सुबह के नौ बज रहे थे, मैं नहा-धोकर बिल्कुल तैयार था और एक बड़े से आईने के सामने खड़ा होकर अपने बालों को सवार ही रहा था की मेरे फ़ोन का रिंगटोन बज उठा --चल छइयाँ, छइयाँ,छइयाँ ,छइयाँ ; चल छइयाँ ......! गाना पूरा होने से पहले ही मैंने अपना फोन उठाया और बोला--"हाँ , बोलो sunny !"
Sunny-- "चलोगे आदर्श ! Anugrah narayan college ..."
मैं --" किसलिए? "
Sunny --"अरे यार ! मैंने सुना है A.N. college में 15 अगस्त के दिन बहुत बढ़िया डांस ,सिंगिंग और स्पीच कार्यक्रम होता है ।"
Me --""तुम्हारे कॉलेज में नहीं जायेंगें , अपना कॉलेज , college of commerce ,arts and science जायेगें । ""
Sunny (मनाते हुए)--चल न यार !!मेरे कॉलेज में हॉट-हॉट लड़कियाँ आती हैं ।
मैं --""न भाई ! मुझको तुम्हारे कॉलेज के हॉट-हॉट लड़कियों से कोई मतलब नही है । ""
Sunny--' ठीक है भाई !!तुम अपने कॉलेज में ही जाना ....(कुछ सेकंड रुककर ) बस तुम अपना Apache वाला बाइक मुझको दे देना ,सिर्फ आज के लिए । '
मैं--"भागेगा साले !!तब मैं कैसे जाऊँगा राजेन्द्र नगर ,अपना कॉलेज ।"
फ़ोन कटी और मैं अपने मोटरसाइकिल पर बैठ चल पड़ा अपने कॉलेज की ओर ।मैं B.Sc part-1 physics honours से कर रहा था । मैं खुश था...आज अपने कॉलेज में 15 अगस्त का प्रोग्राम होने वाला था ... मेरे दो दोस्त करिश्मा और सुरभि ने डांस में भाग लिये थे ....NCC की तरफ से दो डांस प्रस्तुत किये जाने थे और इन दोनों में ही मेरा एक दोस्त बिट्टू भी था ,वह ncc में था ।। मैंने बारहवीं पटना के ही एक प्राइवेट स्कूल से पास की थी .....इसलिए कॉलेज के पहले कार्यक्रम में मैं शरीक होने वाला था ।। मैं रास्ते भर यही सोच रहा था कि --""पता नही , कॉलेज में कैसा प्रोग्राम होता है ???"" खैर मैं कॉलेज पहुँचा ।।
कॉलेज के ग्राउंड पर कई कुर्सियां लगीं हुईं थीं --कुछ लाल ,कुछ भूरी और कुछ उजले रंग की ....प्रधानाचार्य के द्वारा झंडा फहराने में अभी समय था ...मैं एक कुर्सी पर बैठकर फेसबुक --फेसबुक खेलने में मग्न हो गया ...अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि पीछे से एक जोर की आवाज आई --"आदर्श ! आदर्श!! ये आवाज मुझे कुछ जानी-पहचानी सी लगी , मैं पीछे मुड़ा तो देखा कि ये तो फिजिक्स डिपार्टमेंट की मेरा classmate सुरभि है ...सुरभि मेरे पीछे खड़े लड़कों के झुंड के पीछे से बोल रही थी ...मैंने जवाब के रूप में थोड़ा मुस्कुराया ...वैसे भी किसी लड़की को देखकर मेरे चेहरे पर मुस्कान अपने आप आ जाती है ...मैं अपने कुर्सी से उठा ही था कि सुरभि मेरे तरफ आने लगी ....अरे ..ये क्या!!!उसके साथ तो एक अनजान लड़की भी है ,मैंने तो इसे कभी अपने कॉलेज में नही देखा ...कितनी खूबसूरत लग रही है , हल्के नारंगी और उजले कलर वाले सलवार-सूट में ...।। मैं इसी तरह की अपने मन की बातों में ही डूबा हुआ था कि सुरभि मेरे नजदीक आ पहुँची और बोल पड़ी--" Hi ,Aadarsh!! How are you?"
मैं अपने विचारों से झट से बाहर निकला और जवाब दिया --""Ya !! I'm fine . and you??""
