साथ खड़े हो जाते हैं, एक साथ झुकते हैं, और एक साथ घुटनों के बल बैठ जाते हैं। कई बार यही क्रिया होती है, जैसे बिजली की लाखों बत्तियाँ एक साथ प्रदीप्त हों और एक साथ बुझ जायँ, और यही क्रम चलता रहा। कितना अपूर्व दृश्य था, जिसकी सामूहिक क्रियाएँ, विस्तार और अनंतता हृदय को श्रद्धा, गर्व और आत्मानंद से भर देती थीं, मानों भ्रातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोये हुए है।

 

2

नमाज खत्म हो गयी है। लोग आपस में गले मिल रहे हैं। तब मिठाई और खिलौने की दूकान पर धावा होता है। ग्रामीणों का यह दल इस विषय में बालकों से कम उत्साही नहीं है। यह देखो, हिंडोला है एक पैसा देकर चढ़ जाओ। कभी आसमान पर जाते हुए मालूम होगें, कभी जमीन पर गिरते हुए। यह चर्खी है, लकड़ी के हाथी, घोड़े, ऊँट, छड़ों में लटके हुए हैं। एक पैसा देकर बैठ जाओ और पच्चीस चक्करों का मजा लो। महमूद और मोहसिन ओर नूरे ओर सम्मी इन घोड़ों ओर ऊँटों पर बैठते हैं। हामिद दूर खड़ा है। तीन ही पैसे तो उसके पास हैं। अपने कोष का एक तिहाई जरा-सा चक्कर खाने के लिए नहीं दे सकता।

सब चर्खियों से उतरते हैं। अब खिलौने लेंगे। इधर दूकानों की कतार लगी हुई है। तरह-तरह के खिलौने हैं-सिपाही और गुजरिया, राजा और वकील, भिश्ती और धोबिन और साधु। वाह! कितने सुन्दर खिलौने हैं। अब बोला ही चाहते हैं। महमूद सिपाही लेता है, खाकी वर्दी और लाल पगड़ीवाला, कंधे पर बंदूक रखे हुए, मालूम होता है, अभी कवायद किये चला आ रहा है। मोहसिन को भिश्ती पसंद आया। कमर झुकी हुई है, ऊपर मशक रखे हुए है। मशक का मुँह एक हाथ से पकड़े हुए है। कितना प्रसन्न है! शायद कोई गीत गा रहा है। बस, मशक से पानी उड़ेलना ही चाहता है। नूरे को वकील से प्रेम है। कैसी विद्वमता है उसके मुख पर! काला चोगा, नीचे सफेद अचकन, अचकन के सामने की जेब में घड़ी, सुनहरी जंजीर, एक हाथ में कानून का पोथा लिये हुए। मालूम होता है, अभी किसी अदालत से जिरह या बहस किये चले आ रहे हैं। यह सब दो-दो पैसे के खिलौने हैं। हामिद के पास कुल तीन पैसे हैं, इतने महँगे खिलौने वह कैसे ले? खिलौना कहीं हाथ से छूट पड़े तो चूर-चूर हो जाय। जरा पानी पड़े तो सारा रंग घुल जाय। ऐसे खिलौने लेकर वह क्या करेगा; किस काम के!

 

मोहसिन कहता है- मेरा भिश्ती रोज पानी दे जायगा साँझ-सबेरे।

 

महमूद- और मेरा सिपाही घर का पहरा देगा कोई चोर आयेगा, तो फौरन बंदूक से फैर कर देगा।

 

नूरे- और मेरा वकील खूब मुकदमा लड़ेगा।

सम्मी- और मेरी धोबिन रोज कपड़े धोयेगी।

 

हामिद खिलौनों की निंदा करता है- मिट्टी ही के तो हैं, गिरें तो चकनाचूर हो जायँ, लेकिन ललचाई हुई आँखों से खिलौनों को देख रहा है और चाहता है कि जरा देर के लिए उन्हें हाथ में ले सकता। उसके हाथ अनायास ही लपकते हैं, लेकिन लड़के इतने त्यागी नहीं होते हैं, विशेषकर जब अभी नया शौक है। हामिद ललचाता रह जाता है।

 

खिलौने के बाद मिठाइयाँ आती हैं। किसी ने रेवड़ियाँ ली हैं, किसी ने गुलाबजामुन किसी ने सोहन हलवा। मजे से खा रहे हैं। हामिद बिरादरी से पृथक है। अभागे के पास तीन पैसे हैं। क्यों नहीं कुछ लेकर खाता? ललचायी आँखों से सबकी ओर देखता है।

 

मोहसिन कहता है- हामिद रेवड़ी ले जा, कितनी खुशबूदार है!

हामिद को संदेह हुआ, ये केवल क्रूर विनोद है, मोहसिन इतना उदार नहीं है, लेकिन यह जानकर भी वह उसके पास जाता है। मोहसिन दोने से एक रेवड़ी निकालकर हामिद की ओर बढ़ाता है। हामिद हाथ फैलाता है। मोहसिन रेवड़ी अपने मुँह में रख लेता है। महमूद, नूरे और सम्मी खूब तालियाँ बजा-बजाकर हँसते हैं। हामिद खिसिया जाता है।

 

मोहसिन- अच्छा, अबकी जरूर देंगे हामिद, अल्लाह कसम, ले जाव।

 

हामिद- रखे रहो। क्या मेरे पास पैसे नहीं हैं?

 

सम्मी- तीन ही पैसे तो हैं। तीन पैसे में क्या-क्या लोगे?

 महमूद- हमसे गुलाबजामुन ले जाव हामिद। मोहमिन बदमाश है।

 

हामिद- मिठाई कौन बड़ी नेमत है। किताब में इसकी कितनी बुराइयाँ लिखी हैं।

 

मोहसिन- लेकिन दिल में कह रहे होंगे कि मिले तो खा लें। अपने पैसे क्यों नहीं निकालते?

