जब कॉलेज में ग्रेजुएशन पार्ट-2 का परीक्षा फॉर्म भरा रहा था,मेरे एक दोस्त आकाश ने कॉल किया और बोला --अंकज ! कहाँ हो तुम ?
मैंने जवाब दिया--घर पर ।
आकाश --चलोगे कॉलेज ,ग्रेजुएशन पार्ट-2 का परीक्षा फॉर्म भरा रहा है ।
मैं उसके साथ नही जाना चाहता था , मैं तो ग्रेजुएशन पार्ट-3 में था । मेरा दोस्त आकाश पिछले साल फिजिक्स में फेल हो गया था , फिजिक्स उसका ऑनर्स पेपर था ।।
मैंने कहा --नहीं यार !हम नही जा सकते हैं ,तुम अपना काम खुद क्यों नही करते , हमको तुम किसलिए साथ ले जा रहा है .....
तब उसने अनुरोध भरे स्वर में कहा --चलो न यार !!मेरा फॉर्म भरने में मदद कर देना ।
न जाने सबको फॉर्म भरने में क्यों डर लगता है !!! कइयों को डर लगता है कि अगर परीक्षा फॉर्म भरने में कुछ गलती हो गया तो ढ़ेर सारी परेशानियों से बाद में जुंझना पड़ेगा ।
उसके बहुत अनुरोध के बाद मैं जाने को तैयार हो गया, आखिरकार वो मेरा दोस्त ही था.... कोई दुश्मन नही !! वो मेरे घर आया ,उसका और मेरा घर कुछ ही मिनटों की दूरी पर था और हमदोनों कुछ मिनट पैदल चलकर एक टेम्पु पर चढ़े ,फिर उतरकर दूसरा और फिर कॉलेज पहुँचे ।कॉलेज के अंदर घुसकर हमदोनों ने जो नजारा देखा ,उससे अचंभित हो उठे । फॉर्म खरीदने वाले काउंटर पर बहुत धक्का-मुक्की हो रहा था ,कोई लाईन में नही लगा हुआ था , सब के सब जैसे-तैसे फॉर्म खरीद रहे थे , लड़कियों के संघर्ष का अलग गुट था और लड़कों का अलग ।फॉर्म खरीदने के लिए छात्र-छात्राओं के संघर्ष को देखकर मेरा दोस्त आकाश तो जैसे युद्ध मैदान में उतरने से पहले ही परास्त हो गया ..उसके चेहरे पर थोड़ी निराशा झलक रही थी ।
उसने(थोड़े उदासी और अनुरोध के स्वर में ) कहा--अंकज ! यार तुम ही फॉर्म खरीद दो और यह कहते हुए उसने अपने शर्ट के पॉकेट से बीस रुपये का एक नोट निकालकर मुझे देने लगा ।नोट लेने के पहले मैंने फिर से काउंटर की ओर देखा ... भीड़ और बढ़ गई थी ....और फॉर्म खरीदने के लिए धक्का-मुक्की भी । लेकिन वो मेरा अच्छा दोस्त था ...इसलिए इनकार न कर सका और उस भीड़ में घुस गया बिना कुछ सोचे-समझे .....और संघर्ष करने लग गया ....फॉर्म खरीदने के लिए ।।करीब पंद्रह मिनटों तक मैं भीड़ में दबा रहा ....तब जाके फॉर्म मिले । जब मैं भीड़ से निकला तो मैं पसीने से तर था ..मेरे शर्ट भींग चुके थे । भीड़ के सामने ही मैंने अपने दोस्त आकाश को खड़े होकर आराम से एक छोटे से पेड़ के छाँव के नीचे मोबाइल चलाते हुए देखा । मैं उसके पास गया तो देखा कि वह फेसबुक पर लड़कियो के फोटों को लाइक और कमेंट कर रहा था । मुझे थोड़ा गुस्सा आया ,यह सोचकर कि वह यहाँ आराम से फेसबुक चला रहा है और मैं वहाँ भीड़ में धक्का-मुक्की खा रहा था , लेकिन एक प्रकार की थोड़ी संतुष्टि भी थी , जब मैं फॉर्म खरीदकर उस भीड़ से बाहर निकला तो मानो मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बड़ी जंग जीतकर वापस आ रहा हूँ ।
और हमदोनों फिर एक वेटिंग लॉन्ज में जा पहुँचे ,जो फॉर्म खरीदने के काउंटर के बगल में था .....इस लॉन्ज में एक छोटा-सा बोर्ड टंगा रहता था ,जिसपर लिखा था ---"वेटिंग लॉन्ज ओनली फॉर डिसेबल्ड एंड ओल्ड सिटीजन्स " ।। फिर भी सभी उम्र के लोग वहां बैठते थे ...यह बैठने की जगह बिल्कुल कॉलेज के मुख्य द्वार के सामने पड़ती थी ,इसी कारण अक्सर कोई प्रेमिका अपने प्रेमी का.... और कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका का इंतेजार करते हुए कॉलेज के मुख्य द्वार की तरफ नजरें गड़ाए मिल जातें थें । हम कई दोस्त क्लास खत्म अक्सर वहाँ बैठते थे ...इसी दौरान हंसी-मजाक भी होते ...एक दिन मैंने अपने दोस्तों से पूछा --यार!!यहाँ बोर्ड पर लिखा हुआ है --""सिर्फ बुजुर्गों और अपंग लोगों के लिए ""...और हमसब यहां बैठे हुए हैं ....हमसब में न तो कोई अपंग है और न ही बुजुर्ग । तभी एक दोस्त ने हंसते हुए जवाब दिया --"नही यार ! हम सब यहां बैठ सकतें हैं क्योंकि हम सभी दिल से अपंग है ...हम सभी में एक कि भी गर्लफ्रैंड जो नही है "....और सभी हँसने लगें ।।भाग्य से हमदोनों को बैठने के लिए जगह मिल गयी ।बहुत सारे लड़के-लड़कियां फॉर्म खरीदने के बाद अपने -अपने विभाग में जा रहे थे...वहीं क्लास में बैठकर आराम से बेंच पर बैठकर फॉर्म भरते थे , इसलिए वेटिंग लॉन्ज में कुछ जगहें खाली थी ।लड़कों के लिए इस कॉलेज में बॉयज कॉमन रूम नही था ...लड़कियों के लिए गर्ल्स कॉमन रूम था लेकिन उसमें वो ही लड़कियां जातीं थीं जिनका कोई बॉयफ्रेंड न हो या फिर वे लड़कियां जिनकों लड़कों से दोस्ती करने में कोई दिलचस्पी न हो ....लड़कियों के कॉमन रूम में जाना सख्त मना था । कई लड़के-लड़कियों की इच्छा थी कि एक कॉमन रूम होना चाहिए ,जहां लड़के-लड़कियाँ दोनों एक साथ बैठकर बातचीत कर सके और न जाने क्या-क्या!!!