सुरभि --''fine ! (मेरी तरफ देखते हुए)Aadarsh(microsecond में अपनी दोस्त की तरफ अपना हाथ करते हुए)ये है -प्रिया ,मेरी बेस्ट फ्रेंड .." और प्रिया ! ये मेरा क्लासमेट आदर्श !! " जितने समय में सुरभि introduction करवा रही थी ,उतने समय में मैंने कितनो की बार प्रिया को देखा ...उसके गोरे चेहरे पर एक चमक थी ...वह एक अनुभवी काश्तकार के द्वारा बनाई गई --एक खूबसूरत मुर्ति लग रही थी ...उसके हल्के रंग के भूरे बालों पर सूरज का प्रकाश पड़ रहा था तो ऐसा लग रहा था मानों एक झरने का पानी पहाड़ पर से कल-कल की ध्वनि करते हुए गिर रहा हो और सूरज का लाल प्रकाश उसके जल को चमका रहा हो ....उस लड़की की सुंदरता देखते बनती थी ...मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था ...ऐसा लग रहा था कि मानों कुछ सेकंड के अंदर ही मेरा दिल मेरे शरीर से बाहर आ जायेगा ।उसका सुंदर गोल चेहरा और नारंगी रंग की कानों के ईयररिंग मेरे चित्त को घायल कर रहीं थीं ।उसकी हिरणी सी निर्दोष आंखों में मैं डूब जाना चाहता था । मैं इन्हीं सब विचारों में खोया हुआ था कि सुरभि ने मेरे दाये बांह को पकड़कर हिलाई और बोली--कहाँ खो गए ,आदर्श !!सुन रहे हो मैं क्या कह रहीं हूँ ?? मैं कुछ सेकंड रुका और कहा --ह..ह...हाँ ,सुन रहा हूँ ।
सुरभि ने आगे कहना शुरू किया--""मेरा डांस पंद्रह मिनट का है....इसमें मुझे ,करिश्मा और एक मेरी दोस्त को लगातार तीन बॉलीवुड गानों पर डांस करना है....प्रैक्टिस तो बहुत की है लेकिन अभी थोड़ा और कर लेती तो अच्छा होता । (प्रिया की तरफ देखते हुए)--तुम प्रिया ! आदर्श के साथ ही रहना ...ज्यादा देर नहीं, बस पंद्रह-बीस मिनट में आ जाऊंगी।ऐसा कहकर वह कॉन्फ्रेंस हॉल की तरफ अपने कदमों को बढ़ाई ।।।
मैंने बगल वाली एक खाली कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए कहा --"बैठ जाइए ! "वह बैठ गयी और मैं भी उसके बगल की कुर्सी पर बैठा ।आसपास अब भीड़ जमा होने लगी थी , खाली कुर्सियाँ अब बहुत कम ही बची रह गयी थी । लगभग पांच मिनटों तक हमदोनों चुप बैठे रहे । मैं अपने आसपास इधर-उधर देखता और रह-रहकर प्रिया के खूबसूरत चेहरे की तरफ , मैं बात करने का बहाना ढूंढ रहा था ।।वह अपने व्हाट्सएप पर व्यस्त थी ।मैंने हिचकिचाते हुए कहा --"आ...आप bsc पार्ट-1 में हैं? मैं तो bsc पार्ट-1 में हूँ, phy honours ।।उसने अपनी नजरें फ़ोन पर से हटाकर मेरे ओर की और कुछ सेकंड बाद बोली--"हाँ ।" वह अपने फोन पर फिर से देखने ही वाली थी कि मैंने एक और सवाल उसपर फेका --honours?
Physics...
आप कॉलेज क्यों नही आती हैं??
नहीं, मेरा इस कॉलेज में एडमिशन नही है ,मैं तो रामकृष्ण द्वारिका कॉलेज में पढ़ती हूँ ...
Me -- O..o ,आप क्लास daily जाती हैं ?
हाँ ,वहां के फिजिक्स डिपार्टमेंट के हेड मेरे पापा के दोस्त हैं,इसलिए कभी कॉलेज नही जाते हैं तो वे पापा को कॉल कर देते हैं ।
ऐसा कहकर वो फिर से व्हाट्सएप्प में व्यस्त हो गयी । अब मुझे समझ मे नही आ रहा था कि अब प्रिया से क्या पूंछूं .....मुझे डर लग रहा था कि वो मेरे किसी बात का बुरा न मान जाए ....किसी अनजान लड़की से बातचीत करना कितना मुश्किल है ,आज मुझे पता चल रहा था ।। ये लड़कियां भी बड़ी अजीब होती हैं ...सजती-सँवरती हैं ताकि कोई लड़का उन्हें देखे और जब कोई लड़का देखता है तो लड़कियां कहती हैं--कुत्ता कहीं का , लगता है कभी लड़की को देखा ही नही है ....जब कोई लड़का उन्हें नही देखता है तो वो कहती है --कुत्ता कहीं का, मुझको देख भी नही रहा है !!!यही हाल मेरा अभी हो रहा था , मेरा जी कर रहा था -प्रिया के हाथों से उसका मोबाइल छीनकर फेंक दूँ !!