 

महमूद- हम समझते हैं, इसकी चालाकी। जब हमारे सारे पैसे खर्च हो जायेंगे, तो हमें ललचा-ललचाकर खायगा।

 

मिठाइयों के बाद कुछ दूकानें लोहे की चीजों की, कुछ गिलट और कुछ नकली गहनों की। लड़कों के लिए यहाँ कोई आकर्षण न था। वे सब आगे बढ़ जाते हैं, हामिद लोहे की दुकान पर रूक जाता है। कई चिमटे रखे हुए थे। उसे खयाल आया, दादी के पास चिमटा नहीं है। तवे से रोटियाँ उतारती हैं, तो हाथ जल जाता है। अगर वह चिमटा ले जाकर दादी को दे दे तो वह कितना प्रसन्न होंगी! फिर उनकी उंगलियाँ कभी न जलेंगी। घर में एक काम की चीज हो जायगी। खिलौने से क्या फायदा? व्यर्थ में पैसे खराब होते हैं। जरा देर ही तो खुशी होती है। फिर तो खिलौने को कोई आँख उठाकर नहीं देखता। यह तो घर पहुँचते-पहुँचते टूट-फूट बराबर हो जायेंगे या छोटे बच्चे जो मेले में नहीं आये हैं जिद कर के ले लेंगे और तोड़ डालेंगे। चिमटा कितने काम की चीज है। रोटियाँ तवे से उतार लो, चूल्हें में सेंक लो। कोई आग माँगने आये तो चटपट चूल्हे से आग निकालकर उसे दे दो। अम्माँ बेचारी को कहाँ फुरसत है कि बाजार आयें और इतने पैसे ही कहाँ मिलते हैं? रोज हाथ जला लेती हैं।

हामिद के साथी आगे बढ़ गये हैं। सबील पर सब-के-सब शर्बत पी रहे हैं। देखो, सब कितने लालची हैं। इतनी मिठाइयाँ लीं, मुझे किसी ने एक भी न दी। उस पर कहते है, मेरे साथ खेलो। मेरा यह काम करो। अब अगर किसी ने कोई काम करने को कहा, तो पूछूँगा। खायें मिठाइयाँ, आप मुँह सड़ेगा, फोड़े-फुन्सियाँ निकलेंगी, आप ही जबान चटोरी हो जायगी। तब घर से पैसे चुरायेंगे और मार खायेंगे। किताब में झूठी बातें थोड़े ही लिखी हैं। मेरी जबान क्यों खराब होगी? अम्माँ चिमटा देखते ही दौड़कर मेरे हाथ से ले लेंगी और कहेंगी-मेरा बच्चा अम्माँ के लिए चिमटा लाया है। कितना अच्छा लड़का है। इन लोगों के खिलौने पर कौन इन्हें दुआयें देगा? बड़ों की दुआयें सीधे अल्लाह के दरबार में पहुँचती हैं, और तुरंत सुनी जाती हैं। मेरे पास पैसे नहीं हैं।तभी तो मोहसिन और महमूद यों मिजाज दिखाते हैं। मैं भी इनसे मिजाज दिखाऊँगा। खेलें खिलौने और खायें मिठाइयाँ। मै नहीं खेलता खिलौने, किसी का मिजाज क्यों सहूँ? मैं गरीब सही, किसी से कुछ माँगने तो नहीं जाता। आखिर अब्बाजान कभीं न कभी आयेंगे। अम्मा भी आयेंगी ही। फिर इन लोगों से पूछूँगा, कितने खिलौने लोगे? एक-एक को टोकरियों खिलौने दूँ और दिखा दूँ कि दोस्तों के साथ इस तरह का सलूक किया जाता है। यह नहीं कि एक पैसे की रेवड़ियाँ लीं, तो चिढ़ा-चिढ़ाकर खाने लगे। सबके सब खूब हँसेंगे कि हामिद ने चिमटा लिया है। हँसें! मेरी बला से। उसने दुकानदार से पूछा- यह चिमटा कितने का है?

दुकानदार ने उसकी ओर देखा और कोई आदमी साथ न देखकर कहा- तुम्हारे काम का नहीं है जी!

बिकाऊ है कि नहीं?’

बिकाऊ क्यों नहीं है? और यहाँ क्यों लाद लाये हैं?’

तो बताते क्यों नहीं, कै पैसे का है?’

छ: पैसे लगेंगे।

हामिद का दिल बैठ गया।

ठीक-ठीक पाँच पैसे लगेंगे, लेना हो लो, नहीं चलते बनो।

हामिद ने कलेजा मजबूत करके कहा- तीन पैसे लोगे?

 

यह कहता हुआ वह आगे बढ़ गया कि दुकानदार की घुड़कियाँ न सुने। लेकिन दुकानदार ने घुड़कियाँ नहीं दी। बुलाकर चिमटा दे दिया। हामिद ने उसे इस तरह कंधे पर रखा, मानो बंदूक है और शान से अकड़ता हुआ संगियों के पास आया। जरा सुनें, सबके सब क्या-क्या आलोचनाएँ करते हैं!

मोहसिन ने हँसकर कहा- यह चिमटा क्यों लाया पगले, इसे क्या करेगा?

 

हामिद ने चिमटे को जमीन पर पटककर कहा- जरा अपना भिश्ती जमीन पर गिरा दो। सारी पसलियाँ चूर-चूर हो जायँ बच्चू की।

 

महमूद बोला- तो यह चिमटा कोई खिलौना है?

 

हामिद- खिलौना क्यों नही है! अभी कंधे पर रखा, बंदूक हो गयी। हाथ में ले लिया, फकीरों का चिमटा हो गया। चाहूँ तो इससे मजीरे का काम ले सकता हूँ। एक चिमटा जमा दूँ, तो तुम लोगों के सारे खिलौनों की जान निकल जाय। तुम्हारे खिलौने कितना ही जोर लगायें, मेरे चिमटे का बाल भी बाँका नही कर सकते। मेरा बहादुर शेर है चिमटा।

सम्मी ने खँजरी ली थी। प्रभावित होकर बोला- मेरी खँजरी से बदलोगे? दो आने की है।

 

हामिद ने खँजरी की ओर उपेक्षा से देखा- मेरा चिमटा चाहे तो तुम्हारी खँजरी का पेट फाड़ डाले। बस, एक चमड़े की झिल्ली लगा दी, ढब-ढब बोलने लगी। जरा-सा पानी लग जाय तो खत्म हो जाय। मेरा बहादुर चिमटा आग में, पानी में, आँधी में, तूफान में बराबर डटा खड़ा रहेगा।

 

चिमटे ने सभी को मोहित कर लिया, अब पैसे किसके पास धरे हैं? फिर मेले से दूर निकल आये हैं, नौ कब के बज ग्ये, धूप तेज हो रही है। घर पहुँचने की जल्दी हो रही है। बाप से जिद भी करें, तो चिमटा नहीं मिल सकता। हामिद है बड़ा चालाक। इसीलिए बदमाश ने अपने पैसे बचा रखे थे।

 