मेरा पसीना फॉर्म खरीदने में बह चुका था ,अब बारी थी मेरे दोस्त आकाश की ....उसे दो फॉर्म भरने थे और दोनों फॉर्म एक ही जैसा था ... वह BC-1 में जो आता था , BC-2 और जेनरल केटेगरी वालों के लिए सिर्फ एक फॉर्म , और SC तथा ST केटेगरी वाले स्टूडेंट्स के लिए सिर्फ एक .....BC-2 और जेनरल केटेगरी वाले छात्र-छात्राओं को पैसे ज्यादा देने पड़ते थे । लगा आकाश फॉर्म भरने ..उस फॉर्म में ढेर सारी सूचनाएं लिखनी थी और गोल-गोल आकार वाले ढ़ेर सारे खानों को रंगना था ...एक ही तरह के दो फॉर्म को भरना -दुनिया के उबाऊ कर देने वाले कामों में से एक है ।।। मेरे आस-पास सभी लड़के-लड़कियां अपना-अपना फॉर्म भर रहे थे ...सिर्फ मैं ही उनमें बैठा हुआ था ...कुछ-कुछ देर पर मैं आकाश को कुछ समझाने लगता ---इसमें ये भरो.... उसमें वो भरो ......।।
कुछ मिनटों के बाद मेरी नजर एक सामने बैठी एक लड़की पर गई ...वह ऊपर से नीचे तक बहुत ही अच्छे तरीके से सजे-धजे थी और बिल्कुल एक बॉलीवुड की अभिनेत्री लग रही थी --स्लिम बॉडी ,गोरा बदन , खूबसूरत चेहरा ,जीन्स और टॉप पहने - वह अपने जवानी के चरम-उत्कर्ष पर थी ।।वह अपने फ़ोन पर व्यस्त थी .....ऐसा लग रहा था जैसे किसी से चैटिंग कर रही थी ।मुझे लगा कि वह अपना फॉर्म भर चुकी है और आराम से अपने किसी सहेली से चैटिंग कर रही है ।।वहां पर और भी लड़कियाँ बैठी हुई थी ...लेकिन वो खूबसूरत लड़की बिल्कुल मेरे सामने बैठी थी ...और न जाने क्यों मेरा दिल उसकी तरफ खिंचा चला जा रहा था .... ....मेरा दिल धड़कने लगा ......और मेरे दिल के धड़कन की गति बढ़ती ही जा रही थी .....मैं अपने दोस्तों के सामने समझदार बना फिरता था ,खुद को आइंस्टीन समझता था ....लेकिन अभी मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ !!! मेरा दिल उससे बात करना चाह रहा था .....लेकिन दिल और दिमाग का सामंजस्य उस वक्त कहीं खो सा गया था .....उस लड़की से कैसे बात करूँ --बस मैं यही सोच रहा था ....एकदम से मैं पूरी दुनिया को भूल सा गया था ....बस उसका ही चेहरा मेरे दिमाग में घूम रहा था ।।।मेरा एक मन कहता---उठो !!जाओ उससे बात करो ।।।।लेकिन तभी मेरा दूसरा मन कहता--नहीं, मत जाओ ..... अगर तुम उससे बात करोगे तो वो कहीं गुस्सा न हो जाए ....तुम उसके लिए अनजान हो ।।।इस तरह मेरे दोनो मन ने एक-दूसरे से बहस करनी शुरू कर दी ...मैं निर्णय कर पाने में असमर्थ था--किस मन कि बात सुनूँ तथा किस मन को फटकार लगाऊं और कहूँ --तू बिल्कुल गलत है!!!
मैं अक्सर इसी जगह कभी क्लास करने के पहले या कभी क्लास करने के बाद में यहाँ बैठता था और अपना स्मार्टफोन निकालकर कॉलेज के वाई-फाई से जोड़ता और नेट का इस्तेमाल करने लग जाता ....कभी-कभी सोचता ---काश !!!जिस तरह मेरा मोबाइल वाई-फाई से कनेक्ट हो गया ,काश उसी प्रकार से मेरे दिल के तार भी किसी समझदार और खूबसूरत लड़की के दिल के तार से कनेक्ट हो जाए!!!आज मुझे महसूस हो रहा था कि वो लड़की मेरे पिछले दो-ढाई सालों के प्रार्थना का फल है ।।मैं उसे देखे जा रहा था;तभी अचानक वह मेरी ओर देखी ,मैंने अपनी नजरें नीची कर ली और तभी मुझे किसी लड़की की परछाई धीरे-धीरे अपनी ओर आती दिखाई पड़ी ,मैं थोड़ा और डर गया ,मैंने सोचा-अब हुई अनहोनी ।अभी तक मेरा दोस्त आकाश अपने फॉर्म भरने में व्यस्त था ।वो लड़की मेरे पास आई और बोली---आप अपना फॉर्म भर लिए??मुझे फॉर्म भरने में कुछ समस्या हो रही थी , क्या आप बता देंगे । इन शब्दों को सुनकर मेरे जान में जान आई और मैंने अपने नजरों को ऊपर उठाकर उसे देखा ....वो गुस्से में न थी ....नजदीक से देखने पर वह और भी सुंदर लग रही थी ...अब मेरा दिल के धड़कने की गति अब धीरे-धीरे कम हो रही थी । मैंने कहा--नही अपना फॉर्म नही भरे हैं ,हम ग्रेजुएशन पार्ट-3 में है । मेरा दोस्त आकाश अपने बगल में झुककर बैठने की जगह बैग रखकर फॉर्म भर रहा था ,मैंने उससे कहा--बैग हटाओ और इनको बैठने दो । वह उस लड़की को देखकर थोड़ा मुस्कुराया और बैठकर अपने पैर पर बैग रखकर फॉर्म भरने लगा ।
वह लड़की मेरे बिल्कुल पास बैठी ....वह जो-जो पूछती ,मैं बताता जाता ,मैं उस लड़की से एक साल आगे था ,वह ग्रेजुएशन पार्ट-2 में थी और मैं पार्ट-3 में ।।जब वह फॉर्म के गोल-गोल खानों को अपने कलम से रंगती ,मैं उससे कुछ सवाल पूछ लेता और वह बड़े प्यार भरे शब्दों में उसका जवाब दिए जाती ।मैं अपने क्लास में कितनी ही लड़कियों से मिल चुका था लेकिन वे सभी इतनी विनम्रता से बात न करतीं थीं ,जितना वह लड़की मुझसे कर रही थी । बातचीत के दौरान मुझे पता चला कि उस लड़की का नाम काजोल है । मेरे दिल मे जो भी सवाल आ रहे थे ,मैं पूछता जा रहा था...मैंने काजोल से पूछा--"आप बैठे-बैठे किससे चैटिंग कर रहीं थीं ? " तब उसने जवाब दिया कि वह उसकी सच्ची सहेली ज्योति थी जिससे वह बात कर रही थी ।फॉर्म भरने के बाद पुस्तकालय से ""कोई बकाया नही "" का मोहर फॉर्म पर मरवाना था । वह पुस्तकालय जाने के लिए उठी ...मैंने अपने दोस्त आकाश से कहा --थोड़ी देर में आता हूँ ...अपना सारा काम करवाके फॉर्म जमा कर देना ...और काजोल के साथ चल पड़ा लाइब्रेरी की ओर ।।लाइब्रेरी वहां से कुछ मिनटों की दूरी पर था ,रास्ते मे हंसी -मजाक खूब हुई ...