तभी प्रधानाचार्य के पीछे-पीछे ncc के कई लड़कें-लड़कियां मार्च करते हुए खुले आकाश के नीचे बने स्टेज की तरफ जाने लगे ।कुछ मिनटों बाद ncc का परेड चालू हुआ ।हमदोनों बैठे ही हुए थे कि एक मोटी लड़की प्रिया के पास आई और बोली--"प्रिया!!तुम्हीं हो, तुमको सुरभि बुला रही है ,चलो कॉन्फ्रेंस हॉल में...."।।प्रिया उसके साथ चली गयी और हमारी बातें अधूरी रह गयी ! मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मेरे कई दोस्त भीड़ में खड़े थे ....मैं भी उनके साथ प्रिंसिपल का स्पीच सुनने लग गया ।। लगभग डेढ़-दो घंटे बाद कॉन्फ्रेंस हॉल में डांस और स्पीच प्रोग्राम चालू हुआ ...मैंने देखा कि वह लड़कियों के झुंड में बैठी हुई है ..उसके आसपास महिला प्रोफेसर और लड़कियां थीं । कॉन्फ्रेंस हॉल की कुर्सियाँ दो भागों में बटी थी ,बीच में आने-जाने का रास्ता..एक तरफ लड़कियाँ बैठीं थीं और दूसरे तरफ दूसरे लिंग के ।।प्रोग्राम आगे बढ़ता गया लेकिन मेरी कहानी अभी भी वही रुकी हुई थी ....मेरा सारा ध्यान तो प्रिया की ही तरफ था ...उस दिन उससे बात न हो पाई ...प्रोग्राम खत्म हो गया और मैं अपनी अधूरी कहानी के साथ वापस अपने घर लौटा आया ।।
अगले दिन मैं द्वारिका कॉलेज जाकर फिजिक्स के क्लास का टाइमिंग पता किया और उसी दिन से bsc पार्ट-1 के लेक्चर में शामिल हो गया । पहले दिन वह मुझे देखकर तो चौंक गई... ऐसा लगा जैसे उसने आधी रात को अपने घर मे कोई चोर को घुसते देख लिया हो।।मैंने उससे बहाना मारा कि मेरे घर पर ढेर सारे मेहमान आये हुए हैं ...इसलिए मुझे उनको कहीं घुमाने जाना पड़ता है । द्वारिका कॉलेज मेरे घर से बहुत नजदीक है तो आ जातें हैं क्लास करने ।।। वो मेरी बातों पर संदेह नही की ।। मैं प्रतिदिन तो अपने कॉलेज जाता ही था इसलिए फिजिक्स का मुझे ज्ञान था , मैं प्रोफेसर द्वारा पूछे गए अधिकतर सवालों का जवाब दे देता था...इसी कारण से मैं सभी लड़के -लड़कियों से मेरी बातचीत होने लगी थी और प्रिया से भी ।।मेरा एक सप्ताह तक तो एक पढ़ने -लिखने वाले लड़के का इमेज बन गया था । जब प्रोफेसर मेरा roll no. पूछते तो मैं किसी भी लड़के -लड़की के बाद वाला संख्या बोल देता था ...प्रिया भी किसी को नही बतलाती की -मैं द्वारिका कॉलेज का स्टूडेंट नहीं हूं ।। एक सप्ताह मेरे बीत चुके थे ,इन एक सप्ताह में प्रिया से काफी बातचीत होने लगी थी ।।
अगले दिन एक प्रोफेसर एक बड़ी सी रजिस्टर ले के आये और रजिस्टर खोलकर हमसब से बोले--" अपना-अपना रौल नंबर और नाम बताओ ...रजिस्टर में नाम नहीं लिखा हुआ है ,वही लिखना है ।।"सभी लड़के --लड़कियां अपने -अपने रौल नंबर बताने लगे ...सभी अपना-अपना identity card भी देखने लगे...मैं घबराने लगा ।।मेरी बारी आई ...प्रोफेसर मुझसे बोले --"तुम्हारा नाम क्या है?"
