Romantic love poem
Best poetry in hindi
Romantic poem in hindi
कभी आइने ने दिखाया तुझे
कभी बादलों में दिखे तुम
तुम्हें जानने चला था मैं
लेकिन पता चला खुद ही था गुम
तन्हाई ! ये कैसी तन्हाई
जो मुझे स्वपनों में तेरे पास खींच ले अाई
चलो ; सपनों में ही सही, मिलते तो है
कोई संसार के बंधन तो आज तक नहीं अाई
तुम थे बहुत व्यस्त
नहीं चाहता था कभी आना
अकेला पड़ा तो महसूस हुआ
मैंने तो रिश्ते निभाना कभी न जाना
तन्हा रातें पूछती है
जिंदगी का ध्येय है सिर्फ कमाना?
मेरी बातें सुनने वाला कोई नहीं
क्या करूं, दिल में ही रखना पड़ता है लोगों का ताना
शांति और मोहब्बत ही है
असल जिंदगी का खजाना
दिल में चैन नहीं अगर तो
बेकार है घर - बदन को महंगी चीजों से सजाना
भटकता रहा भ्रम की गलियों से
था सत्य पथ से अनजाना
मन ने बहुत था समझाया
दिखावटी आडंबर से कुछ नहीं होना - जाना
मैं नित्य जाता रहा मंदिर - मस्जिद
खुद अन्न लेने से पहले भगवान को चढ़ाया खाना
लोग कहते रहे मैं हूं सच्चा महन्त
लेकिन हृदय से सत्य के बारे में कुछ न जाना
मुखौटा पहनकर संसार को दिखाता रहा
लालच, क्रोध, बुरे व्यसन से मैं हूं अनजाना
कभी कुछ पल के लिए तो आओ
मेरे जीवन के सालों के पतझड़ के मौसम को तुम्हें ही है भगाना
आज तन्हाई में
फिर उसकी याद है मुझे अाई
उस सुंदर से मुखरे का चित्र
अक्सर बादलों ने ही याद है दिलाई
उसके कदमों में फूल बिछाने वाला जीत लिया उसे
मुझे मोहब्बत के जंग में पीछे छोड़कर
अगर कभी मिलेगी वो किसी मोड़ पर
प्रणाम करूंगा उसे मैं हाथ जोड़कर
वहीं लड़की थी जो निष्पक्ष भाव से
मुझे मुझसे थी मिलाई ।
गुरूर तोड़कर
प्यार और सच्चाई की प्यास जगाई ।
आज तन्हाई में
फिर उसकी याद है मुझे अाई ।
अरे! मेरे नयनों से अचानक
कैसी है बारिश अाई ।
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Poem on environment
हरी - हरी गहरी दूभ्भी घासों पर
चमचमाती है बारिश की बूंदों की आंखें
उसी में से एक मेंढक मुझे झांके
बार - बार छिपकर टर - टर आवाज लगाए
ऐसा लगा मुझे
वो कुछ कहना चाहे
दिल उत्सुक हुआ उसकी ध्वनि का मतलब जानने में
मैं आगे बढ़ा और वो पीछे ध्यान लगाया भागने में
पॉलीथीन उसको जाल में फंसाकर
करने लगे परेशान
ओ ! अब समझ आया
प्रकृति का मानव ने किया है बहुत नुकसान
लकड़ी की छड़ी थी
पास कई पड़ी हुई
एक से पॉलीथीन के चंगुल से उसे छुड़ाया
मुझ पर कूद उसने मेरा होश उड़ाया
लगा मुझे
शायद उसने मुझे गले लगाया
तुरंत ही ढेर सारे मेंढक करने लगे
टर - टर
पत्तों की ध्वनि कानों में गूंजने लगी
सर - सर
महसूस होना शुरू हुआ मुझे
शोंधी - शोंधी मिट्टी की खुशबू
हवाएं स्वच्छ वायु देने लगी
छानकर रसायन की बदबू
पशु - पक्षियों और पेड़ों को देना होगा
स्वतंत्रता और प्यार
ये सभी हमारे सगे - संबंधी हैं
इससे नहीं कर सकते इनकार
सबकी है ये धरती और गगन
तो अकेले ही कैसे रह सकते हैं हम मगन
हम सब तलाशते हैं उल्लास के क्षण
जरूरतें नहीं देखती पशु पक्षी पेड़ों का तन
प्रकृति खुश तो हमसब खुश
यही है इस कविता का सार
नहीं तो झेलते रहना पड़ेगा
बाढ़ सुखाड़ कई अति की मार ।।।
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Poem on life
No pain _ no gain
No pain _ no gain
लोग तुझको बहुत ही सताएंगे
वे अपने हरकतों से बाज न आएंगे
इसलिए तुझे बनना पड़ेगा insane
No pain_ no gain