काजोल मेरे किसी भी मजाक का बुरा न मानती ...मानो वह कई सालों से मुझे जानती हो और मेरे व्यवहार से पूरी तरह परिचित हो !!!मैंने मुस्कुराते हुए कहा--""आप जब वहाँ बैठे-बैठे अपने मोबाइल पर किसी से चैटिंग कर रहीं थीं तो मुझे लगा कि आप अपने बॉयफ्रेंड से कर रहीं होंगी ।""वह यह सुनकर हँसने लगी और कुछ सेकंड के बाद हँसते हुए बोली --"नहीं !!मेरा कोई बॉयफ्रेंड नही है "।मैंने हँसकर उसके बात को काटते हुए बोला --""तो मैं बन सकता हूँ ,आपका बॉयफ्रेंड??"" वह न समझने का बहाना करते हुए बोली--'तुम क्या बन सकते हो?' मैंने अपने चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कुराहट लाकर कहा--"आपका बॉयफ्रेंड !!"अबकी बार वह और जोर से हँसी ,आस-पास खड़े लड़के-लड़कियां हमदोनों को देखने लगे गए ।।हमदोनों बातचीत करते हुए पुस्तकालय पहुँचे ,वहां पर पहले से ही लड़के -लड़कियों का अलग-अलग दो लाइनें लगी हुई थी ....काजोल लड़की वाले लाइन में लग गई ..उसके आगे पांच-छह लड़कियां थी ।एक महिला और एक पुरुष कर्मचारी सभी छात्र-छात्राओं के फॉर्म पर मोहर मार रहे थे और एक बड़ी सी कॉपी पर सबके हस्ताक्षर ले रहे थे ...कुछ स्टूडेंट लाइब्रेरी से लिए गए किताब भी लौटा रहे थे...इस सब में काफी देर हो रही थी ...मैं उसके बगल में खड़ा उससे बातें करने लगा ,हमदोनों की बातचीत खत्म नही हो रही थी ,वह कॉलेज पढ़ने नही आती थी ,मगध यूनिवर्सिटी में तो ऐसा ही होता था , जिनको पढ़ने की इच्छा होती ,वे आते थे और जिनको कॉलेज नही आना रहता था, वे सब नही आते थे ।फॉर्म भरने के वक्त आवेदन पत्र में स्पेशल क्लास करने के बारे में लिखते ,और उसके बाद कुछ दिन आते...बस ।कुछ स्टूडेंट चपरासी को पैसे देकर अपना अटेंडेंस बनवा लेते ...इसी तरह के ढेरों चक्कर था कॉलेज में ।इसी व्यवस्था को सुधारने के लिए मगध यूनिवर्सिटी अब पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी बन गयी है ।काजोल कॉलेज के बारे में सवाल पूछते जाती ,और मैं जवाब देता जाता ....मैं काजोल से उसके परिवार ,उसके दोस्त और उसके बारे में पूछता और वह बताती ।।बीच-बीच में कुछ दिलचस्प बातें भी होतीं ।।अभी सात-आठ मिनट ही हुए थे कि पुस्तकालय का पुरूष कर्मचारी हमदोनों को बार -बार घूरने लगे और अपने काले और बदसूरत से चेहरे पर एक अलग ही भाव बनाते ....कुछ लड़के-लड़कियां भी रह -रहकर हमदोनों की तरफ देखते .....उन लड़कों-लड़कियों की आँखों में प्यार की एक चाह दिखती ,लेकिन लगभग पचास साल के उस कर्मचारी की आँखों में सिर्फ पछ्तावा दिख रहा था ...मानो जैसे वे एक अद्भुत पल को अपनी जवानी में न जी सके ,जैसा मैं अभी जी रहा था !!उनके चेहरे के भाव देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वे कह रहे हो --मैंने अपनी जवानी में किसी लड़की से हंस-हंस के बात न किया ,तुमको भी न करने दूँगा ।।
खैर , पुस्तकालय से फॉर्म पर मोहर लगाकर हमदोनों ने अपने कदम गणित विभाग की ओर बढाए । काजोल का ग्रेजुएशन में गणित ऑनर्स था और उसी विभाग के हेड से फॉर्म पर हस्ताक्षर करवाना था ,फिर से हमदोनों की बातें शुरू हुई.... ....बातों ही बातों में उसने बताया कि उसका घर पटना के अशोक राजपथ में है , अब तक मैं उसके बारे में बहुत कुछ जान गया था , बातचीत में किसी भी प्रकार का कोई संकोच न था , वह बेधड़क अपने बारे में बताती जाती और मैं चुपचाप उसके बातों को सुनता जाता ....उसकी मीठी आवाज मेरे कानों को कर्णप्रिय लग रहे थे .....ऐसा लग रहा था मानो वह कुछ बोल नही बल्कि गा रही हो!!!हमदोनों गणित विभाग में कुछ मिनटों बाद पहुँचे ,वहाँ पहुँचकर हेड के केबिन में देखे तब पता चला कि वे वहाँ नही हैं ।।मैं प्रतिदिन कॉलेज जाता था ,इसलिए मैं कॉलेज के बारे में सब कुछ जानता था , मैं समझ गया की वे अभी अपने विभाग में नही हैं तो अब कल ही मिलेंगे ,लेकिन काजोल से मुझे दूर जाने का दिल ही नही कर रहा था ,इसलिए मैंने आगे कहा--थोड़ा इंतेजार कर लेते है ,वे आ जायेंगे ।।वह मान गयी और हमदोनों उस विभाग के द्वार के सामने पेड़ों के छाँव में खड़े-खड़े बात करने लगे ।बातचीत के दौरान जब वह हंसती थी तो मानो जैसे आस-पास के पेड़-पौधे भी खिलखिला उठते और उनमें एक नई ताजी ऊर्जा की तरंगें बहने लगती .......जब तेज हवा के झोखे पेड़ों की पत्तियों को हिलाते तो पत्तियों के सरसराहट की आवाजें वातावरण में गूंज उठती मानो वे पेड़-पौधे वहाँ पर हमदोनों की उपस्थिति को स्वीकार कर रहें हों और हमे साथ-साथ देखकर खुश हो रहें हों ।।
