Poem in Hindi
Hindi poem |
बहुत अकेला हो गया हूं मैं
लगता है आंखें खोले ही सो - सा गया हूं मैं
जानी - पहचानी राहों में ही खो गया हूं मैं
आखिर कौन हूं मैं! आखिर कौन हूं मैं !
वॉट्सएप पर मित्रता पर स्टेटस लगाते हैं
दोस्त अच्छे - अच्छे
लेकिन बोल नहीं पाता हूं उनको मैं अपने
दिल के बात सच्चे - सच्चे
हर तरफ रौशनी ही रौशनी है
लेकिन मन में भर गया है अंधकार
अक्सर आधी रातों में पिंजड़े में कैद
चिड़ियां देती है मुझे पुकार
पर कैसे बताऊं उस चिड़ियां को
खुले आसमां के नीचे रहकर भी मैं हूं बंदी
इस गैजेट की दुनिया में
धैर्य से बातें सुनने वालों की आ गई है मंदी
सुनहरे चिंतारहित बालपन के वर्षों से
जिन बातों को मान रहा था सत्य
ढेरों निकले कूड़ा - करकट
जब मुझसे टकराया जिंदगी के तथ्य
बचपन के कोरे कागज़ पर छाप दिया
समाज ने अनेकों तुच्छ विश्वास
जाति, धरम और कर्मकांड मुसीबत में न आए साथ
एक दो पल की मोहब्बत ही बना मेरा खास
मन में बैठे बंधनों से हो मुक्त
उड़ जाऊंगा उस पिंजड़े की चिड़ियां के संग
नील गगन के बादलों से ले जल
बरसा दूंगा धरती पर इन्द्रधनुष जैसे प्यार के सतरंगे रंग
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Romantic love story in hindi
2 Comments
Fantastic
ReplyDeleteI like all your posts
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