अब बालकों के दो दल हो गये हैं। मोहसिन, मह्मूद, सम्मी और नूरे एक तरफ हैं, हामिद अकेला दूसरी तरफ। शास्त्रार्थ हो रहा है। सम्मी तो विधर्मी हो गया! दूसरे पक्ष से जा मिला, लेकिन मोहसिन, महमूद और नूरे भी हामिद से एक-एक, दो-दो साल बड़े होने पर भी हामिद के आघातों से आतंकित हो उठे हैं। उसके पास न्याय का बल है और नीति की शक्ति। एक ओर मिट्टी है, दूसरी ओर लोहा, जो इस वक्त अपने को फौलाद कह रहा है। वह अजेय है, घातक है। अगर कोई शेर आ जाय तो मियाँ भिश्ती के छक्के छूट जायँ, मियाँ सिपाही मिट्टी की बंदूक छोड़कर भागें, वकील साहब की नानी मर जाय, चोगे में मुँह छिपाकर जमीन पर लेट जायँ। मगर यह चिमटा, यह बहादुर, यह रूस्तमे-हिंद लपककर शेर की गरदन पर सवार हो जायगा और उसकी आँखें निकाल लेगा।

मोहसिन ने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर कहा- अच्छा, पानी तो नहीं भर सकता?

 

हामिद ने चिमटे को सीधा खड़ा करके कहा- भिश्ती को एक डाँट बतायेगा, तो दौड़ा हुआ पानी लाकर उसके द्वाडर पर छिड़कने लगेगा।

 

मोहसिन परास्त हो गया, पर महमूद ने कुमुक पहुँचाई- अगर बच्चा पकड़ जायँ तो अदालत में बँधे-बँधे फिरेंगे। तब तो वकील साहब के पैरों पड़ेंगे।

 

हामिद इस प्रबल तर्क का जवाब न दे सका। उसने पूछा- हमें पकड़ने कौन आयेगा?

नूरे ने अकड़कर कहा- यह सिपाही बंदूकवाला।

 

हामिद ने मुँह चिढ़ाकर कहा- यह बेचारे हम बहादुर रूस्तमे-हिंद को पकड़ेंगे! अच्छा लाओ, अभी जरा कुश्ती हो जाय। इसकी सूरत देखकर दूर से भागेंगे। पकड़ेंगे क्या बेचारे!

 

मोहसिन को एक नयी चोट सूझ गयी- तुम्हारे चिमटे का मुँह रोज आग में जलेगा।

 

उसने समझा था कि हामिद लाजवाब हो जायगा, लेकिन यह बात न हुई। हामिद ने तुरंत जवाब दिया- आग में बहादुर ही कूदते हैं जनाब, तुम्हारे यह वकील, सिपाही और भिश्ती लौंडियों की तरह घर में घुस जायेंगे। आग में कूदना वह काम है, जो यह रूस्तमे-हिन्द ही कर सकता है।

महमूद ने एक जोर लगाया- वकील साहब कुरसी-मेज पर बैठेंगे, तुम्हारा चिमटा तो बावरचीखाने में जमीन पर पड़ा रहेगा।

 

इस तर्क ने सम्मी और नूरे को भी सजीव कर दिया! कितने ठिकाने की बात कही है पट्ठे ने! चिमटा बावरचीखाने में पड़ा रहने के सिवा और क्या कर सकता है?

 

हामिद को कोई फड़कता हुआ जवाब न सूझा, तो उसने धाँधली शुरू की- मेरा चिमटा बावरचीखाने में नही रहेगा। वकील साहब कुर्सी पर बैठेंगे, तो जाकर उन्हें जमीन पर पटक देगा और उनका कानून उनके पेट में डाल देगा।

 

बात कुछ बनी नहीं। खासी गाली-गलौज थी; लेकिन कानून को पेट में डालने वाली बात छा गयी। ऐसी छा गयी कि तीनों सूरमा मुँह ताकते रह गये मानो कोई धेलचा कनकौआ किसी गंडेवाले कनकौए को काट गया हो। कानून मुँह से बाहर निकलने वाली चीज है। उसको पेट के अंदर डाल दिया जाना बेतुकी-सी बात होने पर भी कुछ नयापन रखती है। हामिद ने मैदान मार लिया। उसका चिमटा रूस्तमे-हिन्द है। अब इसमें मोहसिन, महमूद नूरे, सम्मी किसी को भी आपत्ति नहीं हो सकती |

विजेता को हारनेवालों से जो सत्कार मिलना स्वाभविक है, वह हामिद को भी मिला। औरों ने तीन-तीन, चार-चार आने पैसे खर्च किए, पर कोई काम की चीज न ले सके। हामिद ने तीन पैसे में रंग जमा लिया। सच ही तो है, खिलौनों का क्या भरोसा? टूट-फूट जायँगे। हामिद का चिमटा तो बना रहेगा बरसों?

 

संधि की शर्तें तय होने लगीं। मोहसिन ने कहा- जरा अपना चिमटा दो, हम भी देखें। तुम हमारा भिश्ती लेकर देखो।

महमूद और नूरे ने भी अपने-अपने खिलौने पेश किये।

 

हामिद को इन शर्तों को मानने में कोई आपत्ति न थी। चिमटा बारी-बारी से सबके हाथ में गया, और उनके खिलौने बारी-बारी से हामिद के हाथ में आये। कितने खूबसूरत खिलौने हैं।

 

हामिद ने हारने वालों के आँसू पोंछे- मैं तुम्हे चिढ़ा रहा था, सच! यह चिमटा भला, इन खिलौनों की क्या बराबरी करेगा, मालूम होता है, अब बोले, अब बोले।

 

लेकिन मोहसिन की पार्टी को इस दिलासे से संतोष नहीं होता। चिमटे का सिक्का खूब बैठ गया है। चिपका हुआ टिकट अब पानी से नहीं छूट रहा है।

 

मोहसिन- लेकिन इन खिलौनों के लिए कोई हमें दुआ तो न देगा?

 

महमूद- दुआ को लिये फिरते हो। उल्टे मार न पड़े। अम्माँ जरूर कहेंगी कि मेले में यही मिट्टी के खिलौने मिले?