गणित विभाग में सामने ही कॉलेज का बॉटनी गार्डन था और हमदोनों वही गार्डन के बाहर और गणित विभाग में द्वार के पास पेड़ों की छाँव में बात करने में मग्न थे कि तभी एक पचास-पचपन की उम्र के एक सज्जन हमदोनों के पास आए .....वे बोले---गणित विभाग के हेड नहीं हैं , वे कब आते हैं ??मैं जानता था कि हेड कॉलेज से जा चुके हैं ,अब कल ही मिल सकते हैं ,लेकिन मैंने उस सज्जन को सच न कहा ....अगर सच बता देता तो काजोल को मेरे कहे झूठ का पता चल जाता और उसके बाद न जाने वह कैसा व्यवहार करती !!! इसलिए मैंने कहा-- पता नही!!हमदोनों भी उन्हीं का इंतजार कर रहें हैं ।।उन्होंने आगे कहा-- ""मेरा बेटा M.Sc में पढ़ता है , उसका सेमेस्टर फर्स्ट का रिजल्ट लेना है ""।मैं बहुत गुस्से में था .....कितनी अच्छी और मीठी-मीठी बातें हमदोनों के बीच में चल रही थी ....और ये महानुभाव बीच में आ टपके।मैं बाहर से अपने चेहरे पर प्रसन्नता दिखाते रहा ,लेकिन अंदर ही अंदर उनके जाने की प्रार्थना कर रहा था ......लेकिन वे भी ढीठ निकले .....वे वहाँ से जाने का नाम ही नही ले रहे थे .....उन्होंने सोचा कि चलो !!इन्हीं दोनों से बात करते-करते कुछ समय गुजारतें हैं और तब तक शायद गणित विभाग के हेड भी आ जाएं!!वे लगे बोलने---स्कॉलरशिप घोटाले के बारे में ,मुख्यमंत्री के योजनाओं के बारे में और न जाने क्या -क्या ।। उन्होंने एक लंबा भाषण ही दे डाला। हमदोनों वहां से हट भी नहीं सकते थे ...हमे बचपन से ही सिखाया जाता है कि अगर कोई अपने उम्र से बड़ा कोई बात कह रहा हो तो बीच में उनकी बातों को छोड़कर नही जाना चाहिए ।। अगर हमदोनों वहां से हटते तो शायद वे असहज महसूस करते ।। बीच-बीच में हमदोनों अपने सिर हिलाते और ऐसा व्यवहार करते जैसे हमदोनों उनकी बातों को ध्यान से सुन रहें हैं ....इसी में लगभग बीस -बाइस मिनट बीत गए । फिर भी उनके भाषण का अंत न हो रहा था ,अब तक मैं काफी चिड़चिड़ा हो गया था ...काजोल के चेहरे पर भी अब मैं बोरियत के भाव देख रहा था ।। तभी कुछ लड़के-लड़कियाँ हम तीनों के पास आए और वही उबाऊ अंकल से कुछ पूछने लगे । वे अंकल अपने दायां हाथ में एक काला बैग लिए हुए थे और उनके बदन पर नए कपड़े थे ---बिल्कुल प्रोफेसर की तरह दिख रहें थें । शुरू-शुरू में मुझे भी लगा था कि कॉलेज में कोई नए प्रोफेसर आये हैं ...उनकी बातों को सुनने के बाद मुझे पता चला था कि वे प्रोफेसर नही हैं ।। वे सभी लड़के-लड़कियाँ उनको घेर कर बातें करने लगें..... कुछ देर बाद मैं काजोल को इशारा के वहाँ से हटा ...अब तक मेरा मूड पूरी तरह ऑफ हो चुका था ....मैं अब भगवान से यही प्रार्थना कर रहा था---"भगवान बचाये इस अंकल से सबको "!!!मैंने झुंझलाहट और गुस्से में आकर मन ही मन उस अंकल को कुछ गालियां दे डाली -जो गालियां मुझे आती थी ...वैसे मुझे बहुत ही कम गालियाँ आती थी ...कहते हैं न ..जो हो ...उसी से काम चलाना पड़ता है ...मैंने भी वही किया ।।।
फिर हमदोनों बे-मन से गणित विभाग के हेड को देखने गए , वहां पर हेड तो न दिखे लेकिन खरूस जरूरचपरासी दिखा । काजोल ने उस चपरासी से पूछा--"हेड सर नही आएंगे क्या ??उनका हस्ताक्षर फॉर्म पर चाहिए था ...।।चपरासी ने वही बताया जो मुझे पहले से ही पता था । चपरासी ने कहा--सर तो आ के चले भी गए ,तुम दोनों कल आना नौ बजे ।।काजोल निराश होकर जाने लगी ...मैं उसे कॉलेज के मुख्य द्वार पर छोड़ने आया ...रास्ते में मैं यही सोच रहा था --अब आगे बात काजोल से कैसे होगी ...कुछ माध्यम तो चाहिए ही बात करने के लिए --फेसबुक ,व्हाट्सएप्प या मोबाइल नम्बर !!!वह कॉलेज तो आती नही थी तो यही तीन चीजें मेरे दिमाग में घूम रही थीं ....मैं बहुत घबरा रहा था ....और सोच रहा था की उसे कैसे कहूँ की मैं उससे आगे भी बात करना चाहता हूँ !!! कुछ घंटों पहले जो मेरा दिल भरा-भरा सा लग रहा था ....अब धीरे-धीरे खाली हो रहा था । कॉलेज के मुख्य द्वार पर हमदोनों जैसे पहुँचे ....मेरा दिल उसके दूर जाने के विचार से ही बेचैन हो उठा ....मैं अब कुछ भी सोच पाने में असमर्थ था ...बिल्कुल सही समय पर मेरे दिमाग ने धोखा दे दिया जब दिमाग कि सबसे ज्यादा जरूरत थी-- कुछ सोचने के लिए !!!तभी मेरे होंठो से अचानक एक आवाज निकल पड़ी ---"""व्हाट्सएप नम्बर देंगे ....नहीं तो आगे बात कैसे होगा """!!ये दोनों वाक्य मैंने बहुत घबराते और ह...ह...हकलाते हुए बोले थे ।वह मेरे चेहरे की तरफ एक आश्चर्यजनक भाव से देखते हुए बोली---"व्हाट्सएप मैं सिर्फ दोस्तों को देती हूँ "।अभी काजोल ने अपनी पूरी बात कही भी न थी कि तभी एक टेम्पु वाला जोर से चिल्लाता हुआ हमदोनों के पास आ पहुँचा और काजोल उस टेम्पु में जा बैठी ...तभी मैंने झट से कहा--""फेसबुक दोस्त तो बना ही सकती हो!!!"" अब तक टेम्पु थोड़ी दूर बढ़ गया था ...टेम्पु में बैठे-बैठे ही वह जोर से बोली---काजोल सर्च करना और दोस्ती का अनुरोध भेज देना ...तब तुमसे बात करूँगी ।।
मैं उससे बिछड़कर उदास हो गया मानों मेरे उस वक्त का मेरे दिल का चैन वही अपने साथ ले चली गयी हो ....मैं कॉलेज के अंदर आकर अपने दोस्त आकाश को ढूंढ़ने लग गया ....अंत में वह फॉर्म जमा करने के काउंटर पर लड़कों के लगे लाइन में खड़ा मिला ....उसके बाद मैंने बैचैनी में आकर अपने मोबाइल पर नेट ऑन करके फेसबुक खोला और काजोल सर्च किया ......लेकिन ढेर सारी काजोल दिखाई पड़ने लगीं ....मैंने काफी ढूंढ़ने की कोशिश की ,लेकिन मेरा हर प्रयास विफल रहा ....उस दिन के बाद से न जानें कितनों ही बार मैंने उसे फेसबुक पर ढूंढा ,लेकिन वह न मिली .....अगले दिन कॉलेज भी गया था---पढ़ाई करने नही ,सिर्फ उससे मिलने !!!! लेकिन मेरे हाथों निराशा लगी ।।मैं उस टेम्पु वाले को अब भी गालियां देता हूँ .......काश!!वो लड़की थोड़ी देर और रुक जाती ....और मैं उसका फेसबुक फ्रेंड बन जाता .....और ............!!!!!!!