आदर्श !!
रौल नम्बर ?
Sir, रौल नंबर ... वो तो sir मैं भूल गया !!
प्रोफेसर(थोड़े गुस्से से)--"भूल गए ?आजकल के स्टूडेंट्स को अब अपना रौल नंबर भी याद नहीं हैं ....वाह...आजकल के स्टूडेंट बहुत ही careless हों गये हैं ....।।"
Me--""sir, मेरा identity कार्ड मेरे motorcycle के डिक्की में हैं ..""
प्रोफेसर --"ठीक है ...जाओ ..जरा जल्दी आना !!"
मैं लपक कर अपने motorcycle के पास पहुँचा और जल्दी से गाड़ी स्टार्ट कर के फुर हो गया और अपने घर पहुँच कर ही साँस लिया ....भला हो उस दिन मैं बैग लेकर कॉलेज नही गया था ....एक लड़के से कलम और कुछ पेज मांग रखे थे ...सोचा था अच्छे से पढूँगा और लिखूँगा लेकिन उस प्रोफेसर ने उस दिन मेरी छुट्टी कर दी ...इस घटना के बाद से मैं प्रिया के कॉलेज में कभी नहीं गया ।। मैं अपना कॉलेज फिर से जाने लगा ।।लेकिन पढ़ाई में पहले की तरह मन नही लगने लगा .. मैं उसके ही बारे में सोचता जाता । फिजिक्स के laws और formulae की जगह उससे बातचीत के कुछ अंश याद आने लगे ।। मैं प्रिया की दोस्त सुरभि से उसका मोबाइल नंबर भी मांग नही सकता था ...मैं सोचता--""अगर ऐसा करूँ तो न जाने सुरभि क्या सोचे मेरे बारे में??"" किसी तरह मेरे पांच दिन बीते । अगले दिन कॉलेज में सुरभि ने छुट्टी के वक्त मुझसे कहा--""कल मेरा जन्मदिन है ,आना मेरे घर ""सुरभि का घर कॉलेज से कुछ मीटर दूर एक गली में था। मैं प्रस्ताव को मान गया और सोचा चलो इसी बहाने प्रिया से भी मुलाकात हो जाएगी ।।इसी रात जब मैं फेसबुक चला रहा था तो ""मुझे सुरभि की एक फ़ोटो दिखाई पड़ी जिसके ऊपर लिखा था --【मेरी birthday पार्टी की तैयारियाँ शुरू 】मैंने अपने कॉलेज के फिजिक्स डिपार्टमेंट के सभी क्लासमेट को fb दोस्त बना रखें थें -उसी में सुरभि भी थी ।।
मैं कमेंट बॉक्स चेक करने लगा तो देखा कि उसमें एक कमेंट प्रिया का भी है ...मैं उसके प्रोफाइल को खंगालने लग गया तो देखा कि उसमें एक मोबाइल नंबर भी है ...मैं खुशी से उछल पड़ा ...मैंने उस नंबर को नोट किया और लगभग एक घंटों के सोचने के बाद मैंने निर्णय किया कि--"मैं प्रिया को सुबह कॉल करूँगा ""।। वह रात मेरी करवटे बदल-बदलकर गुजरी ...सुबह के छह बजे मैंने घबड़ाते हुए प्रिया को फ़ोन मिलाया ।
"Hello !! कौन ??"प्रिया ने कहा ।
मैं कुछ सेकंड तक चुप रहा और बोला --"मैं आदर्श !! भूल गयी ...मैं सुरभि का दोस्त ....
मेरी बात अभी खत्म भी नही हुई थी कि प्रिया ने बोलना शुरू किया --अच्छा तुम हो,पहचान गई !! इतना सवेरे -सवेरे कॉल किया ...कुछ काम था मुझसे ??