 

हामिद को स्वीकार करना पड़ा कि खिलौनों को देखकर किसी की माँ इतनी खुश न होंगी, जितनी दादी चिमटे को देखकर होंगी। तीन पैसों ही में तो उसे सब कुछ करना था ओर

 

उन पैसों के इस उपयोग पर पछतावे की बिल्कुल जरूरत न थी। फिर अब तो चिमटा रूस्तमें-हिन्द है ओर सभी खिलौनों का बादशाह।

 

रास्ते में महमूद को भूख लगी। उसके बाप ने केले खाने को दिये। महमूद ने केवल हामिद को साझी बनाया। उसके अन्य मित्र मुँह ताकते रह गये। यह उस चिमटे का प्रसाद था।

3

ग्यारह बजे गाँव में हलचल मच गयी। मेलेवाले आ गये। मोहसिन की छोटी बहन ने दौड़कर भिश्ती उसके हाथ से छीन लिया और मारे खुशी के जा उछली, तो मियाँ भिश्ती नीचे आ रहे और सुरलोक सिधारे। इस पर भाई-बहन में मार-पीट हुई। दानों खुब रोये। उनकी अम्माँ यह शोर सुनकर बिगड़ीं और दोनों को ऊपर से दो-दो चाँटे और लगाये।

 

मियाँ नूरे के वकील का अंत उनके प्रतिष्ठानुकूल इससे ज्यादा गौरवमय हुआ। वकील जमीन पर या ताक पर तो नहीं बैठ सकता। उसकी मर्यादा का विचार तो करना ही होगा। दीवार में खूँटियाँ गाड़ी गयी। उन पर लकड़ी का एक पटरा रखा गया। पटरे पर कागज का कालीन बिछाया गया। वकील साहब राजा भोज की भाँति सिंहासन पर विराजे। नूरे ने उन्हें पंखा झलना शुरू किया। अदालतों में खस की टट्टियाँ और बिजली के पंखे रहते हैं। क्या यहाँ मामूली पंखा भी न हो! कानून की गर्मी दिमाग पर चढ़ जायगी कि नहीं? बाँस का पंखा आया और नूरे हवा करने लगे। मालूम नहीं, पंखे की हवा से या पंखे की चोट से वकील साहब स्वर्गलोक से मृत्युलोक में आ रहे और उनका माटी का चोला माटी में मिल गया! फिर बड़े जोर-शोर से मातम हुआ और वकील साहब की अस्थि घूरे पर डाल दी गयी।

 

अब रहा महमूद का सिपाही। उसे चटपट गाँव का पहरा देने का चार्ज मिल गया, लेकिन पुलिस का सिपाही कोई साधारण व्यक्ति तो नहीं, जो अपने पैरों चलें। वह पालकी पर चलेगा। एक टोकरी आयी, उसमें कुछ लाल रंग के फटे-पुराने चिथड़े बिछाये गये, जिसमें सिपाही साहब आराम से लेटे। नूरे ने यह टोकरी उठायी और अपने द्वार का चक्कर लगाने लगे।

उनके दोनों छोटे भाई सिपाही की तरह छोनेवाले, जागते लहोपुकारते चलते हैं। मगर रात तो अँधेरी ही होनी चाहिये। महमूद को ठोकर लग जाती है। टोकरी उसके हाथ से छूटकर गिर पड़ती है और मियाँ सिपाही अपनी बन्दूक लिये जमीन पर आ जाते हैं और उनकी एक टाँग में विकार आ जाता है।

 

महमूद को आज ज्ञात हुआ कि वह अच्छा डाक्टर है। उसको ऐसा मरहम मिला गया है जिससे वह टूटी टाँग को आनन-फानन जोड़ सकता है। केवल गूलर का दूध चाहिए। गूलर का दूध आता है। टाँग जवाब दे देती है। शल्य-क्रिया असफल हुई, तब उसकी दूसरी टाँग भी तोड़ दी जाती है। अब कम-से-कम एक जगह आराम से बैठ तो सकता है। एक टाँग से तो न चल सकता था, न बैठ सकता था। अब वह सिपाही संन्यासी हो गया है। अपनी जगह पर बैठा-बैठा पहरा देता है। कभी-कभी देवता भी बन जाता है। उसके सिर का झालरदार साफा खुरच दिया गया है। अब उसका जितना रूपांतर चाहो, कर सकते हो। कभी-कभी तो उससे बाट का काम भी लिया जाता है।

 

अब मियाँ हामिद का हाल सुनिए। अमीना उसकी आवाज सुनते ही दौड़ी और उसे गोद में उठाकर प्यार करने लगी। सहसा उसके हाथ में चिमटा देखकर वह चौंकी।

यह चिमटा कहाँ था?’

मैंने मोल लिया है।

कै पैसे में?’

तीन पैसे दिये।

 

अमीना ने छाती पीट ली। यह कैसा बेसमझ लड़का है कि दोपहर हुआ, कुछ खाया न पिया। लाया क्या, चिमटा! सारे मेले में तुझे और कोई चीज न मिली, जो यह लोहे का चिमटा उठा लाया।

 

हामिद ने अपराधी भाव से कहा-तुम्हारी उँगलियाँ तवे से जल जाती थीं, इसलिए मैने इसे लिया।

 

बुढ़िया का क्रोध तुरन्त स्नेह में बदल गया, और स्नेह भी वह नहीं, जो प्रगल्भ होता है और अपनी सारी कसक शब्दों में बिखेर देता है। यह मूक स्नेह था, खूब ठोस, रस और स्वाद से भरा हुआ। बच्चे में कितना त्याग, कितना ‍सद्‌भाव और कितना विवेक है! दूसरों को खिलौने लेते और मिठाई खाते देखकर इसका मन कितना ललचाया होगा? इतना जब्त इससे हुआ कैसे? वहाँ भी इसे अपनी बुढ़िया दादी की याद बनी रही। अमीना का मन गद्‌गद्‌ हो गया।

 

और अब एक बड़ी विचित्र बात हुई। हामिद के इस चिमटे से भी विचित्र। बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था। बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गयी। वह रोने लगी। दामन फैलाकर हामिद को दुआएं देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी। हामिद इसका रहस्य क्या समझता!