मैंने जवाब दिया--घर पर ।
आकाश --चलोगे कॉलेज ,ग्रेजुएशन पार्ट-2 का परीक्षा फॉर्म भरा रहा है ।
मैं उसके साथ नही जाना चाहता था , मैं तो ग्रेजुएशन पार्ट-3 में था । मेरा दोस्त आकाश पिछले साल फिजिक्स में फेल हो गया था , फिजिक्स उसका ऑनर्स पेपर था ।।
मैंने कहा --नहीं यार !हम नही जा सकते हैं ,तुम अपना काम खुद क्यों नही करते , हमको तुम किसलिए साथ ले जा रहा है .....
तब उसने अनुरोध भरे स्वर में कहा --चलो न यार !!मेरा फॉर्म भरने में मदद कर देना ।
न जाने सबको फॉर्म भरने में क्यों डर लगता है !!! कइयों को डर लगता है कि अगर परीक्षा फॉर्म भरने में कुछ गलती हो गया तो ढ़ेर सारी परेशानियों से बाद में जुंझना पड़ेगा ।
उसके बहुत अनुरोध के बाद मैं जाने को तैयार हो गया, आखिरकार वो मेरा दोस्त ही था.... कोई दुश्मन नही !! वो मेरे घर आया ,उसका और मेरा घर कुछ ही मिनटों की दूरी पर था और हमदोनों कुछ मिनट पैदल चलकर एक टेम्पु पर चढ़े ,फिर उतरकर दूसरा और फिर कॉलेज पहुँचे ।कॉलेज के अंदर घुसकर हमदोनों ने जो नजारा देखा ,उससे अचंभित हो उठे । फॉर्म खरीदने वाले काउंटर पर बहुत धक्का-मुक्की हो रहा था ,कोई लाईन में नही लगा हुआ था , सब के सब जैसे-तैसे फॉर्म खरीद रहे थे , लड़कियों के संघर्ष का अलग गुट था और लड़कों का अलग ।फॉर्म खरीदने के लिए छात्र-छात्राओं के संघर्ष को देखकर मेरा दोस्त आकाश तो जैसे युद्ध मैदान में उतरने से पहले ही परास्त हो गया ..उसके चेहरे पर थोड़ी निराशा झलक रही थी ।
उसने(थोड़े उदासी और अनुरोध के स्वर में ) कहा--अंकज ! यार तुम ही फॉर्म खरीद दो और यह कहते हुए उसने अपने शर्ट के पॉकेट से बीस रुपये का एक नोट निकालकर मुझे देने लगा ।नोट लेने के पहले मैंने फिर से काउंटर की ओर देखा ... भीड़ और बढ़ गई थी ....और फॉर्म खरीदने के लिए धक्का-मुक्की भी । लेकिन वो मेरा अच्छा दोस्त था ...इसलिए इनकार न कर सका और उस भीड़ में घुस गया बिना कुछ सोचे-समझे .....और संघर्ष करने लग गया ....फॉर्म खरीदने के लिए ।।करीब पंद्रह मिनटों तक मैं भीड़ में दबा रहा ....तब जाके फॉर्म मिले । जब मैं भीड़ से निकला तो मैं पसीने से तर था ..मेरे शर्ट भींग चुके थे । भीड़ के सामने ही मैंने अपने दोस्त आकाश को खड़े होकर आराम से एक छोटे से पेड़ के छाँव के नीचे मोबाइल चलाते हुए देखा । मैं उसके पास गया तो देखा कि वह फेसबुक पर लड़कियो के फोटों को लाइक और कमेंट कर रहा था । मुझे थोड़ा गुस्सा आया ,यह सोचकर कि वह यहाँ आराम से फेसबुक चला रहा है और मैं वहाँ भीड़ में धक्का-मुक्की खा रहा था , लेकिन एक प्रकार की थोड़ी संतुष्टि भी थी , जब मैं फॉर्म खरीदकर उस भीड़ से बाहर निकला तो मानो मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बड़ी जंग जीतकर वापस आ रहा हूँ ।
और हमदोनों फिर एक वेटिंग लॉन्ज में जा पहुँचे ,जो फॉर्म खरीदने के काउंटर के बगल में था .....इस लॉन्ज में एक छोटा-सा बोर्ड टंगा रहता था ,जिसपर लिखा था ---"वेटिंग लॉन्ज ओनली फॉर डिसेबल्ड एंड ओल्ड सिटीजन्स " ।। फिर भी सभी उम्र के लोग वहां बैठते थे ...यह बैठने की जगह बिल्कुल कॉलेज के मुख्य द्वार के सामने पड़ती थी ,इसी कारण अक्सर कोई प्रेमिका अपने प्रेमी का.... और कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका का इंतेजार करते हुए कॉलेज के मुख्य द्वार की तरफ नजरें गड़ाए मिल जातें थें । हम कई दोस्त क्लास खत्म अक्सर वहाँ बैठते थे ...इसी दौरान हंसी-मजाक भी होते ...एक दिन मैंने अपने दोस्तों से पूछा --यार!!यहाँ बोर्ड पर लिखा हुआ है --""सिर्फ बुजुर्गों और अपंग लोगों के लिए ""...और हमसब यहां बैठे हुए हैं ....हमसब में न तो कोई अपंग है और न ही बुजुर्ग । तभी एक दोस्त ने हंसते हुए जवाब दिया --"नही यार ! हम सब यहां बैठ सकतें हैं क्योंकि हम सभी दिल से अपंग है ...हम सभी में एक कि भी गर्लफ्रैंड जो नही है "....और सभी हँसने लगें ।।भाग्य से हमदोनों को बैठने के लिए जगह मिल गयी ।बहुत सारे लड़के-लड़कियां फॉर्म खरीदने के बाद अपने -अपने विभाग में जा रहे थे...वहीं क्लास में बैठकर आराम से बेंच पर बैठकर फॉर्म भरते थे , इसलिए वेटिंग लॉन्ज में कुछ जगहें खाली थी ।लड़कों के लिए इस कॉलेज में बॉयज कॉमन रूम नही था ...लड़कियों के लिए गर्ल्स कॉमन रूम था लेकिन उसमें वो ही लड़कियां जातीं थीं जिनका कोई बॉयफ्रेंड न हो या फिर वे लड़कियां जिनकों लड़कों से दोस्ती करने में कोई दिलचस्पी न हो ....लड़कियों के कॉमन रूम में जाना सख्त मना था । कई लड़के-लड़कियों की इच्छा थी कि एक कॉमन रूम होना चाहिए ,जहां लड़के-लड़कियाँ दोनों एक साथ बैठकर बातचीत कर सके और न जाने क्या-क्या!!!