लग जा तू अपने काम में
भरोसा रख अपने नाम में
लकीरों पर विश्वास नहीं जो है तेरे palm में
लगे रह
तुझे जरूर मिलेगा name & fame
No pain_ no gain
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Poem on life
काले - काले गगन में
सिर्फ उजले - उजले बादलों का डेरा है
चांद - तारें छिपकर
घने चलायमान घटाओं से झांकते मुझे
सारी प्रकृति मगन है
किन्तु मेरे दिल में आज कुछ करने का लगन नहीं
नींद कैसे आए नयनों में
गदगद बिस्तर भी निद्रा को वश में करने में असफल है
जब तक मुझे चांद में प्रिय का चेहरा दिखना विफल है
बैठा हुआ हूं जमीं पर
ऊंचे - ऊंचे पेड़ों की टहनियां बादलों को छूने का प्रयास हैं करती
आशा की चिंगारी बदन में भर हर दिन यही करती जाती
फिर भी थक नहीं है कभी पाती
जब सभी पेड़ों ने अपनी शाखाओं को हिला किया पत्तों से जोर का शोर
बादल बरस गए_ नीले - काले गगन को छोड़
शीत भरी हवाएं बहने लगी
शुष्क मौसम को हराने लगी
बदन को वर्षा ऋतु में ठंड भी महसूस कराने लगी
बारिश से बचने _ मैं गया कमरें में
अरे ! ये क्या
सुरक्षा की चार दीवारें मुझे अकेलापन महसूस कराने लगी
सोच रहा था
बारिश के सहारे छोड़ दूं खुद को थोड़ी देर
हृदय के साथ कुछ अच्छा हो जाए देर - सवेर
सिर पर था मेरे जीवन में जवानी
लोगों का विश्वास था
बारिश में खुद को भिगोना
है काम बचपन की नादानी
मेंढ़कों का टर - टर
बादलों का गर - गर
पत्तों का सर - सर
बूंदों का टप - टप
सब याद दिलाते बालपन की
दिन बिताना साथियों संग
हंसी - ठिठोली और था कल के लिए उमंग
छत पर सोता चांद - तारों संग
गिनती न आती थी अधिक
किन्तु तारों को गिने बगैर
नींद नहीं आती थी निकट
करवटें बदल - बदल परिस्थिति
हो जाती विकट
बाहरी अंधेरों ने डराने का अवसर
नहीं जाने दिया कभी जाया
चांदनी ने पेड़ों की बनाई काली छाया
उद्दंड पवन वृक्ष की हिलाती रही काया
राक्षस रूपी प्रतिबिंब ने दिल में डर जगाया
जब तक कि मुझे नींद न आया ।
जवानी में इस डर की जगह आशाओं ने ले रखी है
जीवन के खेल का बन के रह गया हूं एक प्यादा
हर दिन ही यहां दोहराया जाता है
क्या कहूं
बस इतना समझ लो
मानव कम _ मैं मशीन हूं ज्यादा
अब तो
बच्चे की तरह आंखों से बूंद - बूंद बहकर
दिल हल्का भी नहीं कर सकता
दिल का दर्द अब
दिल में ही है रहता
लोग कहते हैं
रोना - धोना स्त्री गुण की है निशानी
इसमें बाला को छूट देकर
समाज ने की है बेईमानी
भरे - पूरे समाज में रहता हूं
कभी कभी
एक निर्जन कमरे में जाकर
नयनों से मोती गिराकर
दिल से बहुत कुछ कहता हूं
बड़ों ने मेरे जीवन का एक ध्येय चुना
सबकुछ स्वीकार कर इसके लिए बीज बुना
जो जनम दिए
उनकी बात तो है मानना
इसका कोई मूल्य नहीं
मेरी क्या है कामना
अब
हर दिन सूर्योदय - सूर्यास्त होता है
पर उसे जीता नहीं
वहीं चांद वहीं तारें
किन्तु उनके साथ खेलता नहीं
वहीं प्रकृति आसपास सुसज्जित है
परन्तु उनका रस पीता नहीं
दिन - रात कटते नहीं
किसी तरह काटता हूं
शर्म के मारे
अपने दिल की बात न बताता हूं
दिल में कितनो ही प्यार उफान मारे
फिर भी उनको न जताता हूं
बड़े - बुजुर्ग मेरी चाहत न समझें
किसी को अपने दिल में ले जाने से क्या लाभ
जब बातें उसके दिल तक न पहुंचे
सभी रिश्तेदारों की मुझसे शिकायत है
झुंझलाते हैं
ये हमसब से बात नहीं करता कभी
होंठ खुलना चाहते हैं
बोल उठूं
क्या आपने किसी चीज को
मेरे नजरिए से समझा है कभी ?