मैं उसके इस सवाल से हिचकिचाया और बोला--नहीं, कुछ खास काम नहीं था ,बस....मैंने तुरंत टॉपिक को change कर दिया ....आप आज शाम को सुरभि के घर बर्थडे पर जा रहीं हैं ??उसने हाँ में जवाब दिया । मैं फिर शुरू हुआ--"मैं भी जा रहा हूँ ....मुझे सुरभि के लिए एक गिफ्ट लेना था ...समझ मे नहीं आ रहा है क्या लूँ .. आप तो उसकी बेस्ट फ्रेंड हैं तो आप मदद कर देतीं गिफ्ट खरीदने में ।"
प्रिया मान गयी और हमदोनों का कंकड़बाग के शिवाजी पार्क के पास मिलने का निर्णय हुआ । हमदोनों दस बजे मिलें । प्रिया ने बताया कि सुरभि को स्टाइलिश wristwatch पसंद है ...हमदोनों पास के ही एक दुकान से इसे खरीदे ....इसके बाद हमदोनों ice-cream खरीदकर खाने लगे ...इस दौरान हमारी बातचीत भी हुई , इधर -उधर की । द्वारिका कॉलेज में मेरे बिताये एक सप्ताह में मेरा परिचय प्रिया से हो चुका था ...इसलिये प्रिया मुझसे एक दोस्त की तरह ही बात कर रही थी ।।उसने मुझे बताया कि जब मैं उसके कॉलेज से भागा था तो प्रोफेसर काफी देर तक मेरा इंतेजार कर रहे थे ,मेरे क्लास में वापस आने का...उनकों समझ में कुछ आ ही नहीं रहा था कि मैं identity card लाने गया तो क्यों वापस नहीं आया ...वो काफी गुस्सा भी हो रहे थे ...अगले दिन से वो बार-बार मेरे बारे में स्टूडेंट्स से पूछते --क्या वो identity card वाला लड़का आया है ??।।ये सब प्रिया हँसते-हँसते मुझे बता रही थी ...इसके पहले मैंने उसको हँसते हुए कभी भी नहीं देखा था...उसकी हँसी में एक जादू-सा था ...जब वो हँसती थी तो ऐसा लगता मानो पूरा वातावरण खिल उठा हो ...।।खैर ,आइसक्रीम खत्म हुआ और हमारी बातचीत भी ,फिर से मैं अकेला हो गया लेकिन उसकी हँसी मेरे साथ अब भी थी।।हमदोनों सुरभि के घर पर उसी दिन शाम को बर्थडे पार्टी में मिले ...प्रिया पार्टी में कई लड़कियों के साथ थी ...इसलिए उससे थोड़ा बातचीत ही हो पाया ....प्रिया इतना संजी-धजी थी की मानो आज सुरभि का बर्थडे नही बल्कि उसी का है ।। वह 15 अगस्त के दिन से बहुत ज्यादा आज शाम खूबसूरत लग रही थी ....मानों चाँद प्रिया को देखकर लजा रहा हो...।।जब भी उसे देखता , मेरे दिल के धड़कन की गति असामान्य रूप से बढ़ जाती थी ...अब मेरे दिल के सुकून की चाभी उसके हाथों में चली गईं थीं ...15अगस्त के पहले तक तो मैं स्वतंत्र था लेकिन उस दिन के बाद से मेरा दिल प्रिया का गुलाम बन गया था ..........।
उस दिन के बाद से मैं हर शाम प्रिया को कॉल करने लगा ....शुरू के एक महीने तो सिर्फ फिजिक्स , केमिस्ट्री और गणित की ही बातें होती थी ....और बहुत थोड़ा ही अपने बारे में वो बताती थी ....अक्सर मैं ही कॉल करता था ,लेकिन कभी-कभी मेरे कॉल करने में देरी होने पर वो भी कॉल करती थी ....इसी तरह मैं उसका पढ़ाई पर discussion करने वाला दोस्त बन गया ।।अब जब भी वो दुःखी रहती तो मुझे बताती .... शाम के discussion में हमदोनों की अपनी-अपनी बातें भी कब शामिल हो गईं....हमे पता भी न चला ।।।इसी तरह कई महीने बीतते चले गए...हमदोनों को अब हर दिन एक दूसरे की बातें सुनने की लत सी लग गई ...जब हमदोनों एक दिन बात न करते तो बेचैन हो जाते....10 दिसम्बर को प्रिया का बर्थडे था ,उसके एक दिन पहले हमदोनों ने प्रिया का बर्थडे अकेले में सेलिब्रेट करने की योजना बनाई ...हमदोनों 9 दिसम्बर को पटना zoo गए ...वो मेरे Apache के पिछली सीट पर बैठी मेरे कंधे पर अपना हाथ धरे हुए थी ...ऐसा लग रहा था मानों मैं कोई प्यार की एक अलग दुनिया में चला गया ....उसके हाथों का स्पर्श मेरे अंदर अनेकों प्यार की तरंगें पैदा कर रहीं थीं ....