मेरा पसीना फॉर्म खरीदने में बह चुका था ,अब बारी थी मेरे दोस्त आकाश की ....उसे दो फॉर्म भरने थे और दोनों फॉर्म एक ही जैसा था ... वह BC-1 में जो आता था , BC-2 और जेनरल केटेगरी वालों के लिए सिर्फ एक फॉर्म , और SC तथा ST केटेगरी वाले स्टूडेंट्स के लिए सिर्फ एक .....BC-2 और जेनरल केटेगरी वाले छात्र-छात्राओं को पैसे ज्यादा देने पड़ते थे । लगा आकाश फॉर्म भरने ..उस फॉर्म में ढेर सारी सूचनाएं लिखनी थी और गोल-गोल आकार वाले ढ़ेर सारे खानों को रंगना था ...एक ही तरह के दो फॉर्म को भरना -दुनिया के उबाऊ कर देने वाले कामों में से एक है ।।। मेरे आस-पास सभी लड़के-लड़कियां अपना-अपना फॉर्म भर रहे थे ...सिर्फ मैं ही उनमें बैठा हुआ था ...कुछ-कुछ देर पर मैं आकाश को कुछ समझाने लगता ---इसमें ये भरो.... उसमें वो भरो ......।।
कुछ मिनटों के बाद मेरी नजर एक सामने बैठी एक लड़की पर गई ...वह ऊपर से नीचे तक बहुत ही अच्छे तरीके से सजे-धजे थी और बिल्कुल एक बॉलीवुड की अभिनेत्री लग रही थी --स्लिम बॉडी ,गोरा बदन , खूबसूरत चेहरा ,जीन्स और टॉप पहने - वह अपने जवानी के चरम-उत्कर्ष पर थी ।।वह अपने फ़ोन पर व्यस्त थी .....ऐसा लग रहा था जैसे किसी से चैटिंग कर रही थी ।मुझे लगा कि वह अपना फॉर्म भर चुकी है और आराम से अपने किसी सहेली से चैटिंग कर रही है ।।वहां पर और भी लड़कियाँ बैठी हुई थी ...लेकिन वो खूबसूरत लड़की बिल्कुल मेरे सामने बैठी थी ...और न जाने क्यों मेरा दिल उसकी तरफ खिंचा चला जा रहा था .... ....मेरा दिल धड़कने लगा ......और मेरे दिल के धड़कन की गति बढ़ती ही जा रही थी .....मैं अपने दोस्तों के सामने समझदार बना फिरता था ,खुद को आइंस्टीन समझता था ....लेकिन अभी मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ !!! मेरा दिल उससे बात करना चाह रहा था .....लेकिन दिल और दिमाग का सामंजस्य उस वक्त कहीं खो सा गया था .....उस लड़की से कैसे बात करूँ --बस मैं यही सोच रहा था ....एकदम से मैं पूरी दुनिया को भूल सा गया था ....बस उसका ही चेहरा मेरे दिमाग में घूम रहा था ।।।मेरा एक मन कहता---उठो !!जाओ उससे बात करो ।।।।लेकिन तभी मेरा दूसरा मन कहता--नहीं, मत जाओ ..... अगर तुम उससे बात करोगे तो वो कहीं गुस्सा न हो जाए ....तुम उसके लिए अनजान हो ।।।इस तरह मेरे दोनो मन ने एक-दूसरे से बहस करनी शुरू कर दी ...मैं निर्णय कर पाने में असमर्थ था--किस मन कि बात सुनूँ तथा किस मन को फटकार लगाऊं और कहूँ --तू बिल्कुल गलत है!!!
मैं अक्सर इसी जगह कभी क्लास करने के पहले या कभी क्लास करने के बाद में यहाँ बैठता था और अपना स्मार्टफोन निकालकर कॉलेज के वाई-फाई से जोड़ता और नेट का इस्तेमाल करने लग जाता ....कभी-कभी सोचता ---काश !!!जिस तरह मेरा मोबाइल वाई-फाई से कनेक्ट हो गया ,काश उसी प्रकार से मेरे दिल के तार भी किसी समझदार और खूबसूरत लड़की के दिल के तार से कनेक्ट हो जाए!!!आज मुझे महसूस हो रहा था कि वो लड़की मेरे पिछले दो-ढाई सालों के प्रार्थना का फल है ।।मैं उसे देखे जा रहा था;तभी अचानक वह मेरी ओर देखी ,मैंने अपनी नजरें नीची कर ली और तभी मुझे किसी लड़की की परछाई धीरे-धीरे अपनी ओर आती दिखाई पड़ी ,मैं थोड़ा और डर गया ,मैंने सोचा-अब हुई अनहोनी ।अभी तक मेरा दोस्त आकाश अपने फॉर्म भरने में व्यस्त था ।वो लड़की मेरे पास आई और बोली---आप अपना फॉर्म भर लिए??मुझे फॉर्म भरने में कुछ समस्या हो रही थी , क्या आप बता देंगे । इन शब्दों को सुनकर मेरे जान में जान आई और मैंने अपने नजरों को ऊपर उठाकर उसे देखा ....वो गुस्से में न थी ....नजदीक से देखने पर वह और भी सुंदर लग रही थी ...अब मेरा दिल के धड़कने की गति अब धीरे-धीरे कम हो रही थी । मैंने कहा--नही अपना फॉर्म नही भरे हैं ,हम ग्रेजुएशन पार्ट-3 में है । मेरा दोस्त आकाश अपने बगल में झुककर बैठने की जगह बैग रखकर फॉर्म भर रहा था ,मैंने उससे कहा--बैग हटाओ और इनको बैठने दो । वह उस लड़की को देखकर थोड़ा मुस्कुराया और बैठकर अपने पैर पर बैग रखकर फॉर्म भरने लगा ।
वह लड़की मेरे बिल्कुल पास बैठी ....वह जो-जो पूछती ,मैं बताता जाता ,मैं उस लड़की से एक साल आगे था ,वह ग्रेजुएशन पार्ट-2 में थी और मैं पार्ट-3 में ।।जब वह फॉर्म के गोल-गोल खानों को अपने कलम से रंगती ,मैं उससे कुछ सवाल पूछ लेता और वह बड़े प्यार भरे शब्दों में उसका जवाब दिए जाती ।मैं अपने क्लास में कितनी ही लड़कियों से मिल चुका था लेकिन वे सभी इतनी विनम्रता से बात न करतीं थीं ,जितना वह लड़की मुझसे कर रही थी । बातचीत के दौरान मुझे पता चला कि उस लड़की का नाम काजोल है । मेरे दिल मे जो भी सवाल आ रहे थे ,मैं पूछता जा रहा था...मैंने काजोल से पूछा--"आप बैठे-बैठे किससे चैटिंग कर रहीं थीं ? " तब उसने जवाब दिया कि वह उसकी सच्ची सहेली ज्योति थी जिससे वह बात कर रही थी ।फॉर्म भरने के बाद पुस्तकालय से ""कोई बकाया नही "" का मोहर फॉर्म पर मरवाना था । वह पुस्तकालय जाने के लिए उठी ...मैंने अपने दोस्त आकाश से कहा --थोड़ी देर में आता हूँ ...अपना सारा काम करवाके फॉर्म जमा कर देना ...और काजोल के साथ चल पड़ा लाइब्रेरी की ओर ।।लाइब्रेरी वहां से कुछ मिनटों की दूरी पर था ,रास्ते मे हंसी -मजाक खूब हुई ...काजोल मेरे किसी भी मजाक का बुरा न मानती ...