बड़े - बुजुर्ग चाहते हैं बच्चों की
स्वतंत्रता मिटाना
सिर्फ जानते हैं
बातों के विद्रोह को दबाना
यहां सवाल पूछने की आजादी नहीं
वहां इससे बड़ी कोई बर्बादी नहीं
उफ़ ! ये परम्परा के नाम पर
पुराने ज़माने के बंधन
काल ऐसा है कि
विचार मिले तो बन जाय संगठन
नहीं जरूरत धरम जात - पात
होना चाहिए सिर्फ दिलदार जन
लड़का के पास है सरकारी नौकरी
ढूंढा जाने लगा एक छोकरी
माताजी हैं सांवली
फिर भी हठ है
छोरी चाहिए गोरी
मंदिर में जाकर नारियल फोड़ी
बदले में एक मन्नत मांग के ही छोड़ी
आजकल कोई फोकट में काम करता है थोड़ी
चाहत है
गोरी लड़की के गृह से
बहुत ज्यादा लिया जाय दहेज
इसी महिला ने कुछ वर्षों पहले
पुत्री की शादी में धन खर्च से किया था
बहुत ज्यादा परहेज
वाह ! क्या बात है
जो दोहरेपन की यहां बात है
पढ़े - लिखे समाज में
जात-पात रंग-भेद धरम कांड के झगड़े सुनकर
मन हो जाता है दुःखी
हे प्रभु ! किसी भी रूप में अवतरित हो
लेकिन कर जाओ
इस धरती को सुखी ।।।।
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Heart touching love poem
ये वर्षा ऋतु की बारिश और हवाएं
तेरा नाम ही पुकारती जाएं ।
उगकर खिल रहे हैं
हरी - हरी घासें और जंगली फूल
मौसम चाहे बदले य बदले जमाना
तुम मुझे न जाना भूल ।
ये ठंडी - ठंडी सर्द हवाएं
बहती तो जाएं लेकिन रूह को सुकून न दे पाएं ।
तुम पास थे तो कौओं का कांव - कांव भी गीत लगे
दुश्मन से भी प्रीत लगे ।
तुम जो गए दूर
पक्षियों के कलरव का आनंद हुआ चुर - चूर ।
अब तो जागते हुए भी रहता हुआ सोया
तुमसे मिलने की आस का बीज हर दिन बोया ।
अब तो बारिश का मौसम विदा होने को है
किन्तु उस आशा के बीज में अंकुर न लगे ।
बड़ी अजीब अफ़वाह है
तुम मेरे बिना ही खुशी से जीने लगे ।
आसपास तो प्रकृति में बहुत हरियाली है
फिर भी मेरा दिल तुम्हारे बिना खाली - खाली है ।
जिंदगी में तुम आओ तो बन जाए कोई नई बात
चार कदम चलकर तुम छोड़ गए मेरा साथ ।
पतझड़ में तुम मेरे घर से गुजर जाना
मेरे में उल्लास के नए पत्ते खिलाना ।
मैं अपने पत्तें खोकर हो जाऊंगा बिल्कुल अधूरा
अरे ; हरे ही क्यूं जैसा रंग चाहो उससे करो मुझे पूरा ।
तुम बन जाओ नदी और मैं बन जाऊं किनारा
खुद को खोकर बन जाऊं सिर्फ तुम्हारा ।
रास्तों पर कदम बढ़ाए जाता हूं
पर मंजिल का मुझे पता नहीं ।
तुमसे मिलने खातिर जो तड़प रहा हूं
जहां में इससे बड़ी कोई सजा नहीं ।
मैंने मान लिया तुम्हें अपना स्वाभिमान
आकर फिर से छेड़ जाओ न प्यार का तान ।
थोड़ी तो रख लो ईश्क का मान
ताकि जी सके कोई मोहब्बत करने वाला इंसान ।।।
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Breakup shayari
बहुत समझाया इस दिल को
उसको याद न किया करे
स्मरण करके खुद तो तड़पे ही
आंखों को उसकी के दरिया में डुबोए ।
उससे मिलते वक्त
एक बार भी सोच न सका
उसके दूसरी राह पर निकलने के बाद भी
वो मेरी राहों से दूर न हो सका ।