 

समानता – हामिद मिठाई, खिलौने खरीदने के बजाय अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदता है उसी प्रकार असलम ईद के लिए कपड़े खरीदने के बजाय मोहन को पैसे दे देता है |

अंतर – हामिद अपने दादी की मदद करता है लेकिन असलम अपने मित्र की मदद करता है |

 

 

आपकी कहानी

दिए गए चित्र के आधार पर एक कहानी लिखिए –



 

उत्तर :- छात्र स्वयं करें |

 

 

            


                                                  22. परीक्षा

आचार्य चरक आयुर्वेद के महान जानकार थे | घने जंगल में उनका आश्रम था | हर साल बहुत सारे विद्यार्थी उनके आश्रम में आयुर्वेद व जड़ी-बूटियों का ज्ञान प्राप्त करने आते थे |

वे प्रत्येक दिन शिष्यों को वनस्पतियों के बारे में जानकारी देते थे | हर पूर्णिमा की रात वे अपने शिष्यों को लेकर जंगल में निकल पड़ते, क्योंकि कुछ बूटियाँ चाँदनी रात में ही पहचानी जा सकती थीं |

ऐसे में जंगली जानवरों का भय भी होता था | एक तो रात, ऊपर से तरह-तरह की डरावनी आवाज़ें – ये सब मिलकर भय का वातावरण बनाती थीं | कुछ विद्यार्थी तो डर के मारे बीच में ही पढ़ाई छोड़कर भाग जाते थे | आचार्य चरक कहते – “अच्छा हुआ कि डरपोकों ने मेरा समय नष्ट नहीं किया | जो मौत से डर गए वे वैद्य क्या बनेंगे ? वैद्य का तो काम ही मौत से लड़ना है | मृत्यु पर विजय पाना है |

वे परीक्षा भी इतनी कड़ी लेते कि सैकड़ों में कुछ ही विद्यार्थी उत्तीर्ण होते | जो उत्तीर्ण होते वे चारों ओर उनका यश फैलाते | लोगों को विभिन्न रोगों से मुक्ति दिलाते |

आचार्य चरक ने एक बार की परीक्षा में अपने विद्यार्थियों से कहा – “मैं तुम्हें 30 दिन का समय देता हूँ | इन 30 दिनों में तुम्हें सारे जंगल छान मारने होंगे और उन जड़ी-बूटियों को लाना होगा, जिनका आयुर्वेद में कोई उपयोग नहीं होता |

सभी विद्यार्थी चारों दिशाओं की ओर दौड़ पड़े | कुछ विद्यार्थियों को घास-फूस और कँटीली झाड़ियाँ व्यर्थ लगीं | वे उन्हें झोली में भरकर ले आए | कुछ ने वृक्षों की छालें व पत्तियाँ आदि इकट्ठी कीं, जिनकी कोई दवा नहीं बनती थी | कुछ विद्यार्थियों ने ज्यादा छानबीन की और जहरीले फल और तने लाए, जिन्हें खाने से जीवों की मृत्यु होती थी | कुछ अधिक परिश्रमी शिष्यों ने जड़ें भी खोदकर इकट्ठी कर लीं |

बीस दिन के बाद सभी शिष्यों ने अपनी-अपनी जमा की गई जड़ी-बूटियाँ दिखाईं | चरक ने सभी की लाई चीजें देखीं पर वे संतुष्ट नहीं हुए |

उनतीसवें दिन तक केवल एक को छोड़कर सभी शिष्य लौट आए | सभी कुछ न कुछ बीनकर लाए थे | अंतिम शिष्य तीसवें दिन लौटा, वह भी खाली हाथ | वह एक भी वनस्पति नहीं ला पाया था | उसे देख सारे शिष्य हँस पड़े | चरक ने प्रश्नसूचक दृष्टि से उस शिष्य को देखा | वह बोला – “गुरुदेव ! मुझे सारे जंगल में एक भी ऐसी वनस्पति नहीं मिली जो आयुर्वेद के काम न आती हो या बेकार हो |

चरक ने घोषणा की – “इस वर्ष यही विद्यार्थी उत्तीर्ण हुआ है | सचमुच जंगल में ऐसी कोई वनस्पति नहीं है, जो बेकार हो | अगर हम किसी वनस्पति का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, तो उसका अर्थ यही है कि हम उसके गुणों को अभी पहचान नहीं पाए हैं | हमारा ज्ञान उसके बारे में अधूरा है |

 

शब्दार्थ

आयुर्वेद – एक तरह की चिकित्सा पद्धति

आश्रम – जहाँ रहकर शिष्य विद्या अध्ययन करते थे

वैद्य – चिकित्सा करने वाले

शिष्य – छात्र

वनस्पति – पेड़-पौधे

 


अभ्यास

परीक्षा के बहाने

1. परीक्षा शब्द सुनते ही आपको कैसा लगता है ?

उत्तर :- परीक्षा शब्द सुनते ही हम भयभीत हो जाते हैं कि कैसा प्रश्न पूछा जाएगा ? उन प्रश्नों का उत्तर हम दे सकेंगे या नहीं |

2. परीक्षा के दिनों में आपकी दिनचर्या में क्या बदलाव आता है ?

उत्तर :- परीक्षा के दिनों में हम खेलना-कूदना छोड़कर अपना अधिक समय पढ़ाई में लगाते हैं |

3. परीक्षा क्यों ली जाती है ?

उत्तर :- परीक्षा में छात्रों की योग्यता की जाँच होती है कि किसने कितनी लगन से पढ़ाई की है |

4. अगर आपको परीक्षा में बदलाव लाने का अवसर दिया जाए तो आप उसमें क्या-क्या बदलाव लाएँगे और क्यों ?

उत्तर :- अगर मुझे परीक्षा में बदलाव लाने का अवसर दिया जाए तो मैं परीक्षा को मौखिक बना दूँगा क्योंकि बहुत सारे छात्र परीक्षा में नक़ल कर पास कर जाते हैं |

5. अपना परीक्षा-परिणाम आप सबसे पहले किसे बताते हैं और क्यों ?

उत्तर :- अपना परीक्षा-परिणाम मैं सबसे पहले अपने प्रिय मित्र को बताता हूँ क्योंकि वो मेरी कमियों को बतलाता है, जिसे अगली परीक्षा में सुधार लाकर मैं और अच्छे अंक लाता हूँ |

पाठ में से

1. गुरु जी का क्या नाम था ? वे किस विषय के जानकार थे ?

उत्तर :- गुरु जी का नाम आचार्य चरक था | वह आयुर्वेद के जानकार थे |

2. गुरु जी पूर्णिमा की रात शिष्यों को जंगल में क्यों ले जाते थे ?

उत्तर :- गुरु जी पूर्णिमा की रात शिष्यों को जंगल में इसलिए ले जाते थे क्योंकि कुछ बूटियाँ चाँदनी रात में ही पहचानी जा सकती थीं |

3. कुछ शिष्य बीच में ही पढ़ाई छोड़कर क्यों भाग जाते थे ? सही उत्तर पर (   ) लगाएँ |

(क) पढ़ाई कठिन थी |  (    )

(ख) गुरु जी डाँटते थे | (    )

(ग) रात में सोने को नहीं मिलता था | (    )

(घ) रात को जंगल में डर लगता था | (    )

 

उत्तर :-

(घ) रात को जंगल में डर लगता था |

 

4. गुरु जी ने शिष्यों को परीक्षा के लिए 30 दिनों का समय क्यों दिया होगा ?

