💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌💌
Shayari
Sad Hindi shayari |
Sad shayari |
Shayari
meree aitityood se jab teree aitityood takaraegee
sheeshe kee tarah chakanaachoor ho jaegee.
chun chun kar hamane aapake raaston se kaate hatae .
lekin aapane to un kaanton ko sametakar meree raahon mein phenk die.
mujh par tum aksar dikhaatee rahee apanee sundar chehare ka guroor.
koee naya saathee mila to ho gaee alag...thaharaakar mujhe kasoor.
tum jahaan bhee jaogee...ham tumhen yaad aate rahenge...
mere jaisa tujhe kaheen na milega koee...
too na mujhe kabhee chaahee to kya...
ham tujhe hamesha chaahate rahenge.
suna hai aapaka naya saathee ameer hai...
lekin aapane to meree kadar kabhee na kee...
ham bhee ameer the dil se.
apanee haalat ka khud ehasaas nahin hua mujh ko kabhee.
mainne apana saara dhyaan aap par jo laga diya.
tujhase milane mein koee baat to hogee sahee.
teree jheel jaisee aankhon ne hee mujhe thee mohee.
मेरी ऐटिट्यूड से जब तेरी ऐटिट्यूड टकराएगी
शीशे की तरह चकनाचूर हो जाएगी।
शीशे की तरह चकनाचूर हो जाएगी।
चुन चुन कर हमने आपके रास्तों से काटे हटाए ।
लेकिन आपने तो उन कांटों को समेटकर मेरी राहों में फेंक दिए।
लेकिन आपने तो उन कांटों को समेटकर मेरी राहों में फेंक दिए।
मुझ पर तुम अक्सर दिखाती रही अपनी सुन्दर चेहरे का गुरूर।
कोई नया साथी मिला तो हो गई अलग...ठहराकर मुझे कसूर।
कोई नया साथी मिला तो हो गई अलग...ठहराकर मुझे कसूर।
तुम जहां भी जाओगी...हम तुम्हें याद आते रहेंगे...
मेरे जैसा तुझे कहीं न मिलेगा कोई...
तू न मुझे कभी चाही तो क्या...
हम तुझे हमेशा चाहते रहेंगे।
मेरे जैसा तुझे कहीं न मिलेगा कोई...
तू न मुझे कभी चाही तो क्या...
हम तुझे हमेशा चाहते रहेंगे।
सुना है आपका नया साथी अमीर है...
लेकिन आपने तो मेरी कदर कभी न की...
हम भी अमीर थे दिल से।
लेकिन आपने तो मेरी कदर कभी न की...
हम भी अमीर थे दिल से।
अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं हुआ मुझ को कभी।
मैंने अपना सारा ध्यान आप पर जो लगा दिया।
तुझसे मिलने में कोई बात तो होगी सही।
तेरी झील जैसी आंखों ने ही मुझे थी मोही।
♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥(´ε` ) ♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠
♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥(´ε` ) ♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠♥♥╣[-_-]╠
0 Comments