उसके जहन में आया
यह दिल का खेल ख़तम करो दूर जाकर
देह तो वो अपने साथ ले गया
अरे ! अपना दिल भी ले जाओ आकर ।
सुख में मध्यस्थ बने हर कोई, आफत में न कोई
ये कैसी है दुनिया की रीत
जिंदगी को बना दिया काल ने
एक दुखी गीत ।
यह खेल जब शुरू हुआ
पता न था इसका कोई अंतिम छोर नहीं
दिल उसी से लगता था, लगता रहेगा
उस इंसान का यहां कोई तोड़ नहीं ।
ऐसा कोई गांव का गलियारा नहीं
यहां मोहब्बत का शोर नहीं
उस शोक सड़क पर लाया प्यार
जिस पर सुख का एक भी मोड़ नहीं ।
बहुत कुछ होने के बाद भी
आशा अब भी बलशाली है
दिल उसकी बातों - यादों से भरा है
भले ही दिमाग खाली है ।
सपनों की मुलाकात कभी
एक दिन वास्तव बन जाए
यही कामना है
वो आए तो फिर कभी न जाए ।
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Breakup poem
पतझड़ का मौसम आ गया
लेकिन उसकी यादें दिल से घटी नहीं
पूस की रातों में जीवकोष हार मान गए
लेकिन शिशिर हृदय के अनंत विस्तार को कभी हराया नहीं
कई बार आंधी - तूफान का मेरे आंगन में दस्तक हुआ
लेकिन सपनों के घर का एक ईंट भी हिला नहीं
जून की दोपहरी प्यार की आग को तेज की
मैं तो जल गया लेकिन उसकी मूरत नहीं
सागर की लहरें तट पर वेग से आती गई
लेकिन उसके कदमों के निशा कभी मिटे नहीं
घड़ी की सुइयों की टिक - टिक कानों में हर पल गूंजती रही
लेकिन ऐसा पल नहीं जब ईश्क शुरू होकर काल को रोकी नहीं
आकाश की बिजली जब भी चमकती
उसका सुंदर सा मुखरा न दिखाए_ ऐसी चिंगारी नहीं
चांदनी रात में जब भी बाहर निकला
उसकी छाया मेरी परछाई न बनी_ ऐसी रात नहीं
शीत के कोहरों ने सूर्य को छिपाया कई बार
लेकिन ऐसी सुबह नहीं _ जब उसके प्रकाश ने मुझे छुआ नहीं
बहते बादलों को घंटों निहारता रहता हूं
इस आशा में कभी तो वो उसका संदेशा लाएं
उसका हाल बताकर थोड़ा हसाएं थोड़ा रुलाएं
"+++++++++++"+++++++++++"++++++++++
👀💔 एक नयी पारी
दिल की बात कहने जाता हूं
किन्तु पहुंचकर चुप हो जाता हूं
दोस्त - रिश्तेदार सिर्फ नाम के रह गए
हम तो तन्हाई में ही घुट के जीते रह गए
किसी को कोई खबर न रही
मेरे जहन में कुछ तो बात है चल रही
सब थे जिंदगी जीने में मदहोश
जब नशा उतरा खुशियों का_ तब उनको आया होश
याद करने लगे वो सब हर पल
रोज बुलाते और बोलते_ फिर आना कल
दुःख भरी लंबी कथा सुनाते
दुःख होता उनको जब मुझसे सांत्वना न पाते
अपने ही लोगों से पाता रहता हूं ललकार
तुझसे न हो पाएगा_ यहां तेरे से हजारों गुना तेज हैं कलाकार
हर पल पीता जाता हूं रिश्तेदारों का अपकार
एक हों त न संभालूं , कईयों मुंह के कैसे सहू तीखे वार
हिम्मत बांध के भाग्य निर्माण की ओर बढ़ते रहते हैं कदम
पर क्या करूं _ कभी - कभी घनघोर अंधेरों से जाता हूं सहम
हर भोर में नए उजालों को तलाशना मेरा जारी है
हर दिन _ एक नया दिन _ एक नई पारी है ।।।
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कॉलेज से निकल मंजिल के लिए लगाने लगा दौड़