उत्तर :- गुरु जी ने शिष्यों को परीक्षा के लिए 30 दिनों का समय इसलिए दिया होगा ताकि वे सारे जंगल छान मार सकें और उन जड़ी-बूटियों को ढूँढ सकें, जिनका आयुर्वेद में कोई उपयोग नहीं होता |

5. परीक्षा में शिष्यों को क्या करना था ?

उत्तर :- परीक्षा में शिष्यों को 30 दिनों में जंगल में उन जड़ी-बूटियों की पहचान करनी थी, जिनका आयुर्वेद में कोई उपयोग नहीं होता |

6. परीक्षा में केवल एक ही शिष्य उत्तीर्ण हुआ | क्यों ?

उत्तर :- परीक्षा में केवल एक ही शिष्य उत्तीर्ण हुआ क्योंकि उसने ही पूर्ण निष्ठा एवं ध्यान से गुरूजी की बातों को सुना था और जाना था कि हर वनस्पति आयुर्वेद में उपयोगी है |

सोच-समझकर

1. गुरु जी ने शिष्यों को परीक्षा के लिए 30 दिन दिए | आपको परीक्षा के लिए कितने दिन मिलते हैं ? क्या उतने दिन काफ़ी हैं ? सोचकर बताएँ |

उत्तर :- हमें परीक्षा के लिए पंद्रह दिन मिलते हैं जो काफी नहीं है |

2. गुरु जी परीक्षा के माध्यम से शिष्यों को क्या समझाना चाहते थे ?

उत्तर :- गुरु जी परीक्षा के माध्यम से शिष्यों को समझाना चाहते थे कि जंगल में ऐसी कोई वनस्पति नहीं है, जो बेकार हो | अगर हम किसी वनस्पति का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, तो उसका अर्थ यही है कि हम उसके गुणों को अभी पहचान नहीं पाए हैं |

3. आयुर्वेद में किस विषय के बारे में बात की जाती है ?

उत्तर :- आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों के विषय के बारे में बात की जाती है |

4. इस पाठ का शीर्षक परीक्षा क्यों रखा गया होगा ?

उत्तर :- इस पाठ का शीर्षक परीक्षा इसलिए रखा गया होगा क्योंकि गुरु चरक ने अपने शिष्यों को जो कुछ पढ़ाया था, उसकी जाँच हेतु शिष्यों को जड़ी-बूटियों की पहचान करने के लिए एक परीक्षा ली |

5. आप इस कहानी के लिए कौन-सा शीर्षक रखेंगे ? कोई दो शीर्षक बताइए | साथ ही यह भी बताइए कि आपने ये शीर्षक क्यों चुने |

मेरा शीर्षक -  --------------------------------------------

उत्तर :- मेरा शीर्षक – ‘वनस्पति का महत्व’ एवं ‘जड़ी-बूटियों का उपयोग’ | मैंने ये शीर्षक इसलिए चुना क्योंकि आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों का ही अध्ययन किया जाता है कि कौन वनस्पति किस रोग की औषधि है |

समझ की बात

1. पढ़ाई छोड़कर जाने वाले शिष्यों के लिए गुरु जी ऐसा क्यों कहते थे – “अच्छा हुआ कि डरपोकों ने मेरा समय नष्ट नहीं किया |”

उत्तर :- गुरु जी ऐसा इसलिए कहते थे क्योंकि ईलाज के लिए जंगल से ही जड़ी-बूटियाँ लानी पड़ती है | अगर कोई शिष्य डरपोक होगा तो वह कैसे शिक्षा ग्रहण करने के लिए जंगल में जड़ी-बूटियाँ ढूँढेगा |

2. आपको कब-कब लगता है कि आपका समय नष्ट हो रहा है ? (   ) का निशान लगाइए –

(क) खेलने में                     (   )

(ख) पढ़ाई करने में                 (   )

(ग) टी.वी. देखने में                 (   )

(घ) स्कूल आने-जाने में              (   )

(ङ) घर के लिए सामान खरीदने में     (   )

(च) घर का काम करने में            (   )

(छ) सोने में                       (   )

(ज) दोस्तों के साथ घूमने-फिरने में    (   )

(झ) पानी भरने में                  (   )

(ञ) पेंसिल ढूँढने में                 (   )

 

उत्तर :- छात्र स्वयं करें |

 

3. आपके घर में कौन, कितने समय काम और कितने समय आराम करता है ? तालिका में लिखिए – (समय घंटे, मिनट में लिखिए)

व्यक्ति

काम करना

आराम करना

मैं

 

 

माँ

 

 

पिताजी

 

 

भाई

 

 

बहन

 

 

मित्र

 

 

 

 

उत्तर :- छात्र स्वयं करें |

 

4. आपके बुजुर्ग अक्सर आपसे कहते होंगे –

पढ़ लो, समय बर्बाद मत करो, बीता हुआ समय फिर वापस नहीं आता |

समय की कद्र करना सीखो | यूँ इधर-उधर समय क्यों गँवा रहे हो ? आदि |

(क) क्या उनका ऐसा कहना ठीक है ? क्यों ?

उत्तर :- हाँ, उनका कहना ठीक है क्योंकि समय नष्ट करने वाला जीवन भर दुखी रहता है |

(ख) जब वे ऐसा कहते हैं तो आपको कैसा लगता है ?

उत्तर :- जब वे ऐसा कहते हैं तो मुझे बहुत बुरा लगता है लेकिन फिर समझ आता है कि वे सही ही कह रहे थे |

(ग) किसी ऐसी घटना के बारे में बताइए जब आपने समय का ध्यान नहीं रखा और आपको कोई परेशानी उठानी पड़ी हो |

उत्तर :- एक बार परीक्षा नजदीक थी, फिर भी मैं दोस्तों के कहने पर क्रिकेट खेलने में मस्त था, फिर घर आकर यूट्यूब पर कॉमेडी विडियो देखने लगा जिसके कारण परीक्षा में कम अंक आए |

अनुमान और कल्पना

ऐसे में जंगली जानवरों का भय भी होता था |

1. जंगल में कौन-कौन से जानवर होते होंगे ?

उत्तर :- जंगल में बाघ, शेर, चीता, हिरन, भालू, भेड़िया, हाथी आदि जानवर होते होंगे |

2. चाँदनी रात में पहचानी जा सकने वाली जड़ी-बूटियों में कौन-सी ख़ास बात होती होंगी ?