मानो वह कई सालों से मुझे जानती हो और मेरे व्यवहार से पूरी तरह परिचित हो !!!मैंने मुस्कुराते हुए कहा--""आप जब वहाँ बैठे-बैठे अपने मोबाइल पर किसी से चैटिंग कर रहीं थीं तो मुझे लगा कि आप अपने बॉयफ्रेंड से कर रहीं होंगी ।""वह यह सुनकर हँसने लगी और कुछ सेकंड के बाद हँसते हुए बोली --"नहीं !!मेरा कोई बॉयफ्रेंड नही है "।मैंने हँसकर उसके बात को काटते हुए बोला --""तो मैं बन सकता हूँ ,आपका बॉयफ्रेंड??"" वह न समझने का बहाना करते हुए बोली--'तुम क्या बन सकते हो?' मैंने अपने चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कुराहट लाकर कहा--"आपका बॉयफ्रेंड !!"अबकी बार वह और जोर से हँसी ,आस-पास खड़े लड़के-लड़कियां हमदोनों को देखने लगे गए ।।हमदोनों बातचीत करते हुए पुस्तकालय पहुँचे ,वहां पर पहले से ही लड़के -लड़कियों का अलग-अलग दो लाइनें लगी हुई थी ....काजोल लड़की वाले लाइन में लग गई ..उसके आगे पांच-छह लड़कियां थी ।एक महिला और एक पुरुष कर्मचारी सभी छात्र-छात्राओं के फॉर्म पर मोहर मार रहे थे और एक बड़ी सी कॉपी पर सबके हस्ताक्षर ले रहे थे ...कुछ स्टूडेंट लाइब्रेरी से लिए गए किताब भी लौटा रहे थे...इस सब में काफी देर हो रही थी ...मैं उसके बगल में खड़ा उससे बातें करने लगा ,हमदोनों की बातचीत खत्म नही हो रही थी ,वह कॉलेज पढ़ने नही आती थी ,मगध यूनिवर्सिटी में तो ऐसा ही होता था , जिनको पढ़ने की इच्छा होती ,वे आते थे और जिनको कॉलेज नही आना रहता था, वे सब नही आते थे ।फॉर्म भरने के वक्त आवेदन पत्र में स्पेशल क्लास करने के बारे में लिखते ,और उसके बाद कुछ दिन आते...बस ।कुछ स्टूडेंट चपरासी को पैसे देकर अपना अटेंडेंस बनवा लेते ...इसी तरह के ढेरों चक्कर था कॉलेज में ।इसी व्यवस्था को सुधारने के लिए मगध यूनिवर्सिटी अब पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी बन गयी है ।काजोल कॉलेज के बारे में सवाल पूछते जाती ,और मैं जवाब देता जाता ....मैं काजोल से उसके परिवार ,उसके दोस्त और उसके बारे में पूछता और वह बताती ।।बीच-बीच में कुछ दिलचस्प बातें भी होतीं ।।अभी सात-आठ मिनट ही हुए थे कि पुस्तकालय का पुरूष कर्मचारी हमदोनों को बार -बार घूरने लगे और अपने काले और बदसूरत से चेहरे पर एक अलग ही भाव बनाते ....कुछ लड़के-लड़कियां भी रह -रहकर हमदोनों की तरफ देखते .....उन लड़कों-लड़कियों की आँखों में प्यार की एक चाह दिखती ,लेकिन लगभग पचास साल के उस कर्मचारी की आँखों में सिर्फ पछ्तावा दिख रहा था ...मानो जैसे वे एक अद्भुत पल को अपनी जवानी में न जी सके ,जैसा मैं अभी जी रहा था !!उनके चेहरे के भाव देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वे कह रहे हो --मैंने अपनी जवानी में किसी लड़की से हंस-हंस के बात न किया ,तुमको भी न करने दूँगा ।।
खैर , पुस्तकालय से फॉर्म पर मोहर लगाकर हमदोनों ने अपने कदम गणित विभाग की ओर बढाए । काजोल का ग्रेजुएशन में गणित ऑनर्स था और उसी विभाग के हेड से फॉर्म पर हस्ताक्षर करवाना था ,फिर से हमदोनों की बातें शुरू हुई.... ....बातों ही बातों में उसने बताया कि उसका घर पटना के अशोक राजपथ में है , अब तक मैं उसके बारे में बहुत कुछ जान गया था , बातचीत में किसी भी प्रकार का कोई संकोच न था , वह बेधड़क अपने बारे में बताती जाती और मैं चुपचाप उसके बातों को सुनता जाता ....उसकी मीठी आवाज मेरे कानों को कर्णप्रिय लग रहे थे .....ऐसा लग रहा था मानो वह कुछ बोल नही बल्कि गा रही हो!!!हमदोनों गणित विभाग में कुछ मिनटों बाद पहुँचे ,वहाँ पहुँचकर हेड के केबिन में देखे तब पता चला कि वे वहाँ नही हैं ।।मैं प्रतिदिन कॉलेज जाता था ,इसलिए मैं कॉलेज के बारे में सब कुछ जानता था , मैं समझ गया की वे अभी अपने विभाग में नही हैं तो अब कल ही मिलेंगे ,लेकिन काजोल से मुझे दूर जाने का दिल ही नही कर रहा था ,इसलिए मैंने आगे कहा--थोड़ा इंतेजार कर लेते है ,वे आ जायेंगे ।।वह मान गयी और हमदोनों उस विभाग के द्वार के सामने पेड़ों के छाँव में खड़े-खड़े बात करने लगे ।बातचीत के दौरान जब वह हंसती थी तो मानो जैसे आस-पास के पेड़-पौधे भी खिलखिला उठते और उनमें एक नई ताजी ऊर्जा की तरंगें बहने लगती .......जब तेज हवा के झोखे पेड़ों की पत्तियों को हिलाते तो पत्तियों के सरसराहट की आवाजें वातावरण में गूंज उठती मानो वे पेड़-पौधे वहाँ पर हमदोनों की उपस्थिति को स्वीकार कर रहें हों और हमे साथ-साथ देखकर खुश हो रहें हों ।।
गणित विभाग में सामने ही कॉलेज का बॉटनी गार्डन था और हमदोनों वही गार्डन के बाहर और गणित विभाग में द्वार के पास पेड़ों की छाँव में बात करने में मग्न थे कि तभी एक पचास-पचपन की उम्र के एक सज्जन हमदोनों के पास आए .....वे बोले---गणित विभाग के हेड नहीं हैं , वे कब आते हैं ??मैं जानता था कि हेड कॉलेज से जा चुके हैं ,अब कल ही मिल सकते हैं ,लेकिन मैंने उस सज्जन को सच न कहा ....अगर सच बता देता तो काजोल को मेरे कहे झूठ का पता चल जाता और उसके बाद न जाने वह कैसा व्यवहार करती !!! इसलिए मैंने कहा-- पता नही!!हमदोनों भी उन्हीं का इंतजार कर रहें हैं ।।उन्होंने आगे कहा-- ""मेरा बेटा M.Sc में पढ़ता है , उसका सेमेस्टर फर्स्ट का रिजल्ट लेना है ""।मैं बहुत गुस्से में था .....