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इश्क का रोग 3




तेरी मेरी ये खामोशी समझ में न आए किसी को
ये प्यार क्या होता है अब समझ आया मुुुझको।

अब कोई भी चीज तुझसे ध्यान  हटा न पाए।
प्यार का रोग प्रतिदिन मीठा मीठा दर्द लाए।

प्रोफेसर सब तो फिजिक्स पढ़ाते जाए।
लेकिन तेरी नजरें मेरा ध्यान बोर्ड पर से हटाए।

तुझे देखते ही दिमाग की ग्रेजुएशन वाली बुद्धि काम न आए।
देखो उसका बॉयफ्रेंड आ गया यह कहकर दोस्त चिढ़ाए।

कभी कभी गुस्से में दे देता हूं उनको गाली।
लेकिन दोस्त भी ढीठ है,हंसकर बजाने लगते ताली।

इश्क के पौधे को सींचता हूं हर रोज बनके माली।
हे भगवान! कब तक मेरे दिल का कमरा रहेगा खाली।

चाहता हूं तुम्हे एक दिन प्रपोज करूं
सबके सामने तुमसे मिल के।
मत कर देरी ओ मेरे दोस्त!
कहते हैं दिल के बागान के फूल खिल के।


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