उत्तर :- चाँदनी रात में पहचानी जा सकने वाली जड़ी-बूटियों में यह ख़ास बात होती होगी कि वह पूर्ण प्रकाश में ही पहचान में आती होगी |

3. चरक ने अंतिम शिष्य को प्रश्नसूचक दृष्टि से क्यों देखा होगा ?

उत्तर :- चरक ने अंतिम शिष्य को प्रश्नसूचक दृष्टि से इसलिए देखा होगा क्योंकि अंतिम शिष्य को छोड़ सभी छात्र कोई न कोई वनस्पति अपने साथ लाए थे |

आस-पास

1. क्या आपके आस-पास ऐसा कोई पेड़-पौधा है जो किसी तरह का नुकसान पहुँचाता है ?

उत्तर :- नहीं |

2. नीचे दिए गए पेड़-पौधे के लाभ बताइए –

(i) नीम

(ii) तुलसी

(iii) चिरैता   

(iv) अर्जुन

उत्तर :-

(i) नीम – हवा को स्वच्छ बनाता है |

(ii) तुलसी – कफ संबंधी रोग में खाने से लाभ मिलता है |

(iii) चिरैता – इसके सेवन से खून शुद्ध होता है |  

(iv) अर्जुन – इससे पेट संबंधी रोग में लाभ मिलता है |

 

3. आयुर्वेद रोगों के इलाज की एक पद्धति है | इसके बारे में शिक्षक या अन्य बड़े व्यक्तियों से पता कीजिए और कक्षा में बताइए |

उत्तर :- आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है जो कम से कम 5,000 वर्षों से भारत में प्रचलित है। इसमें जड़ी बूटि सहित अन्य प्राकृतिक चीजों से उत्पाद, दवा और रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ तैयार किए जाते हैं।

शब्दों की दुनिया

1. नीचे दिए गए शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए –

वृक्ष -  -------------- --------------

जंगल - -------------   ------------

शिष्य - ------------  --------------

रात –   ------------  --------------

गुरु –    -------------  -------------

उत्तर :-

वृक्ष – पादप, पेड़

जंगल – वन, अरण्य

शिष्य – विद्यार्थी, छात्र

रात – रात्रि, निशा

गुरु – आचार्य, शिक्षक

 

 

2. ‘सभी कुछ-न-कुछ बीनकर लाए थे |’ यहाँ ‘बीनना’ का क्या अर्थ है ?

(i) इन शब्दों के प्रयोग में क्या अंतर है ?

   उठाना, लाना, बीनना, छाँटना

उत्तर :-

उठाना – कोई चीज उठाना

लाना – कहीं से कोई वस्तु लाना

बीनना – चुनना ( ढेर में से चुनना )

छाँटना – अलग-अलग करना

 

(ii) नीचे दिए गए वाक्यों में इन शब्दों का सही रूप के साथ प्रयोग कीजिए–

(क) मैंने आलू ................... अलग कर दिया |

(ख) पिताजी चावल ................... रहे थे |

(ग) शीला ने चादर .................. |

(घ) नंदू क्या ..................... है ?

(ङ) गाँववाले जलावन के लिए सूखी लकड़ियाँ .................. गए हैं |

(च) सामान में से सब्जी और दालें .................. अलग कर दो |

 

उत्तर :-

(क) मैंने आलू छाँटकर अलग कर दिया |

(ख) पिताजी चावल बीन रहे थे |

(ग) शीला ने चादर लाई |

(घ) नंदू क्या छाँटता है ?

(ङ) गाँववाले जलावन के लिए सूखी लकड़ियाँ ले गए हैं |

(च) सामान में से सब्जी और दालें छाँटकर अलग कर दो |

 

 

भाषा के नियम

1. नीचे दिए गए वाक्यों में कौन-सा काल आया है | लिखिए –

भूतकाल, वर्तमानकाल, भविष्यत्काल

(क) मैं तुम्हें 30 दिन का समय देता हूँ | ..................

(ख) वैद्य का तो कार्य ही मौत से लड़ना है | ..................

(ग) आचार्य चरक आयुर्वेद के महान जानकार थे | ..................

(घ) तुम्हें सारे जंगल छान मारने होंगे |..................

(ङ) सभी कुछ-न-कुछ बीनकर लाए थे | ..................

 

उत्तर :-

(क) वर्तमानकाल      (ख) वर्तमानकाल

(ग) भूतकाल         (घ) भविष्यत्काल

(ङ) भूतकाल

 

2. ‘यश’ शब्द में ‘सु’ या ‘अप’ जोड़ने से नए शब्द बनते हैं – ‘सुयश’ , ‘अपयश’ | नीचे दिए गए शब्दों को जोड़ते हुए नए शब्द बनाइए –

(क) सु + कन्या = ........................

(ख) सु + पुत्र = ........................

(ग) अन + देखा = ........................

(घ) अन + पढ़ = ........................

(ङ) प्र + काश = ........................

(च) प्र + देश = ........................

(छ) अ + शांति = ........................

(ज) अ + न्याय = ........................

 

उत्तर :-

(क) सु + कन्या = सुकन्या

(ख) सु + पुत्र = सुपुत्र

(ग) अन + देखा = अनदेखा

(घ) अन + पढ़ = अनपढ़

(ङ) प्र + काश = प्रकाश

(च) प्र + देश = प्रदेश

(छ) अ + शांति = अशांति

(ज) अ + न्याय = अन्याय

 

3. नीचे दिए गए शब्द-समूह में से सही शब्द पर घेरा लगाइए –

(क) आर्युवेद         आयुर्वेद       आयुवेर्द

(ख) पूणिमा         पूर्णिमा         पूणिर्मा

(ग) उर्त्तीण         उत्तीर्ण        उत्तीण

 

उत्तर :-

(क) आयुर्वेद    (ख) पूर्णिमा      (ग) उत्तीर्ण       

4. नीचे दिए गए शब्दों को अलग-अलग समूह में छाँटकर लिखिए –

हर समूह में एक-एक शब्द अपनी ओर से भी लिखिए –

परीक्षा    विद्यालय   उत्तीर्ण   मृत्यु    पद्य

मृग       क्षण      परिश्रम  आयुर्वेद   प्रकृति

वर्ष      आश्रम     क्षमा     श्रमिक   उद्योग

                        शब्द – समूह

क्ष

 

द्द

 

श्र

 

 

 

 

 

 

 

र्

 

 