कितनी अच्छी और मीठी-मीठी बातें हमदोनों के बीच में चल रही थी ....और ये महानुभाव बीच में आ टपके।मैं बाहर से अपने चेहरे पर प्रसन्नता दिखाते रहा ,लेकिन अंदर ही अंदर उनके जाने की प्रार्थना कर रहा था ......लेकिन वे भी ढीठ निकले .....वे वहाँ से जाने का नाम ही नही ले रहे थे .....उन्होंने सोचा कि चलो !!इन्हीं दोनों से बात करते-करते कुछ समय गुजारतें हैं और तब तक शायद गणित विभाग के हेड भी आ जाएं!!वे लगे बोलने---स्कॉलरशिप घोटाले के बारे में ,मुख्यमंत्री के योजनाओं के बारे में और न जाने क्या -क्या ।। उन्होंने एक लंबा भाषण ही दे डाला। हमदोनों वहां से हट भी नहीं सकते थे ...हमे बचपन से ही सिखाया जाता है कि अगर कोई अपने उम्र से बड़ा कोई बात कह रहा हो तो बीच में उनकी बातों को छोड़कर नही जाना चाहिए ।। अगर हमदोनों वहां से हटते तो शायद वे असहज महसूस करते ।। बीच-बीच में हमदोनों अपने सिर हिलाते और ऐसा व्यवहार करते जैसे हमदोनों उनकी बातों को ध्यान से सुन रहें हैं ....इसी में लगभग बीस -बाइस मिनट बीत गए । फिर भी उनके भाषण का अंत न हो रहा था ,अब तक मैं काफी चिड़चिड़ा हो गया था ...काजोल के चेहरे पर भी अब मैं बोरियत के भाव देख रहा था ।। तभी कुछ लड़के-लड़कियाँ हम तीनों के पास आए और वही उबाऊ अंकल से कुछ पूछने लगे । वे अंकल अपने दायां हाथ में एक काला बैग लिए हुए थे और उनके बदन पर नए कपड़े थे ---बिल्कुल प्रोफेसर की तरह दिख रहें थें । शुरू-शुरू में मुझे भी लगा था कि कॉलेज में कोई नए प्रोफेसर आये हैं ...उनकी बातों को सुनने के बाद मुझे पता चला था कि वे प्रोफेसर नही हैं ।। वे सभी लड़के-लड़कियाँ उनको घेर कर बातें करने लगें..... कुछ देर बाद मैं काजोल को इशारा के वहाँ से हटा ...अब तक मेरा मूड पूरी तरह ऑफ हो चुका था ....मैं अब भगवान से यही प्रार्थना कर रहा था---"भगवान बचाये इस अंकल से सबको "!!!मैंने झुंझलाहट और गुस्से में आकर मन ही मन उस अंकल को कुछ गालियां दे डाली -जो गालियां मुझे आती थी ...वैसे मुझे बहुत ही कम गालियाँ आती थी ...कहते हैं न ..जो हो ...उसी से काम चलाना पड़ता है ...मैंने भी वही किया ।।।
फिर हमदोनों बे-मन से गणित विभाग के हेड को देखने गए , वहां पर हेड तो न दिखे लेकिन खरूस जरूरचपरासी दिखा । काजोल ने उस चपरासी से पूछा--"हेड सर नही आएंगे क्या ??उनका हस्ताक्षर फॉर्म पर चाहिए था ...।।चपरासी ने वही बताया जो मुझे पहले से ही पता था । चपरासी ने कहा--सर तो आ के चले भी गए ,तुम दोनों कल आना नौ बजे ।।काजोल निराश होकर जाने लगी ...मैं उसे कॉलेज के मुख्य द्वार पर छोड़ने आया ...रास्ते में मैं यही सोच रहा था --अब आगे बात काजोल से कैसे होगी ...कुछ माध्यम तो चाहिए ही बात करने के लिए --फेसबुक ,व्हाट्सएप्प या मोबाइल नम्बर !!!वह कॉलेज तो आती नही थी तो यही तीन चीजें मेरे दिमाग में घूम रही थीं ....मैं बहुत घबरा रहा था ....और सोच रहा था की उसे कैसे कहूँ की मैं उससे आगे भी बात करना चाहता हूँ !!! कुछ घंटों पहले जो मेरा दिल भरा-भरा सा लग रहा था ....अब धीरे-धीरे खाली हो रहा था । कॉलेज के मुख्य द्वार पर हमदोनों जैसे पहुँचे ....मेरा दिल उसके दूर जाने के विचार से ही बेचैन हो उठा ....मैं अब कुछ भी सोच पाने में असमर्थ था ...बिल्कुल सही समय पर मेरे दिमाग ने धोखा दे दिया जब दिमाग कि सबसे ज्यादा जरूरत थी-- कुछ सोचने के लिए !!!तभी मेरे होंठो से अचानक एक आवाज निकल पड़ी ---"""व्हाट्सएप नम्बर देंगे ....नहीं तो आगे बात कैसे होगा """!!ये दोनों वाक्य मैंने बहुत घबराते और ह...ह...हकलाते हुए बोले थे ।वह मेरे चेहरे की तरफ एक आश्चर्यजनक भाव से देखते हुए बोली---"व्हाट्सएप मैं सिर्फ दोस्तों को देती हूँ "।अभी काजोल ने अपनी पूरी बात कही भी न थी कि तभी एक टेम्पु वाला जोर से चिल्लाता हुआ हमदोनों के पास आ पहुँचा और काजोल उस टेम्पु में जा बैठी ...तभी मैंने झट से कहा--""फेसबुक दोस्त तो बना ही सकती हो!!!"" अब तक टेम्पु थोड़ी दूर बढ़ गया था ...टेम्पु में बैठे-बैठे ही वह जोर से बोली---काजोल सर्च करना और दोस्ती का अनुरोध भेज देना ...तब तुमसे बात करूँगी ।।
मैं उससे बिछड़कर उदास हो गया मानों मेरे उस वक्त का मेरे दिल का चैन वही अपने साथ ले चली गयी हो ....मैं कॉलेज के अंदर आकर अपने दोस्त आकाश को ढूंढ़ने लग गया ....अंत में वह फॉर्म जमा करने के काउंटर पर लड़कों के लगे लाइन में खड़ा मिला ....उसके बाद मैंने बैचैनी में आकर अपने मोबाइल पर नेट ऑन करके फेसबुक खोला और काजोल सर्च किया ......लेकिन ढेर सारी काजोल दिखाई पड़ने लगीं ....मैंने काफी ढूंढ़ने की कोशिश की ,लेकिन मेरा हर प्रयास विफल रहा ....उस दिन के बाद से न जानें कितनों ही बार मैंने उसे फेसबुक पर ढूंढा ,लेकिन वह न मिली .....अगले दिन कॉलेज भी गया था---पढ़ाई करने नही ,सिर्फ उससे मिलने !!!! लेकिन मेरे हाथों निराशा लगी ।।मैं उस टेम्पु वाले को अब भी गालियां देता हूँ .......काश!!वो लड़की थोड़ी देर और रुक जाती ....और मैं उसका फेसबुक फ्रेंड बन जाता .....और ............!!!!!!!
3 Comments
Amazing dude 👏👏👏👏😊😊
ReplyDeleteDusri dundho... Or ek or story likho
ReplyDeleteWaise story accha except one line.
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