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कॉलेज की लड़की



वो है बहुत सुंदर लड़की
क्या करूं मै  अपने दिल का।
जो चाहता है सिर्फ उसी को
लेकिन वह तो चाहत है किसी और लड़के का।

अपने दिल को बहुत मनाता हूं
पर सुने न मेरी कोई भी बात।
कहता है उसे किसी भी तरह पटा लो
चाहे खाना पड़े डंडा और लात।

वो तो बहुत नखरें दिखाती है
उसमें है बहुत ही ऐटिट्यूड।
उसे देखने से पहले बनना चाहता साधु
और बहुत चाहता सोलिट्यूड।

मेरे दोस्त दिखाते मैं हूं होशियार
और लड़की पटाने के तरीके बताते अजीबो - गरीब।
कई बार तो उसकी सहेलियां बचाई
जब मैं था थप्पड़ खाने के करीब।

कुछ महीनों बाद अवसर आया
जिसके लिए कई बार भगवान से मैंने दुआ मांगे।
कुछ सवाल मैं और कुछ वो पूछी
जब ग्रेजुएशन के एग्जाम में वो बैठी मेरे आगे।

लगातार पांच दिनों तक लगा
जैसे बने है हमदोनों एक दूसरे के लिए।
खूब की थी वह फैशन की शौकीन
अब पता चला उसे पढ़ना भी पड़ता है पास करने के लिए।

छोटे - छोटे कागज के पुर्जे
सलवार - कमीज़ के अंदर लुका के लाती।
फिर मुझे देती चीटिंग करने को
क्यूंकि उसे चीटिंग करना न है भाती।

अब करते हैं हमदोनों स्वाध्याय
 कॉलेज की लाइब्रेरी में साथ - साथ ।
वो बन गई है अब गर्लफ्रेंड मेरी
तो घूमते हैं लेकर हाथों में हाथ।



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