                    शब्द – समूह

क्ष

परीक्षा

क्षण

क्षमा

अक्षत

द्द

विद्यालय

पद्य

उद्योग

उद्यम

श्र

परिश्रम

आश्रम

श्रमिक

श्रेष्ठ

मृत्यु

मृग

प्रकृति

सृष्टि

 

र्

उत्तीर्ण

आयुर्वेद

वर्ष

वर्ग

 

कुछ करने के लिए

1. क्या परीक्षा में पुस्तक खोलकर देखने की अनुमति होनी चाहिए ? अपने विचार बताइए |

उत्तर :- नहीं |

2. ‘परीक्षा’ पाठ में से ऐसे प्रश्न लिखिए जो आपसे परीक्षा में पूछे जाने चाहिए |

उत्तर :- परीक्षा में हमसे सवाल पूछे जाने चाहिए कि कौन-सी वनस्पति किस रोग के ईलाज में काम आती है |

 

 

 

 

 

 


               

                             23. मिथिला – चित्रकला

मिथिला या मधुबनी चित्रकला मिथलांचल क्षेत्र जैसे – बिहार के दरभंगा, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है | प्रारंभ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ों, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है | मिथिला की औरतों द्वारा शुरू की गई इस घरेलू चित्रकला को पुरुषों ने भी अपना लिया है |

माना जाता है कि इस चित्रकला को राजा जनक ने राम-सीता के विवाह के दौरान महिला कलाकारों से बनवाई थी | आज मिथिलांचल के कई गाँवों की महिलाएँ इस कला में दक्ष हैं | अपने असली रूप में तो ये चित्रकला गाँवों की मिट्टी से लीपी गई झोपड़ियों में देखने को मिलती थी, लेकिन इसे अब कपड़े या फिर कागज़ पर खूब बनाया जाता है |

इस चित्रकला में ख़ास तौर पर हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें, प्राकृतिक नज़ारे जैसे – सूर्य व चंद्रमा, धार्मिक पेड़-पौधे, जैसे – तुलसी और विवाह के दृश्य देखने को मिलेंगे | मधुबनी चित्रकला दो तरह की होती हैं – भित्ति चित्र और अरिपन या अल्पना |

भित्ति चित्र को मिट्टी से पुती दीवारों पर बनाया जाता है | इसे घर की तीन ख़ास जगहों पर ही बनाने की परंपरा है, जैसे – भगवान व विवाहितों के कमरे में और शादी या किसी ख़ास उत्सव पर घर की बाहरी दीवारों पर | मधुबनी चित्रकला में जिन देवी-देवताओं को दिखाया जाता है, वे हैं – माँ दुर्गा, काली, सीता-राम, राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती, गौरी-गणेश और विष्णु के दस अवतार | इन तस्वीरों के अलावा कई प्राकृतिक और रम्य नजारों का भी चित्र बनाया जाता है | जानवरों, चिड़ियाँ, फूल-पत्ती को स्वास्तिक की निशानी के साथ सजाया-सँवारा जाता है |

मधुबनी चित्रकला में चटख रंगों का इस्तेमाल खूब किया जाता है, जैसे – गहरा लाल रंग, हरा, नीला और काला | कुछ हल्के रंगों से भी चित्रकला में निखार लाया जाता है, जैसे – पीला, गुलाबी और नींबू रंग | यह जानकार हैरानी होगी कि इन रंगों को घरेलू चीजों से ही बनाया जाता है, जैसे – हल्दी, केले के पत्ते और दूध | भित्ति चित्रों के अलावा अल्पना का भी बिहार में काफी चलन है | इसे बैठक या फिर दरवाजे के बाहर बनाया जाता है | पहले इसे इसलिए बनाया जाता था ताकि खेतों में फसल की पैदावार अच्छी हो | लेकिन, आजकल इसे घर के शुभ कामों में बनाया जाता है |

सदियों पुरानी कला के इस रूप को देश-विदेश की मुख्यधारा में लाने का श्रेय अनेक विद्वानों और कलाप्रेमियों को जाता है | भारतीय प्रशासनिक सेवा के ब्रिटिश अधिकारी डब्लू. जी. आर्चर 1930 के दशक में तस्वीरों के माध्यम से मिथिला चित्रकला को पहली बार दुनिया के सामने लाए | पच्चीस सालों से मिथिला चित्रकला का प्रचार-प्रसार कर रही संस्था के अध्यक्ष प्रो॰ डेविड सेण्टन कहते हैं, “मिथिला चित्रकला में अपार संभावनाएँ हैं | जरुरत है प्रतिभाओं को पहचान का उन्हें अनुकूल सुविधाएँ मुहैया कराए जाने की |”

इस संस्था ने सन् 2003 में मधुबनी में मिथिला कला संस्थान की स्थापना की | यह संस्थान हर साल बीस छात्रों को छात्रवृत्ति देकर मिथिला चित्रकला को प्रोत्साहित करता है |

संस्थान के निदेशक चित्रकार संतोष कुमार दास कहते हैं, “गंगा देवी और सीता देवी की राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि के बाद जिस तरह से इस कला को प्रोत्साहन मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल पाया | शिक्षा और मुलभूत सुविधाओं के अभाव में कलाकार किसी तरह इस पुराने कला के रूप को बचाए हुए हैं | महिलाओं की विशेष उपस्थिति इस चित्रकला की विशेषता रही है | पीढ़ी दर पीढ़ी परंपरा के रूप में इन्होंने इसे बचाए रखा |”

मिथिला चित्रकला में अब प्राकृतिक रंगों के बदले एक्रिलिक रंगों का प्रयोग होने लगा है | इससे चित्रकला के जल्दी बिखरने का ख़तरा नहीं रहता है | मधुबनी चित्रकला में आज भी मिथिलांचल की मिट्टी की खुशबू अपने आप ही निखरने लगती है |

- पाठ्यपुस्तक विकास समिति

 

आपकी कलाकारी

अब तक आपने मधुबनी चित्रकला के बारे में बहुत कुछ जान-समझ लिया होगा | आप भी मधुबनी शैली में चित्र बनाइए और रंग भरिए –

 

 

 


 

 

 


 

 

 

 

 

 

 

रंगों की दुनिया : वरली शैली

आप बिहार की मधुबनी चित्रकला के बारे में जान चुके हैं | इसी प्रकार वरली चित्रकला महाराष्ट्र में बहुत प्रचलित है | नीचे दिए गए चित्र वरली शैली में हैं | आप इसे भी बनाने के अभ्यास कीजिए -  



 

                         







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2 Comments

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