वहां पर एक पेड़ के नीचे हमदोनों बैठे और लगभग दस मिनटों की बातचीत के बाद प्रिया ने केक काटा ....वो मुझे केक का एक छोटा टुकड़ा अपने हाथों से खिलाई ...मैंने थोड़ा केक अपने दांतों से काटा और उसका हाथ पकड़कर वही जूठा केक उसे खिला दिया ........हम फिर से अपनी बातचीत में मशगूल हो गए ....वह अपने पिछले बर्थडे के घटनाओं के बारे में बताती जाती और मैं चुपचाप सुनता जाता ....ठंडी-ठंडी हवाएं चल रहीं थीं ....पेड़ों की पत्तियां उन हवाओं में झूम रहीं थीं और एक मनोरम और कर्णप्रिय आवाजें उत्पन्न कर रहीं थीं ....आकाश में सूर्य हमदोनों को देख रहा था ....सूरज की किरणें पेड़ों की पत्तियों के बीच से हमदोनों के आसपास आ रहीं थीं और पत्तियों के प्रतिबिंब का मनोरम दृश्य मिट्टी की भूमि पर उपस्थित कर रहीं थीं ....प्रिया ने अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए ...उसकी आँखों में समुन्द्र रूपी प्यार की गहराई थी ....मैं उसके आँखों की गहराई में ही डूब गया...हमदोनों ने चुम्बन करना शुरू कर दिया .... कुछ मिनटों के बाद हमदोनों होश में आए ....और कुछ सेकंड के बाद प्रिया उठ खड़ी हुई --और --बोली--"'मुझे भूख लगी हुई है ,अब चलो !!"" पहली बार मैंने प्रिया को शर्माते हुए उस वक्त देखा था .......इस घटना के बाद से वह मुझे अपने बारे में सब कुछ बताने लगी थी और मैं भी ....इस घटना ने हमदोनों को पूरी तरह बदल दिया था ....अब हमदोनों हर sunday को कभी इको पार्क जातें...कभी शिवाजी पार्क...कभी कुम्हरार पार्क ...और न जाने कहाँ -कहाँ मिलते ।।।।इसी तरह महीने बीतते गए और हमदोनों और करीब आते गए......।। ग्रेजुएशन पास करने के बाद प्रिया BPSC की तैयारियों में पूरे मन से जुट गई और मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में फिजिक्स से MSc करने लगा ।। मैं दिल्ली जाने से पहले अंतिम बार उससे जी भर के बातें करना चाहता था इसलिए मैंने प्रिया को डाकबंगला चौराहे के पास एक होटल में बुलाया ....वो सुबह के दस बजे आई और हमदोनों उस दिन बहुत ही भावुक हो रहें थें... हमदोनों को एक-दूसरे से बिछड़ने का बहुत दुःख था ....हम दोनों को विश्वास ही नही हो रहा था कि आज के बाद हमदोनों एक -दूसरे से कई महीनों बाद मिलेंगें ....हमदोनों बिस्तर पर लेटे बात कर रहे थे ...बात करते-करते हमदोनों एक -दूसरे की बाहों में आ गये और चुम्बन करने लग गए ....कुछ मिनटों बाद ही हमदोनों संभोग करने शुरू कर दिए... हमदोनों ने मिलकर इस दिन को यादगार दिन बना दिया ...हमदोनों के बीच में अब छुपाने जैसा कुछ भी न बचा रह गया...हम दोनों के नंगे बदन एक-दूसरे का स्पर्श कर रहे थे ...अब हमारे बीच कोई न था -कपड़ें भी नहीं ... जिंदगी में पहली बार मैंने सेक्स किया था ...ऐसा लग रहा था मानों समय जैसे रुक गया हो ...दो शरीर भले ही थे लेकिन दो पवित्र आत्मायें मिलकर एक हो गईं थीं ...हमदोनों ने एक -दूसरे से कई वादे किए ....।।।अगले दिन मैं दिल्ली चला गया ...दूरियां बढ़ी लेकिन प्यार थोड़ा भी कम न हुआ वरन बढ़ता ही चला गया ।।।पांच सालों बाद प्रिया अब मेरी प्रिय पत्नी बन गयी है...मैं फिजिक्स का एक प्रोफेसर हूँ और प्रिया BPSC से अपने तीसरे attempt से सब-रजिस्ट्रार के पद पर है ।।।★★★★★
4 Comments
Bahut acha story hai👌🏻😃😃
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ReplyDeleteYeh kahani hai ki "MANOHAR KAHANIYA" HAI?
ReplyDeleteBro blog index nhi hota hai kya karu plz help me
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