दोस्त भी अमूल्य निधि हैं, नहीं किया इसपर कभी गौर
उसने पहनाया था मुझे अपना ताज
एक दोस्त की याद अाई है फिर आज
सैकड़ों में उसने ही सबसे पहले मेरा हृदय देखा
एकपल में ही मित्रता का प्रस्ताव मेरी आेर फेंका
उसने नजरअंदाज किया मेरा गरीबों - सा साज
एक दोस्त की याद अाई है फिर आज
स्नातक बाद अचानक एक दिन कर दिया घर खाली
लोग हमदोनों की मैत्री पर हंसकर बजाते रहे ताली
खोट निकालने के सिवाय नहीं है उनको काम - काज
एक दोस्त की याद अाई है फिर आज
फोन करके उसने बताया तुमको बता देते तो होता दुःख
मेरे गांव के अन्न - जल और स्वच्छ पवन में है बहुत सुख
भ्रम दूर हुआ जब अपनी दोस्ती पर हुआ नाज
एक दोस्त की याद अाई है फिर आज
कॉलेज में अवकाश था जब_ तो मज़ा लूटने खातिर धन नहीं
अब लक्ष्मी है तो मित्रता के समर्थन में मोहलत का
मन नहीं
बेमेल अवसर वास्ते घड़ी पर गिर जाए एक दिन गाज
एक दोस्त की याद अाई है फिर आज
घड़ी की बैटरी निकाल समय को हराने का करता रहता हूं प्रयास
यह बचकानी हरकत अब बन गई है मेरी दिल की बहुत खास
दोस्ती में कई अंधेरे आए किन्तु भोर का ही रहा राज
एक दोस्त की याद अाई है फिर आज
सुनहरे धूप जैसे स्मरण मैत्री के याद आने लगे
पूरे साल को एक ही पल में महफिल से सजाने लगे
उसको याद करके मुस्कुराहट का हो जाता है आगाज
एक दोस्त की याद अाई है फिर आज
यह हवा मध्यम - मध्यम कुछ गुनगुना रही है
बस उसकी बातें ही याद दिला रही है
मेरे मुसीबतों के समुंदर को पार करने में वो बना जहाज
एक दोस्त की याद अाई है फिर आज
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पतझड़ का मौसम आ गया
लेकिन उसकी यादें दिल से घटी नहीं
पूस की रातों में जीवकोष हार मान गए
लेकिन शिशिर हृदय के अनंत विस्तार को कभी हराया नहीं
कई बार आंधी - तूफान का मेरे आंगन में दस्तक हुआ
लेकिन सपनों के घर का एक ईंट भी हिला नहीं
जून की दोपहरी प्यार की आग को तेज की
मैं तो जल गया लेकिन उसकी मूरत नहीं
सागर की लहरें तट पर वेग से आती गई
लेकिन उसके कदमों के निशा कभी मिटे नहीं
घड़ी की सुइयों की टिक - टिक कानों में हर पल गूंजती रही
लेकिन ऐसा पल नहीं जब ईश्क शुरू होकर काल को रोकी नहीं
आकाश की बिजली जब भी चमकती
उसका सुंदर सा मुखरा न दिखाए_ ऐसी चिंगारी नहीं
चांदनी रात में जब भी बाहर निकला
उसकी छाया मेरी परछाई न बनी_ ऐसी रात नहीं
शीत के कोहरों ने सूर्य को छिपाया कई बार
लेकिन ऐसी सुबह नहीं _ जब उसके प्रकाश ने मुझे छुआ नहीं
बहते बादलों को घंटों निहारता रहता हूं
इस आशा में कभी तो वो उसका संदेशा लाएं
उसका हाल बताकर थोड़ा हसाएं थोड़ा रुलाएं
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सुन सुन छोटू कैसे बनते हैं rapper
अचानक जिंदगी फटी जैसी हो 🍘 cracker
अपने सपनों को कचड़े में फेंका आगच में तह कर
सब बोलने लगे _ बेटा ये कर , वो कर
लोगों की बातों ने किया बहुत ही confuse
कुछ सोच न पा रहा जैसे उड़ा हो दिमाग का fuse
दुकान में काम किया तो मालिक ने किया मेरा misuse
12 घंटों के हार्ड काम ने मुझे न करने दिया amuse
इस दौरान मेरा किसी ने न दिया साथ
मटन न मिलता _ दिन गुजारा खाकर आलू - भात
मदद में नहीं , सिर्फ चुनाव में ही काम आता है जात - पात
सीखता गया राहों के पत्थरों से खाकर कई बार मात
सुन सुन छोटू कैसे बनते हैं rapper
अचानक जिंदगी फटी जैसी हो 🍘 cracker
अपने सपनों को कचड़े में फेंका आगच में तह कर
सब बोलने लगे _ बेटा ये कर , वो कर
एक दिन rap लिख डाला
यूट्यूब पर डाला
दोस्त ही बोले " तू कुछ नहीं कर पाएगा साला "
सुन छोटू ! मेरा तुझसे भी है ज्यादा काला
Success मिली तो सब आएं मिलने
कई गानों बाद रोज लगे गले मिलने
कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद भी उनका दिल लगा जलने मेरे जीवन में ऐश्वर्य का फूल लगा खिलने ।
मैंने कमाया है अपने बल बूते पर fame
गली - गली का बच्चा जानता है मेरा name
अब जंजीर मुझे जकड़े नहीं क्यूंकि नहीं रहा मैं tame
तू भी उठ _ पा ले मंजिल _ हाथ - पैर होते हुए भी मत बन lame
अगर तू हाथ - पे - हाथ धड़कर बैठा रहा
तुझपर करेंगे लोग shame shame
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मैं वो नहीं जिसकी मुझे तलाश है
दूसरों की इच्छाओं को अपना कहना पड़ा
मेरी काया तो जैसे एक जिंदा लाश है ।
दूसरों की चाहत में बन गया हूं कुछ
मैं वो नहीं जिसकी मुझे तलाश है ।
कुछ अच्छा अवश्य ही होगा
कभी - कभी लगता ये आभास है ।
कई अपने मेरी राहों से गुजर आगे निकल गए
वो मदद करेंगे , यही दिल में आस है ।
दिल - दिमाग की बातों में टकराव अक्सर होता है
वरना तरक्की का खुला आकाश है ।
एक पल में अपने पराए तो पराए अपने बन जाते हैं
जिंदगी जिंदगी नहीं, बन गई ताश है।
पैसा और मोहब्बत मिल जाए अगर
तो जीवन में उल्लास ही उल्लास है ।
दोनों में किसी को एक ही मिले
तो समाज में बन जाता परिहास है ।
अपनों के बीच ही लगता है
किसी दूसरी दुनिया में मेरा हो गया प्रवास है।
सब हो लिए धनी व्यक्ति के साथ
जिसने कहा त्रिज्या से छोटी होती व्यास है ।
धूर्तता रहित साफ़ दिल लिए कमाना
आजकल बन गया इतिहास है ।
पकड़े जाने वाला एवम् पकड़ने वाला
यहां दोनों ही बदमाश है ।
जब कभी अपने हृदय की बात बताऊं
अपने ही लोग समझते_ मेरी बात बस बकवास है।
अंधेरों के काल में याद किए मुझे कई
उजालों के आते ही उनको अब कहां अवकाश है ।
कदमों का बढ़ना जारी है अनजानी सी डगर पर
क्यूंकि अब तो जिए चले जाने का अभ्यास है।
दूसरों की चाहत में बन गया हूं कुछ
मैं वो नहीं जिसकी मुझे तलाश है ।
2 Comments
Bhai tu sc m ab dil se likhne lg gya......
ReplyDeleteBs ek line hi bolna chahta hu ki ..tum ab dhanshu poet bnega..
#futurepoet
Many many thanks to you for your feedback
Delete😊😊😊